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CAIT ने पीयूष गोयल से CCI को अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ तत्काल जांच शुरू करने और एक नया प्रेस नोट जारी करने का आग्रह किय
रायपुर,12 जून 2021। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चैबें बताया कि अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिका को खारिज करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद कनफेडेरशन आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है जिसमें उनसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई ) को ये निर्देश देने का आग्रह किया है कि वो अविलम्ब अमेजॅन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ तुरंत जांच की कार्यवाही शुरू करे।
कैट ने श्री पीयूष गोयल से यह भी आग्रह किया है कि एफडीआई नीति के प्रेस नोट 2 की जगह बहुप्रतीक्षित एक नया प्रेस नोट जारी क्या जाएँ वहीं सरकार के कानून, नियम एवं नीति को सही तरीके से लागू करने के लिए एक मॉनिटरिंग तंत्र भी बनाया जाए जिससे कोई भी किसी भी नीति का उल्लंघन करने की हिम्मत न करे। कैट ने श्री गोयल से यह भी आग्रह किया है की ई-कॉमर्स व्यापार में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए हर उस प्रकार के ई कॉमर्स व्यापार जो किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होता है, उसको वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआइआइटी विभाग से अनिवार्य रूप से अपना पंजीकरण कराना आवश्यक है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया कि देश भर के व्यापारी आगामी सप्ताह 14 जून से 21 जून तक ष्ई-कॉमर्स शुद्धिकरण सप्ताहष् के रूप में मनाएंगे, जिसके तहत देश के हजारों व्यापारी संगठन आगामी 16 जून को अपने-अपने जिला कलेक्टरों को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम से एक ज्ञापन सौंपेंगे जिसमें केंद्र सरकार से अमेजन, फ्लिपकार्ट और अन्य विदेशी फंड प्राप्त अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा नीति और नियमों के निरंतर उल्लंघन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठायें जाएँ। इसी सप्ताह के दौरान व्यापारियों का प्रतिनिधि मंडल अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से मिल कर उनसे मांग करेगा कि छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स कंपनियों की किसी भी दमनकारी नीति का सामना न करना पड़े। किसी भी विरोध का सामना न करना पड़े। ई-कॉमर्स कंपनियों के हमले से कारोबारी समुदाय को बचाने के लिए देश भर के व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को ई मेल के द्वारा ज्ञापन भेजेंगे।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने खेद व्यक्त किया कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने श्री पीयूष गोयल द्वारा बार-बार दिए गए निर्देशो को सुन कर भी अनसुना किया है और एफडीआई नीति के अनिवार्य प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर अनैतिक और अवैध गतिविधियों में ये कंपनियां निरंतर लिप्त रही हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस तथ्य की पुष्टि जनवरी 2021 को अमजोन विरुद्ध फ्यूचर रिटेल के मामले में की गई तथा कल जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि ष्यह अपेक्षित है कि जांच का निर्देश देने वाला आदेश तर्कसंगत हो, जिसे आयोग ने पूरा किया हैष्। कोर्ट की इस टिप्पणी ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और इसलिए जांच जारी रहनी चाहिए। दोनों व्यापारी नेताओं ने इस मामले पर से सीसीआई द्वारा अपना पक्ष मजबूत रखने की सराहना की है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों की गलतफहमी कि भारत का कानून कमजोर हैं और सुविधा के अनुसार किसी भी तरह से उसमे हेरफेर कि जा सकता है, को तत्काल