देश - दुनिया
अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को दिया नारा बदलने की सलाह
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले सियासी समीकरण साधे जा रहे हैं. शनिवार को बीएसपी से निलंबित छह और बीजेपी के एक विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सभी विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस अवसर पर अखिलेश यादव ने कहा बीजेपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है. सूबे की जनता बीजेपी और उसकी नीतियों से परेशान है. आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश से बीजेपी का सफाया होना तय है.
इन विधायकों ने थामा समाजवादी पार्टी का दामन
- असलम लाइनी- बसपा – श्रावस्ती, भिनगा
- सुषमा पटेल- बसपा – मुंगरा बादशाहपुर
- मुजतबा सिद्दीकी- बसपा – प्रतापपुर
- असलम अली चौधरी- बसपा – ढोलाना
- हाकिम लाल बिंद- बसपा – हांडिया
- हरगोविंद भार्गव- बसपा – सिधौली
- राकेश राठौर- बीजेपी- सीतापुर
योगी आदित्यनाथ को नारा बदलने की सलाह
बागियों को सपा में ज्वाइन कराने के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि कई लोग समाजवादी पार्टी में आने को तैयार हैं. सही समय पर आपको पता चल जाएगा. लोग बीजेपी से काफी नाराज हैं. विधानसभा चुनाव में बीजेपी का पत्ता साफ हो जाएगा. राकेश राठौर के ज्वाइन करने के बाद सीएम योगी को स्लोगन बदलना होगा. वो कहते हैं ‘मेरा परिवार बीजेपी परिवार’, उन्हें कहना होगा ‘मेरा परिवार, भागता परिवार.’
बीजेपी ने संकल्प पत्र कूड़ेदान में फेंका- अखिलेश
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर तंज कसा कि वो अपना वायदा नहीं निभाते हैं. झांसी और मथुरा में मेट्रो बनाने की बात कही गई. ऐसा नहीं हुआ. हमारे शासनकाल में जिन शहरों में मेट्रो का काम हुआ है, उसी को आगे बढ़ाया. बीजेपी ने 2017 में बनाए अपने संकल्प पत्र को कूड़ेदान में फेंक दिया. बीजेपी पन्ना प्रभारी बना रही है और अपने ही पन्ने को नहीं पढ़ रही है. बुंदेलखंड के लोगों से बीजेपी ने धोखा किया है. सरकार ने शिक्षण संस्थानों को चौपट कर दिया है. किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया है.
देश - दुनिया
ममता बनर्जी बोलीं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे और पावरफुल, राजनीति को सीरियस नहीं ले रही कांग्रेस
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कांग्रेस पर तंज कसते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस के निर्णय नहीं ले पाने का परिणाम आज देश की जनता को भुगतना पड़ रहा है. मैं अभी सब कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि वे राजनीति को गंभीरता से नहीं लेते.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस की वजह से पीएम मोदी और अधिक शक्तिशाली हो रहे हैं. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अगर कोई निर्णय नहीं ले सकता, तो उसके लिए देश को क्यों भुगतना चाहिए. बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि दिल्ली की दादागीरी बहुत हुई.
गोवा के तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन पणजी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साथ ही कहा कि कांग्रेस को पहले भी मौका मिला है. कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मेरे राज्य पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ लड़ने के बजाय वे टीएमसी के खिलाफ लड़े. सवाल करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि क्या आपको नहीं लगता कि उन्होंने मेरे और टीएमसी के खिलाफ चुनाव लड़ा.
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह गोवा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में सभी 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे. ममता बनर्जी ने कहा कि टीएमसी चुनावों में क्षेत्रीय दलों को सीटें आवंटित करने में यकीन रखती हैं. मेरा मानना है कि क्षेत्रीय दलों को मजबूत होना चाहिए. हम चाहते हैं कि संघीय ढांचा मजबूत हो. हमें राज्यों को मजबूत बनाना चाहिए. क्योंकि, अगर राज्य मजबूत होंगे, तो केंद्र भी मजबूत होगा. हम दिल्ली की दादागीरी नहीं चाहते, बस बहुत हुआ.
