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महंगाई की मार! एक ही दिन में 20 फीसदी महंगी हुई दालें, जानिए क्यों

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कोरोना के इस संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही है. पहले सब्जियां और अब दालें महंगी होने लगी है. सरकार ने तूर दाल को विदेशों से खरीदने की मंजूरी दे दी है. लेकिन इस फैसले के बाद एक ही दिन में दाल की कीमतें 20 फीसदी तक बढ़ गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार की ओर से मिली आयात की मंजूरी के बाद म्यांमार में इसकी कीमतों में तेज उछाल आया है. सिर्फ एक दिन में वहां इसकी कीमत 20 फीसदी से ज्यादा उछल गई है. खुदरा तुअर दाल की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई हैं. अच्छी क्वालिटी की दाल 125 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई. कारोबारियों का कहना हैं कि दिवाली के 15 दिनों के दौरान, मिलिंग गतिविधियां कम होती हैं, जिससे कच्चे माल की मांग कम हो जाती है.

अचनाक क्यों बढ़ी कीमतें- अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर में बताया गया है कि इसकी वजह यह है कि आयातकों को तूर दाल के आयात के लिए बहुत कम समय दिया गया है. उन्हें सिर्फ 32 दिन के अंदर इसका आयात कर लेना है.

व्यापारियों और दलहनों के प्रोसेसर्स का कहना है कि सरकार जब तक स्टॉक में रखी गई दालों की बिक्री नहीं बढ़ाती है. घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में तेजी जारी रहेगी. इसकी वजह यह है कि इसकी सप्लाई कम है.

13 अक्टूबर को केंद्र ने 15 नवंबर तक तुअर की सीमित मात्रा के आयात की अनुमति दी है, जबकि उसने उड़द के आयात की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया है. उड़द आयात की अंतिम तिथि 31 अगस्त को समाप्त हो गई थी.

तुअर आयात करने के भारत के फैसले से म्यांमार में कीमतों में वृद्धि हुई है. वहां भाव $650/टन से बढ़कर $800/टन हो गए हैं. स्थानीय स्तर पर, देश में अरहर दाल प्रसंस्करण का एक प्रमुख केंद्र अकोला में थोक मूल्य 125 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 105 रुपये किलोग्राम पर आ गया है.

भारत एक समझौते के तहत मोजाम्बिक से तुअर का आयात कर रहा है. यह देखते हुए कि देश में अरहर की बंपर पैदावार होने की संभावना है, सरकार इसके आयात की अनुमति देने से हिचक रही थी. इसलिए, अप्रैल में दाल मिलर्स को आवंटित कोटा आयात करने के लाइसेंस अब तक जारी नहीं किए गए थे

 

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चीन में मिला कोरोना के 828 नए मामलें,वहीं तिब्बत 22 मरीज मिले से हड़कंप

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चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है.कोरोना पर नो टॉलरेंस नीति को लेकर चल रहे चीन ने तिब्बत में संक्रमण का मामला आने के बाद प्रसिद्ध पोटाला पैलेस को बंद कर दिया है. चीन की नो टॉलरेंस नीति के तहत लॉकडाउन, नियमित परीक्षण, और कड़े यात्रा प्रतिबंधों को अनिवार्य किया जाता है. पैलेस के अनुसार, परिसर जो तिब्बत के बौद्ध नेताओं का पारंपरिक घर है उसे मंगलवार से बंद कर दिया जाएगा।

कोरोना के मामले ख़त्म होने के बाद ही अब पैलेस के फिर से खुलने की संभावना है.इन प्रतिबंधों से तिब्बत के पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. तिब्बत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पोटाला पैलेस के कारण मिलने वाले पर्यटन पर निर्भर करती है. ऐसे में कड़े प्रतिबंध लोगों के लिए काफी कष्टकारी होने वाले हैं.चीन का कहना है कि उसकी कठोर नीति बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में सफल रही है. ऐसे में चीन फिलहाल इस नीति को वापस लेने के मूड में तो नहीं दिख रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे लोगों की मूलभूत जरूरतों के विरुद्ध बताया है।

