न्यू दिल्ली
दिवाली 2021: दिल्ली में आतिशबाजी से 163 लोग जले, पिछले साल का रिकॉर्ड भी टूटा
प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में आतिशबाजी इस कदर हुई कि दिल्ली में जलने वालों की संख्या 163 तक जा पहुंची। पिछले साल की तुलना में यह संख्या करीब दोगुना से भी अधिक है क्योंकि साल 2020 में दिवाली पर 68 मामले सामने आए। जानकारी के अनुसार अकेले सफदरजंग अस्पताल में ही जलने के 55 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं पटाखे की वजह से 33 लोगों की आंखों में चोट भी आई है।
सफदरजंग अस्पताल के बर्न विभागाध्यक्ष डॉ. शलभ कुमार ने बताया कि दिवाली को लेकर पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया था। दिवाली से ठीक एक दिन पहले 12 बर्न के शिकार मरीज पहुंचे थे।
इनमें से आठ दिल्ली और चार बाहरी राज्य के मरीज थे। वहीं बीते बृहस्पतिवार दिवाली के दिन 43 मरीज बर्न के इलाज के लिए पहुंचे। इनमें 41 मरीज दिल्ली से थे और 2 मरीज दिल्ली से बाहर के थे। दोनों दिन मिलाकर कुल 55 मरीज दिवाली के बर्न की वजह से इलाज के लिए पहुंचे थे। पिछले साल अस्पताल में सिर्फ 28 मरीज ही इलाज के लिए पहुंचे थे। वहीं एम्स एम्स के आरपी सेंटर में 33 मरीज पहुंचे। सेंटर के प्रमुख डॉक्टर जे एस तितियाल ने बताया कि पिछले दो दिनों में 33 मरीज इलाज के लिए पहुंचे।
इसमें से 18 मरीज को आंखों में गंभीर चोटें देखने को मिली हैं जिन्हें इलाज के लिए भर्ती करना पड़ा। इनकी उम्र 7 साल से लेकर 36 साल के बीच थी। इनके अलावा नई दिल्ली स्थित आरएमल में 23 घायल इलाज के लिए पहुंचे। इसके अलावा डीडीयू अस्पताल में 25 मरीज पटाखे से झुलसने की वजह से इलाज के लिए पहुंचे थे। इसी प्रकार जीटीबी में 18, एलएनजेपी में एक, गुरुनानक आई सेंटर में एक, संजय गांधी अस्पताल में 2, राजा हरिशचंद में 3 मरीज पहुंचे थे।
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कोरोना मरीज के लिए घातक हो सकती है दिल्ली की हवा, मरीजों में 20 फीसदी परेशानी बढ़ी
दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार तीन दिन तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद, सोमवार सुबह थोड़े सुधार के बाद ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई), दिल्ली में सुबह नौ बजकर पांच मिनट पर 385 था. नोएडा, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा में यह क्रमश: 406, 363, 296 दर्ज किया गया. एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
दिवाली और पराली जलाने के मामलों के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा खासी प्रभावित हुई है. लगातार गिर रही हवा की गुणवत्ता का असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है. राजधानी के डॉक्टर्स ने पाया है कि सांस संबंधी परेशानियों के मरीजों में 20 फीसदी का उछाल आया है. इसके अलावा जानकारों का यह भी कहना है कि AQI का मौजूदा स्तर उन मरीजों पर भी गंभीर असर डाल सकता है, जो हाल ही में कोविड-19 (Covid-19) से उबरे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बीएलके-मैक्स अस्पताल में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर संदीप नायर ने बताया, ‘फेंफड़े से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रहे मरीजों में 20 फीसदी बढ़त हुई है. ये मरीज बदलते मौसम के कारण बीते 15-20 दिनों में गंभीर लक्षणों का सामना कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है और अब यह पराली जलाने से हो, गाड़ी के धुएं से हो या पटाखे जलाने से हो, हमने बीते कुछ दिनों में मरीजों की संख्या में अतिरिक्त 10 फीसदी का इजाफा देखा है.