कांग्रेस को कौन-से फैसले लेने चाहिए, इस सवाल के जवाब में ममता बनर्जी ने कहा कि मैं कांग्रेस के बारे में चर्चा नहीं करने जा रही हूं, क्योंकि यह मेरी पार्टी नहीं है. मैंने अपना क्षेत्रीय दल बनाया है और किसी से समर्थन लिए बिना हमने तीन बार सरकार बनाई. उन्हें फैसला करने दीजिए. यह मेरा तरीका भी है, मैं किसी भी अन्य राजनीतिक दल के कामकाज में दखल नहीं देती हूं. मैं अपने राजनीतिक दल के बारे में कह सकती हूं और हमारी लड़ाई जारी रहेगी. हम भाजपा के आगे घुटने टेकने वाले नहीं हैं.
देश - दुनिया
ये शानदार 5 फोकस्ड म्यूचुअल फंड्स, एक साल में दिया 80 फीसदी रिटर्न
निश्चित ही इन दिनों स्टॉक मार्केट निवेशकों को मालामाल कर रहा है. लेकिन यह कब हिचकोले खाने लगे, कहा नहीं जा सकता है. और यह सही भी है कि जहां जितना रिस्क होना, रिटर्न भी उतना ज्यादा होगा. लेकिन रिस्क लेने की क्षमता हर किसी में नहीं होती.
कम रिस्क में अच्छे रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड निवेश का एक अच्छा विकल्प बनकर तेजी से उभर रहे हैं. इन दिनों म्यूचुअल फंड अन्य किसी निवेश योजनाओं से ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं. ऐसे कई म्यूचुअल फंड्स हैं जिन्होंने एक साल में 80 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.हम यहां कुछ ऐसे फोकस्ड फंड्स की बात कर रहे हैं जिन्होंने अपने निवेशकों को एक साल में ही मालामाल किया है.
फोकस्ड इक्विटी फंड्स को आमतौर पर फ्लेक्सीकैप कैटेगरी के तहत ग्रुप रखा जाता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, फोकस्ड फंड किसी अन्य नियमित योजनाओं की तुलना में कम शेयरों में निवेश करते हैं और इसलिए उनके पास केंद्रित पोर्टफोलियो होते हैं. आमतौर पर, ये फंड 25 से 30 शेयरों में निवेश करते हैं.
फोकस्ड फंड्स के प्रदर्शन की बात करें तो बीते एक साल में इन फंड्स ने शानदार प्रदर्शन किया है. चूंकि इनके पास एक फोकस्ड पोर्टफोलियो होता है. इन फंड्स में उनकी संपत्ति का 5-9 प्रतिशत तक नकद होती है, ताकि बुरे समय में वे खुद को संभाल सकें. यहां हम कुछ ऐसे फंड्स की जिक्र कर रहे हैं जिन्होंने पिछले एक साल में शानदार रिटर्न दिया है-
निप्पॉन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड
वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में निप्पॉन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड ने 79.9 फीसदी रिटर्न दिया है. यह फंड योजना 5.818 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करती है. डायरेक्ट प्लान के लिए इसका एक्सपेंस रेश्यो 1.32 फीसदी है. निप्पॉन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड, फाइनेंशियल स्टॉक फंड की टॉप क्षेत्र की होल्डिंग हैं. इसके अधिकांश सेगमेंट जैसे सर्विस, एफएमसीजी और निर्माण योजना के पोर्टफोलियो में 10 प्रतिशत से कम का योगदान करते हैं.
फ्रैंकलिन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड
डेट फंड के मोर्चे बीते एक साल में तमाम उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, लेकिन फ्रैंकलिन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड ने पिछले एक साल में काफी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 79.8 फीसदी रिटर्न दिया है. यह फंड हाउस 7,836 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करता है और 1.12 प्रतिशत के एक्सपेंस रेश्यो शुल्क लेता है. फाइनेंशियल शेयरों के हाई रिस्क के अलावा, इस हाउस ने निर्माण और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश किया है.
एचडीएफसी फोकस्ड 30
एचडीएफसी फोकस्ड 30 ने पिछले एक साल में 78.5 फीसदी रिटर्न दिया है. इस योजना के प्रबंधन के तहत 838 करोड़ रुपये की संपत्ति है. यह व्यय अनुपात के रूप में 1.37 प्रतिशत शुल्क लेता है. अन्य फोकस्ड स्कीमों की तुलना में इस फंड में 8-9 फीसदी ज्यादा कैश है.
