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महिलाओं के लिए घातक है यह बीमारी, अगर एक रात भी अच्छी नींद नहीं ली तो यह बीमारी बिन बुलाए मेहमान की तरह घर कर सकती है।
दिल्ली निवासी शारदा (67) अक्सर अपने घर का पता भूल जाती हैं, जबकि पार्क से उनका घर महज 200 मीटर के फासले पर ही है। कई बार उन्हें अपने रोजाना के कामकाज तक याद नहीं रहते। दिल्ली के कई ओल्ड एज होम में न जाने ऐसी कितनी महिलाएं हैं, जो अपना बीता हुआ कल भूल चुकी हैं। कई ऐसी हैं, जिन्हें अपना नाम तक याद नहीं। अल्जाइमर एक मानसिक बीमारी है, जिसमें मरीज लगातार अपनी याददाश्त गंवाता जाता है और आखिर में वह खुद को भी भूल जाता है। यानी मरीज के ब्रेन में लगातार बदलाव आता है। वैसे तो इस बीमारी की सटीक वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है, मगर कई रिसर्च में इसकी आशंकाओं के बारे में बात की गई है। वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे के मौके पर हम आपको इस बीमारी से बचने के उपाय और इसकी रफ्तार थामने वाले कदमों के बारे में जानकारी देंगे, जो शायद आपके भी काम की हो सकती हैं
बैड स्लीप से ब्रेन में बढ़ जाता है खराब प्रोटीन का स्तर, बीमारी को बुलावा
वैसे तो अच्छी नींद कई बीमारियों को दूर से ही नमस्ते करने का अच्छा उपाय है। 2017 के रिसर्च से यह बात सामने आई थी कि अगर एक रात भी अच्छी नींद नहीं ली तो यह बीमारी बिन बुलाए मेहमान की तरह घर कर सकती है। अमेरिका के सेंट लुई में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड्स में रैडबाउड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से किए गए रिसर्च में यह खुलासा हुआ। रिसर्च में कहा गया है कि एक रात भी बैड स्लीप लेने से ब्रेन में एक प्रोटीन एमाइलॉयड बीटा का लेवल बढ़ जाता है और अगर यही खराब नींद एक हफ्ते तक कायम रहती है तो एक और प्रोटीन ताउ का स्तर भी बढ़ जाता है। बीटा और ताउ दोनों प्रोटीन के स्तर बढ़ने से अल्जाइमर की शुरुआत हो सकती है।
युवतियों में बैड प्रोटीन से बचाने के लिए ताकतवर माइटोकॉन्ड्रिया
युवा महिलाओं में इन बैड प्रोटीन से बचने के लिए उनकी कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया ताकतवर स्थिति में होता है, जबकि बुजुर्ग महिलाओं में यह माइटोकॉन्ड्रिया कमजोर पड़ जाता है, जिससे उनमें पुरुषों के मुकाबले अल्जाइमर होने की आशंका बढ़ जाती है। कई शोध में यह भी कहा गया है कि जो लोग युवावस्था में काम के बोझ या किसी अन्य वजह से कम नींद लेते हैं, उन्हें बुढ़ापे में यह बीमारी हो सकती है।
मोनोपॉज भी बन सकता है कारण, नींद के पैटर्न में आता है बदलाव
कई रिसर्च में यह भी बताया गया है कि बढ़ती उम्र के साथ मोनोपॉज में गिरावट भी अल्जाइमर को दावत दे सकता है, क्योंकि इससे भी नींद के पैटर्न में कई बार बदलाव आता है। फिनलैंड में हुई एक स्टडी के मुताबिक, जिन महिलाओं में मोनोपॉज नहीं आता है, अगर वे ओरल हॉर्मोन थेरेपी ले रही हैं, तो उनमें 17 फीसदी ज्यादा इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, अभी तक ऐसे रिसर्च नहीं हुए है, जो यह बता सकें कि आखिर इलाज के दौरान दिए जाने वाले हाॅर्मोन से महिलाओं के स्वास्थ्य में किस तरह से बदलाव आते हैं।
डिमेंशिया पीड़ित की देखभाल पर 5 घंटे खर्च करता है परिवार, इनमें भी महिलाएं ज्यादा
2019 के एक अध्ययन के अनुसार, डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल पर परिवार के लोग हर रोज औसतन 5 घंटे देते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस तरह की बीमारी में महिलाएं ही महिलाओं की मददगार होती हैं। डिमेंशिया पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करने वालों में 70 फीसदी महिलाएं ही होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बीमारी को 2017 में सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्राथमिकताओं में से एक माना। इस साल जुलाई में संगठन ने उन देशों की मदद करने का फैसला किया है, जहां पर डिमेंशिया पीड़ितों के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
