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दक्षिण अफ्रीका में एक दिन में दोगुना हुए ओमिक्रॉन संक्रमित, लगाना पड़ा लॉकडाउन,लॉकडाउन की पहली श्रेणी से ही लोग परेशान

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साउथ अफ्रीका में कुल पांच तरह के लॉकडाउन लगाए जा सकते हैं. इसमें सबसे सख्त लॉकडाउन पांचवी श्रेणी का माना जाता है. अभी के लिए लॉकडाउन की पहली श्रेणी से ही लोग परेशान होने लगे हैं. व्यापारी बता रहे हैं कि उनका बिजनेस पूरी तरह ठप हो चुका है. नुकसान तो इसलिए भी हो रहा है क्योंकि कई देशों ने साउथ अफ्रीका पर ट्रैवल बैन लगा दिया है. इस लिस्ट में अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, थाइलैंड, ऑस्ट्रेलिया,सिंगापुर जैसे कई देश शामिल हैं।

कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन  दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है. पिछले एक हफ्ते में ही यह दक्षिण अफ्रीका   से लेकर 25 देशों में पहुंच चुका है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति साउथ अफ्रीका में चल रही है. यहां एक दिन में ही ओमिक्रॉन केस दोगुने हो गए हैं. हालात कितने चिंताजनक हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि साउथ अफ्रीका में लेवल वन का लॉकडाउन  लगा दिया गया है. बाजार बंद चल रहे हैं।

सड़कें सूनी पड़ चुकी हैं और लोग फिर अपने घर की चहारदीवारी में कैद दिख रहे हैं साउथ अफ्रीका में कुल पांच तरह के लॉकडाउन लगाए जा सकते हैं. इसमें सबसे सख्त लॉकडाउन पांचवी श्रेणी का माना जाता है. अभी के लिए लॉकडाउन की पहली श्रेणी से ही लोग परेशान होने लगे हैं. व्यापारी बता रहे हैं कि उनका बिजनेस पूरी तरह ठप हो चुका है. नुकसान तो इसलिए भी हो रहा है क्योंकि कई देशों ने साउथ अफ्रीका पर ट्रैवल बैन लगा दिया है. इस लिस्ट में अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, थाइलैंड, ऑस्ट्रेलिया,सिंगापुर जैसे कई देश शामिल हैं.

24 नवंबर को सामने आया था पहला केस: ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहला मामला साउथ अफ्रीका में 24 नवंबर को सामने आया था. उस समय ही वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि उनके देश में कोरोना का एक नया वेरिएंट पाया गया है, जो 30 से ज्यादा बार म्यूटेट हुआ है. ऐसा डर है कि ये वेरिएंट दूसरे वेरिएंट की तुलना में काफी तेजी से फैल सकता है. देश में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले 24 घंटे में भी 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं. अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं और स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही हैं।

गुआटेंग प्रांत से लिए गए थे 77 सैंपल : 15 नवंबर के आस-पास गुआटेंग प्रांत से 77 सैंपल लिए गए और इनकी सीक्वेंसिंग की गई. गहन जांच पड़ताल के बाद एक्सपर्ट्स इस नतीजे पर पहुंचे कि ये कोरोना वायरस का नया वेरिएंट है. इसका जीन इसलिए पकड़ में नहीं आ रहा था, क्योंकि यह म्यूटेट हो चुका है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस नए वेरिएंट का नाम B.1.1.529, यानी ओमिक्रॉन रखा. 26 नवंबर को इसे चिंताजनक वेरिएंट घोषित किया गया. इसके बाद से 24 देशों में ये नया वैरिएंट पाया जा चुका है।

सभी मरीजों में अभी हल्के लक्षण : इस बीच ओमिक्रॉन वेरिएंट के बारे में दुनिया को बताने वाले दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने राहत देने वाला दावा किया है. इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट में प्राइमरी लेवल पर डेल्टा वेरिएंट से हल्के लक्षण मिले हैं. दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. एंजेलिक कोएत्जी ने कहा कि नए वेरिएंट में मरीजों को थकान, शरीर में दर्द जैसे लक्षण मिल रहे हैं।

