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सफलता क्लास के फाउंडेशन कोर्स की विशेषताएं
- यह कोर्स आपकी तैयारी के कॉन्सेप्ट को और सुदृढ़ व मजबूत करता है।
- आपकी एसएससी 2019 की तैयारी का स्तर पता लगाता है।
- अन्य कई सरकारी नौकरियों की तैयारी के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
- ये एसएससी सीजीएल, सीपीओ, एसआई, सीएचएसएल, एमटीएस, स्टेनोग्राफर, कॉन्सटेबल, रेलवे, स्टेट पुलिस, स्टेट एग्जाम आदि में मदद करता है।
- इस कोर्स की ट्यूशन फीस शून्य है।
फाउंडेशन कोर्स करने से एसएससी व अन्य सरकारी नौकरी की तैयारी के अपने स्तर के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल होती है, जिसके बाद आप अपने बच्चों के तैयारी की रणनीति में परिवर्तन कर सकते हैं। तो बिना किसी देरी के आज ही अपने नजदीकी सफलता क्लास सेंटर पर पहुंचकर सफलता क्लास के खास फाउंडेशन कोर्स में अपने बच्चों का रजिस्ट्रेशन कराएं और उनके लिए सरकारी नौकरी सुनिश्चित करें।
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Lifestyle
EYE CARE TIPS: आंखो में धुंधलेपन और जलन से है परेशान, करे ये छोटा से उपाये…
रोजमर्रा के जीवन में कई सारी एक्सेसरीज हमारे काम आती हैं। अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से हम इनका उपयोग करते हैं। चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस भी ऐसी ही एक एक्सेसरी हैं। इन दोनों का उपयोग आंखों की देखने की क्षमता को मजबूती देने या सुधारने के लिए किया जाता है। हालांकि आजकल बहुत खूबसूरत और स्टाइलिश चश्मे भी ट्रेंड में हैं, वही अक्सर लुक्स को थोड़ा और स्पेशल टच देने, ग्लैमरस रखने और सुविधा के लिहाज से कॉन्टैक्ट लेंसेस का उपयोग भी काफी किया जाता है।
चाहे चश्मे हों या कॉन्टैक्ट लेंस, उपयोग करने के साथ ही इनके रखरखाव पर भी ध्यान देना जरूरी है। अच्छी से अच्छी क्वालिटी के उत्पाद भी ध्यान न रखने से खराब तो होते ही हैं, इसका असर आपकी आंखों की सेहत पर भी पड़ सकता है। बहरहाल, कॉन्टैक्ट लेंसेस और चश्मे, दोनों के ही अपने फायदे भी हैं और नुकसान भी। इसलिए किसी की देखादेखी में कोई भी उत्पाद चुनने की जगह, चुनें वही जो आपकी सुविधा के लिहाज से बेस्ट हो। आइए जानते हैं आपके लिए कौन सा बेहतर होगा?
कॉन्टैक्ट लेंसेस
पतली सी प्लास्टिक या कांच की एक डिस्क जो आपकी आंखों में सीधे लगाई जाती है। चश्मे आंखों से थोड़ी दूरी पर रहते हैं लेकिन कॉन्टैक्ट लेंस आंखों के भीतर लगाए जाते हैं। ये फैशन ट्रेंड को फॉलो करने के लिए भी प्रयोग में लाए जाते हैं और आंखों के नम्बर को सपोर्ट करने के लिए भी। मुख्यतः दो प्रकारों के लेंसेस उपयोग में लाये जाते हैं- सॉफ्ट और हार्ड। ज्यादातर प्लास्टिक से बने सॉफ्ट लेंसेस ही उपयोग में लाए लाते हैं।
हार्ड लेंसेस, सॉफ्ट लेंसेस की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं लेकिन ये आरामदायक कम होते हैं। एलर्जी की स्थिति में भी हार्ड लेंसेस अधिक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
इन बातों को रखें ध्यान में-
लेंसेस चाहे हार्ड हों या सॉफ्ट, अगर आंखों के नम्बर के हिसाब से आप इसे ले रहे हैं तो कोशिश करें कि पूरी जांच के बाद खरीदें।
कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों के लिए इंफेक्शन एक आम समस्या होती है। आंकड़े बताते हैं कि अमूमन हर 500 में से एक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले व्यक्ति को आंखों के गम्भीर संक्रमण की आशंका हो सकती है। इसलिए इन्हें उपयोग करते समय साफ-सफाई और हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। लगातार लेंसेस का प्रयोग ड्राय आइज या अधिक संवेदनशील आंखों की स्थिति बना सकता है। अपने डॉक्टर से इस संदर्भ में पूरी जानकारी लें और उनके बताए तरीकों का पालन करें।
चश्मे के बारे में जानिए
चश्मों के साथ सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनकी फ्रेम और कांच दोनों ही आंखों से कुछ दूरी पर होते हैं। इसलिए आंखों को सीधे नुकसान पहुंचने का खतरा कम हो जाता है। इतना ही नहीं फ्रेम से लेकर ग्लासेस के शेप और स्टाइल तक चुनने के लिए आपके पास ढेरों विकल्प होते हैं। अच्छी देखभाल करने पर चश्मे बहुत लंबे समय तक चलते भी हैं। ये लेंसेस की तुलना में सस्ते भी होते हैं। संक्रमण की आशंका इनमें कम से कम होती है।
