काम की बात: गाड़ि चलाते समय ध्यान दे इन छोटी-छोटी बातो का, और इस नियमो को करे गंभीर रूप से पालन…
वाहन एक बहुत बड़ी सुविधा है और आत्मनिर्भरता का साधन भी। इसका प्रयोग सतर्कता और समझदारी से करें। ड्राइविंग में छोटी-छोटी गलतियों से बचकर हर साल लाखों अकाल मौतों को टाला जा सकता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2020 की वार्षिक ‘क्राइम इंडिया’ रिपोर्ट के मुताबिक़, लापरवाही के कारण हुई सड़क दुर्घटनाओं में तीन साल में 3.92 लाख लोगों की जान गई है। विश्व बैंक की सड़क हादसों पर केन्द्रित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना क़रीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है।
देश में दुनिया के सिर्फ़ एक फ़ीसदी वाहन हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया भर में होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 11 प्रतिशत है। देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत होती है। सड़क पर यातायात के समय कुछ छोटी-छोटी ग़लतियां जानलेवा साबित होती हैं और जिन्हें हम रोक सकते हैं…
अनफिट गाड़ी चलाना
आमतौर पर यह देखा जाता है कि जो लोग रोड पर लापरवाही से ड्राइविंग करते हैं, वे अपनी गाड़ी की देखभाल को लेकर भी उतने ही लापरवाह होते हैं। अगर आपकी गाड़ी की फिटनेस यानी स्थिति ठीक नहीं है तो गाड़ी बीच सफ़र में या कहें सड़क पर धोखा दे सकती है। ख़ासकर लॉन्ग ड्राइव पर जाते समय सबसे पहले बोनट खोलकर फ्लुइड लेवल चेक कर लें। गाड़ी के लाइट्स, वाइपर्स और टायर्स की स्थिति का आकलन भी बहुत ज़रूरी है। उसी तरह क्लच और ब्रेक्स की स्थिति भी अच्छी होनी चाहिए।
तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चलाना
कई लोग दूसरी गाड़ी से आगे निकलने के चक्कर में ग़लत तरीक़े से ओवरटेक करते हुए आगे बढ़ते हैं। देखिए, किसी से जीतने-हारने के लिए आप सड़क पर गाड़ी लेकर नहीं उतरे हैं। जिस तरह आपको कहीं जाना है, वैसे ही सड़क पर गाड़ी चला रहे दूसरे लोगों को भी कहीं न कहीं जाना है। तेज़ रफ़्तार ड्राइविंग की सबसे बुरी बात यह है कि इससे अमूमन वे लोग अस्पताल पहुंचते हैं जिनकी कोई ग़लती भी नहीं होती। आपको स्पीड के नियमों का अनिवार्य तौर पर पालन करना सीखना होगा जैसे-शहर में स्पीड 40 से अधिक न हो, स्कूल, हॉस्पिटल के निकट स्पीड कम कर लें और स्पीड ब्रेकर का भी सम्मान करें।
बिना आराम किए ड्राइव करना
ड्राइविंग एक ज़िम्मेदारी का काम है और किसी भी ज़िम्मेदारी को हम ठीक से तभी निभा सकते हैं, जब हम होशोहवास में हों। हमारा मस्तिष्क पूरी तरह से जाग्रत अवस्था में हो। कई बार लोग थकान को नज़रअंदाज़ करके ड्राइविंग करने लगते हैं, नतीजतन एक्सीडेंट जैसी घटनाएं सुनने में आती हैं। गाड़ी चलाते समय दिमाग़ ताज़ा होना चाहिए। अगर किसी बात का तनाव हो, ग़ुस्से में हों, मन ठीक न हो तो गाड़ी न ही चलाएं तो बेहतर होगा। आपके लिए भी और सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के लिए भी।
गाड़ी चलाते समय फ़ोन पर बातचीत
मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना दुर्घटना को निमंत्रण देने जैसा है। जब आप गाड़ी चला रहे हों तो आपका पूरा ध्यान ट्रैफिक और रोड पर होना चाहिए। मोबाइल पर बात करने से ड्राइवर का ध्यान भटक सकता है। आए दिन फोन पर बात करते समय या मैसेज करते समय होने वाली दुर्घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि गाड़ी चलाते वक़्त मोबाइल का प्रयोग कितना ख़तरनाक साबित हो सकता है। वैसे तो आपको इससे बचना चाहिए, पर फिर भी ज़रूरी हो तो हैंड फ्री डिवाइसेस इस्तेमाल करें। गाड़ी में संगीत सुनना भी है तो धीमी आवाज़ में सुना जा सकता है। इससे ध्यान भी नहीं भटकेगा।
शासन और प्रशासन की ज़िम्मेदारी
दुर्घटना से बचाव के लिए सुझाव है कि शहर में गाड़ी की स्पीड शासन द्वारा 40 किमी प्रति घंटे पर लॉक करवाएं। जब शहर से बाहर जाना हो तो अपनी सुविधानुसार गाड़ी चालक स्पीड का लॉक खुलवा सकते हैं।स्कूल, हॉस्पिटल जैसी जगहों पर भीड़भाड़ होती है, इसलिए इनके मोड़ पर स्पीड ब्रेकर होना आवश्यक है।हॉर्न तेज़ बजाने, हेडफोन सुनते हुए या मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाने वालों पर भी एक बड़ी राशि का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
ग़लत जगह गाड़ी पार्क करने, ओवरटेक करते हुए तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चलाने जैसे यातायात के नियमों का उल्लंघन करने पर अधिक राशि का जुर्माना लगाने की आवश्यकता है।
सड़क पर सुरक्षा देंगी ये छोटी-छोटी सावधानियां
सड़क पर बायीं तरफ़ से चलें, ताकि अगर कोई वाहन चालक आपको ओवरटेक करना चाह रहा हो तो दाहिनी ओर से आगे बढ़ जाए। जब कोई वाहन आपको ओवरटेक कर रहा हो तो आप अपनी स्पीड न बढ़ाएं। इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करने में आलस न करें, क्योंकि इससे आपके पीछे आ रहे वाहनों को पता चलता है कि आप किस दिशा में मुड़ना चाह रहे हैं। अगर आपकी गाड़ी के इंडिकेटर्स ख़राब हो गए हों, तो आप गाड़ी को मोड़ने से पहले हाथों से इशारा ज़रूर करें।
एम्बुलेंस और फ़ायरब्रिगेड जैसे आपातकालीन वाहनों को रास्ता देना भी एक कुशल ड्राइवर की ज़िम्मेदारी होती है। ट्रैफ़िक लाइट्स और सिगनल्स की अनदेखी न करें। सिग्नल जम्प करने में कोई बहादुरी नहीं है। गाड़ी को स्टॉप लाइन्स के पहले रोकें अपने से आगे वाले वाहन से निश्चित दूरी बनाकर चलाएं, ताकि अगर आगे वाली गाड़ी अचानक ब्रेक लगाए तो आपके पास रुकने के लिए पर्याप्त समय और जगह हो। ट्रैफिक लाइट्स पर सबसे आगे खड़े होने या जल्दी निकलने के चक्कर में बाईं तरफ के ट्रैफिक को बाधित न करें। कतार में ही बने रहें। अगर आप चार पहिया वाहन चला रहे हैं तो सीट बेल्ट बांधने में लापरवाही न बरतें। वहीं दो पहिया वाहन चालकों को यही सावधानी हेलमेट को लेकर बरतनी चाहिए। पीछे बैठे व्यक्ति का भी हेलमेट पहने रहना ज़रूरी है। हेलमेट अच्छी गुणवत्ता का हो, महज़ ट्रैफ़िक पुलिस के चालान से बचने के लिए कामचलाऊ हेलमेट न लें, बल्कि आईएसआई प्रमाणित ही इस्तेमाल करें। आगे निकलने की होड़ में लगातार हॉर्न न बजाएं। ऐसा करने से आगे वाला वाहन चालक हड़बड़ा सकता है। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ सकती है।
कार के विंड शील्ड पर स्टिकर न लगवाएं, इससे पीछे का दृश्य देखने में बाधा हो सकती है।
Lifestyle
Spot Weight Loss, जाने क्या है स्पॉट वेट लॉस, एवं इस स्पॉट वेट लॉस से शरीर के किस हिस्से का वजन कम किया जा सकता है
Spot Weight Loss: आजकल लोग वजन घटाने को लेकर बहुत क्रेजी हो गए हैं. कोई पेट कम करना चाहता है, तो कोई कूल्हों पर जमा चर्बी कम करना चाहता है. जानिए क्या स्पॉट वेट लॉस संभव है.
