छत्तीसगढ़
बेमेतरा जिले में लैब टेक्नोलॉजिस्ट संजय तिवारी को लगाकोरोना का पहला टीका
बेमेतरा, 16 जनवरी 2021। जिला अस्पतालबेमेतरा में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट संजय तिवारी को कोरोना का पहला टीका लगने के साथ ही शनिवार को टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई| वहीं दूसरा टीका नर्सिंग ऑफिसर रेखा विलास व तीसरा टीका मेट्रन देवयानी शिवारे को लगाया गया।
वैक्सीनेशन साइट में मुख्य मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सतीश शर्मा ने हेल्थ वर्करों को अपने हाथों से टीका कृत किया| सत्र के शुभारंभ अवसर पर नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती शकुंतला मंगत साहू, अपर कलेक्टर संजय दीवान, एसपी दिव्यांग पटेल, एएसपी विमल बैस, जिला प्रभारी संयुक्त संचालक सुभाष पांडे, कोविड नोडल अधिकारी डॉ. ज्योति जेसाठी, सिविल सर्जन डॉ. वंदना भेले, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ शरद कोहाड़े, यूनिसेफ से डॉ. कविता पटेल, डीपीएम अनुपमा तिवारी, आरएएमएनसीएच जिला कोआर्डिनेटर शोभिका गजपाल, मेट्रन देवजानी शिवारे व हास्पिटल सलाहकार आरती दत्ता आदि उपस्थित थे।
सीएमएचओ डॉ. शर्मा ने कहा आज वैक्सीनेशन की शुरुआत कोरोना से बचाव के लिए एक साधन वैक्सीन के रुप में आ गया है। किसी भी महामारी के खिलाफ लड़ाई में बीमारी की पहचान, उपचार व बचाव महत्तवपूर्ण चरण होते हैं। बचाव के रुप में मास्क, सेनेटाइजर, आपस में दूरी और वैक्सीन से सुरक्षा सबसे बड़ा साधन साबित हो सकता है। उन्होंने कहा वैक्सीन आने व लगने के बाद भी बचाव के साधनों के साथ जागरुकता के लिए कार्य करना जरुरी होता है। उन्होंने कहा, आज शाम पांच बजे तक पहले दिन जिले के बेमेतरा में 40, बेरला में 81 व नवागढ़ में 58 सहित179 हेल्थ वर्करों को कोविड-19 टीका से प्रतिरक्षित किया गया। प्रतिरक्षित लोगों को कोविड-19 टीका की अगली डोज के लिए 15 फरवरी की तारीख दी गई है। इसके लिए उनके मोबाइल पर मैसेज भी आएगा।इसी तरह बेरल सीएचसी के वैक्सीनेशन साइट में पहला टीका डेंटल सर्जन डॉ. रजनी ठाकुर वनवागढ़ सीएचसी में नॉन मेडिकल सुपरवाइजर उदयराम ध्रुव को लगाया गया।
कोविड नोडल अधिकारी डॉ ज्योति जसाठी ने भी आज कोरोना टीका लगाने के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों से अपील की और कहा टीका पूरी तरह सुरक्षित हैं। टीके को लेकर किसी तरह के भ्रम व भय करने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा, आज जिले में टीके की शुरुआत हो गई लेकिन टीका लगने के बाद अभी तक प्रतिकूल प्रभाव की कहीं से कोई शिकायत नहीं आई है। जिले में लगभग 60 फीसदी हेल्थ वर्करों ने टीकाकरण की शुरुआत में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। डॉ ज्योति जसाठी से कहा, कोरोना वैक्सीन भारत में निर्मित व पूरी तरह से सुरक्षित है। जिले में कुल तीन अस्पतालों में भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की निगरानी में टीके को लांच किया गया। उन्होंने बताया जिले में अब तक 83,747 सैंपल की जांच के लिए भेजे गए हैं जिनमें 4849 मरीज पॉजिटिव आए हैं। अब तक 2297 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 217 एक्टिव केस हैं तथा अब तक जिले में कुल 57 लोगों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. शरद कोहाड़े ने बताया कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन की 3030 डोज जिले को प्राप्त हो चुकी हैं।इसके भंडारण के लिए अत्याधुनिक तकनीक से 26 कोल्ड चेन बनाए गए हैं।
