गौरतलब है कि सरकार ने बजट 2018-19 में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के विलय का प्रस्ताव रखा था। उसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि तीनों कंपनियों का एक बीमा कंपनी में विलय किया जाएगा। हालांकि, इन कंपनियों की खराब वित्तीय सेहत सहित कई वजहों से यह विलय पूरा नहीं हो सका था।
संभावना / बीमा कंपनियों के विलय पर फैसला जल्द
बजट में प्रस्तावित बीमा कंपनियों के विलय पर सरकार एक कदम और आगे बढ़ गई है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने विलय के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया है। जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही तीनों सरकारी बीमा कंपनियों का विलय प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
सरकार इन कंपनियों के विलय के बाद पैदा होने वाली कारोबारी और नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए करीब 12 हजार करोड़ रुपये की रकम देने पर भी सहमत हो गई है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद तीनों सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां- ओरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस मिलकर एक कंपनी हो जाएंगी। वियल के बाद बनी नई कंपनी जनरल इंश्योरेंस के मामले में देश की सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी।
सरकार की तरफ से रकम देने के पीछे बड़ी वजह ये है कि विलय के बाद बड़ी कंपनी के हिसाब से ही उसका कुल संपत्ति होना चाहिए जो नियामकीय शर्तों को पूरा करने के लिए जरूरी है। मौजूदा नियमों के मुताबिक में कंपनियों की देनदारी के मुकाबले 1.5 फीसदी रकम अतिरिक्त रखनी होती है। फिलहाल इन कंपनियों में औसतन ये अनुपात 1.5 फीसदी की जगह महज 1 फीसदी ही है। इस अनुपात को पूरा करने के लिए अतिरिक्त रकम की जरूरत की जरूरत पड़ेगी।
सरकार ने सलाहकार नियुक्त किया
रकम का आंकलन करने के लिए सरकार ने ईएंडवाई नाम के सलाहकार को नियुक्त किया था। सरकार कंपनियों के विलय पर आने वाले 12 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के लिए इसलिए तैयार हो गई है क्योंकि उसे लगता है वैश्विक माहौल के हिसाब से नई बनी बड़ी कंपनी का आकार और कारोबार विलय के बाद काफी सुधर जाएगा। वहीं सरकार के विनिवेश विभाग की तरफ से भी ऐसा आंकलन किया गया था कि विलय होने और बड़ी आकार की बीमा कंपनी बनने से उसमें हिस्सा बेचने में भी मुनाफा रहेगा। सरकार ने पहले भी अलग अलग तरह से इन कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी लेकिन उसमें खास मुनाफा नहीं हो सका।
कंपनियों की वित्तीय हालत सुधरेगी
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक अब उम्मीद जताई जा रही है कि तेजी से विलय की प्रक्रिया पूरी कर सरकार न सिर्फ इंन कंपनियों की हालत सुधार सकती है बल्कि हिस्सा बेचकर वो सरकारी खजाने पर पड़ रहे बोझ को भी हल्का करने में कामयाब हो पाएगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान सरकारी कंपनियों और निवेश में हिस्सेदारी बेचकर 1.05 करोड़ रुपये का विनिवेश का लक्ष्य रखा है।
बिजनेस बीमा वैल्यू एड घटते मुनाफे की चुनौती
साधारण बीमा (जनरल इंश्योरेंस) क्षेत्र में काम करने वाली ज्यादातर कंपनियों का मुनाफा दबाव में चल रहा है। बढ़ते दावों और जोखिम गारंटी में नुकसान के चलते इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियों में से दो कंपनियां अपनी ऋण शोधन क्षमता अनुपात (इनसॉल्वेंसी रेश्यो) के मानकों को बनाए रखने की कोशिश में लगी हैं। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के ऋण शोधन क्षमता अनुपात नियम के मुताबिक यह 1.5 होना चाहिए। नेशनल इंश्योरेंस का ऋण शोधन क्षमता अनुपात 1.5 है लेकिन यूनाइटेड इंडिया का 1.21 है।
क्या है मौजूदा स्थिति
31 मार्च, 2017 तक तीन कंपनियों के कुल 200 बीमा उत्पाद थे, जिनके माध्यम से उनको कुल 41,461 करोड़ रुपये प्रीमियम आय होती है और उनकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 35 फीसदी है। कुल 44 हजार कर्मचारियों और छह हजार ऑफिस के साथ उनकी कुल नेटवर्थ 9,243 करोड़ रुपये है।
देश की सबसे बड़ी गैर जीवन बीमा कंपनी बनेगी
वर्ष 2017 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी और जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया गया था। शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, तीनों बीमा कंपनियों के विलय के बाद बनने वाली कंपनी 1.2 से 1.5 लाख करोड़ रुपये के बाजार मूल्यांकन के साथ भारत की सबसे बड़ी गैर जीवन बीमा कंपनी होगी।
बजट 2018-19 में रखा गया था विलय का प्रस्ताव
देश - दुनिया
महिला ने जंक शॉप 502 रुपये में खरीदी थी कुर्सी,16 लाख में बिकी;जानें वज़ह
व्यापर
SBI ने बदला गर्भवती महिलाओं की भर्ती का नियम ; 3 महीने से ज्यादा की प्रेग्नेंसी पर महिला को अनफिट करार देना मातृत्व अधिकारों का हनन
दिल्ली महिला आयोग का कहना है कि इस नियम से महिलाओं का अधिकार प्रभावित होगा और कार्यस्थल पर उनके साथ भेदभाव को और बढ़ावा मिलेगा. बैंक एसोसिएशन ने भी मैनेजमेंट को पत्र लिखकर गाइडलाइन वापस लेने का दबाव बनाया है.देश के सबसे बड़े बैंक SBI के महिला कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर नियमों में किए बदलाव पर बवाल शुरू हो गया है. एसबीआई ने 3 महीने से ज्यादा प्रेग्नेंट महिला को अस्थायी रूप से अनफिट करार देते हुए नियुक्ति पर रोक लगा दी. इसके बाद दिल्ली महिला आयोग ने बैंक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
3 महीने से ज्यादा अवधि की प्रेग्नेंट महिला को तत्काल नई नियुक्ति नहीं दी जा सकती
SBI ने अपने सर्कुलर में कहा था कि 3 महीने से ज्यादा अवधि की प्रेग्नेंट महिला को तत्काल नई नियुक्ति नहीं दी जा सकती है. वे डिलीवरी के चार महीने बाद नौकरी ज्वाइन कर सकती हैं. तब तक उन्हें अस्थायी रूप से अनफिट माना जाएगा. इस विवादित नियम पर CPI के सांसद बिनोय विश्वम ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भी लिखा है. उन्होंने कहा, ये कैसा महिला सशक्तीकरण है जहां प्रेग्नेंट होने पर उसे अनफिट करार दे दिया जाता है.
