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1 दिन और 17 केस; भारत में ओमिक्रॉन की स्पीड से बढ़ी टेंशन, हर जगह डर का माहौल; जानें खतरा कितना बड़ा
दुनियाभर में कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट से दहशत का माहौल है. भारत में भी ओमिक्रॉन की दस्तक हो गई है. सबसे पहला मामला कर्नाटक से सामने आने के बाद अब राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में भी ओमिक्रॉन की एंट्री हो गई है. भारत में फिलहाल कोरोना के इस नए वेरिएंट के 21 मामले हैं. सबसे ताजा मामला राजस्थान के जयपुर से सामने आया है
जहां, एक ही परिवार के 9 लोग ओमिक्रॉन संक्रमित पाए गए हैं. एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इनमें चार लोग दक्षिण अफ्रीका से लौटे हैं और पांच उनके संपर्क में आए उनके रिश्तेदार हैं. इससे पहले महाराष्ट्र में 7 लोग संक्रमित पाए गए. इनमें 6 केस पिंपरी और एक मामला पुणे में दर्ज किया गया है.
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी. केंद्र सरकार ने कोरोना के नए वेरिएंट को खतरे को देखते हुए नई ट्रैवल गाइडलाइंस भी जारी की है. केंद्र के अनुसार, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग और इजराइल को ‘जोखिम वाले देशों’ की सूची में रखा गया है. इन सबके बीच एक बार फिर अब यह सवाल उठने लगे हैं क्या एक फिर देश लॉकडाउन जैसी पाबंदियों की ओर बढ़ रहा है?
तेजी से बढ़ रहे ओमिक्रॉन के मामले
- भारत में रविवार को कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट के 17 और मामले सामने आए, जिनमें 9 राजस्थान की राजधानी जयपुर में, 7 महाराष्ट्र के पुणे जिले में और एक मामला दिल्ली का है. इसके साथ ही देश में ओमिक्रॉन के मामलों की कुल संख्या 21 हो गई है.
- जो लोग संक्रमित पाए गए हैं उनमें से अधिकतर हाल में अफ्रीकी देशों से आए हैं या इस तरह के लोगों के संपर्क में थे. इसके साथ ही चार राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी में ज्यादा संक्रामक स्वरूप के मामले सामने आए हैं.
- अभी के लिए भारत में एक ट्रैवल एडवाइजरी पहले ही जारी कर दी गई है. एयरपोर्ट पर भी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग बढ़ा दी गई है. दूसरे राज्यों ने भी एट रिस्क देशों से आने वाले यात्रियों को क्वारंटीन में रखने का फैसला किया है. अगर लापरवाही बरती गई और केसेज बढ़े तो भारत में लॉकडाउन के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
- नए नियमों के अनुसार, ‘जोखिम वाले देशों’ से आने वाले यात्रियों के लिये RT-PCR जांच कराना अनिवार्य है और उन्हें परिणाम आने के बाद ही हवाई अड्डे से जाने की अनुमति होगी. इसके अलावा अन्य देशों से आने वाले दो प्रतिशत यात्रियों की जांच की जाएगी और इस जांच के लिए किसी भी यात्री के नमूने लिए जा सकते हैं.
- भारत में ‘ओमिक्रॉन’ के पहले दो मामले गुरुवार को कर्नाटक से सामने आए थे. इसके अलावा तीन अन्य मामलों का पता गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली से लगाया गया था.
- 25 नवंबर को पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाए गए ओमिक्रोन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘चिंता का एक प्रकार’ के रूप में वर्णित किया गया है.शोधकर्ता अभी भी जांच कर रहे हैं कि क्या ओमिक्रॉन अधिक घातक है? और क्या वर्तमान टीके से कोरोना का यह नया वेरिंट सुरक्षा प्रदान करता है.
- टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के निदेशक और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के पूर्व प्रमुख, डॉ राकेश मिश्रा ने हाइब्रिड इम्युनिटी की प्रभावशीलता के बारे में बात करते हुए कहा, ‘स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, भारत में प्रशासित COVID-19 टीके ओमिक्रॉन वायरस के नए संस्करण के खिलाफ देश की लड़ाई में प्रभावी होंगे और देश के टीकाकरण वाले नागरिकों को एक ढाल प्रदान करेंगे.