फिटनेस आजकल लोगों का क्रेज बन गया है. लोग अलग-अलग तरीके से वर्कआउट (Workout) करते हैं. कोई जिम (Gym) में घंटों समय बिताता है तो कोई योग (Yoga) और जुंबा (Zumba) का सहारा ले रहा है. कुछ लोगों को ओवरऑल बॉडी वेट कम (Weight Loss) करना होता है तो कुछ लोग किसी खास जगह से वजन घटाना चाहते हैं. आजकल स्पॉट वेट लॉस काफी चलन में है. इसमें एक खास हिस्से से वजन घटाने की कोशिश की जाती है. जैसे कुछ लोग पेट कम करना चाहते हैं तो कुछ लोग हिप एरिया से वजन घटाना चाहते हैं. ऐसे में आज हम जानेंगे कि क्या स्पॉट रिडक्शन (Spot reduction) होता है. क्या किसी खास स्पॉट पर वेट या मसल कम (spot weight loss or muscle reduction) हो पाते हैं.
क्या है स्पॉट रिडक्शन ?
स्पॉट रिडक्शन का मतलब है कि आप शरीर के किसी एक खास पार्ट से फैट कम करना चाहते हैं जैसे एब्स, हिप्स या आर्म्स से वजन घटाना. आजकल ऐसे कई व्यायाम हैं जिन्हें करने से पेट कम, कूल्हे कम या फिर पैर और हाथों की चर्बी कम करने का दावा किया जाता है, लेकिन क्या ऐसा हो पाता है या ये सिर्फ मिथ है. आइये जानते हैं.
स्पॉट रिडक्शन क्या सिर्फ मिथ है?
न्यूट्रिशनिस्ट की मानें तो कोई भी स्पेशल एक्सरसाइज तब तक आपका वजन कम नहीं कर सकती, जब तक कि आप अपनी ओवरऑल कैलोरी की मात्रा को कम और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को सही नहीं बनाए रखते हैं. स्पॉट रिडक्शन इतना काम नहीं करता है. क्योंकि इस तरह के वर्कआउट में छोटी मसल्स को टार्गेट किया जाता है, जो कंप्लीट एनर्जी को खर्च नहीं कराते हैं.
क्या कहती हैं रिसर्च
एक रिसर्च में ये पाया गया कि प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ियों के दोनों हाथों पर जमा फैट और मोटाई एक जैसी है. अगर एक्सरसाइज से स्पॉट में कमी होती तो उनके दोनों हाथों में अंतर होना चाहिए था.
क्यों मुश्किल है किसी खास जगह से चर्बी कम करना?
दरअसल जैसे ही मोटापा बढ़ता है शरीर में कुछ खास जगहों पर चर्बी बढ़ने लगती है. पुरुषों के लिए बेली फैट यानि पेट से चर्बी करना मुश्किल होता है, ऐसे में सबसे जल्दी यहां फैट इकट्ठा होता है. वहीं महिलाओं के शरीर पर सबसे पहले कूल्हे, नितंब और जांघों पर चर्बी जमती है. जिसे घटाना बहुत मुश्किल हो जाता है.
