पोला त्यौहार का महत्व
भारत देश कृषि प्रधान देश है, यहाँ कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का भी विशेष योगदान होता है. भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्ही में से एक है, जिस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते है. यह पोला का त्यौहार विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है. पोला के दिन किसान और अन्य लोग पशुओं की विशेष रूप से बैल की पूजा करते है, उन्हें अच्छे से सजाते है. पोला को बैल पोला भी कहा जाता है.
2020 में पोला त्यौहार कब है ?
पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को जिसे पिठोरी अमावस्या भी कहते है, उस दिन मनाया जाता है. विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है. वहां यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. वहां बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है.
पोला नाम क्यों पड़ा
विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, इस दिन बच्चों को विशेष प्यार, लाढ देते है.
पोला त्यौहार का महत्व
भारत, जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है.
पोला दो तरह से मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला. बड़ा पोला में बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, जबकि छोटा पोला में बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है और फिर कुछ पैसे या गिफ्ट उन्हें दिए जाते है.
पोला पर्व मनाने का तरीका
पोला के पहले दिन किसान अपनी बैलों के गले, एवं मुहं से रस्सी निकाल देते है.
इसके बाद उन्हें हल्दी, बेसन का लेप लगाते है, तेल से उनकी मालिश की जाती है.
इसके बाद उन्हें गर्म पानी से अच्छे से नहलाया जाता है. अगर पास में नदी, तालाब होता है तो उन्हें वहां ले जाकर नहलाया जाता है.
इसके बाद उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है.
इसके बाद बैल को अच्छे सजाया जाता है, उनकी सींग को कलर किया जाता है.
उन्हें रंगबिरंगे कपड़े पहनाये जाते है, तरह तरह के जेवर, फूलों की माला उनको पहनाते है. शाल उढ़ाते है.
इन सब के साथ साथ घर परिवार के सभी लोग नाच, गाना करते रहते है.
इस दिन का मुख्य उद्देश्य ये है कि बैलों के सींग में बंधी पुरानी रस्सी को बदलकर, नए तरीके से बांधा जाता है.
गाँव के सभी लोग एक जगह इक्कठे होते है, और अपने अपने पशुओं को सजाकर लाते है. इस दिन सबको अपनी बैलों को दिखने का मौका मिलता है.
फिर इन सबकी पूजा करके, पुरे गाँव में ढोल नगाड़े के साथ इनका जुलुस निकाला जाता है.
इस दिन घर में विशेष तरह के पकवान बनते है, इस दिन पूरम पोली, गुझिया, एवं पांच तरह की सब्जी मिलाकर मिक्स सब्जी बनाई जाती है.
कई किसान इस दिन से अपनी अगली खेती की शुरुवात करते है.
कई जगह इस दिन मेले भी लगाये जाते है, यहाँ तरह तरह की प्रतियोगितायें आयोजित होती है, जैसे वॉलीबॉल, रेसलिंग, कबड्डी, खो-खो आदि.
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के गाँव में बैल की जगह लकड़ी एवं लोहे के बैल की पूजा की जाती है, बैल के अलावा यहाँ लकड़ी, पीतल के घोड़े की भी पूजा की जाती है.
इस दिन घोड़े, बैल के साथ साथ चक्की (हाथ से चलाने वाली चक्की) की भी पूजा की जाती है. पहले के जमाने में घोड़े बैल, जीवनी को चलाने के लिए मुख्य होते थे, एवं चक्की के द्वारा ही घर पर गेहूं पीसा जाता था.
तरह तरह के पकवान इनको चढ़ाये जाते है, सेव, गुझिया, मीठे खुरमे आदि बनांये जाते है.
घोड़े के उपर थैली रखकर उसमें ये पकवान रखे जाते है.
फिर अगले दिन सुबह से ये घोड़े, बैल को लेकर बच्चे मोहल्ले पड़ोस में घर घर जाते है, और सबसे उपहार के तौर पर पैसे लेते है.
इसके अलावा पोला के दिन मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में गेड़ी का जुलुस निकाला जाता है. गेड़ी, बांस से बनाया जाता है, जिसमें एक लम्बा बांस में नीचे 1-2 फीट उपर आड़ा करके छोटा बांस लगाया जाता है. फिर इस पर बैलेंस करके, खड़े होकर चला जाता है. गेड़ी कई साइज की बनती है, जिसमें बच्चे, बड़े सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. ये एक तरह का खेल है, जो मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का पारंपरिक खेल है. इस अवसर पर बैल दौड़ और बैल सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसमें अधिक से अधिक किसान अपने बैलों के साथ भाग लेते हैं।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पोळा पर्व कई समाजवासी बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते हैं। बैलों की जोड़ी का यह पोळा उत्सव देखते ही बनता है।
तालिबान के आने के बाद इस्लामिक स्टेट के हमले भी तेजी से बढ़े हैं. ये संख्या 2020 में 60 थी, जो इस साल बढ़कर 334 हो गई है अमेरिका ने 20 साल तक चले युद्ध के बाद अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी कर ली है. जिसके बाद तालिबान ने देश पर कब्जा किया. वह खुद को एक सरकार के रूप में पेश करने के लिए वास्तविक प्रयास कर रहा है, लेकिन फिर भी तालिबान समाज के दूसरे तबके और महिलाओं एवं लड़कियों के अधिकारों को कम करना जारी रखे हुए है।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान देश से नियंत्रण खोता जा रहा है. देश के लगभग हर प्रांत में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी बढ़ती जा रही है. अफगानिस्तान के लिए यूएन की राजदूत ने बताया कि इस्लामिक स्टेट तेजी से बढ़ रहा है. अब यह सभी 34 प्रांतों में मौजूद है . संयुक्त राष्ट्र की विशेष राजदूत डेबोरा लियोन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि तालिबान इस्लामिक स्टेट-खोरासान (आईएसकेपी) के विस्तार को रोकने के लिए संदिग्ध आईएसकेपी आतंकियों की गिरफ्तारी या हत्या कर रहा है.