जिले में कोविड वैक्सीन का लगाया गया है लेकिन एक भी एईएफआई की रिपोर्ट नहीं मिली है। जिनको भी टीका लगाया गया है वह अपना अनुभव साझा कर बता रहे हैं कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और टीके लगने से कोई दर्द भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा,इस महत्वपूर्ण समय को उपयोग करना चाहिए और शासन के दिए हुए वैक्सीन जोकि विश्वव्यापी महामारी से बचाव में बहुत ही अमूल्य साधन है। इसका उपयोग करना चाहिए ताकि इस बीमारी से आप को बचा सकें।
शनिवार को लांचिंग के लिए जिला, ब्लॉक एवं टीकाकरण सत्र स्तर पर नोडल अधिकारियों और पर्यवेक्षकों को नामित किया गया था। इसके पहले जिले में एक बार ड्राई रन यानी पूर्वाभ्यास भी किया जा चुका है। डॉ. कोहाड़े ने बताया कि पहले डोज के बाद दूसरा डोज 28वें दिन लगेगा। टीका लगने के बाद आधे घंटे तक टीकाकरण केंद्र पर रुकना होगा। प्रतिरक्षित व्यक्ति को यदि बेचैनी या किसी भी तरह की समस्या होती है तो निकटतम स्वास्थ्य अधिकारियों, एएनएम और आशा को इसकी सूचना दें। इसके लिए एंबुलेंस सेवा 108 भी उपलब्ध रहेगी।
जिला प्रभारी नोडल अधिकारी संयुक्त संचालक डॉ. सुभाष पांडेय ने बताया, कोई व्यक्ति बिना पंजीकरण के कोरोना वैक्सीन नहीं प्राप्त कर सकता है। कोरोना वैक्सीनेशन के लिए पंजीकरण के बाद ही सत्र स्थल और समय की जानकारी दी जायेगी। फोटो आईडी पंजीकरण और सत्यापन दोनों के लिए जरूरी है। ऑनलाइन पंजीकरण के बाद लाभार्थी को वैक्सीनेशन की नियत तिथि, स्थान और समय के बारे में मोबाइल पर एसएमएएस प्राप्त होगा। कोरोना वैक्सीन की उचित खुराक मिलने पर लाभार्थी को उनके मोबाइल नंबर पर एक क्यूआर कोड आधारित प्रमाण पत्र भी भेजा जायेगा।
अनुपस्थित की बनेगी सूची
शनिवार को शुरू हुए कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दिन कई ऐसे लोग भी रहे जिनका नाम कोविन पोर्टल पर पंजीकृत था लेकिन वह टीकाकरण के समय नहीं आए। अनुपस्थित लोगों की अब एक अलग सूची तैयार होगी। इन लोगों को टीकाकरण के लिए अलग से समय दिया जाएगा।
सत्यापन के लिए आवश्यक
अगर आप कोविड-19 टीकाकरण के लिए जा रहे हैं तो अपना एक पहचान पत्र ले आना न भूलें। इसमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आइडी एवं पैन कार्ड, पासपोर्ट, जॉब कार्ड, पेंशन दस्तावेज, मनरेगा कार्ड, स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, सांसदों, विधायकों, एमएलसी को जारी आधिकारिक प्रमाण पत्र, बैंक, पोस्ट ऑफिस की पासबुक, केंद्र, राज्य सरकार या पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी सेवा आईडी कार्ड आदि में कोई एक हो सकता है।
छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रदेशवासियों को दी,हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 16 मई को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर बुद्ध पूर्णिमा के अवसर सहित प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा है कि महात्मा बुद्ध ने लोगों को अहिंसा,समानता और विश्व बंधुत्व का संदेश दिया। उनकी शिक्षा को विदेशों में भी लागों ने अपनाया और लाखों अनुयायी उनके दिखाये मार्ग पर चल कर देश-दुनिया को शांति का संदेश दे रहे हैं। बघेल ने कहा कि गौतम बुद्ध के उपदेश हर परिस्थिति और काल में प्रासंगिक हैं।
उनकी दी गई शिक्षा हमें संयम से आगे बढ़ने का संदेश देती है। महात्मा बुद्ध के विचार और जीवन मूल्य एक बेहतर समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेंगे।
छत्तीसगढ़
बंद हुआ गेहूं का सप्लाई, जाने आगे क्या होगी देश की स्थिति..
