National Milk Day: सर्दियों में दूध पीने का ये है सही तरीका, स्वाद ही नहीं सेहत भी हो जाएगी दुरुस्त
National Milk Day: श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीस कुरियन के जन्मदिन के अवसर पर हर वर्ष देश में 26 नवंबर को नेशनल मिल्क डे (राष्ट्रीय दुग्ध दिवस) मनाया जाता है। वर्गीज कुरियन का जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर 1921 को हुआ था। कुरियन को ‘भारत का मिल्कमैन’ भी कहा जाता है। अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए दूध पीना बेहद जरूरी है ये तो सब जानते हैं पर क्या आपको दूध पीने के सही तरीके के बारे में भी पता है। अगर नहीं तो आइए इस खास मौके पर जानते हैं सर्दियों में आखिर क्या है दूध पीने सा सही तरीका।
दूध सेहतमंद होता है, तभी तो हर मां अपने बच्चे के पीछे पड़ी रहती है कि वे दिन भर में एक गिलास दूध ही पी ले। लेकिन अधिकांश बच्चे दूध से दूर भागते हैं। बच्चे तो क्या कुछ बड़े भी दूध से दूरी बनाए रखते हैं। इसका तरीका है। कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें दूध में मिलाकर उसके पौष्टिक गुण और स्वाद, दोनों बढ़ाए जा सकते हैं। जैसे चॉकलेट। सर्दियों में हॉट चॉकलेट बहुत लाभदायक होती है। यह बच्चों में सर्दी-खांसी दूर करने के गुण रखती है।
घर पर ही करें ये प्रयोग, दूध बन जाएगा और स्वादिष्ट
दूध में बाजरा, चना, बादाम, पिस्ता, काजू का पाउडर मिलाया जाए तो यह स्वाद बढ़ाने के साथ सम्पूर्ण भोजन का काम करता है। यह मल्टीग्रेन हेल्थ ड्रिंक पाउडर घर भी बनाया जा सकता है।
खजूर-
खजूर एक सुपर फूड है। इसके स्वास्थ्य लाभ की लिस्ट बनाई जाए तो बहुत लंबी हो जाएगी। इसमें बहुत सारी ऊर्जा, लौह और खनिज तत्व होते हैं जो पूरे बॉडी सिस्टम को फायदा पहुंचाते हैं। सूखे खारक (छुआरा) के पाउडर को दूध में मिलाया जाए तो यह श्रेष्ठ पेय बन जाता है। इससे प्राकृतिक रूप से मिठास आ जाती है। इसे भी घर पर आसानी से बनाया जा सकता है।
बच्चों के लिए बाजार में उपलब्ध हेल्दी ड्रिंक्स में आमतौर पर अंकुरित रागी होती है। इन ड्रिंक्स में बाजरा जैसे मोटे अनाज भी होते हैं जिनसे शरीर को एंटी-ऑक्सीडेंट मिलते हैं।
सर्दियों में बच्चों की बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो जाती है। ऐसे में जई (ओट्स), गेहूं का दलिया और सेखे मेवों को मिलाकर प्रतिरक्षा बढ़ाने वाला पाउडर बनाया जा सकता है। इसे दूध में मिलाकर पिया जाए तो कई तरह के फायदे पाए जा सकते हैं।
कच्चे केले-
साधारण केले की तुलना में केरल में पाए जाने वाले कच्चे केले में अधिक कैलोरी होती है। दूध में मिलाकर पिलाया जाए तो यह उन बच्चों के लिए यह आदर्श हो सकता है, जिनका वजन कम है। दूध के इस गिलास में फाइबर और बहुत सारे विटामिन सी के साथ, पाचन में सुधार करने वाले गुण है।
घर पर रागी, बादाम का पाउडर आसानी से बनाया जा सकता है। गुड़ और इलायची के साथ इसे दूध में मिलाया जाए तो स्वाद के साथ सेहत का भी लाभ मिलता है। यह ड्रिंक सर्दियों के लिए परफेक्ट है।
हल्दी वाला दूध-
हल्दी वाला दूध एक ऐसी चीज है जिससे हर मां और दादी परिचित है। हल्दी में घाव भरने की क्षमता होती है और यह रोगों से लड़ने की ताकत भी बढ़ाती है। सर्दियों में हल्दी वाला दूध बहुत गुणकारी होती है।
बादाम का दूध
बादाम का दूध पूरे भारत में लोकप्रिय है, खासकर जब यह ठंडा हो जाता है। बादाम को गलाने के बाद इसे घीसकर दूध में मिलाया जाता है, जिसके इसका स्वाद पूरे गिलास में घूल जाता है।
ड्राय फ्रूट्स का पाउडर –
ड्राय फ्रूट्स का पाउडर बना कर दूध में मिलाया जाए तो इसका स्वाद और पौष्टिकता, दोनों बढ़ जाते हैं। इन ड्राय फ्रूट्स (बादाम, काजू, पिस्ता) में केसर और हल्दी को शामिल किया जा सकता है।
प्रोटीन पाउडर-
यदि परिवार शाकाहारी है और इस कारण बच्चे को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल रहा है तो उसे दूध में प्रोटीन पाउडर मिलाकर दिया जा सकता है। इस प्रोटीन पाउडर में सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज और चिया बीज होते हैं जो स्वस्थ वसा और एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं।
ठंडाई मसाला दूध-
कई बच्चे ठंडा दूध पीना पसंद करते हैं। उनके लिए ठंडाई मसाला दूध बनाया जा सकता है। इसमें नट, मसाले और गुलाब की पंखुड़ियों को शामिल किया जा सकता है।