रविवार को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि प्रदूषण कोविड-19 संक्रमण के गंभीर मामलों का कारण बन सकता है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण सांस संबंधी स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. खासतौर से उन्हें, जिन्हें फेफड़ों की परेशानी है या अस्थमा की समस्या है.
उन्होंने चिंता जताई कि हवा प्रदूषण और कोरोना वायरस मरीज की स्थिति को खराब कर सकते हैं. साथ ही इससे मौत भी हो सकती है.भाषा के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार तीन दिन तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद, सोमवार सुबह थोड़े सुधार के बाद ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई), दिल्ली में सुबह नौ बजकर पांच मिनट पर 385 था. नोएडा, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा में यह क्रमश: 406, 363, 296 दर्ज किया गया. एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
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सांस पर संकट: पटाखों ने बिगाड़ दी है दिल्ली की सेहत,आज भी हवा है जहरीली, जानें अभी कितना है प्रदूषण लेवल
दिवाली की रात जमकर हुई आतिशबाजी ने राजधानी की हवा की सेहत को बिगाड़कर रख दिया है। तीन दिन बाद भी दिल्ली की हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) द्वारा रविवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, आज भी राजधानी की हवा लगातार गंभीर श्रेणी’ में बनी हुई है। वहीं वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 436 दर्ज किया गया है।
राजधानी में प्रदूषित आबोहवा आंखों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है। अस्पतालों की ओपीडी में आंखों से संबंधित परेशानी वाले मरीजों की संख्या में 25-30 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। मरीज आंखों में जलन, खुजली, आंख से पानी आने, सूखापन, आंखों के लाल होने, चुभन जैसे परेशानियों को लेकर पहुंच रहे हैं। इसमें हाल फिलहाल में आंखों की सर्जरी कराने वाले मरीज भी शामिल हैं।
प्रदूषण बढ़ने पर और दिक्कत बढ़ेगी
ओखला स्थित फोर्टिस एस्कोर्ट अस्पताल के ईएनटी विभाग प्रमुख डॉ. संजय गुडवानी ने कहा कि बीते दिनों में 10 फीसदी मरीजों में प्रदूषण के चलते एलर्जी संबंधी परेशानी देखने को मिली है। जिस प्रकार से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ेगा तो यह दिक्कत लोगों में ज्यादा बढ़ेगी। प्रदूषण के कारण आंखों में खुजली और लालपन हो जाता है। लोग बाहर निकलते वक्त सावधानियां बरतें
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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण: राजधानी की जानलेवा हवा में हल्का सुधार, फिर भी गंभीर श्रेणी में है एक्यूआई
शनिवार सुबह आठ बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 468 दर्ज किया गया। सुबह छह बजे तो यह 533 पहुंच गया था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही इसमें गिरावट दर्ज की गई।
राजधानी दिल्ली की दमघोंटू हवा लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। शुक्रवार को गंभीर श्रेणी में पहुंचा एक्यूआई शनिवार सुबह कुछ कम तो हुआ, लेकिन अब भी गंभीर श्रेणी में ही बना हुआ है। आज सुबह आठ बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 468 दर्ज किया गया। 410 से 500 तक एक्यूआई को सीवीयर यानी गंभीर माना जाता है। शनिवार सुबह छह बजे तो यह 533 पहुंच गया था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही इसमें गिरावट दर्ज की गई। वहीं, गाजियाबाद की हवा भी जानलेवा बनी हुई है। यहां सुबह आठ बजे एक्यूआई 468 दर्ज किया गया।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक हवा की गति में तेजी आने के कारण अगले दो दिनों में प्रदूषण कम होने का अनुमान है। आसपास के क्षेत्रों में पराली जलने और प्रतिबंध के बावजूद दिवाली के मौके पर जमकर पटाखे फोड़ने के कारण इस बार दिल्ली की हवा पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा प्रदूषित रही।
विशेषज्ञों की मानें तो इस बार दिल्ली की हवा प्रदूषित होने के कई कारण हैं। मौसम की प्रतिकूल परिस्थिति के साथ ही तापमान में गिरावट, हवा की धीमी गति, पटाखे, पराली और अन्य छोटे-बड़े कारणों का नतीजा रहा कि वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई।
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