देश - दुनिया
लव जिहाद कानून : किन राज्यों में और क्या हो रहा है बदलाव
लव जिहाद का मामला देश के विभिन्न राज्यों में एक बार फिर से तूल पकड़ रहा है। इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों में इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की तरफ कदम भी बढ़ा दिया है तो कुछ इस राह पर आगे चल रहे हैं। हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसको लेकर जबरदस्त पहल की गई है। कुछ ही दिन पहले हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा था कि इस तरह के कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि हरियाणा से पहले इस ओर उत्तर प्रदेश कमद बढ़ा चुका है। इसका एलान करते हुए यूपी के मुख्समंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में कहा था कि इसके बाद बहन, बेटियों की इज्जत से खेलने वालों का अंत हो जाएगा। उन्होंने ये भी कहा था कि केवल शादी करने के लिए धर्म को बदलना किसी भी सूरत से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। न ही इस तरह के कृत्य को मान्यता दी जानी चाहिए।
हालांकि योगी के इस बयान पर सियासी बयानबाजी भी काफी तेज हुई थी। इस फैसले के खिलाफ सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल थे। उन्होंने इसको गलत बताते हुए कहा कि ये भारतीय जनता पार्टी की लोगों को बांटने की साजिश है। इसको लेकर सीएम गहलोत ने ट्वीट भी किए थे। उनका कहना था कि इस तरह का कोई भी कानून अदालत में मान्य नहीं होगा। वहीं दूसरे कांग्रेसी नेता नेता शशि थरूर का कहना है कि राज्य सरकारों को प्यार करने के खिलाफ नहीं बल्कि नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कानून लाना चाहिए। हरियाणा और यूपी में बनाए जाने वाले इस प्रस्तावित कानून में 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान बताया जा रहा है।
हरियाणा और मध्य प्रदेश की ही तरह दूसरे भाजपा शासित राज्यों में भी इस तरह की कवायद तेज होती दिखाई दे रही है। इसमें असम और कर्नाटक का नाम भी शामिल है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो वहां हुए विधानसभा उपचुनाव से एक दिन पहले ही इसका एलान किया था। राज्य के गृहमंत्री के मुताबिक इसके लिए सरकार विधानसभा में धर्म स्वतंत्र विधेयक 2020 लाएगी। इसको आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। इस कानून के तहत गैर जमानती धाराओं में कार्रवाई की जा सकेगी। इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन करवाने वाले और जबरन शादी करवाने वाले आएंगे। इसके अलावा गलत जानकारी देकर, बहला-फुसलाकर और धोखे से शादी करने वाले भी इसकी जद में आएंगे। दोषी पाए जाने पर शादी को अमान्य करार दिया जाएगा।
एक नजर में ऐसा होगा कानून