WHO के अनुसार वायरस के रोज बदलते स्वरूप के आगे ऐसी नीतियां बौनी साबित होती हैं.चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है. ऐसा करके चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तो नुकसान भले ही पहुंचा रहा हो लेकिन इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है.कोरोना पर नो टॉलरेंस नीति को लेकर चल रहे चीन ने तिब्बत में संक्रमण का मामला आने के बाद प्रसिद्ध पोटाला पैलेस को बंद कर दिया है. चीन की नो टॉलरेंस नीति के तहत लॉकडाउन, नियमित परीक्षण,और कड़े यात्रा प्रतिबंधों को अनिवार्य किया जाता है. पैलेस के अनुसार, परिसर जो तिब्बत के बौद्ध नेताओं का पारंपरिक घर है उसे मंगलवार से बंद कर दिया जाएगा. कोरोना के मामले ख़त्म होने के बाद ही अब पैलेस के फिर से खुलने की संभावना है.इन प्रतिबंधों से तिब्बत के पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. तिब्बत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पोटाला पैलेस के कारण मिलने वाले पर्यटन पर निर्भर करती है. ऐसे में कड़े प्रतिबंध लोगों के लिए काफी कष्टकारी होने वाले हैं।

नो टॉलरेंस नीति को बताया जरूरी
चीन का कहना है कि उसकी कठोर नीति बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में सफल रही है. ऐसे में चीन फिलहाल इस नीति को वापस लेने के मूड में तो नहीं दिख रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे लोगों की मूलभूत जरूरतों के विरुद्ध बताया है. WHO के अनुसार वायरस के रोज बदलते स्वरूप के आगे ऐसी नीतियां बौनी साबित होती हैं।

तिब्बत में 22 नए मामले
चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है. ऐसा करके चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तो नुकसान भले ही पहुंचा रहा हो लेकिन इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है।

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राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का दूसरा केस आया सामने,लगातार बढ़ रहा है ख़तरा

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देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज मिला है. दिल्ली में रहने वाला 35 साल का नाइजीरियाई शख्स मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित पाया गया है.दिल्ली में सोमवार को मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आया है. दिल्ली में रहने वाला 35 साल का नाइजीरियाई शख्स मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मरीज का हाल में यात्रा का कोई इतिहास भी नहीं रहा है. इसके साथ ही देश में Monkeypox संक्रमितों का कुल आंकड़ा बढ़कर छह पहुंच गया है.रविवार और सोमवार को भी अफ्रीकी मूल के संदिग्ध अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना बाकी अभी है. संदिग्धों को बुखार और त्वचा संबंधी दिक्कत है. यह मरीज पिछले एक साल से दिल्ली में रह रहे हैं. नाइजीरियाई नागरिक को इलाज के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित नोडल अस्पताल एलएनजेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. संक्रमित व्यक्ति को पिछले पांच दिनों से छाले और बुखार है. यह दिल्ली में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया दूसरा व्यक्ति है.अभी तक कुल चार संक्रमित केसभारत में केरल से 13 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद अभी तक कुल 6 संक्रमित सामने आ चुके हैं. दुनिया भर में मंकीपॉक्स का कहर बढ़ता जा रहा है. अफ्रीका से निकलकर मंकीपॉक्स का संक्रमण बीते कुछ दिनों में ही 75 से अधिक देशों में पहुंच गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते दिनों 20 हजार से अधिक लोगों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने की पुष्टि की थी।

केरल में 22 साल के व्यक्ति की मौत

केरल में त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में 22 वर्षीय व्यक्ति की कथित तौर पर मंकीपॉक्स के कारण मौत हो गई थी. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को कहा कि 22 वर्षीय युवक की मौत के कारणों की जांच करेंगे, जो हाल में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था और एक दिन पहले कथित रूप से मंकीपॉक्स के कारण उसकी मौत हो गई थी।

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मंकीपॉक्स से 23 साल के युवक की मौत,बढ़ रहा है वायरस का खतरा

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Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले एक मरीज की केरल में मौत हो गई है. ऐसे में इस वायरस से खतरा बढ़ गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए सख्त कदम उठाने होंगे.दुनियाभर में मकीपॉक्स वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक इस वायरस के 18 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं और 75 देशों में मंकीपॉक्स फैल चुका है. इसे देखते हुए WHO ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी भी घोषित किया है. इस बीच भारत में भी चार मामलों की पुष्टि हो चुकी है. चिंता वाली बात यह है कि केरल में मंकीपॉक्स के एक पॉजिटिव मरीज की मौत हो गई है. यह मरीज यूएई से भारत लौटा था और त्रिशुर के अस्पताल में इलाज करा रहा था. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि युवक की मौत मंकीपॉक्स से हुई है या नहीं. अभी इसकी जांच की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहा है.जिस युवक की मौत हुई है उसकी उम्र 23 साल थी. इतनी कम उम्र में मौत होने से मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर चिंता भी बढ़ गई है. भले ही अभी मरीज की मौत के कारणों का पता नहीं चला है, लेकिन ये मरीज मंकीपॉक्स पॉजिटिव था और कुल चार मरीजों में से एक की मौत हो जाना यह दर्शा रहा है कि ये वायरस कितना खतरनाक है. एक्सपर्ट्स भी शुरुआत से कह रहे हैं कि मंकीपॉक्स से युवाओं को अधिक खतरा हो सकता है।

