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बेली बटन से हो सकता है नाभि में इन्फेक्शन, जानिए इसके लक्षण व दूर करने के उपाय
बैली बटन में इंफेक्शन की वजह से होने वाली खुजली और दर्द को दूर करने के लिए नारियल तेल से मसाज करें।
नाभि (Belly Botton)हमारी बॉडी का बेहद संवेदनशील अंग होता है जिसमें सबसे ज्यादा बैक्टीरिया जमा होते हैं। बैक्टीरिया होने का सबसे बड़ा कारण पियर्सिंग, साबुन और पानी का बैली बटन में जमा होना है, जिसकी वजह से बैली में दर्द होने लगता है। बैली बटन में इंफेक्शन होने का खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है। बरसात में खुजली और इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। इस मौसम में बैली बटन की ठीक से सफाई नहीं होने के कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ने लगता है।
बैली बटन में इंफेक्शन होने की वजह सफाई का ध्यान नहीं रखना, सर्जरी, डायबिटीज, सिस्ट जैसी परेशानियों की वजह से भी नाभि में इंफेक्शन हो सकता है। कई मामलों में इंफेक्शन का कारण अल्ट्रा वायलेट किरणें और मोटापा भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस मौसम में बैली बटन में इंफेक्शन के लक्षण कौन-कौन से हैं और उनका घर में उपचार कैसे करें।
बैली बटन में इंफेक्शन के लक्षण:
बैली बटन से भूरे रंग का मवाद निकलना और मवाद से बदबू आना
बैली बटन में लगातार खुजली रहना।
बैली के आस-पास की जगह पर दर्द और सूजन की शिकायत होना शामिल है।
बैली बटन के इंफेक्शन से कैसे बचाव करें:
नारियल तेल से मसाज करें:
बैली बटन में इंफेक्शन की वजह से होने वाली खुजली और दर्द को दूर करने के लिए नारियल तेल से मसाज करें। नारियल तेल इंफेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया को दूर करता है और सूजन और दर्द से राहत दिलाता है। रोजाना रात को सोने से पहले बैली बटन में उंगली से नारियल तेल लगाएं इंफेक्शन से बचाव होगा।
हल्दी का लेप लगाएं:
औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन करने से बैली बटन के इंफेक्शन और दर्द से बचाव होता है। एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर हल्दी इंफेक्शन से बचाव करती है। हल्दी का इस्तेमाल उसका लेप बनाकर कर सकते हैं। एक चम्मच हल्दी में थोड़ा सा पानी मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। पेस्ट को दिन में दो बार बैली बटन पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें। सूखने के बाद इसे साफ कपड़े से साफ कर लें। हल्दी का लेप दर्द कम करेगा और इंफेक्शन से बचाव करेगा।
एलोवेरा जेल लगाएं:
एंटी इंफ्लेमेट्री गुणों से भरपूर एलोवेरा जेल का इस्तेमाल आप बैली बटन के इंफेक्शन को दूर करने में कर सकते हैं। एलोवेरा दर्द और खुजली से राहत दिलाएगा। एलोवेरा का इस्तेमाल करने के लिए आप एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसमें से जेल निकाल लें। जेल को बैली बटन पर लगाएं और कुछ देर के लिए सूखने दें। कुछ देर बाद बैली बटन को साफ कपड़े से साफ कर लें।
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त्रिफला चूर्ण खाने के तीन बड़े नुक्सान ये रहे जानिए
Triphala Churna side Effects: आयुर्वेदिक और हर्बल में उपचार के लिए त्रिफला का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. त्रिफला के अगर फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी, जो कई तरह के हो सकते हैं.
