Palm Oil Import इंडोनेशिया से पाम आयल का आयात फिर से शुरू होने से खाद्य तेल के साथ साबुन शैंपू बिस्कुट टूथपेस्ट जैसी एफएमसीजी सेक्टर की वस्तुओं की कीमतों में भी राहत मिल सकती है। इन सभी के उत्पादन में पाम आयल का इस्तेमाल होता है
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खुदरा महंगाई में अगले माह से थोड़ी राहत मिल सकती है। इसकी मुख्य वजह है कि इंडोनेशिया सोमवार से फिर से पाम आयल का निर्यात शुरू करने जा रहा है। 28 अप्रैल से इंडोनेशिया ने पाम आयल के निर्यात पर रोक लगा रखी है। इससे भारत में पाम आयल की कीमत में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हो गया था और उसका असर सभी खाद्य तेलों के दाम पर दिख रहा था। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सूरजमुखी के तेल का आयात पहले से ही प्रभावित है, इसलिए इंडोनेशिया की तरफ से पाम आयल के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले से खाद्य तेल की कीमतों में तेजी को समर्थन मिल रहा था। अब इंडोनेशिया के इस फैसले से बड़ी राहत मिलने वाली है। मार्च की खुदरा महंगाई दर में खाद्य तेल के दाम में 18 प्रतिशत और अप्रैल में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
भारत में खाद्य तेल की खपत 225 लाख टन की है। इसमें 80 लाख टन पाम आयल शामिल है। भारत सालाना 40 लाख टन आयात इंडोनेशिया से करता है। इंडोनेशिया 62 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ विश्व का सबसे बड़ा पाम आयल उत्पादक देश है। दूसरे नंबर पर मलेशिया है, लेकिन मलेशिया पाम आयल में दुनिया की जरूरत को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
इंडोनेशिया से पाम आयल का आयात फिर से शुरू होने से खाद्य तेल के साथ साबुन, शैंपू, बिस्कुट, टूथपेस्ट जैसी एफएमसीजी सेक्टर की वस्तुओं की कीमतों में भी राहत मिल सकती है। इन सभी के उत्पादन में पाम आयल का इस्तेमाल होता है। इंडोनेशिया ने अपने देश में खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए पाम आयल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था, लेकिन किसानों को हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए अब फिर से निर्यात खोलने का फैसला किया है।
वैश्विक स्तर पर खाद्य तेल के महंगे होने से भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 1.4 लाख करोड़ रुपये के खाद्य तेल का आयात किया, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह आयात 82,123 करोड़ रुपये का था।
You must be logged in to post a comment Login