देश - दुनिया
इस बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार… जानिए आपको फायदा होगा या नुक्सान
अगर आपका बैंक अकाउंट आईडीबीआई बैंक में है तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, IDBI Bank में सरकारी हिस्सा बेचने की तैयारी पूरी हो गई है. इस पर जल्द ही कैबिनेट से सैद्धांतिक मंजूरी ली जाएगी. ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पर सलाह मशविरा का दौर पूरा हो चुका है. आपको बता दें कि बैंक को संकट से उबारने के लिए पिछले साल सितंबर में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और सरकार ने बैंक में इक्विटी पूंजी के रूप में 9,300 करोड़ रुपये का निवेश किया था.
अब क्या होगा- सूत्रों के मुताबिक इस मामले पर संबंधित मंत्रालयों से भी सलाह मशविरा पूरा हो चुका है. LIC, आईडीबीआई बैंक में अपना हिस्सा बेचने की इच्छुक है. बता दें कि IDBI Bank में LIC की 51 फीसदी और सरकार की 47 फीसदी हिस्सेदारी है.
क्या होगा ग्राहकों का- IDBI बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा. बैंक की सभी सर्विसेज बरकरार रहेंगी.
आईडीबीआई एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. LIC ने IDBI में 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी. इसके बाद LIC और सरकार ने मिलकर 9300 करोड़ रुपये IDBI बैंक को दिये थे. इसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 4,743 करोड़ रुपये थी.
इसी साल 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बैंक बनाया गया- मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 सरकारी बैंक बनाने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके तहत पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक का विलय हो गया. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय हो गया. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को मिला लिया. इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में विलय हो गया.
2017 में एसबीआई में उसके 5 सहयोगी बैंकों का हुआ विलय- इससे पहले 2017 में भारतीय स्टेट बैंक में उसके 5 सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय कर दिया गया था. 2018 में बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय कर देने का फैसला किया गया था. सरकर ने लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को आईडीबीआई बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी लेने की भी अनुमति दे दी. इसके बाद आईडीबीआई तकनीकी तौर पर प्राइवेट बैंक बन चुका है.
देश - दुनिया
Sri Lanka : श्रीलंका को डुबोने के पीछे इसका है हाथ,जानिए
Sri Lanka News : श्रीलंका में आर्थिक हालात खराब हैं। जो जनता अभी तक सड़कों पर परेशान घूम रही थी वह अब राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास में डेरा जमा चुकी है। लेकिन श्रीलंका इस हालात तक कैसे पहुंचा। श्रीलंका की बर्बादी में सबसे बड़ा कारण चीन और राजपक्षे परिवार रहा है। आइए जानते हैं कैसे?भारत के करीब का टापू देश श्रीलंका इन दिनों अपनी खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है। श्रीलंका के बर्बाद होने में उसके नेताओं के साथ-साथ चीन का भी हाथ है। श्रीलंका के हालात उन देशों के लिए भी वार्निंग हैं जो चीन की दोस्ती को शहद से भी मीठी समझ लेते हैं।
उन्हें ये समझना चाहिए कि उनकी ये मिठास उन्हें शुगर का मरीज बना सकती है। लेकिन श्रीलंका चीन के कारण कैसे बर्बाद हो गया? दरअसल श्रीलंका के बर्बाद होने के कई कारणों में चीन सबसे बड़ा कारण रहा है।एनालिस्ट ब्रह्म चेलानी के मुताबिक लगभग दो दशक तक राजपक्षे परिवार ने श्रीलंका पर राज किया।
उन्होंने इसे एक देश की तरह नहीं बल्कि फेमली बिजनस की तरह चलाया। श्रीलंका में होने वाली भव्य निर्माण परियोजनाओं और खर्च करने के खराब तरीकों के साथ-साथ उन्होंने श्रीलंका को कर्ज के बोझ तले दबा दिया। इस कारण श्रीलंका आजादी के बाद से अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट पर पहुंच गया। 2005 में जब महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति बने तो बड़ी ही मजबूती के साथ 10 साल तक राज किया। लेकिन 2015 में वह चुनाव हार गए और राजपक्षे परिवार सत्ता से बेदखल हो गया।