इन बातों का रखें ध्यान
यदि आप लम्बे समय तक कम्प्यूटर पर काम करते हैं, धूप में रहते हैं या लंबी दूरी तक गाड़ी चलाते हैं, तो चश्मों में आपको इसके हिसाब से ग्लासेस आसानी से मिल सकते हैं। इनमें हानिकारक यूवी किरणों से लेकर कम्प्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली किरणों तक से बचाव हो सकता है। ये आंखों पर सीधे स्ट्रेन पड़ने और संक्रमण होने से भी रक्षा कर सकते हैं।
कई बार चश्मों की वजह से पेरिफेरल विज़न मतलब साइड में देखने की क्षमता बाधित भी हो सकती है।
आउटडोर या स्पोर्ट एक्टिविटी के लिहाज से अधिकांशतः चश्मे मुश्किल खड़ी करने वाले हो सकते हैं। कॉन्टैक्ट लेंस लगवाने के बाद डॉक्टर से साल में कम से कम 2 बार चैकअप जरूर करवाएं।चश्मे के लिए साल में एक बार चैकअप से भी काम चल जाएगा।
देखभाल की नियमित जरूरत चश्मे में भी होती है। इसपर पड़ने वाले स्क्रैच आदि आंखों की रौशनी पर बुरा असर डाल सकते हैं।
देश - दुनिया
AIIMS में दी चेतवानी: MOMOS खाने से हुई मौत, जाने क्यों? पढ़े पूरी खबर….
आज के समय में मोमोज किसको पसंद नहीं है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ये पसंदीदा स्ट्रीट फूड बन गया है। लोग इसे बड़े ही चाव के साथ खाते है। मोमोज की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। यह जानलेवा साबित हो रहा है। इसकी पुष्टि देश के सर्वाेच्च चिकित्सा संस्थान ने की है। नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों ने दम घुटने से एक व्यक्ति की मौत के मामले में इसे वजह बताया है।
एम्स की रिपोर्ट के अनुसार करीब 50 साल के एक व्यक्ति को मृत अवस्था में दक्षिण दिल्ली से एम्स लाया गया था। पुलिस जांच में पता चला कि वह एक दुकान में खाना खा रहा था, तभी अचानक जमीन पर गिर गया और उसकी मौत हो गई।
शख्स की मौत के कारणों का पता करने पर पाया गया है कि यह मौत मोमोज (Momos) के कारण दम घुटने से हुई है। एम्स (AIIMS) के फोरेंसिक विशेषज्ञों ने कहा कि मोमोजकी सतह फिसलन भरी और मुलायम होती है और इसी वजह से ठीक से चबाए बिना निगलने पर दम घुटने से मौत हुई है।
यह मामला सामने आने के बाद एम्स ने ‘सावधानी के साथ मोमोज को निगलने’ की चेतावनी जारी की। विशेषज्ञों नें कहा है कि मोमोज की फिसलन के कारण उत्पन्न होने वालघुे टन से इस शख्स की मौत हुई है इसलिए मोमोज खाते समय लोगों को इसे अच्छे से चबाकर खाना चाहिए।
क्राइम न्यूज़
दर्दनाक घटना : पानी समझ गलती से पिला दिया डीजल,मासूम की मौत…
नोएडा से एक दर्दनाक घटना सामने आई है. जहां पर एक चार साल की मासूम बच्ची ने अपने 8 माह के छोटे भाई को पानी समझकर डीजल पिला दिया. जिससे मासूम की मौत हो गई. यह घटना नोएडा के सेक्टर 63 क्षेत्र के छिजारसी गांव की है।
पीड़िता परिवार मूल रूप से हरदोई का रहने वाला है. लेकिन छिजारसी गांव लंबे समय से रह रहा है. यह घटना बीते सोमवार की बताई जा रही है. परिवार के सभी लोग घर पर ही मौजूद थे. अचानक 8 माह का मासूम रोने लगा. भाई को रोता देख बहन पास में पड़ी बोलत उठाई और पानी पिलाने लगी. बच्ची को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसे पानी नहीं डीजल है।
डीजल पीते ही मासूम जोर-जोर से रोने लगा.सभी घरवाले मासूम के पास पहुंचे उन्होंने पता चला कि बच्ची ने पानी की जगह मासूम को डीजल पिला दिया. तुरंत ही मासूम को लेकर परिजन अस्पताल लेकर गए लेकिन इलाज के तीन दिन बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया।
वहीं कोतवाली सेक्टर 63 ने जानकारी देते हुए बताया की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची. पूछताछ में पता चला है कि 4 साल की बहन ने बोतल में रखे डीजल को पानी समझकर अपने भाई को पिला दिया. फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और आगे की कार्रवाई जारी है।
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