देश - दुनिया
देशभर के 25 हजार संतों को पत्र लिखकर कहां बुलाना चाह रहे हैं PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक निमंत्रण पत्र को तैयार करवाने की कवायद में इन दिनों उत्तर प्रदेश की सरकार जुटी हुई है. ये निमंत्रण पत्र देशभर के संतों को भेजा जाएगा और उनको एक जगह पर बुलाया जाएगा. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण पर देश भर के संतों को निमंत्रण देने की योजना बनाई जा रही है. यदि ऐसा होता है तो काशी में आने के लिए 25 हजार संतों को निमंत्रण पत्र भेजा जाएगा. इस दौरान संत महात्माओं को काशी में हुए बदलाव से रू-ब-रू करवाया जाएगा.
संतों को ये बताया जाएगा कि कैसे संकरी गलियों से निकालकर बाबा विश्वनाथ का भव्य और दिव्य धाम बनाया गया है. साथ ही इसको बनाने के दौरान आई चुनौतियों और निर्माण को लेकर शहर में किए गए बदलावों की जानकारी भी दी जाएगी.
बीजेपी शासित राज्यों के CM पहुंचेंगे
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी 13 दिसंबर को श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे. इसके लिए एक ओर जहां भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचेंगे तो दूसरी ओर देशभर के 200 से ज्यादा मेयर भी वाराणसी में मौजूद रहेंगे. वहीं संतों, अखाड़ों के महंत, महामंडलेश्वर, मंदिरों और मठों के प्रमुखों को भेजे जाने वाले निमंत्रण पत्र के लिए शासन और प्रशासन सभी मठ, मंदिरों, अखाड़ों, पीठों आदि की सूची तैयार कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक, कोशिश की जा रही है कि देशभर के सभी संत इस कार्यक्रम में शामिल हों.
काशी बुलाने का आग्रह
संतों को निमंत्रण देने के साथ ही उनसे आग्रह किया जाएगा कि वे न केवल खुद विश्वनाथ की इस नई काशी के दर्शन करें बल्कि भक्तों को भी यहां आने के लिए प्रेरित करें. लोगों से काशी में आने के साथ ही यहां के इतिहास और भव्यता से परिचित करवाया जाएगा. सूत्रों के अनुसार लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री मोदी मंदिर में मौजूद शिवभक्तों से भी बातचीत कर सकते हैं.
चुनावों में अहम होगा
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से देशभर के संतों को भेजा जाने वाला ये पत्र उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर भी काफी अहम साबित होगा. इससे न केवल भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को धार मिलेगी, साथ ही लोगों को सरकार की ओर से किए जा रहे विकास कार्यों की भी जानकारी होगी, जो चुनाव के दौरान बीजेपी को एक नई ताकत देगा.
देश - दुनिया
शादी के 1 साल बाद होगा पति से मिलन, खबर सुनते ही फूट-फूटकर रोई बूढ़ी दुल्हन
प्यार में कोई उम्र-सीमा नहीं होती. प्यार तो प्यार होता है. ये कभी भी कहीं भी किसी से भी हो जाता है. सोशल मीडिया पर एक महिला की लव स्टोरी काफी वायरल हो रही है. ये महिला खुद से 46 साल छोटे शख्स के इश्क में पड़ गई. फेसबुक पर हुई दोस्ती और फिर मोहब्बत के दोनों ने पिछले साल शादी भी कर ली. लेकिन इसके बाद किस्मत ने ऐसा खेल रचाया कि दोनों को अलग होना पड़ा. अब सालभर बाद दोनों का मिलन होने वाला है।
ये मिलन सुर्ख़ियों में आ गई है.82 साल की आइरिस जोंस बीते कई महीनों से अपने पति से मिलने को बेकरार थी. उसका पति मोहम्मद जहां तुर्की में रहता है वहीं आइरिस यूके में रहती है. दोनों ने बीते शादी तो कर ली लेकिन हनीमून के बाद पासपोर्ट और वीजा की ऐसी दिक्कत हुई कि दोनों को अलग होना पड़ा. शादी के बाद दोनों ने काफी कम समय साथ में बिताया. 46 साल के एज डिफ़रेंस के बाद जब इतनी लंबी जुदाई दोनों को मिली तो मिलन की खबर ने आइरिस को रुला दिया. अपने पति से मिलने की खबर मीडिया से शेयर करते हुए आइरिस फूट-फूटकर रो पड़ी।
आइरिस और मोहम्मद सबसे पहले पिछले साल जनवरी में चर्चा में आए थे. उस समय जैसे ही दोनों ने टीवी चैनल के इंटरव्यू में अपने प्यार का इजहार किया हंगामा मच गया. बची कसर आइरिस के इस खुलासे ने पूरी कर दी कि दोनों के बीच की सेक्स लाइफ काफी धमाकेदार है. बाद में दोनों ने शादी कर ली. लेकिन शादी के बाद कई लोगों ने मोहम्मद को पैसों के लिए शादी करने वाला इंसान बताना शुरू कर दिया. लेकिन आइरिस को अपने प्यार पर पूरा यकीन था.