विश्वसनीय कार्रवाई के साथ दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश भर के व्यापारियों को इन कंपनियों ने धोखा दिया है और धीरे-धीरे प्रशासनिक व्यवस्था में विश्वास खो रहे हैं और इस तरह के विश्वास को फिर से हासिल करने के लिए, यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है कि कोई भी, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कानून या नीति का उल्लंघन करने के बारे में न सोचें। दिनदहाड़े खुलेआम इन उल्लंघनों के बावजूद अब तक संबंधित अधिकारियों और विभागों ने इन ई-कॉमर्स कंपनियों की कुप्रथाओं को रोकने के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है। कैट ने यह आग्रह किया है की संबंधित अधिकारियों को एक समान स्तर का व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाएं।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि इन तथाकथित बाजारों द्वारा पूंजी डंपिंग के खेल ने देश की उद्यमशीलता कौशल और मानव पूंजी को खत्म कर दिया है जो एक संज्ञेय अपराध है। किसी भी देश की मानव पूंजी को बेकार कर देना, उन्हें उनके व्यवसायों से विस्थापित करना और इन पूंजीपतियों द्वारा उनकी आजीविका का अतिक्रमण करना निश्चित रूप से ये वो ष्भारतष् नही है जिसका सपना प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देखा है। यह नीति भारत के लोगों की ष्आत्मनिर्भर भारतष् भावना को मार रही है। श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ये कंपनियां न केवल ई-कॉमर्स बल्कि खुदरा व्यापार के पूरे परिदृश्य को नियंत्रित और हावी करने के लिए अपनी आकांक्षाओं और गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के दूसरे संस्करण के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। भारत के खुदरा व्यापार में 8 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर वर्ष भर में लगभग 115 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहे हैं जिसको इन कंपनियों ने बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि अमेजॅन और फ्लिपकार्ट दोनों ने समय-समय पर दावा किया है कि वे सबसे अधिक कानून का पालन करने वाली कंपनियां हैं और यदि ऐसा है तो वे अपने व्यवसाय मॉडल और व्यवसाय प्रथाओं की किसी भी जांच से क्यों डरते हैं और क्यों निरंतर सीसीआई द्वारा आदेशित जांच को रोकने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहे है। क्यों न सीसीआई द्वारा गहन जांच की जाए जिनमे ये कंपनियां जो सही होने का दावा करती है , वो कुंदन बन कर निकलें । इन कंपनियों के व्यापार मॉडल की सीसीआई जांच वास्तव में उनके लिए भारत के व्यापार और उद्योग के लिए खुद को एक आदर्श और विश्वसनीय कंपनी बनाने का अवसर है। इन कंपनियों द्वारा लगातार यह प्रदर्शित किया जा रहा है की वो भारत में छोटे व्यापारियों के हिमायती हैं और उनके उद्धारकर्ता है।
अमेजॅन और फ्लिपकार्ट का दावा है कि वे भारत में ई-कॉमर्स गतिविधियों के लिए बाजार और सुविधाएँ उपलब्ध करा कर छोटे व्यापारियों को अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद करते हैं और व्यापारियों के व्यापार को अपने मार्केटप्लेस मॉडल के तहत बड़ी संख्या में छोटे व्यापारी प्रगति कर आगे बढ़ रहे हैं। श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की ये कंपनियां अपने आपको धर्मार्थ संगठन की तरह प्रदर्शित कर ऐसा दिखा रही हैं की वो छोटे व्यवसायों की कमजोर परिस्थितियों पर दया करके अपने उदार और बड़ी छत्रछाया में व्यापारियों को उनका व्यवसाय विकसित करने के बड़े अवसर प्रदान करते हैं।