इसके अलावा इस तरह के अपराध के पीडि़त व्यक्ति या उसके अभिभावक शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। मामला दर्ज होने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी संभव हो सकेगी। इस मामले में आरोपी को कोर्ट से जमानत लेनी होगी। इस तरह के मामलों में आरोपी के सहयोगियों पर भी समान धाराओं में मुकदमा चलाया जा सकेगा। मर्जी से धर्म परिवर्तन करने वाले को पहले कलेक्टर के सामने आवेदन करना होगा।विभिन्न राज्यों द्वारा इस ओर की जा रही कवायद पर कानूनी जानकार मानते हैं कि जब तक कोई कानून पूर्ण रूप से सामने नहीं आ जाता है तब तक उस बारे में बात करना मुश्किल होगा। हालांकि मौजूदा काूनन में किसी भी शादी को मान्य या अमान्य करने का हक फैमिली कोर्ट को हासिल है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह का कहना है कि इस तरह के कानून पहले से ही उत्तराखंड समेत कुछ राज्यों में मौजूद हैं। लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति की वजह से उन्हें सही तरह से लागू नहीं किया जा सका है। उनके मुताबिक आईपीसी में इसको लेकर पहले से ही पूरे अधिकार दिए गए हैं। उनका ये भी कहना है कि राज्यों को एक्ट बनाने का अधिकार है। इसको ऊपरी अदालत में चैलेंज भी किया जा सकता है। हालांकि राज्यों के एक्ट बनाने में वो इसके तहत फैमिली कोर्ट को लाते हैं या नहीं, या इस कोर्ट को कितने अधिकार देते हैं ये राज्य पर निर्भर है।
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SOLAR COOKING STOVE: बड़े काम की है ये सोलर चूल्हा, आज ही घर लाये.. साथ में मिल सकती है सब्सिडी, जाने कितनी है इसकी कीमत…
Solar Cooking Stove: आज के समय में अगर हमें खाना बनाना है, तो गैस का बटन ऑन करना है और फिर आप अपना पसंदीदा खाना बनाकर खा सकते हैं। वहीं, बाजार में कई तरह की इलेक्ट्रॉनिक चीजें जैसे- ओवन, इंडक्शन चूल्हा आदि मौजूद हैं। लेकिन लोगों की निर्भरता ज्यादा गैस के चूल्हे पर ही है। हालांकि, उस समय को नहीं भूला जा सकता, जब लोग लकड़ियों के चूल्हे पर खाना बनाते थे। पर अब गैस के चूल्हे से सब आसान सा हो गया है, लेकिन एक दिक्कत है गैस सिलेंडर को बार-बार भरवाने की। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम भी लोगों को खासा परेशान करते हैं। अगर आप भी इन सब दिक्कतों के कारण परेशान हैं, तो हम आपको सोलर चूल्हे के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप गैस के सिलेंडर को पूरी तरह भूल सकते हैं। तो चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं। आप अगली स्लाइड्स में इसके बारे में जान सकते हैं…
चूल्हे के बारे में जान लीजिए
बात अगर इस सोलर चूल्हे की करें, तो सरकार की तरफ से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने इस सोलर चूल्हे को लॉन्च किया है, जो सौर ऊर्जा से चलेगा यानी इसके लिए गैस नहीं बल्कि सूरज की किरणें चाहिए जिससे ये चार्ज होगा।
दरअसल, इस चूल्हे का नाम ‘नूतन चूल्हा’ रखा गया है और सबसे खास बात ये कि ये रिचार्जेबल है। अपने दिल्ली स्थित आवास पर ऑयल मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने इसे लॉन्च किया था, और इस दौरान इसी चूल्हे पर तीन टाइम का खाना पकाया और परोसा भी गया। इस चूल्हे की लाइफ 10 साल बताई गई है।
ये है काम करने का तरीका
आपको इस सोलर चूल्हे को अपने किचन में रखना है। ये चूल्हा एक केबल तार के जरिए सोलर प्लेट से जुड़ा हुआ है और ये सोलर प्लेट छत पर रखी जाती है। फिर इस सोलर प्लेट से ऊर्जा पैदा होती है और केबल के जरिए चूल्हे तक पहुंचती है। इसके बाद आप इस पर खाना बना सकते हैं।
कीमत कितनी है?