- वहीं, ICMR एक्सपर्ट समीरन पांडा ने कहा कि अभी हमारे देश में ओमिक्रॉन ज्यादा नहीं फैला है. हमारे यहां डेल्टा ने ज्यादा नुकसान किया था, लेकिन ऐसा नहीं है कि हर वैरिएंट खतरनाक ही होता है. पहले जो भी कोरोना के वैरिएंट आए हैं, उससे लोगों में इम्यूनिटी डेवलप हुई है. इसके अलावा वैक्सीन की वजह से भी लोगों में इम्यूनिटी बनी है. नए वैरिएंट के फैलने का तरीका भी कोई नया नहीं है, लेकिन अब हमें सावधानी बरतनी होगी और भीड़ में जाने से बचना होगा.
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर और डिप्टी डायरेक्टर मनिंदर अग्रवाल ने यह दावा किया है कि जनवरी 2022 के अंतिम सप्ताह और फरवरी की शुरुआत में इस वैरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या पीक पर होगी.
- प्रो. मनिंदर अग्रवाल के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी फैलने के लक्षण तो हैं, लेकिन ज्यादा घातक नहीं दिख रहे. इस वैरिएंट के हर्ड इम्यूनिटी को बाईपास करने की संभावना कम है. हालांकि, इसके फैलने के लक्षण ज्यादा हैं और अभी तक साउथ अफ्रीका से लेकर दुनिया भर में जहां भी यह फैला है, इसके लक्षण गंभीर नहीं बल्कि हल्के देखे गए हैं.
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युवाओं को साधने में जुटी BJP, युवा मोर्चा ने पहलवान बबीता फोगाट समेत 6 को बनाया क्षेत्रीय पदाधिकारी
आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते भारतीय जनता पार्टी हर वर्ग को साधने में जुटी है. इसी बीच पार्टी युवाओं पर खासा फोकस कर रही है. इसी कड़ी में भारतीय जनता युवा मोर्चा ने चुनाव के लिए युवा मोर्चा के छह क्षेत्र प्रभारी नियुक्त किए है. इसमें पहलवान बबीता फोगाट का नाम भी शामिल है.युवा मोर्चा के प्रदेश प्रभारी दार्जिलिंग के सांसद राजु बिस्त ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात की थी।
उनके साथ युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशु दत्त द्विवेदी राष्ट्रीय महासचिव वैभव सिंह भी मौजूद थे. वहीं यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में भाजपा ने निर्वाचन आयोग का सहयोग करते हुए 25 लाख नए मतदाताओं से मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कराया है।
मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के तहत पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में पांच हजार नए मतदाताओं के नाम शामिल कराने का लक्ष्य रखा था. 403 विधानसभा क्षेत्रों में 20 लाख 15 हजार नए मतदाताओं के नाम सूची में जुड़वाए जाने थे. लेकिन पार्टी ने लक्ष्य से अधिक करीब 25 लाख मतदाताओं से मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कराया है।
इसके साथ पार्टी 10 दिसंबर से उत्तर प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर 403 युवा सम्मेलन करेगी. सम्मेलनों का आयोजन भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के नेतृत्व में किया जाएगा.भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा अवध क्षेत्र के मीडिया प्रभारी खुर्शीद आलम ने कहा कि इन युवा सम्मेलनों का आयोजन 10 दिसंबर के बाद किया जाएगा. इन सम्मेलनों के माध्यम से सभी विधानसभा क्षेत्रों में युवाओं को जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि अवध क्षेत्र में सम्मेलन को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इन सम्मेलनों में अधिक से अधिक युवाओं को आमंत्रित करने पर जोर दिया जा रहा है।
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जेल से रिहा हुईं अधिवक्ता-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, कोर्ट ने इन शर्तों पर दी जमानत
भीमा-कोरेगांव मामले में पिछले तीन साल से जेल में बंद वकील और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को गुरुवार को भायखला जेल से रिहा कर दिया गया है. भारद्वाज को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में बंबई हाईकोर्ट से तकनीकी खामी के आधार पर डिफॉल्ट (स्वत:) जमानत मिली है.