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा की उनके यह दावे पूरी तरह से निराधार हैं और वास्विकता ये है कि इसमें कोई दम नहीं है। यदि वे अपने दावे पर खरे उतरते है तो उन्हें पिछले 5 वर्षों में अपने पोर्टल पर मौजूद केवल शीर्ष 10 विक्रेताओं की एक सूची प्रदान करनी चाहिए जिसके जरिये ये साबित हो जायेगा कि उनके पोर्टल पर वो कौन से लोग हैं हैं जो ज्यादा से ज्यादा सामान बेच रहे हैं। ये वो कंपनियां हैं जो इन पोर्टल की सम्बन्धी कम्पनी है । इन विदेशी ई-कॉमर्स संस्थाओं को हमारे पारंपरिक किराना और छोटे व्यापारियों के बहुत घनिष्ट ताने-बाने को बेरहमी से नष्ट करते हुए छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेताओं की मदद करने और उनकी सहायता करने के बारे में बड़े-बड़े दावे करने की आदत है जबकि ये इसके ठीक विपरीत कार्य करते है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने दृढ़ता से कहा कि भारत का व्यापारिक समुदाय आत्मनिर्भर है और उसे किसी विदेशी संस्था की दया की आवश्यकता नहीं है। हम बिल्कुल अनाथ नहीं हैं जैसा कि इन कंपनियों द्वारा हमे समझा जाता है और सरकार द्वारा भारत के घरेलू व्यापार के लिए परिभाषित नीतियों के मानकों के भीतर हमारे विकास को सुनिश्चित करने के लिए काफी सक्षम हैं और भारत में व्यापारियों द्वारा की जा रही सीएसआर गतिविधियों का स्तर अमेजॅन, फ्लिपकार्ट सहित किसी भी कॉर्पोरेट घराने की तुलना में बहुत बड़ा है।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि श्री अमित अग्रवाल, कंट्री हेड, एमेजॉन इंडिया द्वारा हाल ही में की गई एक टिप्पणी से देश भर के व्यापारी बेहद आहत हैं जिसमे उन्होंने कहा कि भारत को निवेश के लिए एक वैश्विक गंतव्य बनने के लिए, अनुबंधों और कानूनी समझौतों की वैधता पर जोर देना चाहिए। हमें किसी उद्योग प्रमुख द्वारा इससे अधिक विरोधाभासी बयान कभी सुनने नहीं मिला क्योंकि अगर कोई एक व्यवसाय समूह जिसे देश के कानून का सम्मान करने और उसका पालन करने की आवश्यकता है, तो वह है अमेजन इंडिया। श्री अग्रवाल के लिए यह बेहतर होगा कि वे भारतीय कानून प्रणाली का मजाक न उड़ाएं, और फेमा/एफडीआई नीति, लॉकडाउन दिशानिर्देशों और अन्य कानूनों का निरंतर उल्लंघन करने की बाजए सरकार की एफडीआई नीति में वर्णित नीति और कानून का पालन करने पर ध्यान दें।
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सूरजपुर : पूर्व सरपंच को हाथी ने कुचलकर ली जान,चालक ने बचाई जान…
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर अंतर्गत मसगा जंगल में सोमवार की रात करीब 9.30 बजे कार सवार पूर्व सरपंच व उनके ड्राइवर का सामना प्यारे हाथी से हो गया।
हाथी को अचानक सामने देखकर कार से उतरकर भाग रहे पूर्व सरपंच को हाथी ने कुचलकर मार डाला। वहीं कार चालक ने भाग कर अपनी जान बचाई। हाथी अब भी पास के जंगल में ही मौजूद है। वन विभाग के कर्मियों ने मार्ग में आने-जाने पर रोक लगा दी है। पूर्व सरपंच का शव कई टुकड़ों में एकत्र कर मरच्युरी भिजवाया गया। इस घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रतापपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत टुकुडांड़ के पूर्व सरपंच धनाराम सिंह सोमवार को एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने ग्राम पंचायत सोनपुर गए थे।
वहां से अपनी नैनो कार में सवार होकर रात करीब 9.30 बजे घर लौट रहे थे। रास्ते में मसगा जंगल से गुजरने के दौरान उनके सामने हाथी आ गया। अचानक हाथी को देखकर कार के ड्राइवर ने वाहन रोक दिया और भागने लगा। यह देख पूर्व सरपंच भी कार से उतरे और जंगल की ओर भागे।
इस दौरान हाथी ने दौड़ाकर धनाराम को सूंड से पकड़ उठाकर पटक दिया और पैरों से कुचलकर मार डाला। ड्राइवर ने इसकी सूचना गांव में आकर दी। सूचना पर वन अमला मौके पर पहुंचा और पूर्व सरपंच का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। घटना से पूर्व सरपंच के घर में मातम पसरा हुआ है। वन विभाग ने मार्ग में एहतियातन आने-जाने वालों को रोकने वन कर्मियों की तैनाती कर दी है।