क्योंकि इन लोगों को स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन नहीं लगी है. चूंकि अब एक संक्रमित की मौत हुई है. ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि मंकीपॉक्स वायरस युवाओं के लिए खतरनाक न साबित हो.इस बारे में नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह कहते हैं कि अगर यंग मरीज की मंकीपॉक्स कि वजह से मौत हुई है तो ये चिंता का कारण है. ऐसे में यह जरूरी है कि मरीज मौत के कारणों की सही जानकारी मिले और उसके आधार पर मंकीपॉक्स को लेकर रणनीति बनाई जाए.डॉ. सिंह बताते हैं कि मंकीपॉक्स यंग लोगों को परेशान कर सकता है. क्योंकि 1980 से पहले जन्मे लोगों को तो स्मॉलपॉक्स का टीका लग गया था, लेकिन 1980 में स्मॉलपॉक्स महामारी दुनियाभर मे खत्म हो गई थी. इसके बाद इस वायरस के खिलाफ टीकाकरण बंद हो गया था।

ऐसे में जो लोग 42 से कम उम्र के हैं उन्हें मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क रहना होगा. क्योंकि ये वायरस शरीर में पहुंचने के बाद अन्य ऑर्गन को भी नुकसान पहुंचा सकता है.डॉ. सिंह के मुताबिक, मंकीपॉक्स से ब्रेन इंसेफेलाइटिस हो सकता है. इस बीमारी में दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. कई मामलों में निमोनिया होने की आशंका रहती है. ऐसे में यह देखना होगा कि जिस मरीज की मौत मौत हुई है उसको मंकीपॉक्स से कोई कॉम्पलिकेशन तो नहीं हुआ है. हालांकि इसमें से किसी भी थ्योरी को लेकर कोई मेडिकल स्टडी नहीं हुई है. ऐसे में इन सभी पहलुओं पर रिसर्च किए जान की जरूरत है।

मंकीपॉक्स में म्यूटेशन तो नहीं हो रहा?

डॉ. युद्धवीर कहते हैं कि जिस हिसाब से इस बात मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं. इसे देखते हुए इस वायरस के स्ट्रेन की जांच भी जरूरी है. क्योंकि अभी तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि इस बार मंकीपॉक्स क्यों फैल रहा है. ऐसे में यह भी देखना होगा कि मंकीपॉक्स के वायरस में कोई म्यूटेशन तो नहीं हो रहा है. इससे इलाज और बचाव में मदद मिलेगी. चूंकि अभी भारत में मंकीपॉक्स को जो स्ट्रेन मिला है वो काफी पुराना है, लेकिन फिर भी ये वायरस क्यों फैल रहा है इसके कारणों की जांच भी करना जरूरी है.

कोविड की वजह से बढ़ी है परेशानी

स्वास्थ्य नीति और महामारी विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि कोरोना वायरस ने दुनियाभर की आबादी को संक्रमित किया है. इसकी चपेट में आए लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हुई है. इस वायरस ने लंग्स की क्षमता को भी प्रभावित किया है. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से मंकीपॉक्स भी आसानी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. ऐसे में मंकीपॉक्स के तेजी से बढ़ने का एक कारण कोविड भी हो सकता है. हालांकि इसको लेकर अभी कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है, लेकिन जिस तेजी से वायरस बढ़ रहा है उसको देखते हुए सख्त कदम उठाने होंगे.डॉ. अंशुमान के मुताबिक, इस समय लोगों को मंकीपॉक्स वायरस के बारे में जागरूक करना जरूरी है. इसके लक्षणों की पहचान के बारे में जानकारी देनी चाहिए. ये वायरस संक्रमित जानवरों ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन और यौन संबंध बनाने से फैलता है. वायरस के बारे में जितनी जागरूकता बढ़ेंगी उतना ही अच्छा है।

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