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Bhindi Benefits For Diabetes: डायबिटीज मरीजों के लिए भिंडी का सेवन कैसे फायदेमंद है जानिए

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Bhindi Benefits For Diabetes आज हम बता रहे हैं कि कैसे भिंडी डायबिटीज़ और कैंसर के मरीज़ों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं होती। इसे सुपरफूड कहा जाता है क्योंकि यह पोटैशियम विटामिन-बी विटामिन-सी फॉलिक एसिड और कैल्शियम से भरपूर होती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Bhindi Benefits For Diabetes: भिंडी एक ऐसी सब्ज़ी है जिसे शायद ही कोई नापसंद करता हो। अगर आप भी भिंडी के फैन हैं, तो आपके लिए खुश ख़बरी है। भिंडी न सिर्फ डायबिटीज़ के मरीज़ों बल्कि कैंसर के लिए किसी रामबाण से कम नहीं। आप शायद ही जानते हों कि भिंडी को सुपरफूड माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें पोटेशियम, विटामिन-बी, विटामिन-सी, फॉलिक एसिड और कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है। यह कैलोरी में कम और फाइबर से भरी होती है।

डायबिटीज़ में कैसे लाभदायक है भिंडी

ऐसा देखा गया है कि अगर आपकी डायबिटीज़ शुरुआती स्तर पर है, तो भिंडी से आपको काफी फायदा हो सकता है। स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने भिंडी का पानी पिया उनका ब्लड शुगर स्तर नीचे जाने लगता है। यहां तक कि तुर्की में डायबिटीज़ के इलाज के लिए सदियों से भुनी हुई भिंडी का इस्तेमाल होता आ रहा है।

कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है भिंडी

शोध में पाया गया कि मधुमेह वाले लोगों में उच्च कोलेस्ट्रॉल होने की संभावना ज़्यादा होती है। इसलिए शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को मैनेज करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर फूड्स का सेवन बेहतर साबित होता है। मधुमेह की जटिलताओं को कम करने के लिए अच्छी हेल्थ बनाए रखना ज़रूरी है।

फाइबर से भरपूर होती है भिंडी

भिंडी में फाइबर काफी होता है, जो मधुमेह के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उच्च फाइबर के कारण इसे एंटी-डायबिटिक फूड भी माना जाता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को कंट्रोल में करता है। यह बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण को भी बढ़ावा देता है और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है। यह न सिर्फ डायबिटीज़ बल्कि, अपच, भूख कम करना और पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखना स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती है।

एंटीऑक्सीडेंट्स भी हैं खूब

भिंडी एंटीऑक्सिडेंट से भी भरपूर होती है, जो तनाव के स्तर को कम करती है। डायबिटीज़ में डाइट के साथ हमारी लाइफस्टाइल भी मायने रखती है। डायबिटीज़ के प्रबंधन के लिए तनाव पर कंट्रोल करना भी ज़रूरी है।

भिंडी को डाइट में कैसे शामिल करें?

– भिंडी को बनाने के कई तरीके हैं, इसमें प्याज़ और टमाटर मिलाकर तैयार किया जा सकता है।

– भिंडी को काटकर पानी में रात भर डुबोकर रख दें, फिर सुबह उठकर इसका पानी पिएं।

 

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अगर नही पीते है सिगरेट तो भी हो सकता धुआं से कैंसर का खतरा,जानें कैसे

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सिगरेट पीते हैं तो न केवल उन्‍हें, बल्कि आपको भी कैंसर का खतरा है.द लांसेट जर्नल’ में प्रकाशित एक नई रिसर्च स्‍टडी बताती है, सिगरेट पीने वालों से ज्‍यादा आसपास रहनेवाले लोगों को है.आसपास रहनेवाले लोग पैसिव स्‍मोकर कहलाते हैं, जो जाने-अनजाने सिगरेट का धुआं अपने अंदर ले रहे होते हैं.इस स्‍टडी में कहा गया है कि धूम्रपान कर रहे व्यक्ति के आसपास रहने से फेफड़े में प्रवेश करने वाला धुआं कैंसर का 10वां सबसे बड़ा कारण है।

