छत्तीसगढ़
तीन साल बाद भी प्रशिक्षित पटवारियों को नौकरी नहीं मिली, प्रशिक्षित पटवारियों को तत्काल नियुक्त करने की मांग को लेकर प्रशिक्षित पटवारियों का धरना प्रदर्शन जारी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लगभग तीन साल बाद भी प्रशिक्षित पटवारियों को नौकरी नहीं मिली है। इसकी वजह से परेशान प्रशिक्षित पटवारियों ने धरना प्रदर्शन का सहारा लिया है। प्रशिक्षित पटवारियों को तत्काल नियुक्त करने की मांग को लेकर रायपुर में प्रशिक्षित पटवारियों का धरना प्रदर्शन जारी है। जानकारी के मुताबिक प्रशिक्षित पटवारी छत्तीसगढ़ संघ ने रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरनास्थल पर धरना दिया। उन्होंने कहा की व्यापमं परीक्षा देने के 30 माह बाद भी नियुक्ति नहीं मिली है। नियुक्ति नहीं होने की वजह से हम मानसिक रूप से परेशान हैं और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशिक्षित पटवारियों के लिए क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की मांग की गई है।
प्रशिक्षित पटवारी संघ के चितरंजन महिलांगे ने बताया कि लगभग तीन साल पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल के द्वारा आयोजित परीक्षा में हमने हिस्सा लिया। इसके बाद प्रशिक्षित पटवारियों की नियुक्ति अभी तक नहीं की गई है। साथ ही यह भी मांग की है कि 70-80, 90% वाले फार्मूले से पटवारियों को मुक्त रखा जाए, क्योंकि अन्य नौकरियों की तरह पटवारियों को प्रशिक्षण के दौरान वेतन नहीं दिया जाता है। इस वजह से आर्थिक मार झेल चुके पटवारियों को न्याय संगत वेतन मिल सके।
इसके अलावा पटवारियों द्वारा यह भी मांग की गई है कि पटवारी प्रशिक्षण के साथ ही इनकी नियुक्ति प्रक्रियाओं की विसंगतियों में शासन सुधार करें, ताकि भावी प्रशिक्षुओं को इन जटिलताओं का सामना ना करना पड़े। इसके अलावा पूर्व वर्षों की तरह इस वर्ष भी अनुत्तीर्ण प्रशिक्षित पटवारियों को अस्थाई नियुक्ति देने की मांग की गई है। मांगें पूरी नहीं होने तक
छत्तीसगढ़
क्रांतिकारी कोरोना योद्धा संघ छत्तीसगढ़ के नेतृत्व में बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर धरना जारी।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना काल के दौरान पहली और दूसरी लहर में जिन अस्थायी कोविड-19 कर्मचारियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए सेवा दी थीं। अब वर्तमान में उन्हीं के सामने आर्थिक तंगी के साथ ही रोजगार की चिंता सता रही है। वर्तमान में कोरोना वायरस कम होने पर अब उन कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई है।
इसके विरोध में क्रांतिकारी कोरोना योद्धा संघ छत्तीसगढ़ के नेतृत्व में बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर धरना देकर पुनः काम पर लिए जाने की मांग की जा रही है। मालूम हो कि कोरोना वायरस संघ के कर्मी पिछले डेढ़ महीने से लगातार बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर डटे हुए हैं। उनका कहना है कि प्रदेश में अभी भी स्वास्थ्यकर्मियों की कमी बनी हुई है और वर्तमान में नई भर्ती भी ली जानी है, इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी अस्थायी कोविड 19 कर्मचारियों को कार्य पर रखा जाए और जिन कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है उन्हें पुनः काम पर रखा जाए।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के दौरान डाक्टर, माइक्रोबायोलाजिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट, स्वास्थ्य संयोजक, वार्ड बाय, कंप्यूटर आपरेटर, सफाई कर्मी आदि कामों पर अस्थायी नियुक्ति में रखे गए थे। धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे अस्थायी कोविड-19 कर्मचारियों में से हुमेश जायसवाल, विनय कुमार, अजमत सिद्दीकी, विकास कुमार, गंगाराम धीवर, प्रवीण चंद्रा, महेंद्र चंद्रा, अनिता राठौर आदि का कहना है कि एनएचएम के तहत संविदा या फिर नियमित कर कर्मियों का भविष्य सुरक्षित किया जाए।