इस सोलर चूल्हे की टेस्टिंग पूरी हो गई है और अब इसकी कमर्शियल लॉन्चिंग है। वहीं, इसकी कीमत 18 से 30 हजार रुपये के आसपास होगी। हालांकि, सरकार इस पर सब्सिडी देकर इनकी कीमतें कम कर सकती है। जब 2-3 लाख चूल्हें बेचें जाएंगे, तो सरकार इस पर सब्सिडी देगी, जिसके बाद इसकी कीमत 10 से 12 हजार रुपये तक हो सकती है।
देश - दुनिया
Sri Lanka : श्रीलंका को डुबोने के पीछे इसका है हाथ,जानिए
Sri Lanka News : श्रीलंका में आर्थिक हालात खराब हैं। जो जनता अभी तक सड़कों पर परेशान घूम रही थी वह अब राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास में डेरा जमा चुकी है। लेकिन श्रीलंका इस हालात तक कैसे पहुंचा। श्रीलंका की बर्बादी में सबसे बड़ा कारण चीन और राजपक्षे परिवार रहा है। आइए जानते हैं कैसे?भारत के करीब का टापू देश श्रीलंका इन दिनों अपनी खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है। श्रीलंका के बर्बाद होने में उसके नेताओं के साथ-साथ चीन का भी हाथ है। श्रीलंका के हालात उन देशों के लिए भी वार्निंग हैं जो चीन की दोस्ती को शहद से भी मीठी समझ लेते हैं। उन्हें ये समझना चाहिए कि उनकी ये मिठास उन्हें शुगर का मरीज बना सकती है। लेकिन श्रीलंका चीन के कारण कैसे बर्बाद हो गया? दरअसल श्रीलंका के बर्बाद होने के कई कारणों में चीन सबसे बड़ा कारण रहा है।एनालिस्ट ब्रह्म चेलानी के मुताबिक लगभग दो दशक तक राजपक्षे परिवार ने श्रीलंका पर राज किया। उन्होंने इसे एक देश की तरह नहीं बल्कि फेमली बिजनस की तरह चलाया। श्रीलंका में होने वाली भव्य निर्माण परियोजनाओं और खर्च करने के खराब तरीकों के साथ-साथ उन्होंने श्रीलंका को कर्ज के बोझ तले दबा दिया। इस कारण श्रीलंका आजादी के बाद से अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट पर पहुंच गया। 2005 में जब महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति बने तो बड़ी ही मजबूती के साथ 10 साल तक राज किया। लेकिन 2015 में वह चुनाव हार गए और राजपक्षे परिवार सत्ता से बेदखल हो गया।
भाई गोटबया राजपक्षे बने राष्ट्रपति
2015 की हार के बाद महिंदा के भाई गोटबया राजपक्षे राष्ट्रपति की उम्मीदवारी में आए। इसके लिए उन्होंने अपनी अमेरिकी नागरिकता तक छोड़ दी। वह एक बेहतर उम्मीदवार साबित हुए, क्योंकि 2009 में तमिल टाइगर विद्रोहियों को पूरी तरह खत्म करने के दौरान वह डिफेंस सेक्रेटरी थे। विद्रोहियों के खत्म होते ही राजपक्षे भाई देश के सिंहली समुदाय की नजर में एक हीरो बन गए। 2019 में गोटबया सत्ता में आ गए। उन्होंने अपने भाई और बेटों को मंत्री बनाया। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रीलंका को लगातार नरसंहार के मामले में घेरा जाने लगा। राजपक्षे परिवार के लोगों पर UN में युद्ध अपराध का मामला चलाने की बात आई, लेकिन चीन ने उन्हें बचा लिया।
चीन ने श्रीलंका को कैसे किया बर्बाद
चीन के अहसान का बदला चुकाने के लिए राजपक्षे परिवार पूरी तरह उसके आगे नतमस्तक हो गया। चीन को यहां बड़े-बड़े निर्णाण के ठेके मिले। इसके साथ ही चीन ने बड़ी ब्याज दरों पर श्रीलंका को कर्ज दिया। इसके अलावा राजपक्षे परिवार के गृह जिले हंबनटोटा में बड़े पैमाने पर बेफिजूल के निर्माण किए गए। जैसे दुनिया का सबसे खाली एयरपोर्ट, एक ऐसा क्रिकेट स्टेडियम जिसमें बैठने की क्षमता जिले की राजधानी की आबादी से भी ज्यादा है। इसके अलावा 1.4 बिलियन डॉलर की लागत से बना हंबनटोटा बंदरगाह जिसे चीन ने 2017 में 99 साल के लिए लीज पर ले लिया। इन सब के अलावा चीन के भारी भरकम कर्ज, जिसकी एक शर्त ये भी होती है कि उसकी डिटेल्स पब्लिक को नहीं बताई जा सकती।
