देश - दुनिया
अब आप SBI की इस स्कीम से हर महीने कमा सकते हैं 10,000 रुपए, यहां जानें सबकुछ
अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए निवेश करना बहुत महत्वपूर्ण है जो आपको लॉन्गटर्म और स्थिर रिटर्न दें. कई बार लोग गलत जगहों पर निवेश कर देते हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है. ऐसे में निवेश करने के लिए सही जगह को जानना और समझना जरूरी है. आज हम आपको एक ऐसी योजना बताने जा रहे हैं जिसमें आपको निवेश करने का प्लान बनाना चाहिए. SBI की एन्युटी स्कीम के माध्यम से एक निश्चित समय के बाद हर महीने मंथली इनकम होने लगती है.
आप एसबीआई की एन्युटी स्कीम में 36, 60, 84 या 120 महीने की अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं. इसमें निवेश पर ब्याज की दर चुनी हुई अवधि की सावधि जमा के समान होगी. अगर आप 10 साल के लिए कोई फंड जमा करते हैं तो आपको 10 साल की सावधि जमा पर लागू दर के अनुसार ब्याज मिलता है.
ऐसे होगी हर महीने 10 हजार की कमाई
अगर आप हर महीने 10,000 रुपए की कमाई करना चाहते हैं तो आपको 5,07,964 रुपए जमा करने होंगे. आपके द्वारा जमा की गई राशि पर आपको 7 फीसदी की ब्याज दर से रिटर्न मिलेगा, जो हर महीने 10,000 रुपए होगा.
इस योजना में निवेश करने के लिए क्या नियम हैं?
SBI एन्युटी स्कीम में हर महीने न्यूनतम 1,000 रुपए जमा किए जा सकते हैं. इस योजना में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. एन्युटी पेमेंट में ब्याज ग्राहक द्वारा टाइम फिक्स किए जाने के बाद शुरू होता है. इस योजना का हिस्सा कोई भी भारतीय नागरिक बन सकता है और एकल या संयुक्त तौर पर भी योजना के हिस्सा बन सकते हैं.
एन्युटी स्कीम से ज्यादा आरडी पर भरोसा
आम तौर पर मध्यम वर्ग के लोगों के पास बड़ी रकम नहीं होती है. ऐसे में ज्यादातर लोग रेकरिंग डिपॉजिट (RD) में निवेश कर अपना भविष्य सुरक्षित करते हैं. आरडी में छोटी बचत के जरिए पैसा जमा किया जाता है और फिर उस पर ब्याज के साथ निवेशक को रिटर्न कर दिया जाता है. बचत खाते से एन्युटी स्कीम में बेहतर रिटर्न मिलता है. एन्युटी का भुगतान डिपॉजिट होने के अगले महीने से निर्धारित तारीख को किया जाएगा. ये भुगतान TDS काटकर खाते में कर दिया जाएगा.