          “दोस्तों के साथ सिगरेट की कश! हवा में सिगरेट के धुएं से छल्ले बनाते हुए। हर फ्रिक को धुएं में उड़ाने वालों ….जरा रुकिए। संभलिए! सिगरेट के धुएं में जिंदगी हवा न हो जाये, इसलिए ये 10 बातें जाननी जरूरी…दोस्तों के साथ सिगरेट की कश! हवा में सिगरेट के धुएं से छल्ले बनाते हुए। हर फ्रिक को धुएं में उड़ाने वालों ….जरा रुकिए। संभलिए! सिगरेट के धुएं में जिंदगी हवा न हो जाये, इसलिए ये 10 बातें जाननी जरूरी है। यकीनन ये 10 बातें जानने के बाद सिगरेट पीने से पहले आप 10 बार सोचेंगे “

‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजिज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स (जीबीडी)2019’ अध्ययन के नतीजों का इस्तेमाल कर शोधकर्ताओं ने यह स्‍टडी की है.वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह जांच की कि कैसे 34 व्यावहारिक, पर्यावरणीय और पेशेवर कारक 23 तरह के कैंसर से मौत और खराब स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार रहे. उन्‍होंने ने अनुमान लगाया है कि प्रतिदिन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के आसपास रहने वाले सभी लोगों के फेफड़े में तंबाकू का धुआं प्रवेश करता है.शोधकर्ताओं ने इस तरह से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों के अनुपात का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किए. अध्ययन में पाया गया है कि धूम्रपान, शराब का सेवन और शरीर का अधिक वजन होना कैंसर के तीन शीर्ष कारक हैं.दरअसल, सिगरेट पीने वाले जो धुआं अंंदर खींच रहे होते हैं, वह स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक तो है ही, वे जो धुआं बाहर छोड़ रहे होते हैं, वह भी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत हानिकारक होता है. दोनों ही तरह के धुएं हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।

सिगरेट के धुंए में निकोटिन के अलावा 200 से ज्यादा तरह के जहरीले तत्व होते हैं। सिगरेट में मौजूद तत्व हमारी बॉडी में जाकर हर ऑर्गन को नुकसान पहुंचाते हैं। सिगरेट पीने वालों का स्पर्म काउंट और क्वालिटी कमजोर हो जाते हैं। सिगरेट पीने वालों को लंग्स, हार्ट, किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
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त्रिफला चूर्ण खाने के तीन बड़े नुक्सान ये रहे जानिए

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Triphala Churna side Effects: आयुर्वेदिक और हर्बल में उपचार के लिए त्रिफला का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. त्रिफला के अगर फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी, जो कई तरह के हो सकते हैं.

Triphala Churna side Effects-त्रिफला का नाम तो हर किसी ने सुना होगा. कई तरह की बीमारी के दौरान भी इसे लेते हुए देखा होगा. सदियों से त्रिफला को आयुर्वेदिक और हर्बल उपचार के तौर में इस्तेमाल में लाया जा रहा है. आंवला, बिभिताकि और हरीताकी ये तीन फलों से मिलकर त्रिफला को तैयार किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, त्रिफला खाने से कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में किया जा सकता है. त्रिफला खाने से हेल्थ को कई फायदे मिल सकते हैं. त्रिफला बाजार में चूर्ण, कैप्सूल और जूस के अर्क के रूप में आसानी से मिल जाता है. त्रिफला चूर्ण के वैसे तो कई फायदे हैं, लेकिन इसे खाने से पहले अगर सावधानी नहीं बरती गई तो इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं.

त्रिफला चूर्ण के नुकसान

हो सकता है ब्लड शुगर लो
स्टाइलक्रेज़ के मुताबिक, त्रिफला में डायबिटीज से लड़ने के गुण होते हैं. जो मरीज पहले से ही डायबिटीज कि दवाएं ले रहे हैं, उन्हें त्रिफला खाने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जो ब्लड शुगर को काफी लो कर सकता है. अगर डायबिटीज के मरीज हैं तो त्रिफला चूर्ण खाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

दवाओं का असर हो सकता है कम
त्रिफला कई तरह की दवाओं का असर कम कर सकता है, जिससे लिवर को नुकसान पहुंच सकता है. दवाओं के साथ त्रिफला का सेवन करने से पहरेज करना चाहिए. इसके अलावा मूड खराब, एनर्जी में कमी और नींद की समस्या भी हो सकती है.

