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स्वस्थ रहना चाहते है तो इतनी मात्रा में करे शराब का सेवन
Alcoholic Liver Disease: शराब लिवर के लिए बहुत खतरनाक है. अगर आप सीमित मात्रा में शराब पीते हैं तो इतना नुकसान नहीं पहुचता. जानिए कितनी मात्रा में पीनी चाहिए शराब.
Liver Damage From Alcohol: लिवर हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगो में से एक है. स्वस्थ रहने के लिए लिवर का हेल्दी रहना बहुत जरूरी है. लिवर के बिना कोई व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता है. आपकी ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में लिवर अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में लिवर को स्वस्थ रखने की कोशिश करनी चाहिए. हालांकि आजकल की लाइफस्टाइल में शराब शामिल है. ज्यादातर लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं, जो लिवर के लिए खतरनाक है.
शराब से लिवर संबंधी बीमारियां पैदा होती है. इससे लिवर में सूजन या लिवर फेल होने का खतरा रहता है. ज्यादा शराब पीने से लिवर में स्कार्स पड़ जाते हैं जिसे सिरोसिस के रूप में जाना जाता है. इसलिए अगर आप ड्रिंक करते हैं तो आपको ये जानना जरूरी है कि आपको कितनी मात्रा में शराब पीनी चाहिए, जिससे लिवर को नुकसान न पहुंचे.
कितनी मात्रा में शराब पीनी चाहिए?
ड्रिंकवेयर के अनुसार, शराब से संबंधित फैटी लीवर की बीमारी ऐसे 90 प्रतिशत लोगों में विकसित होती है, जो हर रोज 40 ग्राम या 4 यूनिट से ज्यादा शराब का सेवन करते हैं. ये करीब 12 प्रतिशत एबीवी के 2 मीडियम गिलास वाइन के बराबर और 4 प्रतिशत एबीवी रेगुलर स्ट्रेंथ के 2 पिंट्स से कम होगी.
शराब का लिवर पर असर
जब हम शराब पीते हैं तो लिवर अल्कोहल जैसे जहरीले पदार्थों को कम करने का काम करता है. लीवर में पाए जाने वाले एंजाइम अल्कोहल को तोड़ने का काम करते हैं और इसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं. हालांकि लंबे समय तक ऐसा करने से लिवर पर असर पड़ने लगता है. इससे फैटी लिवर की समस्या शुरु होती है. लिवर पर सूजन आने लगती है और स्कार्स बनने लगते हैं.
हालांकि लिवर में रिजेनरेट होने की क्षमता होती है, लेकिन कई बार अल्कोहल को फिल्टर करते वक्त लिवर की कुछ सेल्स डेड हो जाती हैं. लंबे समय तक अल्कोहल का सेवन करने से लिवर धीरे-धीरे डैमेज होने लगता है. अगर आप शराब पीना बिल्कुल बंद कर देते हैं तो इससे लिवर में सुधार आने लगता है.
महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक है अल्कोहल
अगर आप एक साथ बहुत ज्यादा मात्रा में ड्रिंक लेते हैं और आपको पहले से कोई लिवर से संबंधित बीमारी है या फिर आप हेपेटाइटिस सी से प्रभावित रहे हैं तो ये लिवर के लिए खतरनाक हो सकता है. इससे एआरएलडी का खतरा बढ़ जाता है. वहीं पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में शराब पीने से लिवर से जुड़ी समस्याएं ज्यादा देखी गई है.
लिवर के लिए टेस्ट
अगर आप ड्रिंक करते हैं तो आपको समय-समय पर लिवर का टेस्ट करवाते रहना चाहिए. लिवर के टेस्ट के लिए आप कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC), लिवर फंक्शन टेस्ट जिसमें लिवर एंजाइम टेस्ट शामिल हो, एक एब्डोमिनल कंप्यूटेड टोमोग्राफी सीटी स्कैन (an abdominal computed tomography CT scan), एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड और लिवर बायोप्सी करा सकते हैं.
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त्रिफला चूर्ण खाने के तीन बड़े नुक्सान ये रहे जानिए
Triphala Churna side Effects: आयुर्वेदिक और हर्बल में उपचार के लिए त्रिफला का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. त्रिफला के अगर फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी, जो कई तरह के हो सकते हैं.
Triphala Churna side Effects-त्रिफला का नाम तो हर किसी ने सुना होगा. कई तरह की बीमारी के दौरान भी इसे लेते हुए देखा होगा. सदियों से त्रिफला को आयुर्वेदिक और हर्बल उपचार के तौर में इस्तेमाल में लाया जा रहा है. आंवला, बिभिताकि और हरीताकी ये तीन फलों से मिलकर त्रिफला को तैयार किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, त्रिफला खाने से कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में किया जा सकता है. त्रिफला खाने से हेल्थ को कई फायदे मिल सकते हैं. त्रिफला बाजार में चूर्ण, कैप्सूल और जूस के अर्क के रूप में आसानी से मिल जाता है. त्रिफला चूर्ण के वैसे तो कई फायदे हैं, लेकिन इसे खाने से पहले अगर सावधानी नहीं बरती गई तो इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं.
