देश - दुनिया
अब छुट्टी के दौरान हमले में सैनिकों की मौत को ऑन ड्यूटी माना जाएगा, मोदी सरकार का बड़ा फैसला
एक स्पष्टीकरण जारी किया है। अवकाश के दौरान सैनिकों पर हमले को लेकर रक्षा मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया यदि छुट्टी पर गए किसी सैनिक पर चरमपंथी या असामाजिक तत्वों द्वारा हमला होता है और उसमें उसकी मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे मामलों को ड्यूटी के दौरान हुई मृत्यु माना जाएगा।
उसके परिजन उसी प्रकार के मुआवजे के हकदार होंगे जो ड्यूटी करने के दौरान मृत्यु होने पर दिए जाते हैं।हाल में जारी आदेश में कहा गया है कि इसमें अभी तक कई मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। यदि कोई सैनिक छुट्टी पर अपने घर आया हुआ है या कहीं और भी गया हुआ है। इस दौरान चरमपंथी या असामाजिक तत्वों द्वारा उसे हमले में मार दिया जाता है तो उसे ड्यूटी पर तैनात माना जाएगा। उसके परिजन उसी प्रकार के मुआवजे के हकदार होंगे जो ड्यूटी करने के दौरान मृत्यु होने पर दिए जाते हैं।आदेश में कहा गया है कि छुट्टी से तात्पर्य उन सभी प्रकार की छुट्टियों से है जो सरकार की तरफ से सैन्यकर्मियों को प्रदान की जाती हैं। दरअसल, पिछले कुछ समय के दौरान सैन्यकर्मियों पर हमले बढ़े हैं। खासकर जब वह अवकाश पर थे। हालांकि, ऐसी घटनाएं कश्मीर में ज्यादा हुई हैं। लेकिन सरकार की तरफ से इस मामले में स्पष्टीकरण जारी कर सैन्यकर्मियों को राहत प्रदान की गई है।
मंत्रालय ने यह तर्क दिया
तर्क दिया गया है कि यदि सैन्यकर्मी पर अवकाश के दौरान चरमपंथियों या असामाजिक तत्वों का हमला होता है तो इसकी वजह यही हो सकती है कि उसके सैन्यकर्मी होने के कारण उस पर हमला किया गया। जिसमें उसकी जान चली गई। इसलिए वह इस लाभ का हकदार है।
निजी दुश्मनी में मृत्यु पर लाभ नहीं
हालांकि, छुट्टी के दौरान सैनिक की निजी दुश्मनी की वजह से उस पर कोई हमला होता है और उसमें उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसे ड्यूटी के दौरान हुई मौत नहीं माना जाएगा। ऐसे मामले में ड्यूटी के दौरान हुई मृत्यु के तहत मुआवजा नहीं मिलेगा।
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लखीमपुर कांड की जांच टीम के अध्यक्ष समेत 6 आईपीएस अधिकारियों का तबादला
साल 2022 में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल किया गया है. दरअसल, राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 6 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किये हैं. इसमें उपेंद्र अग्रवाल, संजीव गुप्ता, अनिल राय, केपी सिंह, राजेश मोदक और राकेश सिंह के नाम शामिल हैं. बता दें कि इसमें से उपेंद्र अग्रवाल ने लखीमपुर बवाल को लेकर बनाई गई निगरानी समिति की अध्यक्षता की थी.
-लखीमपुर के DIG उपेंद्र अग्रवाल को पुलिस उपमहानिरीक्षक देवीपाटन रेंज के रूप में तैनात किया गया है. -संजीव गुप्ता, पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था बनाये गए हैं. -अनिल राय की नई तैनाती बतौर पुलिस महानिरीक्षक पीएसी सेंट्रल जोन लखनऊ है. -केपी सिंह- पुलिस महानिरीक्षक अयोध्या रेंज होंगे. -मोदक राजेश- पुलिस महानिरीक्षक बस्ती रेंज. -राकेश सिंह को पुलिस महानिरीक्षक प्रयागराज रेंज के रूप में तैनात किया गया है. बता दें कि इस माह की शुरुआत में राज्य में 7 आईपीएस अधिकारियों का तबादला हुआ था. इसमें पुलिस अधीक्षक भदोही, पुलिस अधीक्षक बदायूं, पुलिस अधीक्षक गाजीपुर के साथ-साथ अपर पुलिस उपायुक्त (कानपुर) का तबादला हुआ है. यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी की तरफ से इससे जुड़े आदेश जारी किया है.
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यहां घर बनाने के लिए सरकार दे रही फ्री में जमीन, ये शर्त पूरी करना जरूरी
अपना घर बनाने के लिए जमीन खरीदना तमाम लोगों के लिए जीवन का बड़ा काम होता है. कई बार लोगों को बजट की कमी के चलते इस सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष भी करना पड़ता है लेकिन यदि घर बनाने के लिए किसी को मुफ्त में ही जमीन मिल जाए तो? वो भी सरकार की तरफ से. जी हां, यकीन करना भले ही मुश्किल है लेकिन ये बात 100 फीसदी सच है. हालांकि ये स्कीम भारत में नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया में है.