भाई गोटबया राजपक्षे बने राष्ट्रपति
2015 की हार के बाद महिंदा के भाई गोटबया राजपक्षे राष्ट्रपति की उम्मीदवारी में आए। इसके लिए उन्होंने अपनी अमेरिकी नागरिकता तक छोड़ दी। वह एक बेहतर उम्मीदवार साबित हुए, क्योंकि 2009 में तमिल टाइगर विद्रोहियों को पूरी तरह खत्म करने के दौरान वह डिफेंस सेक्रेटरी थे। विद्रोहियों के खत्म होते ही राजपक्षे भाई देश के सिंहली समुदाय की नजर में एक हीरो बन गए। 2019 में गोटबया सत्ता में आ गए। उन्होंने अपने भाई और बेटों को मंत्री बनाया। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रीलंका को लगातार नरसंहार के मामले में घेरा जाने लगा। राजपक्षे परिवार के लोगों पर UN में युद्ध अपराध का मामला चलाने की बात आई, लेकिन चीन ने उन्हें बचा लिया।
चीन ने श्रीलंका को कैसे किया बर्बाद
चीन के अहसान का बदला चुकाने के लिए राजपक्षे परिवार पूरी तरह उसके आगे नतमस्तक हो गया। चीन को यहां बड़े-बड़े निर्णाण के ठेके मिले। इसके साथ ही चीन ने बड़ी ब्याज दरों पर श्रीलंका को कर्ज दिया। इसके अलावा राजपक्षे परिवार के गृह जिले हंबनटोटा में बड़े पैमाने पर बेफिजूल के निर्माण किए गए। जैसे दुनिया का सबसे खाली एयरपोर्ट, एक ऐसा क्रिकेट स्टेडियम जिसमें बैठने की क्षमता जिले की राजधानी की आबादी से भी ज्यादा है। इसके अलावा 1.4 बिलियन डॉलर की लागत से बना हंबनटोटा बंदरगाह जिसे चीन ने 2017 में 99 साल के लिए लीज पर ले लिया। इन सब के अलावा चीन के भारी भरकम कर्ज, जिसकी एक शर्त ये भी होती है कि उसकी डिटेल्स पब्लिक को नहीं बताई जा सकती।
चीन का श्रीलंका में क्या फायदा
चीन की कार्यप्रणाली देश के ताकतवर लोगों के साथ डील करना और उनकी बदौलत देश की कमजोरियों का फायदा उठाने की है। चीन श्रीलंका में घुस रहा है, इसे लेकर 2014 में ही चेतावनी दी गई थी, जब दो चीनी पनडुब्बियां बिना बताए अलग-अलग समय पर कोलंबो पहुंच गई थीं। यहां वह नए बने बंदरगाह पर रुकीं जिसे ज्यादातर चीनी कंपनियां कंट्रोल करती हैं। इसके अलावा श्रीलंका में घुसने से चीन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर बढ़त हासिल कर सकेगा।
चीन का श्रीलंका में क्या फायदा
चीन की कार्यप्रणाली देश के ताकतवर लोगों के साथ डील करना और उनकी बदौलत देश की कमजोरियों का फायदा उठाने की है। चीन श्रीलंका में घुस रहा है, इसे लेकर 2014 में ही चेतावनी दी गई थी, जब दो चीनी पनडुब्बियां बिना बताए अलग-अलग समय पर कोलंबो पहुंच गई थीं। यहां वह नए बने बंदरगाह पर रुकीं जिसे ज्यादातर चीनी कंपनियां कंट्रोल करती हैं। इसके अलावा श्रीलंका में घुसने से चीन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर बढ़त हासिल कर सकेगा।
बर्बादी के ये भी रहे हैं कारण
श्रीलंका की बर्बादी का कारण चीन तो रहा है। लेकिन राजपक्षे परिवार की नीतियां भी इस टापू देश को डुबाने में पीछे नहीं रही हैं। 2019 में टैक्स में बड़ी कटौती की गई, जिससे देश का एक तिहाई कर सरकार के खजाने से गायब हो गया। इसके बाद महामारी के कारण श्रीलंका का टूरिज्म और कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ। जब इन समस्याओं से श्रीलंका जूझ रहा था, इसी बीच रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हो गया। ये वो कारण था जो श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के ताबूत की आखिरी कील साबित हुआ। तेल और अनाज की कीमतें तेजी से बढ़ीं, जिसके कारण श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया। अब जनता के सब्र का बांध टूट गया है। वह राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री भवन में कब्जा जमा चुकी है।
देश - दुनिया
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना: सरकार के इस स्कीम में करे निवेश दे रही है जीवनभर के लिए 3 हजार की पेंशन, ये रहा पूरा प्रोसेस…