इसे भी पढिये
Health Care Tips: सुबह उठते ही आप भी लेते है इस तरह की करवट, तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी के संकेत…
नौकरी के अवसर: मिनिस्ट्री में निकली भर्ती, जाने क्या है आवेदन की अंतिम तिथि और शैक्षणिक योग्यता…
जल्द ही लॉन्च होने वाला है Y02s की दमदार स्मार्टफोन, मिलेंगे धांसू लूक व शानदार फीचर्स
बंद हो रहा है फेसबूक का मशहूर Couple ऐप, 9 लाख लोगो ने किया था डाउनलोड
Health Care Tips: सुबह उठते ही आप भी लेते है इस तरह की करवट, तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी के संकेत…
सही ढंग से सोना, 8 घंटे की नींद लेना अच्छी सेहत का राज है। ये बातें तो हर कोई जानता है, लेकिन सो कर सुबह किस करवट उठना है यह भी जानना जरूरी है। क्या आप जानते हैं कि जब आप सुबह सो कर उठते हैं, तो बिस्तर से किस करवट उठते हैं। उठने के सही तरीकों के बारे में पता होने से आप दिन भर फ्रेश और एनर्जी से भरपूर रहेंगे। दिल्ली के पंचकर्म हॉस्पिटल के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आर पी पराशर कहते हैं कि एक गलती बॉडी के सारे पॉश्चर खराब कर सकती है इसलिए दिनचर्या का ख्याल रखें।
सही पॉश्चर में सोने से नींद अच्छी आती है
डॉ. आर पी पराशर कहते हैं कि आप जिस भी करवट सोते हैं, उससे भी काफी हद तक आपकी नींद प्रभावित होती है। सो कर उठने का आपका तरीका कैसा है, उससे भी सेहत पर असर पड़ता है। कहा जाता है कि बेड की दाईं तरफ से सो कर उठना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की दाईं तरफ सूर्य नाड़ी होती है। जब आप दाईं करवट से सो कर उठते हैं, तो इससे डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है और पेट की बीमारियों से भी बचे रहते हैं। शरीर के आसपास दो मैग्नेटिक एरिया होते हैं। एक हमारे सिर से पैरों की तरफ जाता है और दूसरा पैरों से सिर की तरफ आता है। ऐसे में जब कोई व्यक्ति दाईं करवट से सो कर उठता है, तो अपने शरीर के दूसरे चुंबकीय क्षेत्र को मजबूत करता है। इससे बॉडी में एनर्जी बनी रहती है। ऐसा भी कहा जाता है कि दाईं करवट से सो कर उठने से आप दिनभर तनाव मुक्त रहते हैं।
झटके से न उठें, कमर में मोच आ सकती है
झटके से बिस्तर से उठने से बचें। खासकर, वो लोग जिन्हें बैक पेन की प्रॉब्लम है। इससे कमर में मोच आ सकती है या दर्द बढ़ सकता है। स्ट्रेचिंग करते हुए बेड से उतरें।
हाथों का सहारा लेकर उठें
बेड से उतरते समय हाथों का सहारा जरूर लें। इससे गर्दन और कमर पर बेवजह जोर नहीं पड़ेगा।
प्रेग्नेंट महिला उठने, बैठने, लेटने के तरीके का रखें ध्यान
प्रेग्नेंसी में जैसे-जैसे शिशु का वजन बढ़ता है महिला को बैठने, उठने और लेटने में दिक्कत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को उठने-बैठने और लेटने में एहतियात बरतनी चाहिए। गायनाकोलॉजिस्ट डॉ मीरा पाठक कहती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान तीनों ट्राइमेस्टर में जब शिशु के शरीर का विकास होता है, तो महिला को बैठने, उठने या लेटने में परेशानी होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में 15-20 मिनट से ज्यादा एक जगह, एक ही पोजीशन में न बैठें। बॉडी का मूवमेंट जरूरी है।
इन बदलावों को समझें
पहली तिमाही: काम करते हुए कमर सीधी करके बैठें व लेटें। अधिक वजन उठाने से भी बचें।
