देश - दुनिया
क्या है ‘पार्लर’, जिसे गूगल, अमेजन और एपल ने कर दिया बैन?

अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर अपने समर्थकों का कैपिटल हिल में दंगा-फसाद करना भारी पड़ गया. उन्हें एक के बाद एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाया जा रहा है. ट्विटर के उनका अकाउंट हमेशा के लिए बंद करने के साथ फेसबुक और इंस्टाग्राम ने भी 20 जनवरी के लिए ट्रंप का अकाउंट निष्क्रिय कर दिया. ट्रंप सोशल मीडिया के जरिए समर्थकों से न जुड़ सकें, इसके लिए एपल, अमेजन और गूगल ने अपने यहां ‘पार्लर’ सोशल नेटवर्क को भी हटा दिया है.
सारे बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म्स से ट्रंप की पोस्ट्स डिलीट होने के बाद ट्रंप समर्थकों ने एक नई जगह खोज निकाली थी. वे पार्लर नाम के प्लेटफॉर्म पर जुटने लगे. भारत के लिए ये नाम भले ही नया है लेकिन पश्चिमी देशों में ये भी एक नेटवर्किंग साइट के तौर पर लोकप्रिय है. खासकर अमेरिका में इस साइट पर कथित तौर पर रिपब्लिकन्स ज्याद आते हैं.
तो समझते हैं कि ये आखिर है क्या. ट्विटर की तरह ही लोकप्रिय ये प्लेटफॉर्म खुद को प्रीमियर फ्री स्पीच प्लेटफॉर्म कहता है. ये दावा करता है कि उसके प्लेटफॉर्म पर बोलने और खुद को अभिव्यक्त करने की पूरी आजादी है और इसके बाद भी किसी को de-platformed नहीं किया जाएगा यानी उससे मंच नहीं छीना जाएगा.
पिछले कुछ माह में सोशल नेटवर्क पार्लर अमेरिका में तेजी से बढ़ने वाला ऐप रहा. 6 जनवरी को वॉशिंगटन के कैपिटल हिल में हिंसा से पहले जब ट्रंप के भड़काऊ पोस्ट एक के बाद एक सोशल प्लेटफॉर्म्स से हटाए जाने लगे तो सपोर्टर पार्लर ऐप की मदद लेने लगे. वे यहां जमा हो गए और कथित तौर पर सूचनाओं का लेनदेन होने लगा. कहा जा रहा है कि हिंसा भड़काने में पार्लर ने भी बड़ी भूमिका निभाई.
हिंसा के चौथे रोज शनिवार को एपल ने आईफोन और फिर गूगल ने अपने ऐप स्टोर से पार्लर को हटा दिया. इस तरह से पार्लर अमेजन, एपल और गूगल से हटने के कारण लगभग बंद हो चुका है और जल्द ही होस्टिंग सर्विस न मिलने पर ये पूरी तरह से ऑफलाइन हो जाएगा.
एपल ने सबसे पहले पार्लर को अपने यहां से हटाया और उसे उस बाबत पत्र भी लिखा. इंडियन एक्सप्रेस में न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से ये बात बताई गई है. एपल ने पार्लर पर पर नियम तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने अपने यहां से खतरनाक और हिंसा भड़काने वाली बातों को नहीं हटाया और ये App Store Review Guidelines के खिलाफ है. अमेजन ने भी इसी बात का हवाला देते हुए पार्लर का होस्ट बनने से इनकार कर दिया.
इन प्लेटफॉर्म्स से हटाए जाने का मतलब है कि लोग अब इस सर्विस को एपल या गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड नहीं कर सकेंगे. और न ही अमेजन वेब सर्विसेज से इसे डाउनलोड किया जा सकेगा.
पार्लर के लिए ये सारे ही प्लेटफॉर्म वेब होस्टिंग का काम करते थे. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी भी वेबसाइट को इंटरनेट पर आने के लिए होस्टिंग चाहिए होती है. होस्टिंग के लिए एक पावरफुल सर्वर चाहिए होता है जो चौबीसों घंटे नेट से जुड़ा रहे. चूंकि इस सर्वर को मेंटेन करने की कीमत काफी ज्यादा होती है इसलिए ज्यादातर वेबसाइटें इसके लिए वेब होस्टिंग की मदद लेती हैं. वेब होस्टिंग कंपनियों के पास अपना सर्वर और तकनीक होती हैं और वेबसाइट को बस किराया देना होता है. यानी ये मकान मालिक के यहां किराया देकर रहने की तरह है. पार्लर के लिए भी एपल और अमेजन जैसी कंपनियां यही काम करती थीं.
रविवार को पार्लर को कोई दूसरी होस्टिंग सर्विस नहीं मिल सकी तो वो बंद हो गया. हालांकि ट्रंप का अकाउंट बंद होने से सोशल साइट कंपनियों को लेकर काफी बहसें भी जारी हैं कि इन कंपनियों के पास क्या इतनी ताकत है कि वे बोलने की आजादी खत्म कर सकें. यहां तक कि कई लोग इसे संविधान के पहले ही नियम को तोड़ना तक कह रहे हैं. इसके बाद भी सोशल साइट्स ने ये कदम लिया तो इसके पीछे कोई एक या दो दिन नहीं, बल्कि लंबी कहानी मानी जा रही है.
ये भी कहा जा रहा है कि ट्विटर आने वाले ताकतवर लोगों के प्रभाव में आकर ऐसा कर रहा है. पहले भी साल 2020 में यूट्यूब, ट्विटर और टिकटॉक ने क्यूएनन समूह का कंटेंट ब्लॉक कर दिया था. ये वही समूह है, जिसे ट्रंप समर्थक माना जाता है और 6 जनवरी की हिंसा में भी इस विचारधारा के लोगों का हाथ माना जाता है. फेसबुक भी ऐसा कर चुका है. उसने तो यहां तक कह दिया कि क्यूएनन अमेरिका के भीतर हिंसा भड़काने की फिराक में लगे अतिवादियों का समूह है.


