Lifestyle
दांतों की सड़न रोकने में है ये दो फल मददगार,डाइट रुटीन में करें शामिल
Foods That Keep Mouth Clean: हमलोग सेहत का ख्याल रखने के लिए बढ़ता हुआ वजन, स्किन और हड्डियों की मजबूती का काफी ख्याल रखते हैं, लेकिन दांतों के स्वास्थ्य को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं.
हमें इस बात को याद रखनी चाहिए कि ओरल हेल्थ के बिना ओवरऑल हेल्थ की कल्पना करना बेमानी है, क्योंकि मुंह की गंदगी से कई बिमारियां पैदा हो सकती है.ये भोजन को पेट में पहुंचाने का रास्ता है. अगर ये मार्ग साफ न रहा तो गंदगी पेट में जाएगी और कई तरह की परेशानियां पेश आएंगी.
दांतों को साफ रखने वाले भोजन
दांतों की सफाई के लिए हम ब्रश, दातुन और माउथवॉश का इस्तेमाल करते हैं जिससे कैविटी की समस्या पैदा न हो, लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि 2 खास तरह के फूड्स खाने से भी मुंह की गंदगी साफ हो जाती है.
1. चॉकलेट खाने से
आमतौर पर बच्चों को कहा जाता है कि चॉकलेट खाने से दांत सड़ जाते हैं, लेकिन आप इस बात को जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस मीठी चीज में एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज पाई जाती है जिसे दांतों की परेशानियां दूर हो सकती हैं. हालांकि इस बात का ख्याल रखें कि एक दिन में चॉकलेट का एक या दो टुकड़ा ही खाएं.
2. डेरी प्रोडक्ट्स
दूध और इससे तैयार किए गए प्रोडक्ट्स में कैल्शियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिससे हड्डियां मजबूत होती है. चूंकि हमारे दांत भी हड्डियां ही हैं, इसलिए दूध जरूर पीना चाहिए. इससे दांतों की बाहरी लेयर जिसे एनामेल कहते हैं, उसकी प्रोटेक्शन होती है.
इन चीजों से रहे दूर
डेरी प्रोडक्ट्स और चॉकलेट खाने से भले ही दांतों को फायदा पहुंचता है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. दांतों की सफाई के लिए सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले ब्रश जरूर करें. आपको कुछ चीजों से दूरी बनानी होगी जिसमें चीनी, कॉफी, खट्टी चीजें और शराब शामिल हैं. अल्कोहल की लत होने से दांतों का पीलापन बढ़ जाता है. हर दिन माउथवॉश जरूर करें और खासकर जीभ को भी क्लीन करें.
Lifestyle
क्या आप भी डियोड्रेंट लगाने के शौकीन है, तो लगाते समय बरते सावधानियां..
Summer Health Tips: हम रोजाना कई सारे कैमिकल्स के बीच जीते हैं। इनमें से कुछ हमारी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, तो कुछ को हमने शौक या लग्जरी की वजह से अपना लिया है। इनमें एक बड़ा प्रतिशत है कॉस्मेटिक्स का। साबुन से लेकर शैंपू और लोशन तक और परफ्यूम से लेकर डियो स्टिक तक, रोजाना हमारा शरीर कई सारे रसायनों से होकर गुजरता है। जाहिर है कि रसायन हैं तो रासायनिक प्रतिक्रिया भी देंगे ही। डियोड्रेंट का प्रयोग भी इसी के अंतर्गत आता है। गर्मियों के दिन हों या बारिश के, पसीने और उमस भरे वातावरण में डियोड्रेंट मन को ताजगी का एहसास देने का काम करता है। साथ ही ये पसीने की दुर्गंध को भी दूर रख सकता है। मुश्किल यह है कि डियो का गलत तरीके से इस्तेमाल या अधिक इस्तेमाल भी कई समस्याएं खड़ी कर सकता है। इसलिए इसके उपयोग को लेकर सतर्कता रखना जरूरी है।
तेज गर्मी का मौसम हो या बारिश के उमस भरे दिन, शरीर पर खुशबूदार डियो की छुअन मन को भी प्रफुल्लित कर डालती है। यहां यह जानना जरूरी है कि डियोडरेंट त्वचा की एसिडिटी को बढ़ाकर बदबू पर नियंत्रण का काम करता है। खासतौर पर बगलों यानी आर्मपिट पर। लेकिन यह पसीने पर नियंत्रण नहीं करता। डियोड्रेंट एक प्रकार का कॉस्मेटिक ही है। इसलिए ये रसायनों से ही बनाए जाते हैं। पसीने की बदबू को रोकने के लिए इनमें परफ्यूम का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही इनमें अल्कोहल भी होता है। यही कारण है कि जब आप स्किन पर इसे अप्लाई करते हैं तो स्किन रूखी और रंगहीन भी हो सकती है।