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स्कूल में 9 बच्चियां कोरोना संक्रमित,विश्व स्वास्थ्य संगठन अलर्ट जारी किया , 5 से 14 साल के बच्चों में बढ़ रहा संक्रमण

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भारत में एक तरफ जहां लगातार ओमिक्रोन वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं, अब बच्चों में भी कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। ओडिशा के जाजपुर में एक ही स्कूल में 9 लड़कियां कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल सभी छात्राओं का इलाज जारी है और उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया है। जाजपुर के CDMO ने बताया कि 182 छात्राओं और शिक्षकों को मिलाकर स्कूल की 9 लड़कियां कोविड पॉजिटिव आईं हैं। हमने पास के एक और स्कूल में टेस्ट किए हैं, जिसमें 53 छात्र और 9 शिक्षक हैं, जिसमें कोई भी पॉजिटिव नहीं है।”
इस बीच राष्ट्रीय कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य राहुल पंडित ने कहा है कि बूस्टर डोज़ के लिए NTAGI (टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) डाटा का अध्ययन कर रही है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को ही NTAGI की बैठक हुई, जिसमें कुछ निर्णय नहीं लिया गया है। छोटे बच्चों का वैक्सीनेशन पर अध्ययन चालू है और जल्द वैक्सीन आने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमित मरीज
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक देश में मंगलवार को कोरोना वायरस के लिए 12,13,130 सैंपल टेस्ट किए गए, मंगलवार तक कुल 65,06,60,144 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले अभी 93,733 हैं, जो कि 555 दिनों में सबसे कम हैं। दैनिक पॉजिटिविटी रेट 0.70% है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अलर्ट जारी किये 
इस बीच यूरोप में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अलर्ट जारी करते हुए कहा कि यूरोप में 5 से 12 साल के बच्चों के बीच कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। WHO ने कहा है कि यूरोप के देशों की सरकारों को प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रमों पर विचार करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ यूरोप के निदेशक हैंस क्लूज ने कहा कि स्कूलों में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए तेजी से वैक्सीनेशन अभियान शुरू करना होगा।
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आखिर क्यों खत्म होते-होते रह गया किसान आंदोलन, जानिए कहां अटका पेंच

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दिल्ली की सीमा पर एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच जल्द समझौते की उम्मीद नजर आई है। मंगलवार को गृह मंत्रालय से 6 सूत्रीय प्रस्ताव लेकर आए प्रतिनिधिमंडल और को संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों की बैठक हुई। इन प्रस्तावों में से तीन पर किसान नेता सहमत नहीं है। उन्होंने सरकार से जवाब मांगा है। वहीं आज (बुधवार) दोपहर 2 बजे मोर्चा की बैठक में आगे का फैसला लिया जाएगा। अब आंदोलन का समाधान केंद्र के जवाब पर निर्भर है।

किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि अधिकांश किसान संगठनों में सहमति है और सरकार ने हमारी अधिकांश मांगें मान ली हैं। फैसले की आधिकारिक घोषणा बुधवार की बैठक के बाद होगी। एसकेएम से जुड़े एक अन्य किसान नेता भी कहा कि बुधवार को आंदोलन खत्म होने की संभावना है।

केंद्र सरकार मांगें मानी : किसान संगठनों की बाकी बची मांगों को भी केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद एसकेएम ने कुंडली बार्डर पर बैठक की और मांगें मान लिए जाने पर खुशी जाहिर की। हालांकि सरकार के प्रस्ताव में कुछ खामियां भी बताईं है। खासतौर पर एमएसपी पर प्रस्तावित समिति में शामिल होने वाले सदस्यों को लेकर उन्हें आपत्ति है।