अब एक साल के बाद मोहम्मद को यूके में आने और रहने की इजाजत मिल गई है. अपने से इतने छोटे पति के साथ रहने की ख़ुशी में आइरिस का रोकर बुरा हाल हो गया. उसने बताया कि आखिरकार उसका प्यार जीत गया. लोगों को उसके रिश्ते से जलन होती है तो होती रहे. लेकिन वो अपने पति से मिलने के लिए काफी बेसब्र है. लोग इस कपल के बारे में काफी बातें करते हैं. इनकी तस्वीरें भी काफी वायरल होती है।
देश - दुनिया
आखिरकार केजरीवाल सरकार ने भी घटाया VAT, दिल्ली में 8 रुपए सस्ता हुए पेट्रोल, जानिए ताजा भाव
आखिरकार दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने भी पेट्रोल पर से वैट घटाने का फैसला कर लिया। केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी घटाए जाने के बाद कई राज्यों ने VAT कम करके अपने यहां के लोगों को राहत दी थी, लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं हुआ था। ताजा खबर यह है कि दिल्ली में पेट्रोल पर से VAT 30 फीसदी से घटकार 19.4 फीसदी कर दिया गया है। इसके कारण पेट्रोल 8 रुपए प्रति लीटर सस्ता हो गया है। राजधानी में अब तक जो पेट्रोल 103.97 रुपए प्रति लीटर था, वो अब 95.97 रुपए प्रति लीटर मिलेगा। हालांकि डीजल पर कोई राहत नहीं दी गई है।
दिल्ली में पेट्रोल का भाव: केजरीवाल सरकार की राजनीति मजबूरी
इस फैसले को केजरीवाल सरकार की राजनीति मजबूरी बताया जा रहा है। दरअसल, 2022 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और केजरीवाल हर राज्य में जाकर दिल्ली मॉडल का जिक्र कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि केंद्र द्वारा एक्साइज ड्यूटी कम किए जाने के बाद कई राज्यों ने वैट कम कर दिया है तो दिल्ली ऐसा क्यों नहीं। इन्हीं सवालों से बचने के लिए केजरीवाल कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। वहीं दिल्ली से सटे हरियाणा और यूपी के शहरों में पेट्रोल-डीजल सस्ता मिल रहा था। इसका खामिजाया पेट्रोल पम्प मालिकों को उठाना पड़ रहा था।
देश - दुनिया
तालिबान ने 100 से अधिक पूर्व पुलिस अधिकारियों को मार डाला या गायब कर दिया: ह्यूमन राइट्स वॉच
अफगानिस्तान में 15 अगस्त को सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान लड़ाकों ने 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन गायब कर दिया है।ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है।ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों, जिनमें सैन्यकर्मी, पुलिस, खुफिया सेवा के सदस्य और मिलिशिया शामिल थे, की हत्याओं या गायब होने का दस्तावेजीकरण किया है। उसने कहा कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अकेले गजनी, हेलमंद, कंधार और कुंदुज प्रांतों से 100 से अधिक हत्याओं पर विश्वसनीय जानकारी एकत्र की है।ह्यूमन राइट्स वॉच की एसोसिएट एशिया डायरेक्टर पेट्रीसिया गॉसमैन ने कहा, तालिबान नेतृत्व ने अपने वादे के मुताबिक स्थानीय कमांडरों को अफगान सुरक्षा बल के पूर्व सदस्यों को मौत के घाट उतारने या गायब करने से नहीं रोका है। तालिबान पर अब आगे की हत्याओं को रोकने, जिम्मेदार लोगों को पकड़ने और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने का भार है।
समूह ने आम माफी घोषित किए जाने के बावजूद अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जारी रखने की ओर इशारा किया।ह्यूमन राइट्स वॉच ने गवाहों, रिश्तेदारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, तालिबान अधिकारियों और अन्य लोगों के साक्षात्कार के माध्यम से कहा कि उसने 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच चार प्रांतों में 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों की हत्याओं या गायब होने के संबंध में एकत्र की गई जानकारी का दस्तावेजीकरण किया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने चार प्रांतों में 40 लोगों का व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार किया और अन्य 27 लोगों से टेलीफोन द्वारा साक्षात्कार लिया। तालिबान के एक कमांडर ने कहा कि अत्याचार के लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं किया जा सकता है।