यहां मिल रहा फ्री में प्लॉट
ऑस्ट्रेलिया में एक शहर है किल्पी, इस शहर में मात्र 800 लोगों की आबादी है. यहां बसने के इच्छुक लोगों के लिए सरकार की तरफ से खास स्कीम शुरू की गई है. सरकार की तरफ से ऐसे लोग किल्पी में अपना घर बनाकर रहना चाहते हैं, उन्हें फ्री में जमीन देने की योजना लाई गई है. सरकार की ये स्कीम लोगों को खूब भा रही है. कई लोग स्थानीय प्रशासन से इस बाबत जानकारी मांग रहे हैं.
भारत के लोग भी दिखा रहे इंटरेस्ट
किसे मिलेगी जमीन?
फ्री जमीन पाने के लिए भले ही तमाम देशों के लोग जानकारी मांग रहे हों लेकिन इनका ये सपना इस स्कीम के तहत पूरा नहीं होने वाला. असल में इस स्कीम के तहत बाहर के लोगों को लाभ नहीं मिलेगा. बल्कि इसके लिए किसी व्यक्ति का ऑस्ट्रेलियाई नागरिक होना या इसका स्थाई निवासी होना आवश्यक है.
क्यों दी जा रही फ्री जमीन?
ऑस्ट्रेलिया के क्विल्पी शहर में आबादी काफी कम है. 800 लोगों की आबादी वाले इस दूरादराज के क्षेत्र में सरकार चाहती है कि और लोग भी बसें. यानी कि क्विल्पी शाइर परिषद ने नगर में आबादी की कमी को दूर करने के लिए इस तरह की पेशकश की है क्योंकि जनसंख्या की कमी की वजह से पश्चिमी क्वींसलैंड राज्य के इस क्षेत्र में पशुपालन और भेड़पालन से जुड़ी नौकरियों को भरने में बाधा का सामना करना पड़ रहा है.
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उत्तराखंड समेत इन राज्यों को बड़ा नुकसान, इस बार अक्टूबर में 41% सामान्य से अधिक बारिश हुई
एक से 20 अक्टूबर के बीच भारत में सामान्य से 41 फीसदी अधिक वर्षा हुई।उत्तराखंड को अकेले सामान्य से पांच गुना ज्यादा बारिश का सामना करना पड़ा। यह जानकारी गुरुवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों में सामने आई। आईएमडी ने कहा कि इस महीने देश में सामान्य रूप से 60.2 मिलीमीटर बारिश होती, लेकिन 84.8 मिउत्तराखंड में एक से 20 अक्टूबर के बीच सामान्य (35.3 मिलीमीटर) के मुकाबले 192.6 मिलीमीटर बारिश हुई। इससे 54 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। केरल में इस दौरान 445.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। इससे यहां 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
सिक्किम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश हुई जिससे जानमाल का काफी नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के गर्म होने, बेरोकटोक विकास और मानसून की वापसी में हुई देरी इसके कारण हो सकते हैं। आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर बालाजी नरसिम्हन का कहना है कि निश्चित तौर पर यह असामान्य अक्टूबर था। उन्होंने इसके लिए अवसंरचनात्मक चुनौतियों और बेरोकटोक हो रहे विकास कार्यों को जिम्मेदार ठहराया। नरसिम्हन ने 2105 में चेन्नई में आई बाढ़ का भी अध्ययन किया था। लीमीटर बारिश हुई।
देश के 694 जिलों में से 45 फीसदी (16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 311 जिले) में बहुत ज्यादा बारिश हुई।उत्तराखंड में एक से 20 अक्टूबर के बीच सामान्य (35.3 मिलीमीटर) के मुकाबले 192.6 मिलीमीटर बारिश हुई। इससे 54 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। केरल में इस दौरान 445.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। इससे यहां 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। सिक्किम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश हुई जिससे जानमाल का काफी नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के गर्म होने, बेरोकटोक विकास और मानसून की वापसी में हुई देरी इसके कारण हो सकते हैं।
आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर बालाजी नरसिम्हन का कहना है कि निश्चित तौर पर यह असामान्य अक्टूबर था। उन्होंने इसके लिए अवसंरचनात्मक चुनौतियों और बेरोकटोक हो रहे विकास कार्यों को जिम्मेदार ठहराया। नरसिम्हन ने 2105 में चेन्नई में आई बाढ़ का भी अध्ययन किया थाउन्होंने कहा कि मौसम में इस तरह के बदलाव पहले भी होते रहे हैं। लेकिन अब घनी आबादी वाले क्षेत्र विकसित हो रहे हैं जिससे इसका प्रभाव बढ़ जाता है।
वर्ष 2015 में चेन्नई में इतनी बारिश हुई थी जितनी सौ साल में नहीं हुई थी। भारी बारिश का कारण समझाते हुए आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अक्तूबर में वातावरण में कम दबाव के क्षेत्र निर्मित हुए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव के क्षेत्र के कारण इस सप्ताह भारी बारिश हुई।
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