खानपान में हल्दी को करें शामिल, बरकरार रहेगी आपकी याददाश्त
कई अध्ययनों में हल्दी को याददाश्त के लिए बेहतरीन बताया गया है। वजह है इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन में एंटी ऑक्सीडेंट के गुण होते हैं। भारतीय खानपान में हल्दी के इस्तेमाल की वजह से ही यहां पर अल्जाइमर का खतरा बाकी देशों के मुकाबले कम होता है। यहां के बुजुर्गों की याददाश्त भी तुलनात्मक रूप से अच्छी होती है। अमेरिका के लॉस ऐंजिलिस में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में हुए एक शोध के अनुसार, करक्यूमिन ब्रेन को शांत रखने में बेहद मददगार साबित होता है। करक्यूमिन के नैनो पार्टिकल से अल्ज़ाइमर का इलाज आसानी से हो सकता है। साथ ही याददाश्त कायम रखने के लिए बेहद जरूरी ब्रेन सेल्स यानी न्यूरॉन्स को फिर से रिजनरेट करने में भी यह अहम भूमिका निभा सकता है।
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बढ़ते वजन और मोटापा से हैं परेशान,अपनाएं ये सरल उपाय…
अक्सर लोग लगातार बढ़ते वजन और मोटापा को लेकर चिंतित रहते हैं।जिसका मुख्य वजह है खान-पान। ज्यादातर लोगों का वजन वेट लॉस के कुछ दिन बाद फिर से बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कुछ लोग वजन कम करने के बाद सोचते हैं कि यह हमेशा के लिए है और वे लापरवाही बरतने लगते हैं। जिससे उनका वजन फिर से बढ़ने लगता है।
- लोगों के साथ एक दिक्कत यह है कि वह जैसी ही अपने वजन घटाने के लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं वे वापस से अपनी पुरानी आदतों को अपना लेते हैं। इसलिए यह सबसे जरुरी बात है कि आप अपनी पुरानी आदतों पर वापस ना जाएं।
- जब आप अपना वजन कम करते हैं तो लंबे समय तक डाइटिंग करने के कारण आपकी भूख बढ़ सकती है। इसलिए अपनी डाइट पर कंट्रोल रखें। आपने वजन कम कर लिया है इसका मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी और जितना मर्जी खा सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपका वजन फिर से बढ़ने लगेगा।
- वजन मेंटेन रखने के लिए शारीरिक गतिविधियां करना अनिवार्य है। ऐसा नहीं है आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने तक ही व्यायाम को सीमित रखें।गतिहीन जीवनशैली वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार एक बड़ा कारण है। इसलिए एक्सरसाइज करना ना छोड़े।
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क्या आप भी बीयर पीने के शौकीन है तो जान लीजिये, इसके हैरान कर देने वाले side Effects…
सिंगापुर सरकार ने गंदे पानी को रिसाइकल करने का एक अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है। यहां की नेशनल वॉटर एजेंसी एक लोकल बीयर कंपनी के साथ मिलकर नाली के पानी और यूरिन से बीयर बना रही है। इसका नाम ‘न्यूब्रू’ रखा गया है। फिलहाल इसे दुनिया की सबसे इको फ्रेंडली बीयर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
न्यूब्रू को निवॉटर से बनाया गया है। यह एक तरह का पानी है, जिसे नाली के पानी को रिसाइकल और फिल्टर कर सिंगापुर वॉटर सप्लाई में पंप किया जाता है। सिंगापुर सरकार पिछले 20 सालों से यह काम कर रही है। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, गंदे पानी को इस प्रकार से फिल्टर किया जाता है कि वह पीने लायक साफ पानी बन जाए। बीयर कंपनी की मानें तो न्यूब्रू में 95% निवॉटर ही मिला हुआ है।
द स्ट्रेट टाइम्स के अनुसार, न्यूब्रू 8 अप्रैल को लॉन्च की गई है। इसे सिंगापुर वॉटर एजेंसी PUB और लोकल क्राफ्ट बीयर कंपनी Brewerkz ने मिलकर बनाया है। इस प्रोजेक्ट को सिंगापुर इंटरनेशनल वॉटर वीक (SIWW) का सहयोग भी मिला है। न्यूब्रू देश की सभी शराब की दुकानों और बार में उपलब्ध है।
यूरिन और नाली का पानी ही क्यों?