Triphala Churna side Effects-त्रिफला का नाम तो हर किसी ने सुना होगा. कई तरह की बीमारी के दौरान भी इसे लेते हुए देखा होगा. सदियों से त्रिफला को आयुर्वेदिक और हर्बल उपचार के तौर में इस्तेमाल में लाया जा रहा है. आंवला, बिभिताकि और हरीताकी ये तीन फलों से मिलकर त्रिफला को तैयार किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, त्रिफला खाने से कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में किया जा सकता है. त्रिफला खाने से हेल्थ को कई फायदे मिल सकते हैं. त्रिफला बाजार में चूर्ण, कैप्सूल और जूस के अर्क के रूप में आसानी से मिल जाता है. त्रिफला चूर्ण के वैसे तो कई फायदे हैं, लेकिन इसे खाने से पहले अगर सावधानी नहीं बरती गई तो इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं.
त्रिफला चूर्ण के नुकसान
हो सकता है ब्लड शुगर लो
स्टाइलक्रेज़ के मुताबिक, त्रिफला में डायबिटीज से लड़ने के गुण होते हैं. जो मरीज पहले से ही डायबिटीज कि दवाएं ले रहे हैं, उन्हें त्रिफला खाने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जो ब्लड शुगर को काफी लो कर सकता है. अगर डायबिटीज के मरीज हैं तो त्रिफला चूर्ण खाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
दवाओं का असर हो सकता है कम
त्रिफला कई तरह की दवाओं का असर कम कर सकता है, जिससे लिवर को नुकसान पहुंच सकता है. दवाओं के साथ त्रिफला का सेवन करने से पहरेज करना चाहिए. इसके अलावा मूड खराब, एनर्जी में कमी और नींद की समस्या भी हो सकती है.
प्रेगनेंसी में हो सकती है समस्या
प्रेगनेंसी के दौरान त्रिफला चूर्ण के सेवन से कई तरह की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं. इससे मिसकैरेज तक हो सकता है. त्रिफला चूर्ण के सेवन से पहले महिलाओं को डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए. त्रिफला चूर्ण को खाने से पहले इसकी सही मात्रा के बारे में जानकारी होना जरूरी है.
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आंसू निकलना भी होता है फायदेमंद जानिए, कैसे
Eye Health: अभी तक आपने सुना होगा कि हंसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि रोने के भी बहुत से फायदे हैं.
Eye Care Tips: अगर हंसना-मुस्कराना सेहत (Health) के लिए अच्छा माना जाता है तो रोना भी कहीं से खराब नहीं. जितने ज्यादा फायदे हंसने के है, रोने के भी उतने ही फायदे (Benefits of Tears) माने जाते हैं. फिर चाहे आप किसी मूवी या सीरियल को देख इमोशनल हो रहे हैं या फिर प्याज काटते वक्त आपके आंसू निकल रहे हों.
रिसर्च कहती है कि आपकी हेल्दी आंखों के लिए आंसू काफी जरूरी है. यह आपकी आंखों को गीला और चिकना रखते हैं. इंफेक्शन और गंदगी से भी बचाते हैं. ये आपकी आंखों को साफ रखते हैं और हेल्दी भी बनाते हैं. तो यहां जानिए आखिर क्यों निकलते हैं आंसू और इसके क्या-क्या होते हैं फायदे..
आंसू क्यों निकलते हैं?
इंसान के रोने के पीछे पूरी तरह से साइंस (Science) काम करता है. जब हम या आप इमोशनल (Emotional) होते हैं, प्याज का कोई तीखी चीज काटते हैं, आंखों में कुछ चला जाता है तब आंसू निकलते हैं. आंसू आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है, जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता है. इसमें तेल, बलगम और एंजाइम नामक केमिकल भी पाया जाता है, जो कीटाणु को मार हमारी आंखों को हेल्दी रखता है.
तीन तरह के होते हैं आंसू
आप नहीं जानते होंगे कि इंसान की आंखों से तीन तरह के आंसू निकलते हैं. चलिए बताते हैं
Basal Tears- इस तरह के आंसू आंखें झपकने पर निकलते हैं. ये आंखों में नमी बनाए रखने का काम करते हैं. ये नॉन-इमोशनल आंसू होते हैं.
Reflex Tears– ये भी नॉन-इमोशनल आंसू ही होते हैं. ये आंखों के हवा, धुएं, घूल के पड़ने से आते हैं.
