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शिक्षकों को बड़ा झटका: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 46 हजार शिक्षकों की पदोन्नति पर लगाई रोक

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प्रदेश में एक बार फिर शिक्षकों की पदोन्नति का मामला न्यायालयीन विवाद में फंस गया है। मिडिल स्कूल के 16 हजार शिक्षकों की पदोन्नति पर रोक के बाद अब प्राइमरी स्कूल के 30 हजार शिक्षक और प्रधानपाठक की पदोन्नति पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे अब प्राइमरी और मिडिल को मिलाकर प्रदेशभर के 46 हजार शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया पर फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में प्राइमरी स्कूलों में प्रधानपाठक और हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याताओं की कमी से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा संवर्ग 2019 के नियम 15 को लेकर कुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से चुनौती दी थी। इसमें बताया था कि उक्त नियम के तहत पांच साल तक अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षक प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल और शिक्षक के पद पर पदोन्नति के पात्र हैं। उक्त नियम को शिथिल कर अनुभव को तीन साल किया गया था।

नियमों में विसंगति का आधार बनाकर न्यायालय में चुनौती दी गई थी कि नियमों में एलबी कैडर की वरिष्ठता निर्धारण का कोई प्रविधान ही नहीं है। इससे अलग-अलग शिक्षा संभाग में अलग-अलग वरिष्ठता सूची का निर्धारण हो रहा है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने आगामी आदेश तक शिक्षक और प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल की पदोन्नति पर रोक लगा दी है।

मिडिल स्कूल की पदोन्नति पर पहले ही रोक

हाई कोर्ट की ओर से इसके पहले मिडिल स्कूल के शिक्षकों के व्याख्याता और प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति पर रोक लगाई गई थी। इसमें करीब 16 हजार शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया रुक चुकी है। बता दें कि शिक्षक एलबी का जब संविलियन नहीं हुआ था तब वर्ष 2010 में शिक्षाकर्मियों के लिए विभागीय पदोन्नति का प्रविधान किया गया था।
इस नियम के अनुसार शिक्षक एलबी को एक परीक्षा देकर मिडिल स्कूल का प्रधानपाठक बनाना था। इनमें से कुछ की परीक्षा कराकर प्रधानपाठक बनाया गया था और उन्हें ई-कैडर में रखा गया था। सरकार ने शिक्षकों के पदोन्नति के नियमों में एक साल के लिए शिथिलता लगाई थी। इसके अनुसार पदोन्नति के लिए शिक्षकों के अनुभव की सीमा को पांच वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया था। इसी के तहत शिक्षकों के पदोन्नति के लिए प्रक्रिया चल रही थी।
शिक्षक संघों में रोष

कुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने मामले में उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद न्यायालय ने पदोन्नति की प्रक्रिया को रोकते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मामले में शिक्षक संघों में भारी रोष है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग की कमी के कारण ही इस तरह अंतत: पदोन्नति में रोक लग गई है।

नियम न होने से डीईओ ने की मनमर्जी

शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी पदोन्नति के लिए विभाग ने ठीक से कोई भी तैयारी नहीं की। 46 हजार पदोन्नति के लिए संयुक्त संचालक व जिला शिक्षा अधिकारियों को समय पर समुचित निर्देश देने कोई सक्षम एक नोडल अधिकारी तक नियुक्त नहीं किया गया, जिसके कारण संयुक्त व डीईओ ने अलग-अलग नियम की व्याख्या की और मनमर्जी की वरिष्ठता सूची बनाई।

– संजय शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन

शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका अव्यवहारिक

शिक्षा विभाग के व्याख्याता, मिडिल प्रधानपाठक, शिक्षक व प्राइमरी प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति को लेकर शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका बेहद अव्यावहारिक है। इसके कारण हजारों शिक्षकों की पदोन्नति रुक गई है इससे कहीं न कहीं बच्चों का भी नुकसान हो रहा है।

– राकेश शर्मा, प्रांताध्यक्ष, छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ

कोर्ट के निर्णय के बाद होगी प्रक्रिया

शिक्षकों के कुछ पदों के लिए पदोन्नति पर रोक लगाई है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। सरकार शिक्षकों की पदोन्नति करना चाहती है। मामले में निर्णय होते ही पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

डा. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा , छत्तीसगढ़

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शिक्षकों को बड़ा झटका: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शिक्षकों की पदोन्नति पर लगाई रोक

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प्रदेश में एक बार फिर शिक्षकों की पदोन्नति का मामला न्यायालयीन विवाद में फंस गया है। मिडिल स्कूल के 16 हजार शिक्षकों की पदोन्नति पर रोक के बाद अब प्राइमरी स्कूल के 30 हजार शिक्षक और प्रधानपाठक की पदोन्नति पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे अब प्राइमरी और मिडिल को मिलाकर प्रदेशभर के 46 हजार शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया पर फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में प्राइमरी स्कूलों में प्रधानपाठक और हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याताओं की कमी से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा संवर्ग 2019 के नियम 15 को लेकर कुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से चुनौती दी थी। इसमें बताया था कि उक्त नियम के तहत पांच साल तक अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षक प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल और शिक्षक के पद पर पदोन्नति के पात्र हैं। उक्त नियम को शिथिल कर अनुभव को तीन साल किया गया था।

