यूपी
बरेली में बड़ा हादसा, ऑयल टैंक की सफाई के दौरान 3 मजदूरों की मौत, एक की हालत गंभीर
बरेली की बीएल एग्रो फैक्ट्री में ऑयल टैंक की सफाई करते वक्त 3 मजदूरों की मौत हो गई जबकि एक मजदूर अभी बेहोश है. मजदूर 20 फुट गहरे टैंक के सफाई करने पहुंचा था जहां उसका दम घुटने लग गया. इस दौरान उसे बचाने गए अन्य तीन मजदूर भी टैंक में फंस गए.
टैंक की सफाई के दौरान अक्सर मजदूरों के साथ हादसे हो जाते हैं. कई बार यह सफाई मजदूरों के लिए जान की आफत भी बन जाती है. ऐसा ही एक हादसा बरेली में हुआ, जहां ऑयल टैंक की सफाई मजदूरों के लिए जिंदगी का सौदा बन गई.बरेली की बीएल एग्रो फैक्ट्री में ऑयल टैंक की सफाई करते वक्त 3 मजदूरों की मौत हो गई जबकि एक मजदूर अभी बेहोश है जिसका इलाज चल रहा है. वही घटना की सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुचे और छानबीन शुरू कर दी है.
20 फुट गहरे टैंक की हो रही थी सफाई
दरअसल, सीबीगंज थाना क्षेत्र के जौहरपुर में स्थित बीएल एग्रो की यूनिट में करीब 20 फुट गहरे टैंक में एक मजदूर टैंक की सफाई करने को गया था. टैंक में से निकलने वाले ज़हरीली गैस की चपेट में आने से उसका दम घुटने लगा। उसको बचाने के लिए एक के बाद एक 3 और मजदूर टैंक में घुस गए.
जिसके बाद कड़ी मशक्कत के बाद चारों मजदूरों को टैंक से बाहर निकाला गया. चारों मजदूरों को इलाज के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 3 मजदूर नीरज, यासीन और विजय की मौत हो गई. एक मजदूर बेहोश है जिसका इलाज चल रहा है. वही बीएल एग्रो की तरफ से मामले की जांच के लिए दो टीमों का गठन किया गया है.
इस घटना के बाद से परिवारजनों का बुरा हाल है. साथ ही व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.वही घटना की सूचना पर एडीएम सिटी डॉ. आर बी पांडेय मौके पर पहुंचे. एडीएम सिटी का कहना है कि घटना की मजिस्ट्रेट जांच करवाई जाएगी. जो भी दोषी है, उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. एडीएम सिटी ने इस हादसे में 3 लोगो की मौत केई पुष्टि की है.
यूपी
लखनऊ में 30 दिन के लिए धारा 144 लागू, जानें क्या होंगे नियम…
क्रिसमस, न्यू ईयर, त्यौहार व प्रवेश परीक्षाओं के चलते प्रशासन ने लिया फैसला, राजधानी में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रहेगी पूरी तरह से रोक. वहीं विधानसभा के आसपास भी नहीं किया जा सकेगा कोई धरना या प्रदर्शन. 5 जनवरी 2022 तक लागू रहेगी धारा 144.
राजधानी में मंगलवार से धारा 144 लागू कर दी गई है. जानकारी के अनुसार क्रिसमस, नए साल का जश्न, प्रवेश परीक्षाओं और त्यौहारों को देखते हुए प्रशासन ने ये फैसला लिया है. जानकारी के अनुसार धारा 144 लखनऊ में 30 दिनों के लिए लगाई गई है, जो 7 दिसंबर से शुरू होकर 5 जनवरी 2022 तक लागू रहेगी.
प्रशासन ने यह फैसला किसान संगठनों व अन्य संभावित धरना प्रदर्शनों के चलते लिया है.
आदेशानुसार विधानसभा के आसपास धरना प्रदर्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. वहीं विधानसभा के आस पास ट्रैक्टर ट्राली, घोड़ागाड़ी, बैलगाड़ी, ज्वलनशील पदार्थ, सिलेंडर और हथियार आदि लेकर आवागमन पर भी प्रतिबंध रहेगा.
तो होगी समस्या
प्रशासन के अनुसार विधानसभा के आसपास धरना प्रदर्शन या वाहन के साथ प्रदर्शन को धारा 144 का उल्लंघन माना जाएगा. कंटेनमेंट जोन को छोड़कर धर्म स्थलों पर 50 से ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकेंगे. बंद स्थानों पर एक समय में 100 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक रहेगी.धारा 144 के दौरान जरूरी सेवाओं में छूट रहेगी.