एलर्जी और डियो:
डियो के कारण कई बार एलर्जी ट्रिगर हो सकती है। इसमें त्वचा पर रैशेज, दाने, लाली, खुजली, जलन होना या त्वचा पर पपड़ी बनना या सूजन आना आदि होने के साथ ही सांस सम्बन्धी लक्षण भी पनप सकते हैं। आमतौर पर यह कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस का ही एक प्रकार होता है। ऐसा डियो में मौजूद एल्युमिनियम, अल्कोहल, कृत्रिम सुगंध, पैराबीन्स जैसे प्रिजर्वेटिव्ज, रंग या अन्य रसायनों की वजह से हो सकता है।
इन बातों का रखें ख्याल:
-सबसे पहली चीज है आपकी स्किन की संवेदनशीलता। अगर आपकी स्किन सेंसेटिव है तो बहुत सतर्कता से डियो का चुनाव करें। हो सके तो विशेषज्ञ से परामर्श भी लें।
-आपको याद रखना होगा कि शरीर पर आने वाला पसीना बदबूदार नहीं होता। ये आपकी स्किन पर पलने वाले बैक्टीरिया होते हैं जो इस बदबू का कारण बनते हैं। इसलिए यदि आप बॉडी ओडर से परेशान हैं तो पहले इसका कारण जानें। बजाय कारण समझे ढेर सारे डियो का उपयोग न करें। हो सकता है आपके साथ कोई ऐसी समस्या हो जिसे सही उपचार की जरूरत हो।
कॉटन के साफ धुले कपड़े पहनने, रोज अच्छे से नहाने, शरीर को साफ रखने, शरीर के अतिरिक्त बालों को हटाने और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने जैसे तरीकों से काफी हद तक पसीने की बदबू को नियंत्रित किया जा सकता है।
-आर्मपिट डिटॉक्स, एलोवेरा, नारियल तेल, टी ट्री ऑइल, एप्सम सॉल्ट, कोल्ड कम्प्रेस, आदि जैसे साधनों से भी बदबू की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
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Lifestyle
क्या आप भी ब्लड प्रेशर का मरीज है तो, रखे इन बातो का ध्यान..
जीवनशैली और आहार में गड़बड़ी के कारण जिन स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है, हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) उनमें से एक है। एक दशक पहले तक हाइपरटेंशन को मुख्यरूप से बुजुर्गों में होने वाली समस्या के तौर पर जाना जाता था, हालांकि अब कम उम्र के लोग भी इसके शिकार होते देखे जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से वैश्विक स्तर पर हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों की संख्या में उछाल देखा जा रहा है, ऐसे में इस खतरे को समझते हुए सभी लोगों को कम उम्र से ही बचाव के उपाय शुरू कर देने चाहिए।
अध्ययनों से पता चलता है कि हाई ब्लड प्रेशर जीवनभर बनी रहनी वाली समस्या है, दवाइयों के माध्यम से सिर्फ इसे कंट्रोल किया जा सकता है। हम सभी जाने-अनजाने कई ऐसी चीजें करते रहते हैं जो रक्तचाप बढ़ने का कारण बन सकती हैं। हाइपरटेंशन के बढ़ते वैश्विक खतरे के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि हमारी कौन सी आदतें रक्तचाप बढ़ने का कारण बन सकती हैं? जिनपर सभी लोगों को विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
सेंडेंटरी लाइफस्टाइल
सेंडेंटरी लाइफस्टाइल यानी कि गतिहीन जीवनशैली को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण माना जाता है, हाई ब्लड प्रेशर की भी समस्या उसमें से एक है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहने वाले काम करते हैं या फिर नियमित रूप से व्यायाम या शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं, उनमें रक्तचाप बढ़ने का जोखिम कई गुना अधिक हो सकता है। इससे बचे रहने के लिए दिनचर्या में योगासनों को जरूर शामिल करें।