दूसरी-तीसरी तिमाही: डॉ मीरा कहती हैं कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन के अधिक स्राव से शरीर के लिगामेंट ढीले होने लगते हैं जिस कारण जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द रहता है। लेटने के बाद करवट लेकर उठें। बैठकर उठते हैं तो हाथों का सपोर्ट जरूर लें। उकडू न बैठें। जितना हो सके कमर सीधी रखें। बिना सहारे के कभी न बैठें। दूसरी तिमाही के बाद से पेट आगे की ओर बढ़ता है और रीढ़ के निचले हिस्से में मुड़ाव आने लगता है। ऐसे में कमर के पीछे तकिए से सहारा दें।
उठते ही चक्कर आना
लो ब्लड प्रेशर की दिक्कत होने पर अक्सर बैठकर उठते ही चक्कर आना और आंखों के सामने अंधेरा आना जैसी तकलीफें होती हैं। इस समस्या को सुपाइन हाइपोटेंशन कहते हैं। उठते ही पहले बॉडी को रिलैक्स करें।
मूवमेंट है जरूरी
प्रेग्नेंसी में ब्लड गाढ़ा होता है। ऐसे में शरीर का मूवमेंट जरूरी है। लंबे समय तक बैठने और लेटने से ब्लड इकट्ठा होता है जिससे दर्द और सूजन रहती है।
इन बदलावों को समझें
पहली तिमाही: काम करते हुए कमर सीधी करके बैठें व लेटें। अधिक वजन उठाने से भी बचें।
दूसरी-तीसरी तिमाही: डॉ मीरा कहती हैं कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन के अधिक स्राव से शरीर के लिगामेंट ढीले होने लगते हैं जिस कारण जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द रहता है। लेटने के बाद करवट लेकर उठें। बैठकर उठते हैं तो हाथों का सपोर्ट जरूर लें। उकडू न बैठें। जितना हो सके कमर सीधी रखें। बिना सहारे के कभी न बैठें। दूसरी तिमाही के बाद से पेट आगे की ओर बढ़ता है और रीढ़ के निचले हिस्से में मुड़ाव आने लगता है। ऐसे में कमर के पीछे तकिए से सहारा दें।
उठते ही चक्कर आना
लो ब्लड प्रेशर की दिक्कत होने पर अक्सर बैठकर उठते ही चक्कर आना और आंखों के सामने अंधेरा आना जैसी तकलीफें होती हैं। इस समस्या को सुपाइन हाइपोटेंशन कहते हैं। उठते ही पहले बॉडी को रिलैक्स करें।
मूवमेंट है जरूरी
प्रेग्नेंसी में ब्लड गाढ़ा होता है। ऐसे में शरीर का मूवमेंट जरूरी है। लंबे समय तक बैठने और लेटने से ब्लड इकट्ठा होता है जिससे दर्द और सूजन रहती है।
बाईं करवट लेटने के फायदे
दूसरी तिमाही के बाद से बढ़ता वजन बैठने, उठने और लेटने में तकलीफ पैदा करता है। इससे कई महिलाओं को घबराहट और बेचैनी होती है। प्रेग्नेंट महिला को बाईं करवट लेटना चाहिए ताकि मां और बच्चा दोनों के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो। बॉडी में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बेचैनी में बाईं करवट लेटना फायदेमंद है। प्रेग्नेंसी के दौरान अंतिम तीन माह में इस तरह लेटना ज्यादा सही है।
युवाओं के लिए सचिवालय, विभिन्न मंत्रालयों में काम करने का सुनहरा मौका आया है। कर्मचारी चयन आयोग यानी एसएससी ने जूनियर हिंदी ट्रांसलेटर (JHT) सहित कई पदों को भरने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन के अनुसार, एसएससी एक परीक्षा के जरिए भारत सरकार के विभिन्न संस्थानों, विभागों और मंत्रालयों में जूनियर हिन्दी ट्रांसलेटर या सीनियर हिन्दी ट्रांसलेटर पदों पर नियुक्ति होगी। योग्य और इच्छुक कैंडिडेट 4 अगस्त तक ऑफिशियल वेबसाइट https://ssc.nic.in/ पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं।
आयु सीमा
स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने इन पदों के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 30 वर्ष मांगी है। कैंडिडेट की आयु का निर्धारण 1 जनवरी 2022 के अनुसार किया जाएगा। यानी कैंडिडेट का जन्म 02 जनवरी, 1992 से 1 जनवरी, 2004 के बीच जन्म हुआ हो।
