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वास्तुशास्त्र के अनुसार, यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में ध्यान नही जाता है तो करे ये उपाये…
Vastu Tips For Kids Room: बच्चे अपने मन मर्जी के मालिक होते हैं। हर बच्चे की अपनी विशेषता होती है और साथ ही उनकी पसंद-नापसंद होती है। कुछ बच्चे तो इतने पढ़ाकू होते हैं जो हमेशा आपको कॉपी किताबों में नजर गड़ाए नजर आएंगे। वहीं कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जो पढ़ाई का नाम सुनकर दूर भागते हैं। उनका ध्यान पढ़ाई की ओर केंद्रित नहीं रहता है। ऐसे बच्चे पढ़ाई से जी चुराते हैं। कोरोना महामारी के बाद बच्चों में एकाग्रता की और कमी हो गई है। लेकिन कुछ वास्तु और ज्योतिष उपाय के माध्यम से उनका ध्यान पढ़ाई की ओर केंद्रित करा सकते हैं। उन्हीं उपायों में से एक है बच्चों के कमरे में कैंडल्स यानी मोमबत्ती लगाना। आइए जानते हैं बच्चों के कमरों में किस दिशा में मोमबत्ती लगानी चाहिए जिससे उनका मन पढ़ाई में लगा रहे। इसके साथ ही जानते हैं बच्चों का पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने के अन्य ज्योतिष उपाय।
किस दिशा में जलानी चाहिए मोमबत्ती
बच्चों के कमरे की पूर्वी, उत्तर-पूर्वी या दक्षिणी भाग में मोमबत्ती जलाने से बच्चे पढ़ाई की ओर आकर्षित होते हैं, उनका पढ़ाई में मन लगता है। साथ ही उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
किस दिशा में मोमबत्ती नहीं जलानी चाहिए
अब तक हमने आपको उन दिशाओं के बारे में बताया जहां कैंडल्स या मोमबत्ती लगाई जा सकती है। लेकिन कुछ ऐसे स्थान भी है जहां कैन्डल्स नहीं जलानी चाहिए। जैसे घर की उत्तरी दिशा में मोमबत्ती लगाने से धन का आगमन बाधित होता है और घर की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए घर के उत्तरी कोने में मोमबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
इस दिशा में भी न लगाएं मोमबत्ती
घर के वायव्य कोण, यानी कि उत्तर-पश्चिम दिशा में भी कैंडल्स नहीं रखनी चाहिए। यहां पर कैंडलस, यानी कि मोमबत्ती रखने से परिवार के सदस्यों में अशांति आती है और मन में परिवार के सदस्यों के प्रति जलन की भावना आती है।
स्टडी टेबल और कुर्सी का आकार
स्टडी टेबल का आकार रेक्टेंगल होना चाहिए। अनियमित आकार कुछ लोगों को आकर्षक लग सकता है लेकिन यह पढ़ाई में एकाग्रता को खराब करता है। हो सके तो टेबल को इस तरह रखें कि बच्चे का मुंह दीवार की ओर न हो। ध्यान रहे कि कुर्सी की बैक भी मजबूत हो।
एकाग्रता बढ़ाने के ज्योतिष उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाने के साथ ही केले के पेड़ में जल अर्पित करके वहां की मिट्टी से बच्चे का तिलक लगाना भी लाभकारी माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपके बच्चे का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है, तो आप उसकी जेब में एक फिटकरी का छोटा टुकड़ा रख दें और रोजाना अपने बच्चे के माथे तथा नाभि पर केसर का तिलक लगाएं।
बच्चे की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए हर गुरुवार को भगवान विष्णु के मंदिर में अपनी सामर्थ्य अनुसार धार्मिक पुस्तकें और पेन दान करना भी शुभ माना जाता है।
आपका बच्चा जिस स्थान पर पढ़ाई करता हो वहां उसकी स्टडी टेबल का मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए।
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Diabetes में जरूरी है HbA1c टेस्ट, जाने डायबिटीज कंट्रोल करने के टिप्स
कुछ स्थितियां आपके रक्त में A1C के स्तर को बढ़ा सकती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको डायबिटीज है।
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें सतर्क रहना बेहद जरूरी है। इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए ब्लड टेस्ट करना बेहद जरूरी है। अगर आपके ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ गया है या फिर आप लगातार ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने का अनुभव करते हैं तो डॉक्टर टाइप-2 डायबिटीज या फिर प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए ए1सी परीक्षण कराने की सलाह देते हैं।
HbA1c टेस्ट के जरिए ब्लड में शुगर की जांच की जाती है। ये टेस्ट 3 महीने के अंतराल पर कराया जाता है, जिसे HbA1c टेस्ट के नाम से जाना जाता है। ये टेस्ट शुगर टेस्ट करने के उन तरीकों से ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है जो उंगली से ब्लड लेकर शुगर की जांच करने के लिए किए जाते हैं। इस टेस्ट को ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहते हैं। ये टेस्ट ग्लूकोज़ से जुड़े हीमोग्लोबिन की मात्रा नापता है। इस टेस्ट को करने के लिए नसों से खून निकाला जाता है।
क्या डायबिटीज के बगैर बढ़ सकता है HbA1c? कई बार ऐसा होता है कि HbA1c का टेस्ट कराने में पता चलता है कि आपका A1C का लेवल हाई है लेकिन आपको डायबिटीज नहीं है। हां, कुछ स्थितियां आपके रक्त में A1C के स्तर को बढ़ा सकती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको डायबिटीज है।
