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चलने वाले पत्थर! अपने आप खिसकते रहते हैं यहां के विचित्र पत्थर, वैज्ञानिक भी हो जाते हैं हैरान,जानिये

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कैलिफोर्निया के डेथ वैली नेशनल पार्क  में ‘रेस ट्रैक प्लाया’ नाम की एक सूखी झील है. ये 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक फैली एक सपाट जमीन है जिसमें ढलान नहीं है. मगर इस इलाके से जुड़ी एक बेहद विचित्र बात है जो सभी को चौंकाती है. वो ये कि इस जमीन पर पड़े कुछ पत्थर अपने आप ही अपनी जगह से खिसकते   हैं. लोगों का मानना है कि ये विडंबना ही है कि जिस जगह का नाम डेथ वैली है वहां निर्जीव चीज भी चलती है.

क्या कभी आपने पत्थर को चलते देखा है? आप सोचेंगे कि ये तो निर्थक सवाल है क्योंकि पत्थर निर्जीव चीज होती है. जिस चीज में जान ही नहीं है, जो महज एक वस्तु है वो चल कैसे सकती है. मगर अमेरिका में एक जगह ऐसी भी है जहां पत्थर भी चलते हैं. ये चलने वाले पत्थरों के बारे में सालों से कई शोध हुए उसके बावजूद भी इसके पीछे के राज को पूरी तरह नहीं खोला जा सका. आज भी वैज्ञानिक सिर्फ संभावनाएं बताते हैं.

कैलिफोर्निया के डेथ वैली नेशनल पार्क में ‘रेस ट्रैक प्लाया’ नाम की एक सूखी झील है. ये 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक फैली एक सपाट जमीन है जिसमें ढलान नहीं है. मगर इस इलाके से जुड़ी एक बेहद विचित्र बात है जो सभी को चौंकाती है. वो ये कि इस जमीन पर पड़े कुछ पत्थर अपने आप ही अपनी जगह से खिसकते हैं. लोगों का मानना है कि ये विडंबना ही है कि जिस जगह का नाम डेथ वैली है वहां निर्जीव चीज भी चलती है. सालों से इस बात पर लोग शोध कर रहे हैं कि आखिर ये पत्थर अपनी जगह से कैसे खिसक रहे हैं. पत्थर अपनी पीछे खिसकने का एक लंबा निशान भी छोड़ जाते हैं.

1900 के दशक से ही इस जगह को लेकर वैज्ञानिकों ने अलग-अलग थ्योरी दी थीं. कुछ लोगों ने कहा कि यहां चलने वाली तेज हवा इन पत्थरों को ढकेलती है जबकि कुछ ने कहा कि पत्थर में आयरना ज्यादा है और जमीन में चुंबकीय शक्तियां हैं. इस वजह से पत्थर खिसक रहे हैं. यही नहीं, कुछ लोगों ने तो ये तक दावा कर दिया कि यहां एलियंस आते हैं जिसके असर के चलते पत्थर खिसक रहे हैं. कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि कई पत्थरों का भारत तो 100 किलो से भी ज्यादा है.

2014 में पता चला पत्थर के खिसकने का सच  2014 से पहले इन पत्थरों को लेकर काफी रिसर्च हुई. कुछ वैज्ञानिकों ने तो पत्थरों को नाम देकर उन्हें एक जगह पर छोड़ा मगर वो जब कुछ सालों बाद लौटे तो उन्होंने देखा कि 200 किलो से भी भारी पत्थर अपनी जगह खिसककर करीब 1 किलोमीटर दूर पड़ा है. साल 2014 में रिचर्ड डी नॉरिस और उनके भाई जेम्स नॉरिस ने दावा किया कि उन्होंने पत्थरों के राज का पता लगा लिया है।