तालिबान नेतृत्व ने आत्मसमर्पण करने वाली सुरक्षा बलों की इकाइयों के सदस्यों को उनकी सुरक्षा की गारंटी के लिए एक पत्र प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करने का निर्देश दिया है। हालांकि, तालिबान बलों ने इन स्क्रीनिंग का उपयोग लोगों को उनके रिश्तेदारों या समुदायों को खोजने के लिए पंजीकरण के कुछ दिनों के भीतर उन्हें हिरासत में लेने और सरसरी तौर पर निष्पादित या जबरन गायब करने के लिए किया है।तालिबान उन रोजगार रिकॉर्डो तक भी पहुंच बनाने में सफल रहे हैं, जिन्हें पूर्व सरकार ने पीछे छोड़ दिया था, उनका उपयोग गिरफ्तारी और फांसी के लिए लोगों की पहचान करने के लिए किया गया था।केवल एक उदाहरण को लें तो सितंबर के अंत में कंधार शहर में, तालिबान सेना बाज मुहम्मद के घर गई, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस), राज्य की पूर्व खुफिया एजेंसी द्वारा नियोजित (काम पर रखने) किया गया था और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में परिजनों को उसका शव मिला।
तालिबान ने संदिग्ध पूर्व अधिकारियों को पकड़ने और कभी-कभी जबरन गायब करने के लिए रात में छापेमारी सहित अपमानजनक तलाशी अभियान भी चलाया है।हेलमंद प्रांत के एक नागरिक समाज कार्यकर्ता ने इस कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा, तालिबान की रात की छापेमारी भयानक है।तलाशी के दौरान, तालिबान अक्सर परिवार के सदस्यों को धमकाते और गाली देते हैं कि वे छिपे हुए लोगों के ठिकाने का खुलासा करें। अंतत: पकड़े गए लोगों में से कुछ को इस बात की स्वीकृति के बिना या उनके स्थान के बारे में जानकारी के बिना मार डाला गया या हिरासत में ले लिया गया।
अगस्त के अंत में आत्मसमर्पण करने के बाद, हेलमंद में तालिबान के खुफिया विभाग ने एक पूर्व प्रांतीय सैन्य अधिकारी अब्दुल रजीक को हिरासत में लिया था। उसके बाद से, उसके परिवार को यह पता नहीं चल पाया है कि उसे कहां रखा गया है, या वह अभी भी जीवित है या नहीं।फांसी और गुमशुदगी जैसी आशंकाओं ने पूर्व सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों के बीच भय पैदा कर दिया है, जो शायद यह मानते थे कि तालिबान के अधिग्रहण से बदला लेने वाले हमलों का अंत हो जाएगा जो अफगानिस्तान के लंबे सशस्त्र संघर्ष की एक विशेषता बन चुकी थी।
विशेष रूप से नंगरहार प्रांत में, तालिबान ने उन लोगों को भी निशाना बनाया है जिन पर उन्होंने इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत (आईएसकेपी, इस्लामिक स्टेट का एक सहयोगी, जिसे आईएसआईएस भी कहा जाता है) का समर्थन करने का आरोप लगाया है।जैसा कि संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट की है, आईएसकेपी के खिलाफ तालिबान की कार्रवाई न्यायिक हिरासत और हत्याओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है। मारे गए लोगों में से कई को उनके विचारों या उनके विशेष आदिवासी संबद्धता के कारण निशाना बनाया गया है।
21 सितंबर को तालिबान ने मानवाधिकारों के हनन, भ्रष्टाचार, चोरी और अन्य अपराधों की रिपोटरें की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना की घोषणा की थी। आयोग ने किसी भी कथित हत्याओं की किसी भी जांच की घोषणा नहीं की है, हालांकि इसने कई तालिबान सदस्यों की चोरी के लिए गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार के लिए दूसरों की बर्खास्तगी पर रिपोर्ट की है। ह्यूमन राइट्स वॉच के निष्कर्षों पर 21 नवंबर की प्रतिक्रिया में, तालिबान ने कहा कि उन्होंने दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को बर्खास्त कर दिया है लेकिन इसने किए जा रहे दावे की पुष्टि करने के लिए कोई जानकारी नहीं दी है।
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