त्रिफला चूर्ण के नुकसान
हो सकता है ब्लड शुगर लो
स्टाइलक्रेज़ के मुताबिक, त्रिफला में डायबिटीज से लड़ने के गुण होते हैं. जो मरीज पहले से ही डायबिटीज कि दवाएं ले रहे हैं, उन्हें त्रिफला खाने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जो ब्लड शुगर को काफी लो कर सकता है. अगर डायबिटीज के मरीज हैं तो त्रिफला चूर्ण खाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
दवाओं का असर हो सकता है कम
त्रिफला कई तरह की दवाओं का असर कम कर सकता है, जिससे लिवर को नुकसान पहुंच सकता है. दवाओं के साथ त्रिफला का सेवन करने से पहरेज करना चाहिए. इसके अलावा मूड खराब, एनर्जी में कमी और नींद की समस्या भी हो सकती है.
प्रेगनेंसी में हो सकती है समस्या
प्रेगनेंसी के दौरान त्रिफला चूर्ण के सेवन से कई तरह की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं. इससे मिसकैरेज तक हो सकता है. त्रिफला चूर्ण के सेवन से पहले महिलाओं को डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए. त्रिफला चूर्ण को खाने से पहले इसकी सही मात्रा के बारे में जानकारी होना जरूरी है.
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आंसू निकलना भी होता है फायदेमंद जानिए, कैसे
Eye Health: अभी तक आपने सुना होगा कि हंसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि रोने के भी बहुत से फायदे हैं.
Eye Care Tips: अगर हंसना-मुस्कराना सेहत (Health) के लिए अच्छा माना जाता है तो रोना भी कहीं से खराब नहीं. जितने ज्यादा फायदे हंसने के है, रोने के भी उतने ही फायदे (Benefits of Tears) माने जाते हैं. फिर चाहे आप किसी मूवी या सीरियल को देख इमोशनल हो रहे हैं या फिर प्याज काटते वक्त आपके आंसू निकल रहे हों.
रिसर्च कहती है कि आपकी हेल्दी आंखों के लिए आंसू काफी जरूरी है. यह आपकी आंखों को गीला और चिकना रखते हैं. इंफेक्शन और गंदगी से भी बचाते हैं. ये आपकी आंखों को साफ रखते हैं और हेल्दी भी बनाते हैं. तो यहां जानिए आखिर क्यों निकलते हैं आंसू और इसके क्या-क्या होते हैं फायदे..
आंसू क्यों निकलते हैं?
इंसान के रोने के पीछे पूरी तरह से साइंस (Science) काम करता है. जब हम या आप इमोशनल (Emotional) होते हैं, प्याज का कोई तीखी चीज काटते हैं, आंखों में कुछ चला जाता है तब आंसू निकलते हैं. आंसू आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है, जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता है. इसमें तेल, बलगम और एंजाइम नामक केमिकल भी पाया जाता है, जो कीटाणु को मार हमारी आंखों को हेल्दी रखता है.
तीन तरह के होते हैं आंसू
आप नहीं जानते होंगे कि इंसान की आंखों से तीन तरह के आंसू निकलते हैं. चलिए बताते हैं
Basal Tears- इस तरह के आंसू आंखें झपकने पर निकलते हैं. ये आंखों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं. ये नॉन-इमोशनल आंसू होते हैं.
Reflex Tears– ये भी नॉन-इमोशनल आंसू ही होते हैं. ये आंखों के हवा, धुएं, घूल के पड़ने से आते हैं.
Emotional Tears- दुख, निराशा, गम होने पर जो आंसू निकलते हैं वे इमोशनल आंसू होते हैं.
आंसुओं के फायदे ही फायदे
नीदरलैंड्स की स्टडी के मुताबिक रोने से आप रिलैक्स फील करते हैं और आपका मूड अच्छा होता है.
आंसू में लाइसोजोम (Iysozyme) नाम का फ्लूइड पाया जाता है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. यह हमारी आंखों को संक्रमण से बचाता है और आंखों को साफ करता है.
रोने से इमोशन कंट्रोल होती हैं और मानसिक तनाव से राहत मिलती है
रोने से बॉडी में ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हॉर्मोन बनते हैं जो शारीरिक और भावनात्मक दर्द से आराम दिलाते हैं.
आंसू निकलनेसे आंखें सूखती नहीं और उसकी नमी बरकरार रहती है, जिससे आखों की रोशनी बढ़ती है.
जब कोई शख्स आंखें झपकाता है, तो बेसल टियर निकलती हैं तो म्यूकस में ब्रेन को सूखने से बचाते हैं.
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