सोया दूध –
सोया दूध में संतृप्त वसा की तुलना में मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा की मात्रा अधिक होती है। संतृप्त वसा गाय के दूध में ज्यादा होती है, जिससे हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट संबंधी समस्याओं से लड़ने में मदद मिलती है।
ज्योतिष
VASTU TIPS FOR KEYS: घर में इस दिशा में भूलकर भी न रखे चाबी, नही तो घरो में पैदा हो सकती है उलझन की समस्या, वास्तु के अनुसार जाने इसे किस दिशा में रखना होता है शुभ…
Vastu Tips For Keys: चाबियों का इस्तेमाल सभी के घरों में किया जाता है। अलमारी से लेकर घर के दरवाजे और गाड़ियों की चाबी को रखने के लिए घर में एक स्थान सुनिश्चित होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि गलती से चाबी खो जाती है, तो काफी परेशानी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में चाबियों को रखने के लिए भी कुछ नियम बताए गए हैं? जी हां, दरअसल चाबियों को गलत तरीके से रखने से भी आप कई तरह की समस्याओं को आमंत्रित कर सकते हैं। वहीं यदि आप वास्तु में बताए गए नियमों के अनुसार चाबियों को रखते हैं तो घर में सकारात्मकता आती है। वास्तु शास्त्र कहता है कि यदि घर में चाबियां सही जगह रखी हों तो ये शुभ फल देती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार घर में चाबियों को रखने के लिए क्या नियम है…
ड्राइंग रूम न रखें
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कभी भी ड्राइंग रूम में चाबियों को नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ड्राइंग रूम में चाबियां रखने से बाहर से आने वाले लोग भी उन्हें देखते हैं, जिससे नजर लग जाती है।पूजा स्थान में ने रखें चाबियां
वास्तु के अनुसार घर में पूजा स्थल के आस पास चाबियां नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि चाबियां घर से बाहर ले जाने और लाने की वजह से उसमें गंदे हाथ लगते रहते हैं। ऐसे में यदि आप पूजा स्थान में गंदी चाबियों को रखेंगे तो इससे आपको नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
किचन में भी न रखें चाबियां
रसोईघर में भी चाबियों को रखना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि किचन को भी एक शुद्ध स्थान माना जाता है। वास्तु के अनुसार, किचन में भी चाबियों को रखने से आपको बचना चाहिएदिशा का रखें ध्यान
चाबियां धातु की बनी होती हैं। ऐसे में यदि आप घर में चाबी रखने के लिए कोई जगह की तलाश में हैं तो चाबी को लॉबी में पश्चिम की दिशा की ओर रख सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
घर में चाबियों को इधर-उधर रखने के बजाय की-हैंगर का ही इस्तेमाल करें। वास्तु के अनुसार लकड़ी का की-हैंगर काफी शुभ माना जाता है। चाबियों को रखने के लिए ऐसे की-रिंग का इस्तेमाल न करें, जिसमें भगवान की तस्वीर आदि लगी हो।
छतीसगढ़
बढ़ रहे है कोरोना के केस, बच्चो को ज्यादा खतरा…
देश में पिछले एक महीने से कोरोना संक्रमण के मामले में लगातार उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। बुधवार को पिछले चार महीने में पहली बार एक दिन में सबसे ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टी की गई, इस दौरान 18,819 लोगों को संक्रमण का शिकार पाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट्स ने सभी लोगों में संक्रमण के जोखिम को बढ़ा दिया है, इस खतरे को समझते हुए इससे बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहना बहुत आवश्यक है। ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स को बढ़ते संक्रमण के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है, इन्हें अध्ययनों में अति संक्रामक वैरिएंट्स के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फिलहाल कोरोना के संक्रमण से किसी को भी सुरक्षित नहीं माना जाता सकता है। भले ही आपने वैक्सीनेशन करा लिया है फिर भी संक्रमण से बचे रहने के लिए सभी लोगों को कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना चाहिए।
अब तक के अध्ययनों में बताया जाता रहा है कि बच्चों में संक्रमण का खतरा कम होता है, हालांकि एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नवजात बच्चे भी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, कैसे, आइए जानते हैं?