प्रेगनेंसी में हो सकती है समस्या
प्रेगनेंसी के दौरान त्रिफला चूर्ण के सेवन से कई तरह की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं. इससे मिसकैरेज तक हो सकता है. त्रिफला चूर्ण के सेवन से पहले महिलाओं को डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए. त्रिफला चूर्ण को खाने से पहले इसकी सही मात्रा के बारे में जानकारी होना जरूरी है.

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आंसू निकलना भी होता है फायदेमंद जानिए, कैसे

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Eye Health: अभी तक आपने सुना होगा कि हंसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि रोने के भी बहुत से फायदे हैं.

Eye Care Tips: अगर हंसना-मुस्कराना सेहत (Health) के लिए अच्छा माना जाता है तो रोना भी कहीं से खराब नहीं. जितने ज्यादा फायदे हंसने के है, रोने के भी उतने ही फायदे (Benefits of Tears) माने जाते हैं. फिर चाहे आप किसी मूवी या सीरियल को देख इमोशनल हो रहे हैं या फिर प्याज काटते वक्त आपके आंसू निकल रहे हों.

रिसर्च कहती है कि आपकी हेल्दी आंखों के लिए आंसू काफी जरूरी है. यह आपकी आंखों को गीला और चिकना रखते हैं. इंफेक्शन और गंदगी से भी बचाते हैं. ये आपकी आंखों को साफ रखते हैं और हेल्दी भी बनाते हैं. तो यहां जानिए आखिर क्यों निकलते हैं आंसू और इसके क्या-क्या होते हैं फायदे..

आंसू क्यों निकलते हैं?
इंसान के रोने के पीछे पूरी तरह से साइंस (Science) काम करता है. जब हम या आप इमोशनल (Emotional) होते हैं, प्याज का कोई तीखी चीज काटते हैं, आंखों में कुछ चला जाता है तब आंसू निकलते हैं. आंसू आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है, जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता है. इसमें तेल, बलगम और एंजाइम नामक केमिकल भी पाया जाता है, जो कीटाणु को मार हमारी आंखों को हेल्दी रखता है.

तीन तरह के होते हैं आंसू
आप नहीं जानते होंगे कि इंसान की आंखों से तीन तरह के आंसू निकलते हैं. चलिए बताते हैं
Basal Tears- इस तरह के आंसू आंखें झपकने पर निकलते हैं. ये आंखों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं. ये नॉन-इमोशनल आंसू होते हैं.
Reflex Tears– ये भी नॉन-इमोशनल आंसू ही होते हैं. ये आंखों के हवा, धुएं, घूल के पड़ने से आते हैं.
Emotional Tears- दुख, निराशा, गम होने पर जो आंसू निकलते हैं वे इमोशनल आंसू होते हैं.
आंसुओं के फायदे ही फायदे
नीदरलैंड्स की स्टडी के मुताबिक रोने से आप रिलैक्स फील करते हैं और आपका मूड अच्छा होता है.
आंसू में लाइसोजोम (Iysozyme) नाम का फ्लूइड पाया जाता है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. यह हमारी आंखों को संक्रमण से बचाता है और आंखों को साफ करता है.

रोने से इमोशन कंट्रोल होती हैं और मानसिक तनाव से राहत मिलती है
रोने से बॉडी में ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हॉर्मोन बनते हैं जो शारीरिक और भावनात्मक दर्द से आराम दिलाते हैं.
आंसू निकलनेसे आंखें सूखती नहीं और उसकी नमी बरकरार रहती  है, जिससे आखों की रोशनी बढ़ती है.
जब कोई शख्स आंखें झपकाता है, तो बेसल टियर निकलती हैं तो म्यूकस में ब्रेन को सूखने से बचाते हैं.
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