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जानिए कैसे दिखते है ताजमहल के वो 22 कमरे, जिन्हें सरकार ने खुलवाने की याचिका की दायर.. जो पर्यटकों के लिए 1972 से है बंद…
ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की गई है। तहखाने के जिन कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है, वह पर्यटकों के लिए 1972 में ही बंद किए जा चुके हैं।
आखिरी बार 16 साल पहले वर्ष 2006 में तत्कालीन संरक्षण सहायक मुनज्जर अली ने तहखाने के कमरों का संरक्षण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की सिफारिश पर किया था। तब यहां दीवारों में सीलन, दरारें भरने के लिए प्वाइंटिंग और प्लास्टर का काम कराया गया। तहखाने के कमरों के लिए रास्ता चमेली फर्श पर मेहमानखाने की ओर और दूसरा मस्जिद की ओर है, जिस पर अब लोहे का जाल डालकर बंद कर दिया गया है। इन्हीं कमरों में यमुना किनारे की ओर से पहुंचा जा सकता था, जो उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी बुर्ज के पास बने हुए थे। लकड़ी के दरवाजे हटाकर ईंटों की दीवार लगा दी गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. डी दयालन की पुस्तक ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन में बताया गया है कि 1976-77 में मुख्य गुंबद के नीचे तहखाने में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था। कई जगह सीलन आ गई थी। भूमिगत कक्षों में तथा रास्ते की मरम्मत की गई, जिसमें पुराना क्षतिग्रस्त प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर किया गया। गहरी दरारों को मोर्टार से भरा गया था।
गैलरी की छत पर है पेंटिंग
वर्ष 1652 में औरंगजेब ने ताजमहल के तहखाना ए कुर्सी हफ्तादार यानी सात आर्च का तहखाना का जिक्र किया था। यह तहखाना ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड में सबसे पहले 1874 में जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर की रिपोर्ट में आया, जिन्होंने इसे देखने के बाद सबसे पहले नक्शा बनाया। यह ब्यौरा आस्ट्रियाई इतिहासकार ईवा कोच ने अपनी पुस्तक रिवरफ्रंट गार्डन ऑफ आगरा में दिया है। उन्होंने ताजमहल के तहखाने के लिए लिखा है कि चमेली फर्श से यमुना किनारे की दो मीनारों के पास से इनका रास्ता है।
लोहे की जालियों से इस रास्ते को बंद किया गया है। नीचे अंधेरा है। पर्यटकों में इस रास्ते को लेकर यह चर्चा है कि इनका रास्ता आगरा किला तक पहुंचता है, लेकिन इन सीढ़ियों का उपयोग शाहजहां नदी के रास्ते ताजमहल में आने के लिए करते थे। नीचे जाने पर गैलरी है, जिसकी छत पर पेंटिंग है। तीन साइड में यहां गैलरी है, जिसमें सात बड़े चैंबर है, इसके साथ ही छह चौकोर कमरे हैं, जबकि चार अष्टकोणीय कमरे हैं। एक आयताकार चैंबर आपस में इनसे जुड़ा है।
तहखाने से भी है मीनारों का रास्ता
ताजमहल के तहखाने में कई रहस्य भी दफन हैं। ताजमहल की मुख्य गुम्मद के चारों ओर बनी मीनारों का रास्ता तहखाने से भी है। वर्तमान में तहखाने में स्थित मीनार का दरवाजा बंद है। 20 कमरों के आगे मुख्य गुंबद के ठीक नीचे का हिस्सा ईंटों से बंद किया गया है। लाल पत्थर की चौखट कभी यहां थी, जिन्हें ईटों से बंद कर दिया गया। इसके अंदर कमरे हैं या कुछ और, इसका ब्यौरा एएसआई अधिकारियों के पास भी नहीं है।पूर्व संरक्षण सहायक ताजमहल डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि ताजमहल ही नहीं, बल्कि एत्माद्दौला, रामबाग समेत यमुना किनारे के जो स्मारक मुगलिया दौर में बने हैं, उन सभी में ऐसे तहखाने और कमरे बने हैं। यह लोड शेयरिंग करने के काम आते थे ताकि स्मारक का भारी वजन आर्च और डाट के खोखले चैंबर के जरिए आपस में बंट सके।