मां से बच्चों में संक्रमण का जोखिम
महाराष्ट्र में किए गए इस अध्ययन में डॉक्टर्स ने पाया कि अगर मां, कोरोना से संक्रमित है तो उससे नवजात शिशुओं में भी वायरस का संचरण हो सकता है, इतना ही नहीं अगर गर्भावस्था के दौरान महिला संक्रमित रही है तो बच्चा संक्रमण के साथ भी जन्म ले सकता है।
पुणे में 304 नवजात शिशुओं (301 माताओं से) पर किए गए इस शोध में विशेषज्ञों ने पाया कि 15 में से एक बच्चे को मां से कोविड-19 का संक्रमण हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस जोखिम को लेकर सभी को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल तथा मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ के विशेषज्ञों ने यह अध्ययन किया। जून 2020 से दिसंबर 2021 तक किए गए अध्ययन में विशेषज्ञों ने पाया कि कोविड-19 संक्रमित रहे 20 में से छह शिशुओं में कोरोना के गंभीर लक्षण विकसित हुए और लंबे समय तक इन्हें आईसीयू में रखने की जरूरत पड़ी, हालांकि किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई।
अब तक माना जाता आ रहा था कि बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होता है, हालांकि इस अध्ययन में कई तरह की नई और हैरतअंगेज बातें पता चली हैं।
एसिम्टोमैटिक मां से भी हो सकता है संक्रमण
माताओं से नवजात शिशुओं में कोविड संचरण के अध्ययन में पाया गया कि भले ही मां में संक्रमण के एसिम्टोमैटिक लक्षण हों, फिर भी उनसे नवजातों में संक्रमण प्रसारित हो सकता है। अध्ययन में संक्रमित पाए गए शिशुओं में से, चार का जन्म एसिम्टोमैटिक लक्षण वाली माता से हुआ था।
बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की प्रमुख शोधकर्ता डॉ आरती किनिकर कहती है, फिलहाल अच्छी बात यह है कि संक्रमण से ठीक हो चुके बच्चों (गंभीर लोगों सहित) के फॉलो-अप से पता चलता है कि वे सभी अब स्वस्थ हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इस अध्ययन के बारे में बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल के डीन डॉ विनायक काले कहते हैं, मां से बच्चों में संक्रमण के जोखिम को लेकर महामारी की शुरुआत से ही चर्चा की जाती रही है, इस अध्ययन से काफी कुछ स्पष्ट होता है। हमने पाया कि मां अगर कोविड के सभी प्रोटोकॉल का पालन करती रहती है तो बच्चों में संक्रमण के खतरे को रोका जा सकता है। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते हुए स्तनपान कराने को भी सुरक्षित पाया गया है हालंकि इस दौरान मास्क पहनना आवश्यक है। कोरोना के खतरे से बचाव को लेकर सभी लोगों को लगातार ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
जॉब
10वीं पास उम्मीदवार के लिए भारतीय नौसेना में निकली बंपर भर्ती, जल्द करे आवेदन…
Indian Navy Recruitment 2022: भारतीय नौसेना में नौकरी (Sarkari Naukri) पाने का सुनहरा मौका है. इसके (Indian Navy Recruitment 2022) लिए Indian Navy ने नौसेना डॉकयार्ड मुंबई के तहत अपरेंटिस के पदों (Indian Navy Recruitment 2022) पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार जो इन पदों के लिए अप्लाई करना चाहते हैं, वे Indian Navy की आधिकारिक वेबसाइट indiannavy.nic.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. इन पदों (Indian Navy Recruitment 2022) के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 8 जुलाई है.
इसके अलावा उम्मीदवार सीधे इस लिंक https://indiannavy.nic.in/ के जरिए भी इन पदों (Indian Navy Recruitment 2022) के लिए अप्लाई कर सकते हैं. साथ ही इस लिंक http://www.davp.nic.in/WriteReadData/ADS/eng_10702_33_2223b.pdf पर क्लिक करके भी आधिकारिक नोटिफिकेशन (Indian Navy Recruitment 2022) देख सकते हैं. इस भर्ती (Indian Navy Recruitment 2022) प्रक्रिया के तहत कुल 338 पदों को भरा जाएगा.
महत्वपूर्ण तिथियां
ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि- 21 जून 2022 सुबह 10 बजे
ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि – 8 जुलाई 2022
रिक्ति विवरण
कुल पदों की संख्या- 338
योग्यता मानदंड
उम्मीदवारों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से न्यूनतम 50% अंकों के साथ 10वीं पास होना चाहिए. साथ ही 65% अंकों के साथ संबंधित ट्रेड में ITI पास होना चाहिए.
आयु सीमा
उम्मीदवार की आयुसीमा 01 अगस्त 2001 से 31 अक्टूबर 2008 के बीच होनी चाहिए.
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