PM Shram Yogi Mandhan Yojana: देश में असंगठित क्षेत्र से जुड़े तबकों के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए भारत सरकार कई योजनाओं को चला रही है। इसी कड़ी में आज हम आपको सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं। इस स्कीम का नाम प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना है। 60 की उम्र के बाद मजदूरों और श्रमिकों के समक्ष कई तरह की आर्थिक परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। बुढ़ापे के दौरान उनके पास आमदनी कमाने का भी कोई रास्ता नहीं बचता। देश में असंगठित क्षेत्र से जुड़े लोगों की इसी समस्या को देखते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना को शुरू किया है। योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद मजदूरों और कामगारों को हर महीने 3 हजार रुपये की पेंशन दी जा रही है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के बारे में विस्तार से –
इस योजना में आवेदन करने के लिए आपकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इसके अलावा अगर आप ईएसआईसी या ईपीएफओ के सदस्य हैं, तो आपको योजना का लाभ नहीं मिलेगा। मान लीजिए आपकी उम्र 18 साल है। इस दौरान आप श्रम योगी मानधन योजना में आवेदन करने के बाद हर महीने 55 रुपये का निवेश शुरू करते हैं। ऐसे में जब आपकी उम्र 60 वर्ष हो जाएगी। उसके बाद आपको हर महीने 3 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी।
इस स्कीम में आवेदन करने के लिए आपको श्रम योगी मानधन योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना है। उसके बाद आपको अपनी सभी जरूरी डिटेल्स दर्ज करनी है। इस तरह आप आसानी से श्रम योगी मानधन योजना में आवेदन कर सकते हैं प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना में आवेदन करने के लिए आपके पास आधार कार्ड, पहचान पत्र, बैंक खाते की पासबुक, पत्र व्यवहार का पता, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो की जरूरत होगी।
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SOLAR COOKING STOVE: बड़े काम की है ये सोलर चूल्हा, आज ही घर लाये.. मिल सकती है इतनी की सब्सिडी, जाने क्या है इसकी कीमत…
Solar Cooking Stove: आज के समय में अगर हमें खाना बनाना है, तो गैस का बटन ऑन करना है और फिर आप अपना पसंदीदा खाना बनाकर खा सकते हैं। वहीं, बाजार में कई तरह की इलेक्ट्रॉनिक चीजें जैसे- ओवन, इंडक्शन चूल्हा आदि मौजूद हैं। लेकिन लोगों की निर्भरता ज्यादा गैस के चूल्हे पर ही है। हालांकि, उस समय को नहीं भूला जा सकता, जब लोग लकड़ियों के चूल्हे पर खाना बनाते थे। पर अब गैस के चूल्हे से सब आसान सा हो गया है, लेकिन एक दिक्कत है गैस सिलेंडर को बार-बार भरवाने की। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम भी लोगों को खासा परेशान करते हैं। अगर आप भी इन सब दिक्कतों के कारण परेशान हैं, तो हम आपको सोलर चूल्हे के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप गैस के सिलेंडर को पूरी तरह भूल सकते हैं। तो चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं। आप अगली स्लाइड्स में इसके बारे में जान सकते हैं…
चूल्हे के बारे में जान लीजिए
बात अगर इस सोलर चूल्हे की करें, तो सरकार की तरफ से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने इस सोलर चूल्हे को लॉन्च किया है, जो सौर ऊर्जा से चलेगा यानी इसके लिए गैस नहीं बल्कि सूरज की किरणें चाहिए जिससे ये चार्ज होगा।
दरअसल, इस चूल्हे का नाम ‘नूतन चूल्हा’ रखा गया है और सबसे खास बात ये कि ये रिचार्जेबल है। अपने दिल्ली स्थित आवास पर ऑयल मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने इसे लॉन्च किया था, और इस दौरान इसी चूल्हे पर तीन टाइम का खाना पकाया और परोसा भी गया। इस चूल्हे की लाइफ 10 साल बताई गई है।
ये है काम करने का तरीका
आपको इस सोलर चूल्हे को अपने किचन में रखना है। ये चूल्हा एक केबल तार के जरिए सोलर प्लेट से जुड़ा हुआ है और ये सोलर प्लेट छत पर रखी जाती है। फिर इस सोलर प्लेट से ऊर्जा पैदा होती है और केबल के जरिए चूल्हे तक पहुंचती है। इसके बाद आप इस पर खाना बना सकते हैं।
कीमत कितनी है?
इस सोलर चूल्हे की टेस्टिंग पूरी हो गई है और अब इसकी कमर्शियल लॉन्चिंग है। वहीं, इसकी कीमत 18 से 30 हजार रुपये के आसपास होगी। हालांकि, सरकार इस पर सब्सिडी देकर इनकी कीमतें कम कर सकती है। जब 2-3 लाख चूल्हें बेचें जाएंगे, तो सरकार इस पर सब्सिडी देगी, जिसके बाद इसकी कीमत 10 से 12 हजार रुपये तक हो सकती है।
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