नई दिल्ली: रोटी, ब्रेड, पास्ता, पिज्जा, बर्गर… जैसी खाने की कई चीजें गेहूं से बनती है. गेहूं दुनिया के लोगों की खाने की थाली में कोई न कोई रूप में मौजूद रहता ही रहता है. लेकिन गेहूं की उपज दुनिया के हर हिस्से में नहीं होती है. इसलिए गेहूं की सप्लाई का बैलेंस कायम रखने के लिए इसका आयात-निर्यात होता रहता है. लेकिन पिछले ढाई महीनों से चल रहे रूस-यूक्रेन की लड़ाई ने गेहूं के सप्लाई चेन को डगमगा दिया है. यूक्रेन और रूस दोनों ही दुनिया के बड़े गेहूं उत्पादक देश हैं और दोनों ही युद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं.
रूस ने ब्लैक सी में यूक्रेन के बंदरगाहों की नाकेबंदी और घेराबंदी कर रखी है. लिहाजा यहां से कई हफ्तों से यूरोप को गेहूं की सप्लाई नहीं हो पा रही है. इससे विश्व बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ने लगी है. ऐसी ही परिस्थिति में गेहूं का एक और बड़ा उत्पादक देश भारत ने भी गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दिया है. इससे पहले से ही डवांडोल स्थिति के और भी चरमराने का अंदेशा पैदा हो गया है. रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है. यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया के एक चौथाई गेहूं का निर्यात करते हैं और यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के करोड़ों लोगों का पेट भरते हैं. इन दोनों देशों से सूरजमुखी का बीज, बार्ली और मक्के की सप्लाई भी दुनिया को होती है.
अब इसे राष्ट्रपति पुतिन की प्लानिंग कहें या संयोग लेकिन रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने से पहले ही साल 2021 में गेहूं के निर्यात को सीमित कर दिया है. रूस ने गेहूं के निर्यात को कम करने के लिए निर्यात टैक्स लगा दिया है. रूस का तर्क है कि घरेलू बाजार में खाद्यान्न कीमतों पर नियंत्रण के लिए उसने ऐसा कदम उठाया है. रूस के इस कदम से दुनिया के खाद्य बाजार में गेहूं की किल्लत पहले से ही चली आ रही थी. बता दें कि कृषि से संबंधित उत्पादों का बाजार वैश्विक हैं, इसलिए गेहूं की आपूर्ति में कोई भी कमी ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और अमेरिका सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में पैदा होने वाले गेहूं की मांग और दाम को बढ़ा सकती है. रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने से पहले ही दुनिया कोरोना के मार से जूझ रही थी. समु्द्री मार्ग कई महीनों से बंद थे. गेहूं की खरीद बिक्री या तो कम हो रही थी या फिर हो ही नहीं रही थी. इसकी वजह से दुनिया में खाद्यान्नों की कीमतें पहले से ही बढ़ रही थीं
. गेहूं की कीमतें भी इससे बच नहीं पाई थी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 के बीच गेहूं की कीमतें 80 फीसदी बढ़ चुकी थी. इन विपरित परिस्थितियों के बीच फरवरी में पुतिन 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी. इसका नतीजा ये रहा कि रूसी बमबारी के बीच यूक्रेन के बंदरगाह ठप हो गए, निर्यात रुक गया. यूक्रेन से गेहूं का निर्यात रुकने से यूरोपियन यूनियन देशों को खासी परेशानी हुई है. बता दें कि ओडेशा और मारियुपोल जैसे बंदरगाह ब्लैक सी के तट पर ही स्थित हैं. रूसी बमबारी की वजह से यहां से निर्यात लगभग ठप है. यहां से पिछले तीन महीनों में 20 मिलियन टन गेहूं का निर्यात होना था. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है. अब EU यूक्रेन से गेहूं निर्यात के लिए समुद्री रूट के अलावा अन्य विकल्पों जैसे रेल, रोड और नदी का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है.
