देश - दुनिया
ग्वालियर में 15 लाख लाेगाें काे लगा वैक्सीन का पहला डाेज, वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी, परेशानी बढ़ाई
जिले में साढ़े 11 लाख लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, जबकि सवा 15 लाख लोग पहला टीका लगवा चुके हैं। जो लोग वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके हैं, उन्हें कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रान का भय कम रहेगा। शुक्रवार को 310 केंद्रों पर सात हजार से अधिक लोगों को टीकाकरण का लाभ मिला। जिसमें पहला टीका 1485 लोगों ने और दूसरा टीका 5996 लोगों ने लगवाया। टीकाकरण में तेजी लाने के लिए शनिवार को 411 केंद्रों पर 1.10 लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है, हालांकि आज भी टीका लगवाने पहुंचने वालाें की संख्या कम ही रही है।
इस सप्ताह भोपाल से दूसरा टीका लगाने का 2.30 लाख का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन टीकाकरण की धीमी रफ्तार के कारण पिछले पांच दिन में महज 69071 टीके लगाए जा सके। जिसमें दूसरा 58293 लोगों को ही लग सका। सप्ताह समाप्त होने में अभी दो दिन बाकी हैं। लक्ष्य पूरा करने के लिए दो दिन में 1.71 लाख टीका लगाना संभव नहीं है।
देश - दुनिया
इथियोपिया में मानवीय संकट गहराया
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक उत्तरी इथियोपिया में टिग्रे अलगाववादियों और उनके खिलाफ सैन्य अभियान ने गंभीर संकट पैदा कर दिया है.संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इथियोपिया में टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के संघर्ष ने देश के उत्तरी हिस्से में नागरिकों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक उत्तरी इथियोपिया में खाद्य की कमी से इस क्षेत्र में भोजन की गंभीर कमी होने की संभावना है.यह भी उल्लेख किया गया कि उत्तरी इथियोपिया में 94 लाख लोगों को खाद्य सहायता की सख्त जरूरत है. वहीं, तीसरे संघर्ष की तीव्रता में कोई कमी नहीं आई है.
टिग्रे में मानव त्रासदी की गंभीरता : इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र में मानवीय संकट हर गुजरते दिन के साथ गहराता जा रहा है. क्षेत्र के 25 लाख लोगों को सहायता की जरूरत है. उनके अलावा अफार में 5,34,000 और अमहारा में 33 लाख लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं. अफार और अमहारा क्षेत्र टिग्रे के पास स्थित हैं और सशस्त्र संघर्ष ने उनके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
उत्तरी इथियोपियाई शहर कोम्बोल्चा में बंदूकधारियों द्वारा भोजन और आवश्यक वस्तुओं के एक बड़े गोदाम को लूटने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पिछले दिनों राहत भोजन के वितरण को निलंबित कर दिया था.संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक के अनुसार कुछ स्थानीय लोग तीन अन्य अलगाववादियों के साथ कोम्बोल्चा के गोदाम को लूटने में शामिल थे. डुजारिक के मुताबिक, “लुटेरों ने गोदाम से बच्चों के खाने-पीने का सामान और दवाइयां भी चुरा लीं।
20 अक्टूबर को सरकारी बलों द्वारा किए गए हवाई हमले के बाद टिग्रे की राजधानी मेकेले के निवासी मलबे से बाहर निकलते हुए. सेना ने कहा कि वह टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट द्वारा संचालित एक हथियार निर्माण सुविधा को लक्षित कर रही थी, जिसे विद्रोही टिग्रे बलों ने इनकार किया है।
घाना की राजधानी अक्रा में विदेश नीति और सुरक्षा विश्लेषक आदिब सानी का कहना है कि मानवीय संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयास अराजकता की स्थिति में सफल नहीं हो रहे हैं क्योंकि युद्धरत पक्ष सबसे बड़ी बाधा हैं. सानी के मुताबिक, “उनके सशस्त्र कार्यों के कारण मानवीय संकट गहरा रहा है और वे स्थिति के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराते हैं.”विश्लेषक आदिब सानी ने स्पष्ट किया कि सशस्त्र स्थिति कम नहीं हुई है और आम आदमी के लिए स्थिति कठिन होती जा रही है. उनके अनुसार स्थिति राहत कार्यों को जारी रखने के लिए अनुकूल नहीं थी और राहत सामग्री गंभीर रूप से प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंच रही थी।
उत्तरी इथियोपिया में पिछले एक साल से सरकारी बलों और टिग्रे अलगाववादियों के बीच झड़पें होती रही हैं. हिंसा में अब तक हजारों मर चुके हैं. दो लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों ने पार्टियों पर गंभीर मानवाधिकारों के हनन का भी आरोप लगाया है.अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस संकट के समाधान के लिए काम कर रहा है. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता का कहना है कि इथियोपिया में मानवीय संकट “विनाशकारी” बन गया है और यह अमेरिका के लिए प्राथमिकता है. अमेरिका ने भी युद्धरत पक्षों से बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को हल करने का आग्रह किया है।