देश - दुनिया
‘मास्क’ वन्यजीव के लिए साबित हो रहा खतरा
कोरोना वायरस महामारी के दौरान कारगर मास्क वन्यजीवों, पक्षी और पानी में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए नुकसानदेह और घातक साबित हो रहा है। जब से कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक जगहों पर मास्क को अनिवार्य किया गया है तब से एकबार इस्तेमाल किए जाने वाले सर्जिकल मास्क दुनिया भर के सड़कों, पानी और समुद्री तटों पर बिखरे पड़े हैं। एक बार पहना जानेवाला पतला सा प्रोटेक्टिव मटीरियल नष्ट होने में सैंकड़ों साल लगा देता है। पशु अधिकारों के समूह पेटा के एश्ले फ्रुनो ने कहा, ‘फेस मास्क का इस्तेमाल जल्दी नहीं खत्म होने वाला है लेकिन इस्तेमाल के बाद जब हम इसे फेंक देते हें तब यह पर्यावरण और जानवरों को नुकसान पहुंचा सकता है।’ मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के बाहरी इलाके में लंगूरों को मास्क के स्ट्रेप चबाते हुए देखा गया। वहीं ब्रिटेन के चेम्सफोर्ड सिटी में भी समुद्री पक्षी का पैर इस मास्क के फंदे में एक सप्ताह तक फंसा रह गया था। एनिमल वेलफेयर चैरिटी ने इस घटना का जिक्र कर सतर्क किया। चैरिटी की नजर जब इस पक्षी पर गई तब इसके पैर बंधे होने के कारण यह बेहोशी की अवस्था में था इसे तुरंत वन्यजीव अस्पताल ले जाया गया।

देश - दुनिया
आइसक्रीम से भी फैलता है कोरोना…

कोरोना वायरस को लेकर रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अभी तक कोरोना वायरस इंसानों में फैल रहा था लेकिन अब खाने के सामान में भी कोविड-19 की पुष्टि हो रही है। चीन में यह खास मामला सामने आया है, जहां आइसक्रीम तक कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई है।
इस खबर के बाद से चीन में हड़कंप मच गया है और चीनी अधिकारी संक्रमण के खतरे का पता लगाने के लिए जांच में जुट गए हैं। स्थानीय दुकानों में बनाई जाने वाली आइसक्रीम के तीन सैंपल कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। यह मामला देश के उत्तर पूर्व इलाके टियानजिन नगरपालिका का है।
टियानजिन डकियाडो फूड कंपनी की ओर से 4,836 आइसक्रीम के डिब्बे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से 2,089 डिब्बों को अब स्टोरेज में सील कर दिया गया है। चीनी मीडिया के मुताबिक संक्रमित डिब्बों में से 1,812 डिब्बों को दूसरे प्रांंतों में भेज दिया गया है और 935 डिब्बे स्थानीय बाजार में प्रवेश कर चुके हैं, जिनमें से 65 डिब्बों की बिक्री हो गई है।
1,662 कर्मचारियों को खुद से आइसोलेशन और टेस्टिंग के निर्देश दे दिए गए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वायरोलोजिस्ट डॉक्टर स्टीफन ग्रिफिन का कहना है कि आइसक्रीम के डिब्बों में कोरोना की पुष्टि इंसानों की वजह से हुई है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी संभावना है कि प्रोडक्शन प्लांट में वायरस फैला है।
उन्होंने आगे कहा कि आइसक्रीम फैट से बनी होती है और उसे कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है, जिसकी वजह से वायरस को वहां पनपने में आसानी हो गई होगी। हालांकि उन्होंने आगे कहा कि हमें इस बात से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है कि आइसक्रीम का हर डिब्बा अचानक से कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएगा।

देश - दुनिया
अब 45 मिनट में जा सकेंगे चंडीगढ़ से हिसार

हरियाणा के चंडीगढ़ और हिसार के बीच हवाई सेवा की शुरुआत हो गई है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इसकी शुरुआत की. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर इस उड़ान के पहले यात्री को बोर्डिंग पास दिया एवं हवाई पट्टी पर जाकर जहाज के बारे में जानकारी ली. यह सेवा एयर टैक्सी एविएशन कम्पनी ने शुरू की है. सीएम ने इस मौके पर कहा कि जल्द ही हिसार से देश के अन्य राज्यों के शहरों के लिए भी टैक्सी सर्विस शुरू की जाएगी.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में हवाई सेवाओं की दिशा में आज एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है. उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति के शुभ दिन चंडीगढ़ से हिसार हवाई सेवा शुरू होने पर मैं सभी को शुभकामनाएं एवं बधाई देता हूं. एयर टैक्सी कम्पनी ने चार सीटर हवाई जहाज मंगाए हैं. इसमें एक समय में पायलट के अलावा तीन लोग यात्रा कर सकेंगे. इस हवाई जहाज से चंडीगढ़ से हिसार की दूरी 45 मिनट में तय की जा सकेगी. यह सेवा भारत सरकार की ‘उड़ान’ स्कीम के तहत शुरू हुई है. इस स्कीम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी.

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