देश - दुनिया
फैमिली पेंशन को लेकर सरकार ने लिए अहम फैसले
सरकार की तरफ से फैमिली पेंशन को लेकर एक अहम फैसला लिया गया, जोकि हितधारकों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. इससे बड़ी संख्या में वे फैमिली पेंशनधारक परिवार लाभान्वित होंगे, जिनकी पेंशन आपराधिक मामलों में लिप्त होने की वजह से रूक जाया करती थी और उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता था. सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की तरफ से इस ओर ध्यान दिया गया और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम की समीक्षा की गई. जिसके बाद Central Civil Rules, 1972 के नियम 54 के उप-नियम (11-C) में संशोधन किया गया है.
आइये आसान भाषा में समझते हैं सरकार के इस फैसले को…
-भारत सरकार के उप सचिव संजोय शंकर की ओर से एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर इस नए बदलाव के बारे में अवगत कराया गया.
यह था बरसों पुराना नियम
-अभी तक Central Civil Services (Pension) Rules, 1972 के नियम 54 के उप-नियम (11-C) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की मृत्यु पर पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्र होता था, पर सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी की हत्या करने या इस तरह के अपराध के लिए उकसाने का आरोप लगता था तो इस संबंध में उस आपराधिक कार्यवाही का फैसला आने तक पेंशन को निलंबित कर दिया जाता था.
-ऐसे केसों में ऐसे आपराधिक मामलों में लिप्त व्यक्ति के अलावा परिवार के किसी अन्य पात्र सदस्य को पेंशन का भुगतान रोक दिया जाता था, तब तक की उस क्राइम प्रोसिडिंग पर फैसला ना आ जाए. साथ ही इन आपराधिक मामलों का दोष साबित हो जाने पर उस व्यक्ति को फैमिली पेंशन पाने से बेदखल कर दिया जाता था. उस स्थिति में, सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से परिवार के अन्य पात्र सदस्य को पारिवारिक पेंशन देय हो जाती थी. हालांकि अगर संबंधित व्यक्ति बाद में आरोप से मुक्त कर दिया जाता था, तो उस व्यक्ति को सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से परिवार पेंशन देय हो जाती थी.
कार्मिक विभाग ने की प्रावधान की समीक्षा…
-इसको लेकर कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा उपरोक्त प्रावधानों की समीक्षा कानूनी मामलों के विभाग के परामर्श से की गई. इस समीक्षा में पाया गया कि परिवार के किसी अन्य सदस्य {जिनमें आश्रित बच्चे, माता-पिता आदि) और जिन पर अपराध का आरोप नहीं है, को परिवार पेंशन के भुगतान से इनकार करना उचित नहीं है. क्योंकि आपराधिक कार्यवाही काफी लंबी चलती है और मृतक के पात्र बच्चे/माता-पिता परिवार पेंशन के रूप में वित्तीय सहायता के अभाव में पीड़ित होते हैं. यानि उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है.
समीक्षा के बाद लिया गया यह फैसला…
-समीक्षा के बाद फैसला लिया गया है कि फैमिली पेंशन पाने वाले व्यक्ति पर सरकारी कर्मचारी की हत्या या उसके लिए उकसाने का आरोप लगने पर परिवार के ही अन्य किसी पात्र सदस्य को तक तब फैमिली पेंशन देनी शुरू की जाएगी, जब तक की आरोपी पर कोई अंतिम फैसला ना जाए.
-अगर सरकारी कर्मचारी की पत्नी पर ही ऐसा आपराधिक आरोप लगता है और परिवार में अन्य पात्र सदस्य उसका अवयस्क बच्चा है तो विधिवत नियुक्त अभिभावक के माध्यम से उसे पेंशन का भुगतान किया जाएगा. साथ ही बच्चे के आरोपी माता या पिता फैमिली पेंशन निकालने के लिए अभिभावक के तौर नहीं माने जाएंगे.
-अगर संबंधित व्यक्ति आरोपों से बरी हो जाता है तो उसे केस से बरी होने की तारीख से पेंशन देय हो जाएगी और परिवार के दूसरे सदस्य को उस तारीख से पेंशन देनी बंद हो जाएगी.
-इस आदेश को मेमोरेंडम जारी होने की तारीख से प्रभाव में ला दिया गया है.