नियमों में विसंगति का आधार बनाकर न्यायालय में चुनौती दी गई थी कि नियमों में एलबी कैडर की वरिष्ठता निर्धारण का कोई प्रविधान ही नहीं है। इससे अलग-अलग शिक्षा संभाग में अलग-अलग वरिष्ठता सूची का निर्धारण हो रहा है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने आगामी आदेश तक शिक्षक और प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल की पदोन्नति पर रोक लगा दी है।

मिडिल स्कूल की पदोन्नति पर पहले ही रोक

हाई कोर्ट की ओर से इसके पहले मिडिल स्कूल के शिक्षकों के व्याख्याता और प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति पर रोक लगाई गई थी। इसमें करीब 16 हजार शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया रुक चुकी है। बता दें कि शिक्षक एलबी का जब संविलियन नहीं हुआ था तब वर्ष 2010 में शिक्षाकर्मियों के लिए विभागीय पदोन्नति का प्रविधान किया गया था।इस नियम के अनुसार शिक्षक एलबी को एक परीक्षा देकर मिडिल स्कूल का प्रधानपाठक बनाना था।

इनमें से कुछ की परीक्षा कराकर प्रधानपाठक बनाया गया था और उन्हें ई-कैडर में रखा गया था। सरकार ने शिक्षकों के पदोन्नति के नियमों में एक साल के लिए शिथिलता लगाई थी। इसके अनुसार पदोन्नति के लिए शिक्षकों के अनुभव की सीमा को पांच वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया था। इसी के तहत शिक्षकों के पदोन्नति के लिए प्रक्रिया चल रही थी।

शिक्षक संघों में रोषकुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने मामले में उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद न्यायालय ने पदोन्नति की प्रक्रिया को रोकते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मामले में शिक्षक संघों में भारी रोष है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग की कमी के कारण ही इस तरह अंतत: पदोन्नति में रोक लग गई है।

नियम न होने से डीईओ ने की मनमर्जी

शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी पदोन्नति के लिए विभाग ने ठीक से कोई भी तैयारी नहीं की। 46 हजार पदोन्नति के लिए संयुक्त संचालक व जिला शिक्षा अधिकारियों को समय पर समुचित निर्देश देने कोई सक्षम एक नोडल अधिकारी तक नियुक्त नहीं किया गया, जिसके कारण संयुक्त व डीईओ ने अलग-अलग नियम की व्याख्या की और मनमर्जी की वरिष्ठता सूची बनाई।

– संजय शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन

शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका अव्यवहारिक

शिक्षा विभाग के व्याख्याता, मिडिल प्रधानपाठक, शिक्षक व प्राइमरी प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति को लेकर शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका बेहद अव्यावहारिक है। इसके कारण हजारों शिक्षकों की पदोन्नति रुक गई है इससे कहीं न कहीं बच्चों का भी नुकसान हो रहा है।

– राकेश शर्मा, प्रांताध्यक्ष, छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ

कोर्ट के निर्णय के बाद होगी प्रक्रिया

शिक्षकों के कुछ पदों के लिए पदोन्नति पर रोक लगाई है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। सरकार शिक्षकों की पदोन्नति करना चाहती है। मामले में निर्णय होते ही पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

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अब घर तक पहुंचाएगी रेलवे होम डिलीवरी सर्विस,जानें कब तक होगी शुरू 

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इंडियन रेलवे जनता को कई सर्विस उपलब्ध कराता है। अब जल्द ही रेलवे एक और सुविधा की शुरुआत करने वाला है। अब आप आसानी से बिहार के चावल, वाराणसी की साड़ी, यहां तक कि बंगाल की मिठाई प्राप्त कर सकते हैं। गैर-पारंपरिक माल यातायात को टैप करने के प्रयास में रेलवे डोर-टू-डोर डिलीवरी सेवा का परीक्षण कर रहा है। कोरियर कंपनियों और ई-कॉमर्स के समान पैटर्न में भारतीय रेलवे व्यक्तिगत और थोक ग्राहकों के लिए डोर-टू-डोर डिलीवरी सेवा प्रदान करने की योजना बना रहा है।

एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने कहा कि मूल योजना एक एप है।ग्राहकों को एक क्यूआर कोड के साथ रसीदें प्रदान करता है। इससे वे अपने ऑर्डर को ट्रैक कर सकेंगे। इसके अलावा एप या वेबसाइट अनुमानित शुल्क और डिलीवरी का समय दिखाएगा। रिपोर्ट में कहा गया, रेलवे एक ट्रांसपोर्टर के रूप में काम करेगा। यह डिलीवरी में सुधार के लिए इंडिया पोस्ट और अन्य प्लेटफॉर्म को मनाने की कोशिश कर रहा है। इस संबंध में कुछ रेलवे जोन को मॉड्यूल विकसित करने को कहा गया है।