स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि सुधा भारद्वाज को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जेल से रिहा किया जाएगा.इतना ही नहीं, कोर्ट ने उनपर सख्त जमानत शर्तें भी लगाई हैं. जिनमें बिना इजाजत के मुंबई से बाहर न जाना और पासपोर्ट जमा कराना शामिल है. इसके अलावा, स्पेशल कोर्ट ने भारद्वाज को उस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल न होने की सख्त हिदायत भी दी है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैर-कानूनी गतिविधि निवारण कानून के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी
जमानत की शर्तों के कारण हुईं रिहाई मे देरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुधा को जमानत दी थी. हालांकि अभी उनकी रिहाई नहीं हो पाई थी, क्योंकि उनकी जमानत की शर्तें तय नहीं हुई थीं. हाईकोर्ट ने जमानत की शर्तें तय करने के लिए आठ दिसंबर को सुधा भारद्वाज को राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्पेशल कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था.
इस दौरान जांच एजेंसी ने सुधा भारद्वाज की जमानत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.सुप्रीम कोर्ट ने भारद्वाज को जमानत पर रिहा किए जाने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फेसले को चुनौती देने वाली एनआईए की अपील मंगलवार को खारिज कर दी थी. हाई कोर्ट ने एक दिसंबर को भारद्वाज को तकनीकी खामी के आधार पर जमानत प्रदान कर दी थी और विशेष एनआईए अदालत को उनकी जमानत की शर्तों और रिहाई की तारीख पर फैसला लेने का निर्देश दिया था.
इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता को बुधवार को विशेष न्यायाधीश डीई कोठलिकर के समक्ष पेश किया गया. सुनवाई के दौरान भारद्वाज के वकील युग चौधरी ने कम जमानत राशि पर जोर दिया और कहा कि उनकी मुवक्किल फरार नहीं होंगी.
सुधा भारद्वाज को 2018 में किया गया था गिरफ्तार
चौधरी ने अदालत से अपील की कि उनकी मुवक्किल छत्तीसगढ़ में वकील हैं, इसलिए उन्हें मुंबई से वहां जाने की अनुमति दी जाए, लेकिन विशेष अदालत ने कहा कि अभियुक्त उनकी अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ सकती हैं. वह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में ही रहेंगी.
गौरतलब है कि भारद्वाज को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के प्रावधानों के तहत अगस्त 2018 में एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार किया गया था.भारद्वाज मामले में उन 16 कार्यकर्ताओं में पहली आरोपी हैं, जिन्हें तकनीकी खामी के आधार पर जमानत दी गई है.
कवि और कार्यकर्ता वरवर राव फिलहाल चिकित्सीय आधार पर मिली जमानत पर हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में आठ अन्य सहआरोपियों- सुधीर धवले, वरवर राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा द्वारा दायर डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका खारिज कर दी थीं.
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MI-17 हेलिकॉप्टर उड़ाने में माहिर थे पृथ्वी सिंह चौहान,हादसे में चली गई जान
तमिलनाडु में वायुसेना के MI-17 हेलिकॉप्टर के क्रैश होने की वजह से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत समेत कुल 13 लोगों का निधन हो गया। जो हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, उसे आगरा के रहने वाले वायुसेना के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान उड़ा रहे थे। MI-17 हेलिकॉप्टर उड़ाने में विंग कमांडर पृथ्वीर सिंह चौहान की दक्षता के वायुसेना के अधिकारी भी कायल थे।
सूडान में विशेष ट्रेनिंग लेने के बाद पृथ्वी की गिनती वायुसेना के जांबाज लड़ाकू पायलट्स में होती थी।इस हादसे में आगरा के लाल विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की भी मौत हो गई। अब उनका परिवार भी शोक में है। हेलिकॉप्टर के क्रैश करने की खबर के बाद से ही आगरा स्थित उनके घर पर रिश्तेदार और नातेदारों का जमावड़ा लगा हुआ और लोक परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं।
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का घर न्यू-आगरा इलाके में है, जहां खबर फैलने के बाद धीरे-धीरे उनके घर पर भीड़ जुटने लगी। हादसे के बाद आगरा के ACM कृष्णानंद तिवारी और पुलिस अधिकारी भी विंग कमांडर के घर पहुंचे। पृथ्वी की बहन ने बिलखते हुए बताया कि वो हम 4 बहनों का इकलौता भाई था। बता दें कि इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, रक्षा सहायक, सुरक्षा कमांडो और एक भारतीय वायुसेना के पायलट सवार थे।
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