यह महिलाओं के साथ वर्कप्लेस पर भेदभाव है.आयोग ने बताया भेदभाव वाला कानून दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने एसबीआई के नए नियम को महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाला कानून बताया है. उन्होंने कहा, 3 महीने से ज्यादा की प्रेग्नेंसी पर महिला को अनफिट करार देना उसके मातृत्व अधिकारों का हनन है. हम उन्हें नोटिस जारी कर इस महिला विरोधी कानून को वापस लेने की मांग करते हैं. साल 2009 में भी बैंक ने इसी तरह का कानून लादने की कोशिश की थी, जिसे बाद में वापस लेना पड़ा था.
महिला कर्मचारियों के प्रमोशन पर भी असर
आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमन एसोसिएशन ने नए नियम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे महिला कर्मचारियों के प्रमोशन पर भी असर पड़ सकता है. वैसे तो नया नियम 21 दिसंबर, 2021 से लागू हो चुका है, लेकिन प्रमोशन के मामले में यह 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगा. इसके बाद से महिला कर्मचारियों का प्रमोशन प्रभावित हो सकता है. अभी तक 6 महीने की गर्भवती महिला को भी बैंक ज्वाइन करने का नियम था
नई गाइडलाइ वापस लेने की अपील की
आल इंडिया एसबीआई एम्प्लाइज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी केएस कृष्णा ने एसबीआई मैनेजमेंट को लिखे पत्र में नई गाइडलाइ वापस लेने की अपील की है. उन्होंने कहा कि नया नियम पूरी तरह महिला विरोधी है और यह महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है. प्रेग्नेंसी को किसी भी तरह से अनफिट नहीं करार दिया जा सकता. किसी महिला को अपने बच्चे की डिलीवरी या नौकरी में से एक चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, क्योंकि दोनों ही उसके अधिकार हैं.
जॉब
युवाओं के लिए भारतीय सेना में नौकरी पाने का गोल्डन चांस :10 वीं पास के लिए निकली बंम्फर भर्ती,मिलेगी 63000 तक सैलरी
-
जॉब4 days ago
यहाँ निकली खाद्य निरीक्षक की बंम्फर भर्ती ,जल्द करें अप्लाई ;अंतिम तिथि 30 जनवरी
-
जॉब6 days ago
युवाओँ के लिए BSF में नौकरी नौक़री पाने का सुनहरा मौक़ा : सीमा सुरक्षा बल में 2788 पदों पर निकली बंपर भर्ती,जल्द करे अप्लाई
-
जॉब5 days ago
बैंक ऑफ बड़ौदा में विभिन्न पदों पर निकली भर्ती , 27 जनवरी तक करें आवेदन
-
जॉब6 days ago
बेरोजगार युवाओं के लिए राहत भरी ख़बर : यहां निकली 32 हजार शिक्षक पदों की भर्ती ; आवेदन 9 फरवरी तक
-
जॉब3 days ago
वित्त मंत्रालय में असिस्टेंट अकाउंट ऑफिसर 590 पदों पर निकली भर्ती ,जल्द करें अप्लाई
-
जॉब5 days ago
SEBI में निकली A-ग्रेड ऑफिसरों की निकली बंपर भर्ती, आवेदन करने की अंतिम तिथि आज
-
जॉब5 days ago
यहां निकली 32 हजार शिक्षक पदों की भर्ती ; आवेदन 9 फरवरी तक
-
देश - दुनिया6 days ago
प्यार में मिला ऐसा धोखा की सुनकर रह जायेंगे दंग : गर्लफ्रेंड की मां को एक किडनी दान दे दी, लड़की ने दूसरे से शादी रचा ली
-
जॉब6 days ago
युवाओं के लिए अच्छी खबर: रक्षा मंत्रालय में निकली 41 पदों पर भर्ती, 10 वीं पास अभ्यर्थी करें आवेदन 29 जनवरी तक
-
जॉब6 days ago
नौकरी पाने का सुनहरा अवसर :इंश्योरेंस मेडिकल ऑफिसर के 1120 पदों पर भर्ती,जल्द करे अप्लाई
You must be logged in to post a comment Login