प्रतापपुर रेंजर पीसी मिश्रा ने बताया कि घटना के तुरंत बाद गजराज वाहन मौके पर पहुंच गया था, कर्मचारियों ने ही घटना की जानकारी दी। वे घटना को अंजाम देने वाले दंतैल हाथी का पीछा कर रहे थे, जो शाम को ही जंगल में घुसा था। हादसे की जानकारी मिलते ही नायब तहसीलदार राधेश्याम तिर्की, एसडीओ वीके लकडा सहित अन्य कर्मचारी पुलिस कर्मचारियों के साथ मौके पर पहुंचे।
इसके बाद कई टुकड़ों में पड़े पूर्व सरपंच के शव को एकत्रत किया गया। परिजनों व ग्रामीणों के साथ शव को प्रतापपुर लेकर आए, जिसे मरच्युरी में रखा गया है। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें हाथियों की उपस्थिति की जानकारी समय पर नहीं मिल पा रही है।घटना स्थल से शव लेकर हॉस्पिटल पहुंचे एसडीओ वीके लकड़ा ने बताया कि इस तरह की घटना दुःखद है, लेकिन हमारा प्रयास रहता है कि हाथियों से जनहानि न हो।
वर्तमान में प्रतापपुर ब्लॉक में कई हाथी अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रमण कर रहे हैं। सभी की एक साथ निगरानी करना संभव नहीं है, फिर भी हमारे विभाग के कर्मचारी सभी पर नजर रख रहे हैं। जिस क्षेत्र में प्यारे व अन्य आक्रमक हाथी मौजूद हैं उस क्षेत्र में हमारी विशेष नजर है। गजराज वाहन के साथ हमारी टीम व हाथी मित्र क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, ताकि लोगों को आगाह किया जा सके।
अब तक 35 से अधिक लोगों की जान ले चुका है
मसगा के जंगल में मौजूद प्यारे हाथी अब तक 35 से अधिक लोगों की जान ले चुका है। सूरजपुर डीएफओ ने प्यारे हाथी को पकड़कर हाथी रेस्क्यू सेंटर में रखने राज्य सरकार को अनुमति के लिए पत्र भी लिखा है, लेकिन अब तक इसकी अनुमति नहीं मिली है। प्यारे हाथी की मौजूदगी से आसपास के ग्रामीण दहशत में हैं।10 फरवरी को प्यारे हाथी (दल का नाम प्यारे) ने घुई वन परिक्षेत्र के भेलकच्छ गांव में एक महिला को सूंड से लपेटकर पटक दिया था और पैरों से कुचलकर मार डाला था। ग्रामीणों ने इसके बाद अफसरों को दो घंटे तक घेरे रखा था। ग्रामीणों का कहना था कि प्यारे व बहरादेव हाथियों को पकड़कर रेस्क्यू सेंटर में रखा जाए, ताकि किसी की जान न जाए।
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बड़ी खबर: यहां के रेलवे स्टेशन में लगी भीषण आग, मौक पर पहुची दमकल की गाड़िया…
बिहार के मधुबनी रेलवे स्टेशन पर खाली ट्रेन में आग लग गई है. फिलहाल किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार दिल्ली से आने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में सुबह अचानक आग लग गई. आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है. देखते ही देखते ट्रेन धू-धूकर जल उठी. गनीमत ये रही कि ट्रेन पूरी तरह से खाली थी. जानकारी के अनुसार रात में ही दिल्ली से ये ट्रेन मधुबनी पहुंची थी और स्टेशन पर खड़ी रहने के दौरान इसमें आग लगी. इसके बाद स्टेशन पर मौजूद लोगों और कर्मियों ने आग बुझाने की कोशिश की. इसी बीच फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पहुंच गई और आग को काबू करने में जुट गई.जानकारी के मुताबिक गाड़ी प्लेटफार्म नंबर तीन पर खड़ी थी. आग शनिवार सुबह 9 बजे के करीब लगी. इसमें दो कोच जल कर पूरी तरह खाक हो गए. वहीं, तीसरी बोगी में आ लगी रही जिसे दमकल की टीम ने बुझाया.ट्रेन का रैक जयनगर से लाया गया था और इसे यहां जोड़ा गया था.हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबुक इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच की बाद रेलवे अधिकारियों ने कही है. पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा, “9.15 बजे शनिवार की सुबह मधुबनी रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक खाली ट्रेन के डिब्बे में अचानक आग लग गई. फायर ब्रिगेड की सहायता से 9.50 बजे तक आग को बुझा लिया गया. गाड़ी खाली थी, इस कारण इस हादसे में किसी को भी कोई नुकसान नहीं हुआ है. रेल प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है. इसकी हाई लेवल जांच कराई जाएगी.”