Emotional Tears- दुख, निराशा, गम होने पर जो आंसू निकलते हैं वे इमोशनल आंसू होते हैं.
आंसुओं के फायदे ही फायदे
नीदरलैंड्स की स्टडी के मुताबिक रोने से आप रिलैक्स फील करते हैं और आपका मूड अच्छा होता है.
आंसू में लाइसोजोम (Iysozyme) नाम का फ्लूइड पाया जाता है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. यह हमारी आंखों को संक्रमण से बचाता है और आंखों को साफ करता है.
रोने से इमोशन कंट्रोल होती हैं और मानसिक तनाव से राहत मिलती है
रोने से बॉडी में ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हॉर्मोन बनते हैं जो शारीरिक और भावनात्मक दर्द से आराम दिलाते हैं.
आंसू निकलनेसे आंखें सूखती नहीं और उसकी नमी बरकरार रहती है, जिससे आखों की रोशनी बढ़ती है.
जब कोई शख्स आंखें झपकाता है, तो बेसल टियर निकलती हैं तो म्यूकस में ब्रेन को सूखने से बचाते हैं.
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क्या आप भी AC का टेंपरेचर 24 -25 से कम रखते है तो हो जाइये सावधान
Best Temperature For Ac: गर्मी में एसी चलाने से राहत मिल जाती है, लेकिन ज्यादा कम तापमान पर एसी चलाना सेहत को नुकसान देता है, जानिए कितने तापमान पर चलाना चाहिए AC और ज्यादा AC में रहने के नुकसान.
AC Temperatures Harmful: बारिश के मौसम में ह्यूमिडिटी सबसे ज्यादा परेशान करती है. ऐसे में पसीना और चिपचिपाहट से सिर्फ एसी में बैठने पर ही राहत मिलती है. कुछ लोगों को इतनी गर्मी लगती है कि वो एसी के ठीक सामने बैठना या सोना ही पसंद करते हैं और एसी का टेंपरेचर भी 18-20 ही रखते हैं. अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाएं. एसी को बहुत कम टेंपरेचर पर चलाना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है. इससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. आइये जानते हैं एसी को किस टेंपरेचर पर चलाना चाहिए और ज्यादा कम पर एसी चलाने से क्या नुकसान होते हैं.
24-25 डिग्री पर ही एसी चलाएं
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आपको एसी 24-25 डिग्री पर चलाना चाहिए. इससे कम एसी चलाकर रखना आपके स्वास्थ्य पर विरपरीत असर डालता है. सर्दी हो या गर्मी बाहर से तापमान से कमरे या घर के तापमान में एक्सट्रीम बदलाव नहीं होना चाहिए. हमारे शरीर के तापमान की तुलना में बहुत कम तापमान पर सेट किए गए एसी कमरे से नमी को गायब कर देते हैं. जिससे त्वचा को नुकसान होता है. ऐसे में त्वचा से पसीना कम निकलता है और ऑयल ज्यादा निकलने लगता है. इससे मुँहासे, समय से पहले झुर्रियाँ और त्वचा में जलन पैदा हो सकती है. एक्सट्रीम हाई टेंपरेचर में त्वचा के पोर्स बंद हो सकते हैं, जिससे स्किन के फंक्शन पर असर पड़ता है.
कम टेंपरेचर पर एसी चलाने के नुकसान
ज्यादा तापमान पर एसी चलाने से शरीर का थर्मल रेगुलेशन प्रभावित होता है.
ठंडी और ड्राई हवा में वायरस और जर्म्स जल्दी पैदा होते हैं और फैलते हैं.
ज्यादा कम एसी चलाने से अस्थमा और माइग्रेन की समस्या बढ़ सकती है.
जो लोग ज्यादा AC में रहते हैं वो समय से पहले बूढ़े लगने लगते हैं. ऐसे लोगों की त्वचा पर जल्दी झुर्रियां आने लगती हैं.
बालों का झड़ना, नाक बंद होना और गला सूखने जैसी परेशानियां होती हैं.
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