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फोकस्ड इक्विटी फंड
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फोकस्ड इक्विटी फंड ने बीते एक साल में 69.5 फीसदी का रिटर्न दिया है. यह 2,256 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करता है और 0.81 प्रतिशत का कम व्यय अनुपात लेता है. अन्य केंद्रित फंडों ने जिन खंडों के अलावा इस हाउस ने प्रौद्योगिकी शेयरों में भी निवेश किया है. यहां बहुत ज्यादा जोखिम रहता है.
एसबीआई फोकस्ड इक्विटी फंड
एसबीआई फोकस्ड इक्विटी फंड ने पिछले एक साल में 67.7 फीसदी रिटर्न दिया है. यह 20.372 करोड़ रुपये की संपत्ति का मैनेजमेंट करता है. व्यय अनुपात 0.72 प्रतिशत है. इस फंड ने फाइनेंशियल शेयरों और अन्य प्रॉपर्टी के अलावा एफएमसीजी और हेल्थ सेक्टर में बड़ा निवेश किया है.
ध्यान रखें कि न्यूज़18 किसी भी फंड में निवेश की सिफारिश नहीं करता है. लेकिन निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में फोकस्ड फंड के लिए भी स्थान रखना चाहिए. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी योजना में निवेश करने से पहले समयसीमा और बाजार की स्थितियों, फंड हाउस और उसके मैनेजमेंट की हिस्ट्री, अपनी जोखिम उठाने की क्षमता आदि की अच्छी तरह से स्टडी कर लें. आप किसी सलाहकार से सलाह ले सकते हैं.
देश - दुनिया
महंगाई के विरोध में सब्जियों की माला पहन असेंबली पहुंचे पाकिस्तान के MLA
पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई ने 70 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इमरान खान सरकार को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच पीएमएल-एन के विधायक तारिक मसीह सब्जियों की माला पहनकर साइकिल से पंजाब विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान, मीडिया से बात करते हुए मसीह ने कहा कि वह बढ़ती महंगाई के खिलाफ धरना करेंगे. रोज साइकिल पर सवार होकर विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने पहुंचेंगे. मसीह ने आलू, टमाटर और शिमला मिर्च की माला पहनी हुई थी, जिनके दाम आसमान पर पहुंच गए हैं.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को पाकिस्तान की पंजाब विधानसभा के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन देखा गया. विपक्षी सांसद तख्तियां लेकर आए और सरकार विरोधी नारे लगाए. यह प्रदर्शन ऐसे समय पर हो रहे हैं जब पाकिस्तान में महंगाई 70 साल में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. खाने की चीजों के दाम करीब दोगुने हो चुके हैं। घी, तेल, चीनी, आटा और मुर्गियों की कीमतें अपने उच्च स्तर पर पहुंच चुकी हैं.
गरीब से लेकर मध्यम वर्ग सब बेहाल
पीएमएल-एन के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, ‘देश महंगाई, आर्थिक तबाही और बेरोजगारी की कीमत चुका रहा है और सरकार को इस बात का अहसास ही नहीं है कि सिर्फ गरीब ही नहीं बल्कि वाइट कॉलर जॉब वालों को भी इसने कुचल दिया है.
पाकिस्तान को 3 अरब रुपये देगा सऊदी
विश्वबैंक से लेकर आईएमएफ (IMF) से मायूसी मिलने के बाद आखिरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का सऊदी अरब के सामने झोली फैलाना काम आया है. सऊदी फंड फॉर डिवलपमेंट ने ऐलान किया है कि वह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में 3 अरब डॉलर जमा करेगा, ताकि पाकिस्तान के विदेशी मुद्राकोष की मदद की जा सके. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यह बड़ी राहत ऐसे समय पर दी है, जब देश की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने की कगार पर है.
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, सऊदी फंड ने यह भी बताया कि एक आधिकारिक निर्देश जारी किया गया है जिसके तहत इस साल तेल उत्पादों के व्यापार की फंडिंग के लिए पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर दिया जाएगा. पाकिस्तान को मिलने जा रही इस सऊदी मदद की पुष्टि पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी और ऊर्जा मंत्री हमद अजहर ने की है.
हर नागरिक पर 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज
इमरान खान सरकार लगातार लोन चुकाने के लिए लोन लेती जा रही है. पाकिस्तान की संसद में इमरान खान सरकार ने कबूल किया था कि अब हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है. इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये है, जो कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है.
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