ओडेशा पोर्ट पहुंचे यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष माइकल ने कहा कि यहां पर गेहूं, मकई और दूसरे अनाज से भरे हैं. इस पोर्ट को तुरंत खोले जाने की जरूरत है. यूरोपियन निवेश बैंक के प्रमुख का कहना है कि यूक्रेन के पास 8 बिलियन यूरो का गेहूं है लेकिन युद्ध की वजह से वो इसे निर्यात नहीं कर सकता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी कहा है कि अगर यूक्रेन के बंदरगाह नहीं खोले गए तो अफ्रीका, यूरोप और एशिया के कई देशों को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ सकता है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने कहा है कि 24 फरवरी को यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद गेहूं की निर्यात कीमतें 22 फीसदी बढ़ गई हैं, जबकि मक्के की कीमत 20 फीसदी बढ़ी है.
संकट की इस घड़ी में दुनिया की नजर भारत के स्टोरेज पर है. दुनिया भर में फैलते जा रहे इस खाद्य संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम भारत से गेहूं खरीदने पर विचार कर रहा है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अनुसार भारत से इस बारे में बात चल रही है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन ने कहा कि भारत सरकार से इस बारे में बात चल रही है. बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारत में 109.59 मिलियन टन गेहूं की पैदावार हुई थी. हालांकि दुनिया भर में गेहूं की बढ़ती कीमतें, घरेलू बाजार में खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें और मुद्रा स्फीति से निपटने के लिए शनिवार को ही भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. अब देखना होगा कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम इस रोक के बीच भारत से गेहूं खरीदने का रास्ता कैसे निकालता है. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी जब जर्मनी की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने कहा था कि आज भारत का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए तैयार है. पीएम मोदी ने कहा था कि जब विश्व गेहूं की कमी से जूझ रहा है.
उस समय हमारे देश का मेहनती किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहा है. हालांकि घरेलू मजबूरियों की वजह से भारत ने फिलहाल गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. कुछ ही महीने पहले भारत ने खाद्यान्न संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को गेहूं सप्लाई करने का निर्णय लिया है. भारत सरकार अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं पाकिस्तान के जरिए भेज रहा है.
छत्तीसगढ़
खुशखबरी: CM बघेल ने मनरेगा के तहत मानदेय बढाने का किया बड़ा ऐलान…
छत्तीसगढ़ के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के रोजगार सहायकों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने उनका मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया है। सीएम भूपेश बघेल ने ऐलान किया है कि रोजगार सहायकों के मानदेय 5000 से 6000 रुपये को कलेक्टर दर 9540 रुपये किया जाएगा। रोजगार सहायकों की सेवा शर्तों से संबंधित मांगों पर निर्णय राज्य स्तरीय गठित समिति के प्रतिवेदन मिलने पर लिया जाएगा। सीएम के इस आदेश के बाद 15 हजार से ज्यादा रोजगार सहायकों को फायदा मिलेगा।
बता दें कि प्रदेशभर में मनरेगा कर्मचारी नियमितीकरण एवं रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करने तथा मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। मनरेगा कर्मियों ने दंतेवाड़ा से एक दांडी मार्च भी निकाला था, जिसे तिरंगा यात्रा का नाम दिया गया था। तिरंगा यात्रा में करीब 5 हजार रोजगार सहायक शामिल हुए थे। रोजगार सहायक ने दावा किया था कि यह छत्तीसगढ़ का पहला आंदोलन है, जिसमें कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर 400 किलोमीटर तक लंबी दांडी यात्रा निकाली है।
सीएमओ कार्यालय ने ट्वीट कर दी जानकारी
सीएमओ कार्यालय ने ट्वीट कर कहा कि सीएम भूपेश बघेल ने मनरेगा के रोजगार सहायकों के मानदेय में वृद्धि की घोषणा की। अब कलेक्टर दर पर मानदेय मिलेगा। सेवा शर्तों की मांग पर राज्य स्तरीय समिति से प्रतिवेदन मिलने के बाद फैसला लिया जाएगा। रोजगार सहायकों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखी थी, जिसके बाद यह घोषणा की गई है। रोजगार सहायक अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर 4 अप्रैल से हड़ताल कर रहे हैं। आंदोलन में छत्तीसगढ़ के 15 हजार रोजगार कर्मचारी शामिल हैं। आंदोलन के जरिए रोजगार सहायक सरकार पर दबाव बना रहे थे।
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