एएसआई के रिटायर्ड इंजीनियर डॉ. एमसी शर्मा ने कहा कि ताज की मीनारों से आत्महत्या करने और चमेली फर्श के नीचे जाने में घटनाओं के कारण सुरक्षा कारणों से इन्हें बंद कर दिया गया। तहखाने का संरक्षण करने में सैकड़ों मजदूर लगे हैं। समय-समय पर सफाई और मरम्मत की गई है। एक-एक हिस्से की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गई थी।
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बड़ा हदसा : कुत्ते से बचने के लिए 300 फुट गहरे बोरवेल में जा गिरा बच्चा, फिर हुआ ये…
होशियारपुर में गढ़दीवाला के गांव बैरमपुर ख्याला के खेतों में एक प्रवासी मजदूर का छह वर्षीय बच्चा 300 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया। घटना सुबह करीब 10 बजे के आसपास हुई। बच्चे के माता-पिता खेतों में काम कर रहे थे और बच्चा पास में खेल रहा था।
इस दौरान एक कुत्ता बच्चे के पीछे पड़ गया। उससे बचने के लिए बच्चा भागा और खुले पड़े बोरवेल के करीब दो ढाई फुट ऊंचे पाइप पर चढ़ गया और सिर के बल बोरवेल में जा गिरा। बताया जाता है कि करीब 300 फुट गहरे बोरवेल की मोटर खराब होने के कारण रिपेयर के लिए निकाली गई थी।
आसपास के लोगों के अनुसार पाइप पर लोहे का ढक्कन भी चढ़ाया गया था जो शायद कोई ले गया होगा। सूचना मिलते ही गढ़दीवाला पुलिस और इलाके के लोग मौके पर पहुंचे। अनुमान लगाया जा रहा है कि बच्चा करीब 100 फुट की गहराई पर अटका हुआ है। बोरवेल में पाइप डालकर बच्चे को ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम संगरूर से होशियारपुर के लिए रवाना हो गई है।
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खौफनाक मौत: दो बेटिया और माँ ने उठाया ऐसा कदम की देखकर आपका भी दिल दहल जायेगा, जाने क्या है पूरा मामला..
दिल्ली के वसंत विहार इलाके के वसंत अपार्टमेंट में शनिवार रात एक महिला और उसकी दो बेटियों ने खुदकुशी कर ली। तीनों बिस्तर पर अचेत अवस्था में मिलीं। कमरे में तीन अंगीठी जल रही थीं और पास ही एक गैस सिलेंडर खुला हुआ था।
आशंका है कि उनका इरादा कमरे को आग के हवाले करना था, लेकिन आशंका है कि इससे पहले ही दम घुटने से उनकी मौत हो गई। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें मौत के कारणों का खुलासा किया गया है। हालांकि पुलिस अभी इसका खुलासा नहीं कर रही है।
शुरुआती जांच में पता चला है कि पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान महिला के पति की मौत हो गई थी। उसके बाद से महिला की तबीयत काफी खराब रह रही थी। महिला ज्यादातर बिस्तर पर रहती थी। इसकी वजह से उनके साथ-साथ उनकी दो बेटियां भी अवसाद में थीं। मृतकों की शिनाख्त मंजू और उसकी दोनों बेटियों अंशिका और अंकू के रूप में हुई है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शनिवार रात 8.55 बजे सूचना मिली कि वसंत अपार्टमेंट के हाउस नंबर 207 में रहने वाले दरवाजा नहीं खोल रहे हैं। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिसकर्मियों ने देखा कि दरवाजे और खिड़कियां चारों तरफ से बंद हैं।
पुलिस ने किसी तरह से दरवाजा को खोला। कमरे के बाहर गैस सिलेंडर को खुला पाया। पास ही एक सुसाइड नोट रखा हुआ था। अंदर के कमरे में जाने पर एक महिला और दो युवतियां विस्तर पर अचेत अवस्था में पड़ी मिलीं। कमरे में तीन छोटी-छोटी अंगीठी रखी हुई थीं।
जांच करने पर पता चला कि तीनों की मौत हो चुकी थी। आशंका जताई जा रही है कि दम घुटने से तीनों की मौत हुई है। जांच में पता चला कि महिला के पति का अप्रैल 2021 में कोरोना महामारी के दौरान मौत हो गई थी। उसके बाद से पूरा परिवार अवसाद में था। मंजू बीमारी की वजह से विस्तर पर थी।
जांच करने पर पता चला कि तीनों की मौत हो चुकी थी। आशंका जताई जा रही है कि दम घुटने से तीनों की मौत हुई है। जांच में पता चला कि महिला के पति का अप्रैल 2021 में कोरोना महामारी के दौरान मौत हो गई थी। उसके बाद से पूरा परिवार अवसाद में था। मंजू बीमारी की वजह से विस्तर पर थी।
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