सरकार से चाहिए जवाब : एसकेएम के वरिष्ठ नेता बलबीर सिह राजेवाल ने कहा कि एमएसपी पर पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने भी एक समिति बनाने की घोषणा की है। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि विज्ञानियों के शामिल होने की बात कही गई है। मोर्चा चाहता है कि समिति में शामिल लोगों के नाम स्पष्ट किए जाएं। ऐसे लोग समिति में नहीं होने चाहिए, जो सरकार के साथ कानून बनाने में भी शामिल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि बुधवार तक सरकार की ओर से इसे स्पष्ट कर दिया जाएगा।’ विद्युत संशोधन विधेयक पर भी किसान संगठन सहमत नहीं हैं। यह विधेयक राज्य बिजली नियामक आयोग की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय चयन समिति का प्रस्ताव करता है। पराली से संबंधित कानून की धारा-15 पर भी किसानों को आपत्ति है।
किसान नेता अशोक धावले ने कहा कि मुकदमा वापसी के लिए कोई समय-सीमा होनी चाहिए। वहीं गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि किसानों को संदेह है कि सरकार कहीं बात से पलट न जाए। जबकि शिवकुमार कक्का ने कहा कि हम केंद्रीय गृह मंत्रालय के लेटर हेड पर पत्र चाहते हैं। जिस पर गृह मंत्री अमित शाह के हस्ताक्षर भी हों।
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स्विट्ज़रलैंड में मौत के मशीन को मिली मंजूरी, अब चलते-फिरते 1 मिनट में आत्महत्या कर सकेंगे लोग

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जहां पूरी दुनिया आत्महत्या के कारणों का पता कर इसपर रोक लगाने की कोशिश में जुटी है, वहीं स्विट्ज़रलैंड  एक ऐसा देश है, जहां अब आत्महत्या की मशीन को भी मंजूरी मिल गई है. ये मशीन एक मिनट में मौत देने के लिए डिजाइन की गई है.

की रिपोर्ट के मुताबिक़, हर साल करीब 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं. इनके अलावा करोड़ों लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं. खासकर 15 से 19 साल के युवा की संख्या इसमें काफी ज्यादा है. जहां पूरी दुनिया इसपर रोक लगाना चाहती है, वहीं स्विट्ज़रलैंड  ऐसा देश है, जो आत्महत्या को बढ़ावा दे रहा है. खासकर लोगों को बिना दर्द हुए मौत के जरिये आत्महत्या करने के ऑप्शन दे रहा है. अब यहां आत्महत्या की मशीन बन चुकी है जो एक मिनट में मौत दे सकती है.

इस देश ने ताबूत के आकार की मशीन को मंजूरी दी है. इस मशीन के जरिए किसी भी शख्स की मौत एक मिनट के अंदर हो जाएगी. मशीन को बनाने वाली कंपनी के मुताबिक़, इसके जरिये आत्महत्या करने पर दर्द नहीं होगा. साथ ही समय लगेगा सिर्फ एक मिनट. यानी एक मिनट के अंदर ही आप मौत को गले लगा लेंगे. ये मशीन खास तकनीक से काम करती है. इसी वजह से इसके द्वारा आत्महत्या करने पर दर्द नहीं महसूस होगा.

आत्महत्या के इस मशीन को बनाने का श्रेय डॉक्टर डेथ के नाम से मशहूर डॉक्टर फिलिप नित्स्चके को जाता है. वो एक एनजीओ के डायरेक्टर भी हैं. इस मशीन एक अंदर लेटा शख्स खुद अपनी मौत को कंट्रोल करेगा. जब वो पूरी तरह मरने के लिए रेडी हो जाएगा तब मशीन के अंदर लगे बटन को दबा देगा. इससे मशीन एक अंदर ऑक्सीजन लेवल कम हो जाएगा. बेहोश होने के एक मिनट के अंदर ही शख्स की मौत हो जाएगी.

देखते ही देखते हो जाएगी मौत

आपको बता दें कि खुद से आत्महत्या करने के लिए बनाई गई इस मशीन के अलावा पहले से ही स्विट्ज़रलैंड में आत्महत्या को लीगल माना गया है. इससे पहले यहां असिस्टेड सुसाइड की इजाजत थी. यानी अगर कोई आत्महत्या करना चाहता है तो वो दूसरे शख्स की मदद से ऐसा कर सकता है. लेकिन अब अकेले ही इंसान अपनी मौत पर मुहर लगा सकता है. इस मशीन का नाम सार्को रखा गया है. ये काफी महंगा प्रॉजेक्ट है और उम्मीद की जा रही है कि अगले साल से ये एक्टिव हो जाएगा.

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