ट्रेन से उतरे थे डिब्बे
बिहार में कुछ दिनों पहले सात फरवरी को एक खाली यात्री गाड़ी के दो डिब्बों के पटरी से उतर जाने से पूर्वी रेलवे के गया-धनबाद खंड पर कई घंटों तक ट्रेन सेवाएं प्रभावित रहीं. अधिकारियों ने बताया कि पहाड़पुर स्टेशन पर तड़के तब यह दुर्घटना हुई जब ट्रेन गोमा जा रही थी, लेकिन इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ. गया -धनबाद संभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ ट्रेन चालक दल ने आपात ब्रेक का इस्तेमाल कर ट्रेन रोक दी. पटरी से उतर गये डिब्बों के कुछ हिस्से लाइन के करीब पहुंच गए. इससे ट्रेन आवाजाही बाधित हुई.’’
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देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी को लगा तगड़ा झटका, जाने क्या है वजह…
देश का सबसे बड़ा आईपीओ आने वाला है। एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) 11 मार्च को इसे पेश कर सकती है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि 11 मार्च को यह एंकर निवेशकों के लिए खुलेगा, जबकि अन्य निवेशकों के लिए इस दो दिन बाद खोला जाएगा। इसमें कहा गया कि मार्च के पहले सप्ताह में इसे नियामकीय मंजूरी मिल सकती है। एक ओर जहां आईपीओ लॉन्च की तैयारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर कंपनी को एक तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, एलआईसी पॉलिसी बिक्री में भारी कमी दर्ज की गई है।
पॉलिसी बिक्री में आई कमी
एलआईसी की ओर से बाजार नियामक सेबी को सौंपे गए दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी की पॉलिसी बिक्री में भी भारी कमी आई है। व्यक्तिगत और समूह पॉलिसियां की बिक्री वित्त वर्ष 2018-19 के 7.5 करोड़ से 16.76 फीसदी घटकर वित्त वर्ष 2019-20 में 6.24 करोड़ पर आ गई। वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें 15.84 की गिरावट आई और यह आंकड़ा 5.25 करोड़ रह गया। कंपनी की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, लॉकडाउन के चलते 2019-20 की चौथी तिमाही में व्यक्तिगत पॉलिसियों की बिक्री 22.66 फीसदी घटकर 63.5 लाख रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 82.1 लाख थी। 2020-21 और 2021-22 की पहली तिमाहियों में यह क्रमश: 46.20 फीसदी घटकर 19.1 लाख और फिर 34.93 फीसदी घटकर 23.1 लाख रह गई।
कंपनी पर बढ़ा आर्थिक बोझ
पॉलिसी बिक्री में आई कमी से जहां कंपनी को नुकसान हुआ, वहीं दूसरी ओर कोरोना काल में मृत्यू बीमा के लिए किए जाने वाले भुगतान के मामले में बीमा कंपनी पर लगातार आर्थिक बोझ बढ़ा है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 महामारी की वजह से कंपनी की व्यक्तिगत और समूह पॉलिसियों की कुल संख्या में गिरावट आई है। जबकि, मृत्यु के बीमा दावों में तेज बढ़ोतरी हुई है। इसके अनुसार, वित्त वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए मृत्यु बीमा दावों के लिए क्रमशः 17,128.84 करोड़ रुपये, 17,527.98 करोड़ रुपये और 23,926.89 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया है। वहीं 30 सितंबर, 2021 को समाप्त हुए छह महीनों के लिए 21,734.15 करोड़ रुपये भुगतान किया गया।