लियोन ने बताया, ‘यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसपर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है.’ उन्होंने ये बात ऐसे वक्त में कही है, जब तालिबान के कट्टर दुश्मन इस्लामिक स्टेट ने काबुल में शिया मुस्लिमों पर दो घातक हमले किए हैं. जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई है, जबकि छह अन्य लोग घायल हुए हैं यूएन की राजदूत ने कहा कि ‘तालिबान आईएसकेपी के बढ़ते प्रभाव को रोकने में असमर्थ है. वह पहले कुछ प्रांतों या राजधानी तक ही सीमित था लेकिन अब लगभग सभी प्रांतों में मौजूद है और तेजी से सक्रिय हो रहा है.’
घरों की तलाशी ले रहा तालिबान
लियोन बताती हैं कि संयुक्त राष्ट्र को लगातार ऐसी खबर मिल रही हैं कि तालिबान पिछली सरकार से जुड़े लोगों और सैनिकों का पता लगाने के लिए घर-घर जाकर तलाशी ले रहा है वह इन लोगों की हत्या कर रहा है. अब गिरती अर्थव्यवस्था और सूखे के कारण सर्दियों में यहां मानवीय संकट और बढ़ सकता है. उन्होंने ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्वास्थ्य कर्मियों, शिक्षकों और मानवीय सहायता कर्मियों को वेतन दिए जाने के तरीके खोजने का आग्रह किया है. लियोन ने कहा, ‘आर्थिक पतन के कारण अवैध ड्रग्स, हथियार, मानव तस्करी और अनियंत्रित मुद्रा विनिमय को बढ़ावा मिलेगा, जो केवल आतंकवाद को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
प्रदेश
यातायात पुलिस रिंगरोड पर खड़ी बसों पर नहीं कर रहा कार्रवाई, हो रहा ट्रैफिक जाम
पूर्वी रिंगरोड पर दिनभर खड़ी रहने वाली निजी ट्रैवल्स की बसों के आगे पुलिस प्रशासन के साथ ट्रैफिक विभाग लंबे समय से बेबस होता नजर आ रहा है। हालत यह है कि रोज रिंगरोड पर आधी सड़क घेरकर बगैर रोक टोक के कई बसें खड़ी रहती है। यही नहीं इनकी बीच सड़क पर धुलाई भी हो रही है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
वहीं मूसाखेड़ी रिंगरोड की सर्विस रोड़ पर निजी ट्रैवल्स संचालकों की ऐसी मनमानी चल रही है कि मैनरोड के साथ पुलिस पेट्रोल पंप की और जाने वाली सर्विस रोड़ पर भी कब्जा जमा रखा है। जिसके कारण यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को दिक्कतें हो रही है। यही नहीं आसपास के रहवासियों और कई व्यापारियों ने भी ट्रैवल्स संचालकों द्वारा आए दिन की जा रही दादागिरी की शिकायत पुलिस प्रशासन से लेकर, ट्रैफिक विभाग के अफसरों और निगम में भी की। उसके बावजूद इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। कार्रवाई के नाम पर कुछ दिन सड़क से बसें हटती हैं और फिर वापस आकर खड़ी होने लगती है।
उसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा लंबे समय से मामलें में अनदेखी की जा रही है।इधर आसपास के रहवासियों का कहना है कि अफसरों द्वारा सख्ती नहीं करने से पूर्वी रिंग रोड के मूसाखेड़ी से पीपल्याहाना ब्रिज से पहले शांति नगर चौराहे पर मेनरोड से लेकर सर्विस रोड़ तक सुबह से लेकर देर शाम तक बसों का जमावड़ा लगा रहता है, जबकि सर्विस रोड़ लगे बड़े हिस्से में एक ट्रैवल्स का संचालन हो रहा है।
जहां सैकड़ो बसें खड़ी रहती हैं।उसके बावजूद रिंगरोड की सर्विस रोड़ और मैनरोड पर भी बसों का जमघट दिनभर लगा रहता है। जिसके कारण कई बार जाम जैसे हालत बन जाते हैं। फिर भी न पुलिस प्रशासन और न ट्रैफिक विभाग के जवान और निगम के जिम्मेदार ट्रैवल्स संचालक पर कोई कार्रवाई करतें है, जिससे इनके हौसले बुलंद हो रहे हैं।
देश - दुनिया
केंद्र सरकार:किसानों को अगले माह फिर मिलेगी सम्मान निधि, खाते में सुधार लें ये गलतियां
केंद्र सरकार ने तीन विवादित किसान कानूनों को लेकर जहां किसान आंदोलन को खत्म करने की कोशिश की है, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार अगले माह एक बार किसानों के खुशखबरी देने जा रही है। मोदी सरकार किसान सम्मान निधि का पैसा जल्द ही उनके बैंक खाते में जमा करने वाली है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को दिसंबर माह में 10वीं किस्त दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक किसानों के खातों में 15 दिसंबर तक राशि जमा कर दी जाएगी।
किसान अपने खातों में न करें ये गलतियां
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