इंडियन रेलवे जनता को कई सर्विस उपलब्ध कराता है। अब जल्द ही रेलवे एक और सुविधा की शुरुआत करने वाला है। अब आप आसानी से बिहार के चावल, वाराणसी की साड़ी, यहां तक कि बंगाल की मिठाई प्राप्त कर सकते हैं। गैर-पारंपरिक माल यातायात को टैप करने के प्रयास में रेलवे डोर-टू-डोर डिलीवरी सेवा का परीक्षण कर रहा है। कोरियर कंपनियों और ई-कॉमर्स के समान पैटर्न में भारतीय रेलवे व्यक्तिगत और थोक ग्राहकों के लिए डोर-टू-डोर डिलीवरी सेवा प्रदान करने की योजना बना रहा है। एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर ने कहा कि मूल योजना एक एप है।

ग्राहकों को एक क्यूआर कोड के साथ रसीदें प्रदान करता है। इससे वे अपने ऑर्डर को ट्रैक कर सकेंगे। इसके अलावा एप या वेबसाइट अनुमानित शुल्क और डिलीवरी का समय दिखाएगा। रिपोर्ट में कहा गया, रेलवे एक ट्रांसपोर्टर के रूप में काम करेगा। यह डिलीवरी में सुधार के लिए इंडिया पोस्ट और अन्य प्लेटफॉर्म को मनाने की कोशिश कर रहा है। इस संबंध में कुछ रेलवे जोन को मॉड्यूल विकसित करने को कहा गया है।

गुजरात के बाद मुंबई में पायलट प्रोजेक्ट की योजना बनाई जाएगी

भारतीय रेलवे ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन को भी शामिल किया है। जो दिल्ली-एनसीआर और गुजरात के साणंद में जून-जुलाई तक पहली सेवा शुरू करेगा। इसके अलावा डीएफसीसी द्वारा सेवा का इन-हाउट ट्रायल भी शुरू किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर और गुजरात के बाद मुंबई में पायलट प्रोजेक्ट की योजना बनाई जाएगी।

सड़क से समान को ट्रांसफर करने के लिए लागत से कम

डीएफसीसी के एक अधिकारी ने बताया कि विचार प्रतिस्पर्धी दरों पर डिलीवरी सर्विस प्रदान करता है। यह सड़क से समान को ट्रांसफर करने के लिए लागत से कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम व्हाइट गुड्स, छोटी वस्तुओं के साथ एग्रीगेटर्स को भी लक्षित कर रहे हैं। रेलवे की नई सर्विस का लाभ उठाने के लिए ग्राहकों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे पैकेज को समर्पित स्थानों पर छोड़ दें। या इसे अपने दिए गए पते से उठाएं। अधिकारी ने आगे कहा, ‘यह सेवा एक पारगमन आश्वासन योजना पर आधारित होगी।’ हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि मंत्रालय 2022-23 में माल ढुलाई कार्गो को पार करने के लिए आश्वस्त है। जिसका अनुमान 1475 मिलियन टन है।

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अंतिम संस्कार दौरान,शमशान घाट में मधुमक्खियों का हमला,करीब 40 घायल;8 की हालात गंभीर

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सतना में एक महिला के अंतिम संस्कार के दौरान शमशान घाट में मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। मधुमक्खियों से बचने के लोग लिए इधर-उधर भागने लगे,जिससे भगदड़ के हाला बन गए। हमले में करीब 40 लोग घायल हुए है, जिनमें 8 गंभीर हैं।मामला अमरपाटन थाना इलाके के लालपुर का है  बताया जा रहा है कि गांव में रहने वाले चौरसिया परिवार में सुईया चौरसिया (56 वर्ष) की मौत हो गई थी, जिसका अंतिम संस्कार करने के लिए आज सुबह करीब 10 बजे चौरसिया परिवार के लोग गांव के बाहर पुश्तैनी बगीचे में ले गए थे।

मधुमक्खियों के झुंड ने शवयात्रा में शामिल लोगों पर हमला

यहां चिता बनाकर मुखाग्नि देने के लिए कंडे सुलगाए गए थे। इसी दौरान पास के पेड़ में लगे मधुमक्खियों के झुंड ने शवयात्रा में शामिल लोगों पर हमला कर दिया।लोग मधुमक्खियों के हमले से बचने के लिए खेतों में छिपने लगे लेकिन मधुमक्खियों के डंक से नहीं बच सके। अंत्येष्टि में करीब 100 से ज्यादा लोग शामिल होने पहुंचे थे,जिसमें से करीब 40 लोग मधुमक्खियों के हमले में घायल हुए हैं। घायलों में 8 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

घायलों का इलाज अमरपाटन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जारी

घायलों का इलाज अमरपाटन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जारी है, वहीं गंभीर घायलों को रीवा रैफर किया गया है। एक घायल आईसीयू में एडमिट है। मधुमक्खियों के हमले एक घंटे बाद दूसरी जगह अंतिम संस्कार किया गया। बताया जा रहा है कि मधुमक्खियां धुएं के चलते भड़क गई थी और लोगों पर हमला कर दिया था।

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