प्रदेश
रिटायर्ड आईजी के फार्म हाउस ले जा रही एक बस अनियंत्रित होकर पलटी ,40 मजदूर घायल
सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के तिलवारा मानेगांव स्थित फार्म हाउस में मजदूरों को लेकर जा रही यात्री बस अनियंत्रित होकर पलट गई। मंगलवार सुबह करीब 10 बजे हुई इस घटना में 40 मजदूर घायल हो गए हैं। बस पलटते ही घटनास्थल पर मजदूर बचाव के लिए चीख-पुकार करने लगे। आसपास के ग्रामीणों और राह चलते लोगों ने घायलों को बस से बाहर निकालने में मदद की और पुलिस तथा 108 एंबुलेंस को सूचना दी।
मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों को पुलिस वाहन और एंबुलेंस की सहायता से चरगवां के सरकारी अस्पताल पहुंचाया। हाथ पैर में फ्रैक्चर होने के कारण कुछ मजदूरों को उपचार के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर किया गया है। बस में सवार ज्यादातर मजदूर सुनवारा गांव के थे।
तेज गति के कारण हुआ हादसा:
पुलिस ने बताया कि बस MP 20 DA 0210 में 40 मजदूरों को लेकर चालक मानेगांव क्षेत्र स्थित एक फार्म हाउस के लिए मंगलवार सुबह चरगवां से रवाना हुआ था। तेज रफ्तार बस गंगई गांव में मोड़ पर पहुंची जहां चालक नियंत्रण खो बैठा। चालक के ब्रेक लगाते ही बस सड़क के किनारे पलट गई। जिसके बाद यात्री चीखने चिल्लाने लगे। बस को मुरारी यादव चला रहा था तथा बस का मालिक राजेश वर्मा बताया जा रहा है। चरगवां पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।
विधायक संजय यादव ने मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचकर कर घायलों का हालचाल जाना
बस हादसे की सूचना मिलते ही विधायक संजय यादव ने मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचकर कर घायलों का हालचाल जाना। इस दौरान उन्होंने शासन-प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाया है।
दुर्घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम अनुराग सिंह व अधिकारी मौके पर पहुंच गए
शहपुरा तहसील के अंतर्गत चरगवां रोड पर ग्राम गंगई में सुबह हुई बस दुर्घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम अनुराग सिंह व अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने घायलों को मेडिकल कालेज अस्पताल भेजा। नायब तहसीलदार कर्त्तव्य अग्रवाल के अनुसार दुर्घटना का शिकार हुई बस सुनवारा से जबलपुर आ रही थी। इसमें लगभग 40 यात्री सवार थे। एसडीएम सिंह ने बताया कि दस घायल मजदूरों को इलाज के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बस पलटने से उसमें सवार 40 मजदूरों को चोटे आई हैं। बस में 40 मजदूर सवार थे। घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया है जहां उनका उपचार किया जा रहा है। मामले की जांच की जा रही है।
प्रदेश
चित्तूर : बस की घाटी में गिरने से मौके पर 7 लोगों की मौत,करीब घायल
आंध्र प्रदेश के चित्तूर में एक बस के घाटी में गिरने से 7 लोगों की मौत हो गई और 54 घायल हो गए। ये हादसा शनिवार देर रात हुआ। तिरुपति से करीब 30 किलोमीटर दूर बकरपेटा के पास चालक के वाहन से नियंत्रण खोने के बाद एक निजी बस घाटी में गिर गई। बस पर अनंतपुर जिले के धर्मावरम के राजेंद्र नगर से दूल्हे के परिवार के 63 सदस्य सवार थे।
ये लोग तिरुचनूर में सगाई में शामिल होने के लिए जा रहे थे।पुलिस के अनुसार, जब बस बकरपेटा घाट पर पहुंची तो चालक ने लापरवाही के कारण वाहन से नियंत्रण खो दिया और इस कारण बस 60 फीट गहरी घाटी में गिर गई। बस के गिरने पर सड़क पर कोई चश्मदीद नहीं था। बाद में कुछ वाहन चालकों ने घायलों की चीख पुकार सुनी और पुलिस को सूचना दी।