देश - दुनिया
ओमिक्रॉन से ब्रिटेन में हो सकती हैं 75,000 मौतें, स्टडी में भयावह तबाही की जताई गई आशंका
कोरोना के नए और अब तक के सबसे खतरनाक माने जा रहे ओमिक्रॉन वेरिएंट ने पूरी दुनिया को तबाही के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है. इस ओमिक्रॉन को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें सामने आए नतीजे किसी के भी रोंगटे खड़े करने के लिए काफी हैं. यह स्टडी में केवल एक देश में ओमिक्रॉन के कारण 75 हजार मौतें होने की आशंका जताई गई है. साथ ही हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों के आंकड़े भी दहलाने वाले हैं।
यूके को लेकर की गई है स्टडी वैसे तो पूरी दुनिया में ही ओमिक्रॉन के मामले बढ़ते जा रहे हैं लेकिन ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के मामले बेतहाशा बढ़ रहे हैं. इस स्थिति ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को दहशत में ला दिया है कि कहीं कोविड का ये नया वेरिएंट फिर से दुनिया में लाशों के ढेर न लगा दे. इसी के चलते UK के वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन को लेकर एक स्टडी की है और इसमें सामने आया है कि अप्रैल 2022 तक ओमिक्रॉन के कारण देश में 25,000 से लेकर 75,000 तक मौतें हो सकती हैं. डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन और दक्षिण अफ्रीका के स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी के ये आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं।
जापानी अरबपति ने अंतरिक्ष से शेयर किया धरती का टाइम लैप्स वीडियो, अद्भुत है नजारा 5 लाख से ज्यादा लोग होंगे हॉस्पिटलाइज्ड इस स्टडी में प्रतिबंध हटाने के खिलाफ चेतावनी दी गई है और कहा गया है कि ऐसी सूरत में जनवरी में आई कोरोना की दूसरी लहर जैसे हालात बन सकते हैं. जब कोरोना ने रोजाना तकरीबन 1 हजार लोगों को मौत की नींद सुलाया था. इसके अलावा स्टडी में ओमिक्रॉन संक्रमण के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले लोगों का आंकड़ा भी 492,000 बताया है।
साथ ही आशंका जताई गई है कि यदि लोगों में ओमिक्रॉन से बचने की इम्यूनिटी कम हो गई तो आंकड़े इससे भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं. नाकाफी हैं मास्क और वैक्सीन इस रिसर्च में शामिल एलएसएचटीएम के सेंटर फॉर द मैथमैटिकल मॉडलिंग ऑफ इंफेक्शियस डिजीज के डॉ. रोसन्ना बरनार्ड कहते हैं, ‘ओमाइक्रोन की विशेषताओं के बारे में बहुत अनिश्चितता है।
यह बात साफ नहीं है कि क्या इंग्लैंड में ओमिक्रॉन उसी तरह व्यवहार करेगा जैसा इसने दक्षिण अफ्रीका में किया है. लेकिन एक बात तय है कि हमें और अधिक सख्त प्रतिबंध लगाने होंगे क्योंकि मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और बूस्टर डोज इसे काबू करने के लिए नाकाफी होंगे. बता दें कि भारत में भी ओमिक्रॉन फैल रहा है और अब तक इसके करीब 40 मामले सामने आ चुके हैं।
देश - दुनिया
भैंस से था इतना लगाव, निधन पर की 17वीं, गांव में दिया भंडारा
17 दिन पहले उसकी इस भैंस की मौत हो गई. भैंस का नाम भिंडी रखा हुआ था. करीब 22-23 वर्ष से इस भैंस को पाले हुए हैं. भैंस का जब अंतिम समय आया तो जयभगवान व उनकी पत्नी पिंकी को बहुत दुख हुआ, दोनों ने भैंस की खूब सेवा की. भैंस का निधन हुआ तो अपने घर में भैंस को दबाकर अंतिम विदाई दी गई।
कहते हैं, कई बार पशु व पक्षियों से इतना अधिक लगाव हो जाता है, जिनता इंसान से. इतिहास में ऐसे खूब उदहारण मिलते हैं. ऐसा ही एक मामला सोनीपत के सोहटी गांव में सामने आया है. भैंस की जब उम्र पूरी होने लगी तो खुशी में उसके जीते ही ग्रामीणों को दावत देना चाहता था। लेकिन भैंस का निधन हो गया. जिसके बाद पशुपालक जयभगवान ने सोहटी गांव में वाटिका बुक की।
सोहटी के साथ साथ आसपास के विभिन्न गांवों को भी दावत दी. वाटिका में बच्चे, महिलाऐं, जवान एवं बुजुर्ग सभी को बुलाया गया. पंचायती तौर पर सभी को निमंत्रण दिया गया.सोनीपत जिला से सोहटी गांव में जयभगवान उर्फ लीलू का अपनी भैंस के साथ इतना अधिक लगाव हो गया कि वह भैंस को परिवार का सदस्य ही मानने लगा. लेकिन हर पशु के जीवन की समय सीमा होती है. करीब 17 दिन पहले उसकी इस भैंस की मौत हो गई. भैंस का नाम भिंडी रखा हुआ था. बताया जाता है कि इस भैंस के भिंडी की तरह आकर्षक एवं सुंदर सींग थे.
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