चिकित्सा सेवाएं नियमित रूप से जारी रहेगी. इसके अलावा किसी तरह की इमरजेंसी होने पर पूर्व परमिशन पर आवाजाही में छूट मिलेगी. साथ ही इस दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के भी कड़े इंतेजाम किए गए हैं ताकि किसी तरह की समस्या उत्पन्न ना हो. एक समय में निश्चित संख्या से ज्यादा लोग मौजूद होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन ने इस दौरान आमजन से सहयोग की अपील की है.
यूपी
यूपी: आजादी के बाद से इस गांव में नहीं हुआ विद्युतीकरण, दिवाली पर प्रशासन ने लगवाए जेनरेटर
बार एटा की तहसील अलीगंज का गांव तुलई भी दिवाली पर रोशन होगा। आजादी के बाद से अब तक गांव में विद्युतीकरण न होने की स्थिति में अफसरों ने यहां त्योहार के लिए जेनरेटरों की व्यवस्था की है।
जनरेटर की बिजली से गांव में हुई रोशनी
विस्तार
उत्तर प्रदेश के जनपद एटा के कस्बा राजा का रामपुर से महज 600 मीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत पहरा का गांव तुलई है। कुल 40 घरों वाले इस गांव की आबादी लगभ 500 की है। आजादी के बाद से यहां अभी तक विद्युतीकरण नहीं हुआ है। आम दिनों में जहां लोग लालटेन और मोमबत्ती की रोशनी से काम चलाते हैं। दिवाली पर चारों ओर के गांवों की चकाचौंध देखकर गांव के लोग निराश रहते थे। इसे लेकर हाल ही में एक ट्वीट किया गया तो शासन ने मामले को गंभीरता से लिया। बुधवार देर शाम अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के सहयोग से दो जेनरेटर तथा गांव में तीस लाइटों की व्यवस्था की गई। रात तक अधिकारी गांव में डेरा डाले रहे।
ग्रामवासियों को जानकारी दी कि जल्द ही गांव का विद्युतीकरण कराया जाएगा। इस मौके पर उपजिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह, ग्राम पंचायत अधिकारी भूपसिंह बघेल, एक्सईएन राजकुमार, एसडीओ आफताब आलम, जेई जितेन्द्र कुमार, ग्राम पंचायत अधिकारी भूप सिंह बघेल, लाइनमेन दिलीप कुमार, संजय, भोले सिंह आदि रहे।चार दिन की चांदनी से संतुष्ट नहीं ग्रामवासी ग्राम नगला तुलई मे चार-पांच दिन दिवाली मनाने के लिए की गई व्यवस्था से ग्रामीण खुश तो हैं, लेकिन इस बात को लेकर असंतुष्ट भी हैकि चार दिन की चांदनी के बाद फिर अंधेरा पसर जाएगा। गांव के राजाराम, कन्हईलाल, श्यामसिंह, अनिल कुमार आदि का कहना है कि अधिकारियों और विद्युत निगम को समस्या का स्थायी समाधान करना चाहिए। जब गांव का विद्युतीकरण हो जाएगा तो हमें अंधेरे से आजादी मिल सकेगी।
एसडीएम अलीगंज मानवेंद्र सिंह ने कहा कि अगले सात दिन तक जेनरेटर से गांव में प्रकाश व्यवस्था की जाएगी। सोलर लाइट लगवाने के लिए बात कर रहे हैं। विद्युतीकरण की भी स्वीकृति मिल गई है। गांव के लोग अंधेरे में नहीं रहेंगे।
यूपी
समूचे देश को नोच-खसोट देने वाले पतित कांग्रेसी इस मामले में जनहितकारी कार्य करने वाली भाजपा पर ही सवाल उठा रही है :धरम लाल कौशिक
डा. रमन सिंह जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पीडीएस के माध्यम से जिस तरह के ऐतिहासिक कार्य किये उस पर समूची हमें को गर्व है. यहां की चावल वितरण योजना को न केवल संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियों से अपितु दुनिया भर से सराहना मिली है. एक मामले में तो स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ का मॉडल समूचे देश में लागू करने को तब की केंद्र सरकार को कहा था. आज़ादी के पचास वर्ष के बाद तब छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों की यह हालत करके रखी थी कांग्रेस ने कि भोजन जैसी मूलभूत योजना को लागू करना पड़ा था.