अंधेरे के कारण बचाव कार्य में लगे बचावकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। तिरुपति के शहरी पुलिस अधीक्षक वेंकटप्पला नायडू, कलेक्टर एम. हरिनारायण और अन्य लोग मौके पर पहुंचे और बचाव अभियान की निगरानी की।
सभी 54 घायलों को तिरुपति के रुइया अस्पताल ले जाया गया, जहां 4 की हालत गंभीर है। मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने घटना पर दुख जताया है। उन्होंने मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को दुर्घटना और बचाव कार्य की जानकारी दी। चंद्रगिरी के विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी ने बचाव कार्य में भाग लिया। जगन मोहन रेड्डी ने अधिकारियों को घायलों को सर्वोत्तम संभव इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
छत्तीसगढ़
Weathar update: यहां आज फिर हो सकती है बरसात, इन प्रदेशो में हल्की बारिश की संभावना…
छत्तीसगढ़ में मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हवा की दिशा बदली है। पूर्व की ओर से आ रही हवाएं बंगाल की खाड़ी से अच्छी-खासी नमी ला रही हैं। इसकी वजह से बुधवार को प्रदेश में एक-दो स्थानों पर हल्की बरसात की संभावना बन रही है। वर्षा का क्षेत्र सरगुजा और बिलासपुर संभाग होगा।मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी से नमी युक्त, गर्म हवा आने के कारण बुधवार को न्यूनतम तापमान में वृद्धि संभावित है। नमी युक्त हवा आने के कारण से आंशिक रूप से बादल छाने की भी संभावना है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर बहुत हल्की से हल्की वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पढ़े की सम्भावना बन रही है। प्रदेश में वर्षा का क्षेत्र मुख्यतः उत्तर छत्तीसगढ़ ही रहने की संभावना है।मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को रायपुर में पूरवी हवा 1.3 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से बह रही थी। जबकि दुर्ग में हवा की दिशा उत्तर-पूर्वी थी। वहीं रफ्तार 3.6 किमी प्रति घंटा दर्ज हुई। अंबिकापुर, बिलासपुर, पेण्ड्रा रोड, जगदलपुर और राजनांदगांव जैसे केंद्रों में हवा शांत है। हवा में नमी की मात्रा 62 से 78% तक मापी गई है। एक सप्ताह पहले भी इन क्षेत्रों में बरसात हुई थी। उसके बाद शीतलहर की स्थिति वापस लौटी। हालांकि मौसम में इस बदलाव के बाद तापमान में अधिक गिरावट की संभावना कम बताई जा रही है। मौसम का यह बदलाव एक-दो दिन ही असर दिखाएगा। उसके बाद स्थिति सामान्य होती जाएगी।
एक-दो डिग्री तक गर्म हुआ न्यूनतम तापमान
हवा की दिशा बदलने के साथ मौसम गर्म हो गया है। एक दिन के भीतर न्यूनतम तापमान में एक से दो डिग्री की बढ़त देखी जा रही है। मंगलवार-बुधवार की रात का न्यूनतम तापमान 10.7 डिग्री सेल्सियस रहा जाे बलरामपुर में दर्ज हुआ। एक दिन पहले यह 8 डिग्री के आसपास था। रायपुर में न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस मापा गया जो सबसे अधिक था। बिलासपुर, पेण्ड्रा रोड, अंबिकापुर, जगदलपुर और दुर्ग में न्यूनतम तापमान अभी भी सामान्य से कम है।
रायपुर के अलग-अलग क्षेत्रों में सर्द-गर्म रही रात