उनके अनुसार ये मूवमेंट ठंड के दिनों में खास तरह के मौसम के दौरान ही होता है. जब सूखी झील पर हल्का पानी होता है और ठंड के दिनों में रात के वक्त वो पानी जम जाता है तो बर्फ की काफी पतली चादर बन जाती है जब धूम निकलती है तो बर्फ के यही टुकड़े छोटे-छोटे पैनल में बंट जाती हैं और हल्के पानी पर फिसलने लगते हैं. इलाके में चलने वाली काफी तेज हवा से बर्फ के टुकड़े पत्थर को लेकर साथ में खिसकते हैं. इस कारण से इनके खिसकने के साथ ही पीछे निशान भी छूट जाता है. दोनों भाइयों ने टाइम लैप्स तकनीक का इस्तेमाल कर के इस बात का पता लगाया था जिसका वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है.
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प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर वार, कमलनाथ और सुरजेवाला ने भी कसा तंज

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तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर विपक्ष लगातार प्रतिक्रिया दे रहा है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे किसानों की जीत बताते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा 600 से अधिक किसानों की शहादत, 350 से अधिक दिन का संघर्ष, नरेंद्र मोदी जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी. आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला..उनपर लाठियाँ बरसायीं, उन्हें गिरफ़्तार किया.

प्रियंका गांधी ने आगे लिखा अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी – कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती. आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है.

इससे पहले राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान पर कहा था कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!

कमलनाथ ने किए कई ट्वीट

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भी एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने लिखा पिछले वर्ष सितंबर में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे, बारिश, ठंड, भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे.

किसान टस से मस नहीं हुए

इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई ,किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी, कई-कई राते सड़कों पर गुजारना गुजारना पड़ी ,उन्हें तरह-तरह की उलाहना भी सहना पड़ी ,कभी उन्हें आतंकवादी ,कभी देशद्रोही ,कभी दलाल ,कभी अन्य नामों से संबोधन किया गया लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए.

फैसले का स्वागत

उन्होंने आगे लिखा कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया,खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिर 1 वर्ष बाद ऐतिहासिक दिन गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं. यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता ,सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी.  किसान जो सड़कों पर 1 वर्ष से अधिक समय तक डटे रहे ,उन्हें तरह-तरह की परेशानियां व प्रताड़ना झेलना पड़ी ,उससे बचा जा सकता था.

किसानों के कड़े संघर्ष की जीत

कमलनाथ ने एक और ट्वीट में कहा कि जिन किसानों को भाजपा के लोग इन कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कभी कांग्रेस समर्थक , कभी देशद्रोही ,दलाल ,आतंकवादी तक कहते थे ,यह उन लोगों की हार है और यह न्याय व सच्चाई की जीत है, किसानों के कड़े संघर्ष की जीत है , जिसने एक अहंकारी व जिद्दी सरकार को झुका दिया. जनता यदि इसी प्रकार BJP को चुनावों में सबक़ सिखाती रही तो उसकी इसी प्रकार जीत होती रहेगी. अब मोदी सरकार को इन क़ानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान देश भर में किसानो पर दर्ज मुक़दमे भी वापस लेना चाहिए.

अपराध स्वीकार किया, जनता दंड देगी

वहीं रणदीप सुरजेवाला ने लिखा, खेती विरोधी बीजेपी की ताकतें आख़िरकार हार गई. किसान मजदूर के जीत का दिन है. 700 से ज्यादा किसानों की शहादत का दिन है. जीत है गांधीवादी अहिंसा की, किसान की अनुसाशन और संगठन की. जीत है विपक्ष की संयुक्त किसान मोर्चा. आज जश्न का नही मोदी द्वारा माफी मांगने का दिन है. मोदी ने अपना अपराध स्वीकार किया, जनता दंड देगी.

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देश - दुनिया

जानिए कैसे? मोबाइल फोन का ज्यादा यूज त्वचा को भी कर सकता है प्रभावित

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आजकल की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई बिजी सा हो गया है. पहले के मुकाबले आज के वक्त में कम्युनिकेशन के अच्‍छे डेवलपमेंट्स हो गए हैं, जिसने आधुनिक जीवन को प्रभावित किया है. आज के समय में हर कोई कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन के बिना नहीं रह सकता है. जिस तरह से लोग मोबाइल का यूज कर रहे हैं, उससे कई तरह की शारीरिक परेशानी हो रही हैं. मोबाइल यूज का असर स्किन पर भी पड़ता है.