उससे पहले कांग्रेसी शासन में आंत्रशोध, डायरिया और भूख से मृत्यु होना आम बात थी. यह भाजपा शासन की ही उपलब्धि थी कि लगातार भूख की ख़बरों के लिए बदनाम रहे प्रदेश में एक भी भूख का मामला दर्ज नहीं हुआ. प्रदेश के आदिवासी जन अपने मुखिया डा. रमन सिंह जी को ‘चाउर वाले बाबा’ कहने लगे. खाद्य सुरक्षा का छत्तीसगढ़ का नया क़ानून बना जिसमें भोजन का अधिकार यहां लोगों को मिला और फिर उसे समूचे देश में लागू किया गया.
इतनी उपलब्धियों के बावजूद यह शर्मनाक बात है कि जिस कांग्रेस ने तब के अविभाजित मध्य प्रदेश और बाद में छत्तीसगढ़ के गरीबों को ऐसी बदहाली में रखा था, बजाय उसे अपनी करतूतों पर शर्मिन्दा होने के उस पवित्र और पुनीत पीडीएस योजना पर ही सवाल उठाये जा रहे हैं. उलटे चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज़ पर प्रदेश और समूचे देश को नोच-खसोट देने वाले पतित कांग्रेसी इस मामले में जनहितकारी कार्य करने वाली भाजपा पर ही सवाल उठा रही है. तब मिली डा. रमन सिंह की लोकप्रियता से अभी तक घबराये कांग्रेसी उनकी छवि को नुकसान पहुचाने किसी भी हद तक जा रहे हैं.
जहां तक नान घोटाले का सवाल है, तो आप सब जानते हैं कि उस मामले में डा. रमन सिंह जी की सरकार ने ही तब हो रही अनियमितता को संज्ञान में लेकर अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. तब डा. रमन सिंह जी ने भावुक होकर कहा भी था कि गरीबों के हक़ पर डाका डालने वालों को बक्शा नहीं जाएगा.
एक ऐसा आदतन अपराधी, जो दो बार में पांच वर्ष से अधिक समय तक जेल होकर आया हो, उससे हलफ़नामा दिला कर उसके आधार पर राजनीति करना कांग्रेस का चरित्र ही दिखा रहा है। इसी तरह एक अन्य अभियुक्त के ही आवेदन पर एसआइटी गठित कर देना बिल्कुल ग़ैर क़ानूनी है।
पीडीएस योजना लागू करते समय भाजपा सरकार की प्राथमिकता यही थी कि सभी पात्रों तक भोजन की पहुँच हो. बाद में अनियमितता की जानकारी होने पर तब भाजपा सरकार ने अवैध कार्ड निरस्त किये थे. सबसे गौर करने वाली बात यह है कि इस निरस्तीकरण का सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस ने ही किया था, जो आज ज्यादा राशन कार्ड होने की बात पर राजनीति कर रही है.
अभी इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में भी चल रहा है. ऐसे समय में मुख्य अभियुक्त से इस तरह का बयान दिलाने का सीधा अर्थ यही है कि निहित स्वार्थी तत्व इस मामले में न्यायायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहते हैं.
हाल के कुछ घटनाक्रमों पर गौर कीजिये तो मामलों के मुख्य अभियुक्तों से ही हलफनामा दिलवा कर उसे भाजपा को बदनाम करने के लिए उपयोग किया जा रहा है. आप मंतूराम प्रकरण को देखें और इस प्रकरण को भी. दोनों में मुख्य अभियुक्त का ही इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ किया जा रहा है.
इन तमाम हलफनामों का कोई भी विधिक औचित्य नहीं है, बस केवल अपनी नाकामी ढंकने और भाजपा को बदनाम करने ऐसे-ऐसे कृत्य किये जा रहे हैं. हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण केस के मेरिट पर कुछ टिप्पणी करना ठीक नहीं है. अगर सच में कांग्रेस हाल के इन दोनों हलफनामे पर भरोसा करती है तो भाजपा फिर यह चुनौती देती है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं शपथ पत्र देकर इन हलफनामों को प्रमाणित करें, फिर उसे न्यायालय में प्रस्तुत करें.
आप मंतूराम प्रकरण देखें, ऐन दंतेवाडा नामांकन के दिन स्व. भीमा मंडावी की हत्या की जांच कर रहे अग्निहोत्री आयोग ने प्रोसिडिंग को डिस्क्लोज करके संदेहियों को क्लीन चिट दे दिया था. और आप अब इस प्रकरण को देखें. इन सभी मामले में यह साबित हो रहा है।
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