सोडियम युक्त चीजों का अधिक सेवन
सोडियम की अधिकता को रक्तचाप बढ़ाने वाले प्रमुख जोखिम कारकों के रूप में जाना जाता है। सोडियम, नमक का प्रमुख घटक है, ऐसे में ज्यादा नमक युक्त चीजों का सेवन करना आपको हाई ब्लड प्रेशर का रोगी बना सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार सभी लोगों को दिनभर में किसी भी प्रकार से 2,300 मिलीग्राम से अधिक मात्रा (करीब एक चम्मच) से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
तनाव के कारण बढ़ सकती है समस्या
कई शोध, तनाव लेने को ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक मानते हैं। अधिक तनाव लेने वाले लोगों में क्रोनिक हाइपरटेंशन का जोखिम बढ़ जाता है जिसे हृदय रोगों का कारण माना जाता है। यही कारण है कि सभी लोगों को दैनिक जीवन में तनाव प्रबंधन के उपाय जैसे योग-मेडिटेशन और स्वस्थ आहार को अपनाने की सलाह दी जाती है। तनाव के स्तर को कंट्रोल करके ब्लड प्रेशर को भी बढ़ने से रोका जा सकता है।
शराब-धूम्रपान और कैफीन का सेवन
शराब-धूम्रपान की आदत को अध्ययनों में सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक बताया गया है। इसके अलावा अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने वाले लोगों में भी रक्तचाप बढ़ने का खतरा हो सकता है। विशेषज्ञ सभी लोगों को कैफीन युक्त चीजों का सेवन नियंत्रित करने और शराब-धूम्रपान से बिल्कुल परहेज करने की सलाह देते हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
Lifestyle
AC की हवा लेते है आप भी तो हो जाइये सावधान, नही तो हो सकते है आपको ये गंभीर बीमारी…
गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग तरह-तरह के तरीकें अपना रहे है। इस लिस्ट में कूलर, पंखा और AC शामिल है जिन्हे लोग अपने घर, कार्यालय और गाड़ी में लगवाते हैं। हालाँकि एसी का अधिक प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जी हाँ, लगातार कई घंटों तक एसी का प्रयोग करने से आप विभिन्न तरह की बीमारियों की भी चपेट में आ सकते है। आप सभी को बता दें कि विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि एसी का निरंतर प्रयोग स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जी हाँ और इससे त्वचा में रूखापन आ जाता है, और शरीर के विभिन्न जोड़ों के अंगों में भी रूखापन आ जाता है। जी दरअसल दिनभर एसी का प्रयोग करना स्वास्थ्य को खराब करने के लिए काफी है।
एसी का ज्यादा प्रयोग करने से ये आ रही समस्याएं- एसी का अधिक प्रयोग करने से आंखों और त्वचा पर रूखापन आ जाता है। जी हाँ और इसके अलावा ब्लड प्रेशर भी कम होने लगता है, जोकि स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। जी दरअसल एसी से सीधे बाहर के वातावरण में जाने से उल्टी आना, चक्कर आना और लू लगने का भी खतरा रहता है। केवल यही नहीं बल्कि इसके अलावा जो लोग हार्ट या किडनी रोग से परेशान है। उनको भी एसी के ज्यादा प्रयोग से दिक्कत हो सकती है। एसी का प्रयोग करने से पसीना नहीं आता इसलिए शरीर के टॉकसिंस बाहर नहीं निकल पाते जोकि बीमारियों का खतरा पैदा करते हैंं।
बरतें सावधानियां- ध्यान रहे एसी के बिल्कूल सामने ना बैठें और तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से कम ना रखें। जी हाँ और इसी के साथ एसी वाले कमरे से एकदम सीधे धूप में ना जाएं और दो घंटे के नियमित अंतराल के बाद एसी को बंद कर दें। आपको बता दें कि छोटे बच्चों के लिए भी एसी की ज्यादा कूलिंग ठीक नहीं है।
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