चीन का श्रीलंका में क्या फायदा
चीन की कार्यप्रणाली देश के ताकतवर लोगों के साथ डील करना और उनकी बदौलत देश की कमजोरियों का फायदा उठाने की है। चीन श्रीलंका में घुस रहा है, इसे लेकर 2014 में ही चेतावनी दी गई थी, जब दो चीनी पनडुब्बियां बिना बताए अलग-अलग समय पर कोलंबो पहुंच गई थीं। यहां वह नए बने बंदरगाह पर रुकीं जिसे ज्यादातर चीनी कंपनियां कंट्रोल करती हैं। इसके अलावा श्रीलंका में घुसने से चीन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर बढ़त हासिल कर सकेगा।
चीन का श्रीलंका में क्या फायदा
चीन की कार्यप्रणाली देश के ताकतवर लोगों के साथ डील करना और उनकी बदौलत देश की कमजोरियों का फायदा उठाने की है। चीन श्रीलंका में घुस रहा है, इसे लेकर 2014 में ही चेतावनी दी गई थी, जब दो चीनी पनडुब्बियां बिना बताए अलग-अलग समय पर कोलंबो पहुंच गई थीं। यहां वह नए बने बंदरगाह पर रुकीं जिसे ज्यादातर चीनी कंपनियां कंट्रोल करती हैं। इसके अलावा श्रीलंका में घुसने से चीन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर बढ़त हासिल कर सकेगा।
बर्बादी के ये भी रहे हैं कारण
श्रीलंका की बर्बादी का कारण चीन तो रहा है। लेकिन राजपक्षे परिवार की नीतियां भी इस टापू देश को डुबाने में पीछे नहीं रही हैं। 2019 में टैक्स में बड़ी कटौती की गई, जिससे देश का एक तिहाई कर सरकार के खजाने से गायब हो गया। इसके बाद महामारी के कारण श्रीलंका का टूरिज्म और कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ। जब इन समस्याओं से श्रीलंका जूझ रहा था, इसी बीच रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हो गया। ये वो कारण था जो श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के ताबूत की आखिरी कील साबित हुआ। तेल और अनाज की कीमतें तेजी से बढ़ीं, जिसके कारण श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया। अब जनता के सब्र का बांध टूट गया है। वह राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री भवन में कब्जा जमा चुकी है।
देश - दुनिया
बड़ी खबर: श्रीलंका में PM आवास को प्रदर्शनकारियों ने घेरा, SLRC ने भी लाइव टेलीकास्ट को किया बंद, 20 जुलाई को चुनाव…
श्रीलंका में हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। राष्ट्रपति के बाद अब पीएम आवास पर भी प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है। देश में जारी बवाल के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भी बुधवार को इस्तीफा देने जा रहे हैं। स्पीकर ने जानकारी दी है कि देश में अगले राष्ट्रपति का चुनाव 20 जुलाई को होगा। वहीं, सियासी और आर्थिक संकट का सबसे ज्यादा असर चिकित्सा व्यवस्था पर पड़ता नजर आ रहा है। नौबत यहां तक आ गई है कि डॉक्टर मरीजों को बीमार नहीं होने की सलाह दे रहे हैं। देश में जरूरी दवाओं और अन्य आपूर्ति खासी प्रभावित हुई है।
फिलहाल, देश की कमान कार्यवाहक राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे के हाथ में है। उन्होंने देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया है। पश्चिम श्रीलंका में कर्फ्यू लगाया गया है। हंगामे के बीच देश के सरकारी चैनल SLRC ने भी लाइव टेलीकास्ट बंद कर दिया है।
श्रीलंका ईंधन और भोजन जैसी बुनियादी चीजों के भुगतान के लिए भी पैसों की कमी से जूझ रहा है। इसी बीच दवाओं की कमी की भी खबरें हैं। कुछ डॉक्टर और डोनेशन और फंड जुटाने के लिए सोशल मीडिया का रुख कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने देश से बाहर रह रहे श्रीलंका के लोगों से मदद की गुहार लगाई है।
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