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शराब जैसे हानिकारक चीजो को सेवन करने से इस महिला की हुई ये हालत.. जिसे देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान…
ड्रग्स या शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. लोग इस बात को जानने के बावजूद इनका सेवन करते हैं, जिनके भयानक अंजाम भुगतने पड़ते हैं. दूसरों की हालत देखने के बाद भी लोग सबक नहीं सीखते. जब स्थिति आउट ऑफ़ कंट्रोल हो जाती है तब इंसान की आंखें खुलती है. सोशल मीडिया पर लिवरपूल यूके की रहने वाली डैनिएला वेस्टब्रूक ने ड्रग्स की वजह से हुई अपनी खौफनाक हालत लोगो के साथ शेयर की. अब 48 साल की हो चुकी डैनिएला 16 साल की उम्र से ड्रग्स ले रही थी.
डैनिएला ने अपनी इस आदत के बारे में और उसके बाद हुई हालत के बारे में लोगों के साथ शेयर की. डैनिएला ने बताया कि कैसे इस ड्रग्स की लत से उसकी नाक सड़ गई थी. हालत ऐसी हो गई कि डॉक्टर्स को उसके नाक के सेप्टम, यानी वो हिस्सा जो दोनों नोस्ट्रिल्स को अलग करता है को हटाना पड़ा. अब डैनिएला के नाक के एच में पार्टीशन नहीं है. डैनिएला की हालत ऐसी हो गई थी कि उसे अपने नाक की सर्जरी के लिए डॉक्टर तलाशने में सात साल लग गए.
नाक से खींचती थी ड्रग्स
डैनिएला को ड्रग्स की लत मात्र 16 की उम्र से लग गई थी. उसके आसपास के लोग इस ड्रग्स के साइडइफेक्ट्स के बारे में डैनिएला को बताते थे. लेकिन उसपर किसी बात का असर नहीं होता था. डैनिएला अपने नाक से ड्रग्स खींचती थी. इसका नतीजा ये हुआ कि धीरे-धीरे उसके नाक में सड़न बढ़ने लगी. हालत ऐसी हो गई कि आखिरकार डॉक्टर्स को उसके नाक के बीच की हड्डी हटानी पड़ी. अब डैनिएला की नाक उसके चेहरे पर बैठी नजर आती है. लेकिन डैनिएला को बस इस बात की ख़ुशी है कि वो जिंदा है. वरना उसे ऐसा यकीन हो गया था कि वो ज्यादा दिन बच नहीं पाएगी
प्लास्टिक सर्जरी की है आदत
डैनिएला को अभी अपने नाक की करीब पांच प्लास्टिक सर्जरी करवानी है. लेकिन डैनिएला कहती है कि उसके लिए ये सर्जरी नई बात नहीं है. इससे पहले इसने कई बार अपने ब्रेस्ट की सर्जरी करवाई है. ड्रग्स की लत ने उसकी जिंदगी को बदतर बना दिया था. उसके नाक की हड्डियां सड़ने लगी थी जिसकी बदबू उसके लिए बर्दाश्त के बाहर थी. पहले जहां प्लास्टिक सर्जरी से डैनिएला को डर नहीं लगता था वहीं अब जब भी उसे बेहोश किया जाता है, वो बस भगवान से यही मनाती है कि उसे होश आ जाए. अब डैनिएला अपनी स्टोरी लोगों के साथ शेयर कर उन्हें जागरूक करने की मुहीम में जुट गई हैं.