रायपुर में दिन का तापमान तेजी से बढ़ा है। मंगलवार को अलग-अलग क्षेत्रों अधिकतम तापमान 29.2 से 29.8 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। लेकिन रात के तापमान में मामूली बढ़त देखी गई। रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र पर न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस मापा गया। एक दिन पहले यह 15.8 डिग्री था। माना हवाई अड्डे के पास न्यूनतम तापमान 15.9 डिग्री रहा। एक दिन पहले यहां तापमान 14.6 डिग्री मापा गया था। कृषि विश्वविद्यालय के पास लाभांडी में न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि एक दिन पहले यहीं पर 12.5 डिग्री तापमान दर्ज हुआ था।
छत्तीसगढ़
यहां वैज्ञानिको ने किया चौकाने वाला खुलासा, जाने क्या है यहां वजह…
क्या चांद को उसकी जगह से हटाया जा सकता है? अगर चांद अपने स्थान से हटकर धरती के पास आ जाए या उससे दूर चला जाए, तो इसका क्या असर होगा? आइए जानते हैं। चांद पथरीला है और इसके चारों तरफ बेहद पतली गैसों (एक्सोस्फेयर) की परते हैं। चांद का निर्माण धरती के साथ ही हुआ था। इस परिभाषा को पूरी दुनिया मानती है। नासा ने बताया है कि जब धरती बन रही थी, तो उससे एक थीया नामक प्रोटोप्लैनेट की टक्कर हुई थी जिसके बाद चांद अलग हो गया और धरती के पास ही अपना बसेरा बना लिया।
एक दूसरी थ्योरी के मुताबिक, दो अन्य अंतरिक्षीय वस्तुओं की टक्कर से धरती और चांद का निर्माण हुआ है। आपस में टकराने वालीं दोनों वस्तुएं मंगल ग्रह से आकार में पांच गुना ज्यादा बड़ी थीं। इस बात को भी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मानती है। धरती से लगभग 3.85 लाख किमी की दूरी पर चांद स्थित है। धरती के आकार का एक चौथाई चांद है। चांद की सतह पर चारों तरफ गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। चांद पर इनका निर्माण एस्टेरॉयड्स और उल्कपिंड़ों की टक्कर के बाद हुआ है। इनमें से अधिकतर गड्ढों का निर्माण करोड़ों साल पहले हुआ था। हालांकि पृथ्वी और चांद पर एस्टेरॉयड्स और उल्कापिंडों में टकराव कम होता है।
कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑबजेक्ट स्टडीज धरती के आसपास घूमने और गुजरने वाले एस्टेरॉयड्स और धूमकेतुओं पर नजर रखता है। इस संस्था के द्वारा तय किया जाता है कि पृथ्वी के लिए कौन सा एस्टेरॉयड या धूमकेतु खतरनाक है। इस संस्था ने धरती के 19.45 करोड़ किमी की रेंज में घूमने वाले 28 हजार नीयर अर्थ ऑबजेक्ट्स का पता लगाया है। इस संस्था के मैनेजर पॉल चोडस का कहना है कि नीयर अर्थ ऑब्जेक्टस की टक्कर होगी या नहीं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अुनमान जताया है कि चांद और धरती की टक्कर कभी भी नहीं होगी।
पॉल ने धरती और चांद की टक्कर न होने की वजह भी बताई है। उनका कहना है कि धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति काफी ज्यादा है इसलिए धरती और चांद की टक्कर नहीं हो सकती है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति कई बार धक्का भी दे सकती है। इसमें सिर्फ खिंचाव हीं नही होता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ खींचने की शक्ति होती तो बहुत पहले चांद धरती से टकरा गया होता। उन्होंने कहा कि चांद के आकार का एस्टेरॉयड अगर चांद से टकराता है, तभी वह अपनी जगह से हिलेगा।
उन्होंने बताया है कि चांद को एक जगह से दूसरी जगह खिसकाना और धरती की तरफ लाना बहुत कठिन है। सिर्फ किसी तेज गति से एस्टेरॉयड की टक्कर के बाद ही ऐसा हो सकता है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इतनी खतरनाक टक्कर के बाद चांद टुकड़ों में बंट जाएगा। इसके बाद भी यह नहीं कहा जा सकता है कि चांद की टक्कर धरती से होगी। उसका कुछ हिस्सा धरती की तरफ आ सकता है। कुछ हजारों साल तो ऐसा नहीं होने वाला है।
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