75000 करोड़ रुपये का बकाया
आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) लाने की तैयारियों में जुटी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी पर आयकर विभाग का करीब 75,000 करोड़ रुपये बकाया है। खास बात है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) टैक्स की देनदारियां चुकाने के लिए अपने फंड का इस्तेमाल नहीं करना चाहती है। आईपीओ के लिए बाजार नियामक सेबी के पास पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के 74,894.6 करोड़ रुपये के कुल 63 मामले चल रहे हैं। इनमें बीमा कंपनी पर प्रत्यक्ष कर के 37 मामलों में 72,762.3 करोड़ और 26 अप्रत्यक्ष कर मामलों में 2,132.3 करोड़ रुपये बकाया है, जिनकी वसूली होनी है।
21,500 करोड़ की लावारिस रकम
बता दें कि एलआईसी की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, उसके पास सितंबर 2021 तक पॉलिसीधारकों के 21,500 करोड़ रुपये ऐसे हैं जो लावारिस पड़े हैं। यानी इनके लिए कोई दावा करने वाला नहीं है। इसका मतलब या तो इन पॉलिसीधारकों की मौत हो गई या फिर इनके बारे में उनके परिवार को पता नहीं है। मार्च 2021 तक 18,495 करोड़ रुपये और 2020 मार्च तक यह रकम 16,052 करोड़ रुपये थी जो मार्च 2019 तक 13,842 करोड़ रुपये थी।
पूरी तरह ऑफर फॉर सेल आईपीओ
एलआईसी का ये आईपीओ अब तक सबसे बड़ा आईपीओ होगा। सेबी में सौंपे गए डीआरएपी के अनुसार, एलआईसी का इश्यू पूरी तरह ऑफर फॉर सेल होगा। इसमें सरकार अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी के अंतर्गत 31.6 करोड़ शेयर जारी करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिसाब से कंपनी की एम्बेडेड वैल्यू 5.4 लाख करोड़ रुपये होगी। अमूमन किसी बीमा कंपनी का मार्केट कैप इस वैल्यू का चार गुना होता है। इस हिसाब से देखें तो एलआईसी की मार्केट वैल्यू 288 अरब डॉलर यानी करीब 22 लाख करोड़ रुपये होगी और एलआईसी देश की सबसे बड़ी मूल्यवान कंपनी बन जाएगी।
एलआईसी ने दी ये बड़ी सुविधा
समय पर प्रीमियम नहीं भरने के कारण या फिर अन्य किसी कारण से बहुत सारे लोगों की एलआईसी की पॉलिसी बंद हो जाती है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि पांच साल से जो पॉलिसी बंद पड़ी हैं, ऐसे मामले में कम चार्ज भरकर उसे फिर से चालू कराया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे पॉलिसीधारक जिनकी पॉलिसी बंद हो चुकी है, वे भी रिजर्वेशन पोर्शन के जरिए आईपीओ के लिए आवेदन करने के पात्र हो सकते हैं। दस्तावेजों में कहा गया है कि ऐसे सभी पॉलिसीधारक आईपीओ के लिए रिजर्वेशन के तहत निवेश करने के हकदार हैं जो मैच्योरिटी, सरेंडर या पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु के चलते एलआईसी के रिकॉर्ड से बाहर नहीं हुए हैं।
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