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार, ब्‍लू लाइट नींद को प्रभावित करती है और संभावित रूप से बीमारी का कारण बन सकती है, जिसमें रेटिना की समस्याएं भी शामिल हैं. ऐसे में आपको बता दें कि मोबाइल के यूज से स्किन की भी समस्या होती है.

त्‍वचा से जुड़ी समस्‍याएं

मोबाइल फोन के जरिए त्वचा को भी काफी मात्रा में रेडिएशन मिलता है. हालांकि लोगों को पता नहीं होता है कि मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग और लंबे समय तक कॉल करने से त्वचा की समस्याओं और अन्य प्रभावों का खतरा बढ़ सकता है. मोबाइल के ज्यादा यूज से कई तरह की समस्याएं होती हैं.

आई क्रीम का करें इस्‍तेमाल

वैसे तो समय के साथ झुर्रियां और लाइन्‍सपरमानेंट आम सी बात है. लेकिन अगर आप मोबाइल का ज्यादा यूज कर रहे हैं तो हमें आंखों और त्वचा के आसपास की त्‍वचा की नियमित देखभाल करने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है आप आई क्रीम का यूज करें. कहते हैं कि निकलने वाली हीट, रेडिएशन और ब्‍लू लाइट के संपर्क में आने से त्वचा पर हाइपर पिगमेंटेशन और काले धब्बे या पैच होने लगते हैं. ऐसे में स्किन का ध्यान रखने के लिए हैड फोन से ज्यादा ये ज्यादा फोन का यूज करें.

स्किन सीरम का इस्‍तेमाल करें

अगर आपकी स्किन पर काले धब्बे होने लगें तो उसके लिए स्किन सीरम से त्वचा की रक्षा करें.सीरम की कुछ बूंदें लें और इसे त्वचा पर लगाएं. ये अपने चेहरी की स्किन को कसा और झुरियों से भी दूर रखता है.सेल फोन को मुंहासे पैदा करने या मुंहासे की स्थिति को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है. दरअसल, सेल फोन में बहुत सारे बैक्‍टीरिया हो सकते हैं.

एस्ट्रिजेंट लोशन का इस्‍तेमाल

मोबाइल का यूज अपने बालों की स्किन पर भी पड़ता है. बालों से सीबम चेहरे का ऑयल बढ़ा सकता है, जिससे ब्लैकहेड्स और यहां तक कि मुंहासे भी हो सकते .ऑयली या मुंहासे वाली त्वचा के लिए ऑयल को कम करने के लिए एस्ट्रिजेंट लोशन और कॉटन से पोंछें. इसके साथ ही उम्र बढ़ने के संकेतों के संदर्भ में ब्‍लू लाइट त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है.

ऐसे में आपको बता दें कि अगर आप लंबी बातचीत फोन पर करते हैं तो “हैंड्स-फ्री” डिवाइस का यूज करें. इसके यूज से फोन और चेहरे के बीच अधिक दूरी बनाने में मदद मिलती है.

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देश - दुनिया

कृषि कानून वापस होने पर ममता बनर्जी ने दी किसानों को बधाई, कहा- यह आपकी जीत है

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मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। गुरू नानक देव के प्रकाश पर्व के मौके पर देश को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। शायद हमारी तपस्या में कमी रही। भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था। हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। पीएम ने शीतकालीन संसद सत्र में इन तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने की बात कही है।

मोदी सरकार के इस कदम पर नेताओं के लगातार कमेंट्स आ रहे हैं। इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल नेता ममता बनर्जी ने किसानों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि हर एक किसान को बधाई, जिसने लगातार संघर्ष किया। जिस क्रूरता के साथ भाजपा ने आपके साथ व्यवहार किया आप उससे विचलित नहीं हुए। यह आपकी जीत है।

ममता ने आगे कहा है कि इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब मोदी सरकार को अपने कदम वापस लेने पड़े। इससे पहले केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस लेना पड़ा था।

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