एलिजाबेथ सेल्विन के एक अध्ययन के अनुसार, सामान्य आबादी में 6% से अधिक A1C का ऊंचा स्तर पाया गया, जिसमें डायबिटीज की हिस्ट्री नहीं थी। गैर-मधुमेह रोगियों में ए1सी के हाई लेवल के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। एनिमिया, किडनी की परेशानी,हाई ट्राइग्लिसराइड्स, थायराइड डिसआर्डर और ब्लड डोनेट करने की वजह से भी कई बार A1C का स्तर बढ़ने लगता है।
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यूरिक एसिड की बीमारी के ये हो सकते है कारण, जानिए कैसे करें इस बीमारी को कंट्रोल
लो मेटाबॉलिज्म और कमजोर गट हेल्थ यूरिक एसिड को बढ़ाती है।
यूरिक एसिड का बढ़ना एक गंभीर परेशानी है जिसकी वजह से बॉडी में कई तरह की दिक्कतें होती है। यूरिक एसिड एक रसायन है जो हम सभी की बॉडी में बनता है। इस रसायन को किडनी फिल्टर करके यूरिन के जरिए बॉडी से बाहर निकाल देती है। यूरिक एसिड के बनने से कोई दिक्कत नहीं होती, ये बॉडी से बाहर नहीं निकलता तो परेशान का कारण बनता है। यूरिक एसिड जब बॉडी से बाहर नहीं निकलता तो ये क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा होने लगता है।
बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने पर मसल्स में सूजन आने लगती है और जोड़ों में बेहद दर्द रहता है। जोड़ों का दर्द बढ़ने पर ये गाउट का कारण बनता है। यह ब्लड और मूत्र को भी एसिडिक बना सकता है। इस बीमारी की वजह से हाथ-पैरों और मसल्स में दर्द की शिकायत रहती है।
क्रेडी हेल्थ डॉट कॉम के मुताबिक यूरिक एसिड बढ़ने की बीमारी कोई रातों रात नहीं होती बल्कि लम्बे समय में पनपती है। खराब डाइट और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से बनपने वाली इस बीमारी के कई कारण हैं। आइए जानते हैं कि यूरिक एसिड की बीमारी पनपने के कौन-कौन से कारण हैं और उनका उपचार कैसे करें।
यूरिक एसिड बढ़ने के कारण क्या हैं?
लो मेटाबॉलिज्म यूरिक एसिड को बढ़ाता है।
कमजोर गट हेल्थ,
बॉडी को एक्टिव नहीं रखना
डाइट में प्रोटीन का अधिक सेवन करना
लो फैट फूड का सेवन
हैवी डिनर करना,
रात को देरी से सोना और सुबह देरी से जागना
पानी का बेहद कम पीना
लीवर में परेशानी होना
नॉनवेज का अधिक सेवन करना।
यूरिक एसिड को कैसे कंट्रोल करें:
बॉडी को एक्टिव रखें। रोजाना कम से कम 45 मिनट वॉक या एक्सरसाइज करें।
पानी का अधिक सेवन करें। पानी यूरिक एसिड को कंट्रोल करता है।
प्रोटीन से भरपूर फूड जैसे दाल,मटर, राजमा, चने और बींस का सेवन करने से परहेज करें।
सोने और जागने का समय सुनिश्चित करें।
आंवला, जामुन और संतरे का सेवन करें। खट्टे फल यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में असरदार हैं।
तनाव से दूर रहें। तनाव बीमारी को बढ़ा सकता है। तनाव दूर करने के लिए वॉक और एक्सरसाइज करें।
नींद पूरी लें। रात में 8 घंटे की नींद जरूरी है। नींद की कमी से तनाव और कई तरह की बीमारियां बढ़ती हैं।
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थायराइड कंट्रोल करना चाहते है तो आज से शामिल करे अपने डाइट में ये चीजे
तनाव, विटामिन ए की कमी, बॉडी में आयोडीन की कमी होना, हार्मोन असंतुलन, बॉडी में टॉक्सिन्स होने के कारण थायराइड तेजी से बढ़ता है।
थायराइड की परेशानी बॉडी में आयोडीन की कमी के कारण पनपती है। जब थायराइट ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाती तो बॉडी में कई तरह की परेशानियां पैदा होने लगती है। थायराइड खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की खराबी से पनपने वाली बीमारी है जिसकी सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं है।
अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के मुताबिक इस बीमारी से पीड़ित इनसान की बॉडी में उसके लक्षण जल्द ही दिखने लगते हैं। बॉडी में थकान रहना, बाल झड़ना, महिलाओं को समय पर पीरियड न आना और मिजास में कड़वापन रहना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इस बीमारी के लक्षणों की तुरंत जांच कर ली जाएं तो उसका तुरंत उपचार करके उसे कंट्रोल किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि थायराइड क्यों बढ़ता है और उसे कैसे कंट्रोल किया जाए।
थायराइड क्या है
थायराइड गर्दन के निचले हिस्से के बीच में तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रंथि होती है जो शरीर के मेटाबॉल्जिम को कंट्रोल करती है। हम जो भी खाते हैं, यह ग्रंथि उसे उर्जा में परिवर्तित करती है। इसके साथ ही यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।
थायराइड बढ़ने के कारण
थायराइड एक ऐसी परेशानी है जिसके कई कारण हैं जैसे तनाव, विटामिन ए की कमी, बॉडी में आयोडीन की कमी होना, हार्मोन असंतुलन, बॉडी में टॉक्सिन्स होना और नशीले पदार्थों का सेवन करने से भी थायराइड तेजी से बढ़ता है। आइए जानते हैं कि घर में कैसे थायराइड को कंट्रोल करें।
नॉन वेज का करें सेवन: डाइट में मांस, मछली और अंडे का सेवन करने से थॉयराइड कंट्रोल रहता है। अगर आपका थायराइड बढ़ रहा है तो तुरंत डाइट पर ध्यान दें आपका थायराइड ठीक रहेगा।
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