57 हजार रुपए होगी इन-हैंड सैलरी
एसएससी जेएचटी का वेतनमान लेवल-6 के तहत 35400 -112400 रुपए तक रहेगा। यानी पोस्टिंग के बाद कैंडिडेट को 57,074 रुपए इन हैंड मिलेंगे। जबकि इसके अलावा पेंशन में 4000 रुपए के करीब शामिल किए जाएंगे।
जरूरी योग्यता
जेएचटी पद के लिए कैंडिडेट का हिंदी सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुएट होना जरूरी है जिसमें अंग्रेजी भी अनिवार्य विषय के रूप में रही हो। या अंग्रेजी विषय में मास्टर डिग्री हो और इसके साथ हिंदी भी अनिवार्य विषय के रूप में रही हो। या फिर किसी भी विषय में मास्टर डिग्री हो जिसमें पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी या हिंदी हो। साथ ही, हिंदी से अंग्रेजी या विपरीत में ट्रांसलेशन से संबंधित डिप्लोमा या सर्टिफिकेट या किसी केंद्रीय/राज्य सरकार के विभाग/संगठन में कम से कम 2 वर्ष का अनुभव।
एप्लिकेशन फीस
जनरल और ओबीसी कैंडिडेट को एप्लिकेशन फीस के तौर पर 100 रुपए देने होंगे। एससी, एसटी,पीडब्ल्यूडी और महिलाओं को एप्लिकेशन फीस नहीं देनी होगी।
ऐसे करें आवेदन
एसएससी की वेबसाइट https://ssc.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन जमा कराए जा सकते हैं।
वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन कराने, फोटो (20kb to 50kb) और जरूरी दस्तावेजों की स्कैन्ड प्रतियां अपलोड कर आवेदन शुल्क जमा कराएं।
आवेदन शुल्क के बाद आवेदन फॉर्म कम्प्लीट करें और सब्मिट करें।
आवेदन रिसीप्ट/या आवेदन फॉर्म का प्रिंट आउट भी लेकर रख लें जिससे कि आगे जरूरत पर काम आए।
महत्वपूर्ण तारीखें
अप्लाई करने की आखिरी तारीख – 4 अगस्त, 2022
ऑनलाइन एप्लिकेशन भुगतान करने की आखिरी तारीख – 5 अगस्त, 2022
आवेदन पत्र सुधार के लिए विंडो ओपन होने की ताीख – 6 अगस्त, 2022
-
देश4 days ago
केंद्रीय कर्मचारियों को जल्द मिल सकती खुशखबरी, डीए हो सकती है 38 फीसदी…पढ़िये पूरी खबर
-
Tech & Auto6 days ago
लॉन्च होना वाला है Samsung 200MP कैमरे वाला यह फ़ोन, मिलेंगे दमदार फीचर्स एवं शानदार लुक, मोटोरोला और शाओमी से होगी टक्कर
-
7 days ago
MARUTI SUZUKI GRAND VITARA : मारुती ने उठाया नये Grand Vitara से पर्दा, देखे इसके चमकदार लुक और फीचर्स, इसकी बुकिग हुई शुरू
-
5 days ago
मारुती ने उठाया MARUTI SUZUKI GRAND VITARA से पर्दा, देखे इसके चमकदार लुक, बुकिंग हुई शुरु
-
देश - दुनिया7 days ago
NEET EXAM: शर्मसार करने वाली बाते, इनरवियर हाथ में लो फिर जाओ, NEET की छात्रा ने सुनाई आपबीती, पढ़े पूरी खबर…
-
व्यापर2 days ago
Gold Price Today : सोने की कीमत में गिरावट,सोना 9,100 रूपये हुआ सस्ता…जानिए चाँदी के दाम
-
Tech & Auto2 days ago
19 हजार रुपए की छुट के साथ मिल रहा बंफर ऑफर में ये दमदार Daikin 1.5 Ton स्प्लिट AC,जानें इसकी बेहतरीन फीचर्स
-
5 days ago
MINI PORTABLE WASHING MACHINE: मार्केट में उतारते ही तेजी से बिक रही ये बाल्टी के आकार मिनी पोर्टेबल वाशिग मशीन, जाने क्या है इसकी कीमत…
-
जॉब4 days ago
इन विश्वविद्यालयों में निकली 6,549 पद पर भर्ती,ये रही योग्यता
-
Lifestyle6 days ago
डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए कारगर उपाय है ये बाबा रामदेव के घरेलू नुस्खे
You must be logged in to post a comment Login