सिंगापुर वॉटर एजेंसी का कहना है कि अगले कुछ सालों में पूरी दुनिया वॉटर क्राइसिस से जूझ सकती है। ऐसे में हमें पानी को बचाने और रिसाइकल करने की हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए। बीयर को बनाने में बहुत सारे पानी की जरूरत होती है, क्योंकि यह 90% H2O ही होता है। इसलिए न्यूब्रू इसके प्रति लोगों को जागरूक करने की एक पहल है।
कंपनी का कहना है कि रिसाइकल किया गया गंदा पानी बीयर के स्वाद में कोई बदलाव नहीं करता है। बीयर के विज्ञापन के मुताबिक, इस बीयर का आफ्टर टेस्ट हल्का भुना हुआ और शहद की तरह है। यह शराब गर्मियों में सिंगापुर के लोगों की प्यास बुझाएगी।
सिंगापुर में पानी की कमी बहुत बड़ी समस्या
दरअसल, चारों ओर समुद्री पानी से घिरे सिंगापुर में लोग पीने के पानी की कमी से जूझते हैं। ऐसे में सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए कई सालों से नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रही है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर को मजबूरन मलेशिया से पीने का पानी खरीदना पड़ता है। देश में बारिश के पानी को भी इकट्ठा किया जाता है। इस सबके बावजूद यहां केवल 50% पानी की जरूरत ही पूरी होती है।
2060 तक सिंगापुर की आबादी बढ़ जाएगी, जिससे यहां पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी। ऐसे में लोगों के पास निवॉटर और समुद्री पानी को साफ पानी में बदलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा।
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क्या आप भी माइग्रेन-सिरदर्द से परेशान है तो, अपनाये ये आसान से टिप्स…
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसके मामले पिछले कुछ समय से काफी बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। माइग्रेन की स्थिति में सिर और आंखों में तेज दर्द होता है, कुछ स्थितियों में इसके कारण सामान्य रूप से कामकाज करने तक में भी दिक्कत हो सकती है। आमतौर पर यह सिर के केवल आधे हिस्से में ही होता है।
माइग्रेन अटैक की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति प्रकाश या शोर के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो सकता है। इसके अलावा व्यक्ति को उल्टी, मतली और घबराहट की समस्या हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या होती है, उन्हें इसको ट्रिगर करने वाली स्थितियों की पहचान कर उससे बचाव करते रहना चाहिए।
माइग्रेन और इसके कारण होने वाली सिरदर्द की समस्या के लिए आपको लंबे समय तक उपचार और बचाव की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा दिनचर्या में कुछ प्रकार के योगासनों को शामिल करके भी इससे लाभ पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि जिन लोगों को माइग्रेन की दिक्कत होती है, उनके लिए कौन से योगासन फायदेमंद हो सकते हैं?
सेतुबंधासन योग का अभ्यास
सेतुबंधासन योग या ब्रिज पोज के नियमित अभ्यास को कमर-पीठ की समस्याओं के साथ माइग्रेन की दिक्कतों को दूर करने वाला भी माना जाता है। यह योग मस्तिष्क को शांत करने के साथ चिंता-तनाव को कम करने और माइग्रेन को बढ़ावा देने वाली स्थितियों को नियंत्रित करने में विशेष लाभकारी हो सकता है। माइग्रेन की समस्या को कम करने के साथ पेट, फेफड़े और थायरॉयड अंगों को उत्तेजित करने और रीढ़ की समस्याओं को कम करने में भी इस योग के लाभ देखे गए हैं।
चाइल्ड पोज
चाइल्ड पोज या बालासन को तंत्रिका तंत्र को शांत करने वाला अभ्यास माना जाता है। माइग्रेन के दर्द को प्रभावी ढंग से कम करने में इसे काफी लाभदायक माना जाता है। योग विशेषज्ञों का कहना है कि चाइल्ड पोज मुद्रा आपके मन को शांत करके चिंता और थकान को कम करने में मदद करती है, जिससे माइग्रेन और इसके कारण होने वाले सिरदर्द में काफी लाभ मिल सकता है।
पश्चिमोत्तानासन योग के फायदे
माइग्रेन की समस्या को कम करने में पश्चिमोत्तानासन योग या सिटेड फॉरवर्ड बेंड योग काफी लाभकारी हो सकता है। मस्तिष्क को शांत करने और तनाव से राहत दिलाने में इस योग का नियमित अभ्यास आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। सिरदर्द की समस्या से छुटकारा दिलाने और माइग्रेन को ट्रिगर करने वाली समस्याओं को कम करने में पश्चिमोत्तानासन योग के नियमित अभ्यास की आदत आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।
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