छत्तीसगढ़
कबीरधाम जिले के कवर्धा में प्रशासन मुस्तैद, दो समुदायों में टकराव के बाद लगाई गई धारा 144
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला स्थित कवर्धा कस्बे में शुक्रवार को धारा 144 लगा दी गई। यह फैसला इस इलाके में दो समुदायों के बीच धार्मिक झंडा हटाने को लेकर हुए विवाद को बाद लिया गया है। पुलिस ने मामले में छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया और एफआईआर दर्ज कर ली गई है। वहीं कस्बे में करीब 500 पुलिसवालों को तैनात कर दिया गया है। एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं।
मामले में एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने रविवार रात और सोमवार को शांति समिति की बैठक बुलाई थी। इस दौरान लोगों से आने वाले त्योहारों के मद्देनजर लोहरा चौक से धार्मिक झंडा हटाने के लिए कहा गया था। अधिकारी के मुताबिक यह कदम क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया था।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मीटिंग के दौरान दोनों पक्ष झंडा हटाने के लिए सहमत हो गए थे। लेकिन दोनों समुदायों से कुछ युवा मौके पर पहुंच गए और पूरा मामला एक गलत दिशा में चला गया। सूचना मिलते ही पुलिस का एक दल मौके पर रवाना हुआ और हालात पर नियंत्रण किया गया। एसपी ने बताया कि कस्बे में फ्लैग मार्च चल रहा है। वहीं डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने धारा 144 लगा दी है।
छत्तीसगढ़
झंडा लगाने से शुरू हुए बवाल के बाद आज बड़ी संख्या में तमाम लोग सड़क पर लाठियां, और डंडे लेकर निकल आए
छत्तीसगढ़ के कवर्धा में मंगलवार को काफी हंगामा हुआ। दो दिन पहले झंडा लगाने से शुरू हुए बवाल के बाद आज बड़ी संख्या में तमाम लोग सड़क पर लाठियां, और डंडे लेकर निकल आए और घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी। कई बस्तियों में हंगामा चलता रहा बवाल बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। वहीं हिंदू संगठनों ने कवर्धा-जबलपुर नेशनल हाईवे जाम लगा दिया। उपद्रव के बाद प्रशासन ने जिले में कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है।
विश्व हिंदू परिषद के बुलाए गए बंद को देखते हुए जिले के सभी बाजार और दुकानें बंद थी। इसी दौरान दोपहर में बड़ी संख्या में लोग हाथों में डंडा लेकर रैली की शक्ल में शहर में निकल आए। प्रदर्शनकारियों ने आदर्श नगर, पीजी कॉलेज रोड, लोहारा नाका, कोतवाली के पीछे का एरिया, जल संसाधन ऑफिस के पास बसी बस्तियों और कॉलोनियों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। बाहर खड़ी बाइक, कार और यहां तक कि ठेलों को भी तोड़ दिया।
पुलिस तमाशबीन बनी रही
उपद्रवियों ने कई गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए और वाहनों को पलट दिया। आरोप है कि उपद्रव और तोड़फोड़ के दौरान पुलिस वहां पुलिस तमाशबीन बनकर खड़ी रही। पुलिस के सामने ही प्रदर्शनकारी उपद्रव करते रहे। करीब एक घंटे तक सब चलता रहा, इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया है। इस दौरान उपद्रव की कवरेज कर रहे पत्रकारों से भी प्रदर्शनकारियों ने गाली-गलौज की। शहर के कई इलाकों में अभी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। पुलिस पूरे शहर में ड्रोन से निगरानी कर रही है।
विहिप ने मजिस्ट्रेट जांच की मांग करते हुए बुलाया बंद
विश्व हिंदू परिषद ने दो पक्षों में हुए विवाद के बाद पुलिस कार्रवाई पर नाराजगी जताई। इसे लेकर कवर्धा बंद का आह्वान किया गया। उनका आरोप है कि हत्या के इरादे से झंडा फहराने को लेकर हमला किया गया था। पुलिस ने इस पर पीड़ित पक्ष को ही पीटा और इलाज में देरी की। साथ ही दुर्गेश देवांगन की पिटाई मामले में मजिस्ट्रियल जांच की मांग की है। इस दौरान उन्होंने हाईवे जाम कर दिया। करीब 3 घंटे तक हाईवे जाम रहने के बाद उसे खोल दिया गया है।
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