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सोशल मिडिया पर गुप्त रोग की दवा खोजना इस युवक को पड़ा गया भारी, नंबर पर कॉल करते ही खाते से पार हुए लाखो रूपये…
राजधानी लखनऊ के एक युवक को गुप्त रोग की दवा इंटरनेट पर खोजना महंगा पड़ गया है। इंटरनेट पर मिले नंबरों पर बातचीत के बाद उसने दवा के लालच में रुपये भेज दिये। जब दवा नहीं मिली तो उसे पता चला कि ठगी हो गई है। युवक की तहरीर पर बीकेटी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। साइबर क्राइम सेल भी मामले की जांच कर रही है।
बताया जाता है कि बख्शी का तालाब इलाके में रहने वाला एक युवक गुप्त बीमारी से कई माह से परेशान था। युवक ने इंटरनेट पर गुप्त रोग की दवा और डॉक्टर की जानकारी के लिए सर्च किया। उसे एक कंपनी के कस्टमर केयर का नंबर मिला।
उसने फोन कर अपनी बीमारी के बारे में बताया। फोन रिसीव करने वाले ने बताया कि उसका इलाज कर हो जाएगा। अगर फायदा नहीं हुआ तो पूरा पैसा भी वापस हो जाएगा। युवक को कस्टमर केयर से बातचीत के बाद उस पर भरोसा हो गया।
फोन रिसीव करने वाले व्यक्ति ने एक खाते में 4999 रुपये की फीस मांगी। इसके बाद दो दिन के अंदर दवा डिलीवर करने को कहा। चार दिन तक दवा न पहुंचने पर युवक ने दोबारा उस नंबर पर फोन किया। फोन रिसीव करने वाले ने युवक को झांसे में लेकर खाते की जानकारी ली और एक लिंक भेजा।
उसके बाद ओटीपी पूछकर कई बार में खाते से 95 हजार रुपये उड़ा दिए। रुपये निकलने का मैसेज देखकर युवक के होश उड़ गए। युवक ने जब कॉल सेंटर पर दोबारा फोन मिलाया तो स्विच आफ था। युवक ने थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया है। साइबर सेल मामले की जांच में जुटी है।
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रहस्यमयी: देश की सबसे डरावनी जगह जहाँ जाने से डरते है लोग आइये जानते है इस जगह के बारे में कुछ बाते…
भानगढ़ किले को एशिया की सबसे डरावनी जगहों में से एक माना जाता है। कई लोग इसे खतरनाक बताते हैं जबकि कई लोग कहते हैं कि यह भूतिया है, लेकिन तथ्य यह है कि रहस्यों से घिरा किला राजस्थान में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। भानगढ़ किला भारत के सबसे प्रेतवाधित स्थान में से एक है। ऐसे में जानते हैं कि क्या भानगढ़ का किला सच में भूतिया है और इससे जुड़ी कुछ रहस्मय बातें।
1) डरावना एहसास
जब आप यहां होते हैं, तो आप इसकी राजसी वास्तुकला पर आश्चर्यचकित हो सकते हैं,हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें यहां पर अजीब सा एहसास होता है जैसे कि कोई उनका पीछा कर रहा हो। यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता के बावजूद, लोग लंबे समय तक किले में घूमने से बचते हैं।
2) साधू ने दिया था श्राप
रिपोर्ट्स की मानें तो भानगढ़ किले को गुरु बालू नाथ नामक एक साधु ने शाप दिया था। दरअसल, जिस जगह पर किला बनाया गया है, वह एक बार ऋषि के ध्यान स्थल था, और जब राजा ने उनसे अनुरोध किया कि वह यहां एक किला बनाना चाहते हैं, तो ऋषि एक शर्त पर सहमत हुए कि किले की छाया उन्हें नहीं छूनी चाहिए। राजा ने उसे विश्वास दिलाया कि उसके स्थान पर किले की छाया उसे नहीं छुएगी, हालांकि ऐसा नहीं हुआ और साधु के श्राप ने पूरा गांव नष्ट कर दिया।
3) तीन दोस्तों ने की थी रात में रुकने की हिम्मत
भानगढ़ से जुड़ी कई भयानक कहानियां लोगों के पास हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार तीन डेयरडेविल्स ने सूर्यास्त के बाद भानगढ़ किला परिसर में रहने का फैसला किया क्योंकि वह वास्तव में प्रेतवाधित है भी या नहीं। हालांकि, एक मशाल से लैस होने के बावजूद, उनमें से एक कुएं में गिर गया, हालांकि उसके दोस्तों ने उसे बचा लिया, और फिर उसे अस्पताल ले जाने के लिए वह दौड़ पड़े। लेकिन इस दौरान तीनों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
4) सूर्यास्त के बाद जाना है मना
रात में भानगढ़ किले के अंदर रहना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भानगढ़ के कई स्थानों पर लोगों को सूर्यास्त के बाद और सूरज उगने से पहले परिसर में रहने के खिलाफ चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी लगाए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, जो कोई भी रात में किले के अंदर जाने में कामयाब रहा, वे अपनी कहानी बताने के लिए कभी नहीं लौटे, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रात में आत्माएं वहां घूमती हैं।
क्या भानगढ़ का किला भूतिया है?
इसको लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है, हालांकि इस पुराने किले की भूतिया सुंदरता से कोई इंकार नहीं कर सकता। लंबे समय से चले आ रहे एक युग का स्थायी प्रमाण, सत्य और कल्पना के रहस्यों में डूबा, भानगढ़ किला देखने लायक जगह है। अपने राजस्थान यात्रा पैकेज में एक निर्देशित टूर जोड़ें, ताकि आप एक गाइड के साथ किले का घूम सकें और किले के इतिहास और इसके आसपास की स्थानीय जानकारी के बारे में ज्यादा जान सकें।
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