देश - दुनिया
BABA VEGA: कौन है ये बाबा वेगा जिसकी भविष्यवाणी हो रही है सच, दे रहे है 2022 के लिए चेतावनी…
Baba Vanga Predictions: पिछले कुछ सालों में दुनिया के लिए काफी भविष्यवाणियां सुनने और पढ़ने को मिली हैं। 2022 को लेकर भी कुछ भविष्यवाणियां की गई हैं। यह भविष्यवाणियां पूरी दुनिया में प्रसिद्ध बुल्गारिया की फकीर बाबा वेंगा ने की हैं। बाबा वेंगा को नास्त्रेदमस के लेवल का भविष्यवक्ता कहा जाता है। पूरी दुनिया में अपनी भविष्यवाणियों के लिए प्रसिद्ध भविष्यवक्ता बाबा वेंगा एक फकीर थीं, जो आंखों से नहीं देख सकती थीं। वे बुल्गारिया की रहने वाली थीं और उन्होंने कई ऐसी भविष्यवाणियां की थीं, जो कि सच साबित हुईं।
अब ऐसा लग रहा है कि उनकी की गई दो और भविष्यवाणियां सच हो रही हैं। 2022 के लिए उनकी एक भविष्यवाणी ये थी कि कुछ एशियाई देश और ऑस्ट्रेलिया में बाढ़ आ जाएगी। ऐसा होता दिख भी रहा है। ऑस्ट्रेलिया में इस साल की शुरुआत में ही भीषण बारिश हुई थी और इस समय वहां बाढ़ जैसे हालात हैं। इसके अलावा बाबा वेंगा ने ये भी बताया था कि दुनिया में कई शहर पानी की कमी से प्रभावित होंगे और वो यूरोप में होता दिख रहा है। पुर्तगाल में पानी की कमी है और भारी सूखा है। गर्मी इतनी ज्यादा है कि कई जगह जंगलों में आग का मामले सामने आए हैं। वहीं, इटली में 1950 के दशक के बाद का सबसे खराब सूखा देखने को मिल रहा है। बाबा वेंगा की 2022 की दो भविष्यवाणी तो सही होती हुई दिख रही हैं।
जानिए कौन हैं बाबा वेंगा
बाबा वेंगा का जन्म 1911 में हुआ था और 1996 में उनकी मौत हुई थी। लेकिन उनकी भविष्यवाणियां आज भी सुर्खियां बटोरती हैं। मौत से पहले ही वे सन् 5079 तक की भविष्यवाणी कर चुकी थीं, क्योंकि उनके मुताबिक सन् 5079 में दुनिया का अंत हो जाएगा। वे ये सारी भविष्यवाणियों कहीं लिखकर नहीं गई थीं, बल्कि अपने अनुयायियों को बताकर गई थीं।
जब वेंगा जीवित थीं तो उन्होंने अपने जीवन के बारे में खुलासा किया था कि एक बवंडर ने उन्हें उड़ा कर जमीन पर पटक दिया था, जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई। उन्होंने 12 साल की उम्र में एक बड़े तूफान के दौरान रहस्यमय तरीके से अपनी दृष्टि खो दी थी। उसके बाद उन्हें भविष्य में देखने के लिए भगवान की ओर से एक बहुत ही दुर्लभ उपहार दिया गया था। जब 1996 में उनकी मौत हुई, तो उन्होंने 5079 तक चलने वाली भविष्यवाणियों को बता दिया था। उन्होंने भविष्यवाणी की थी इस साल दुनिया खत्म हो जाएगी। सोवियत संघ के विघटन, राजकुमारी डायना की मृत्यु और 2004 की थाईलैंड सूनामी, चेरनोबिल आपदा के बारे में और बराक ओबामा के राष्ट्रपति पद के बारे में उनके दावे सही साबित हुए हैं। 1996 में 85 वर्ष की आयु में बाबा वेंगा का निधन हो गया था।
2022 के लिए की थी ये भविष्यवाणी
बाबा वेंगा ने 2022 के लिए भविष्यवाणी की थी कि 2022 में एक और भयानक वायरस आएगा और फिर दुनिया में एक और महामारी आएगी। उन्होंने आगे ये भी बताया था कि दुनिया के सामने कई प्राकृतिक आपदाएं भी होंगी, जो कि भीषण बाढ़ और सुनामी के रूप में हो सकती हैं। इसके अलावा उन्होंने ये भी भविष्यवाणी की थी कि साइबेरिया से एक नया और घातक वायरस निकलेगा। एलियन अटैक और टिड्डी हमले की भी उन्होंने चेतावनी दी थी।कई भविष्यवाणियां हुईं सच
बाबा वेंगा की कई भविष्यवाणियों को लेकर कहा जाता है कि वह सच हुई हैं। 1989 में उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि अमेरिका 2001 में दो स्टील की चिड़िया से टकराएगा। उनके अनुयायियों का मानना है कि वह 9/11 के हमलों के बारे में कह रही थीं। बाबा वेंगा ने दावा किया था कि 2017 तक यूरोप का ‘अस्तित्व’ खत्म हो जाएगा। कुछ लोग इसे ब्रेक्सिट (Brexit) मानते हैं।
देश - दुनिया
चीन में मिला कोरोना के 828 नए मामलें,वहीं तिब्बत 22 मरीज मिले से हड़कंप
चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है.कोरोना पर नो टॉलरेंस नीति को लेकर चल रहे चीन ने तिब्बत में संक्रमण का मामला आने के बाद प्रसिद्ध पोटाला पैलेस को बंद कर दिया है. चीन की नो टॉलरेंस नीति के तहत लॉकडाउन, नियमित परीक्षण, और कड़े यात्रा प्रतिबंधों को अनिवार्य किया जाता है. पैलेस के अनुसार, परिसर जो तिब्बत के बौद्ध नेताओं का पारंपरिक घर है उसे मंगलवार से बंद कर दिया जाएगा।
कोरोना के मामले ख़त्म होने के बाद ही अब पैलेस के फिर से खुलने की संभावना है.इन प्रतिबंधों से तिब्बत के पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. तिब्बत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पोटाला पैलेस के कारण मिलने वाले पर्यटन पर निर्भर करती है. ऐसे में कड़े प्रतिबंध लोगों के लिए काफी कष्टकारी होने वाले हैं.चीन का कहना है कि उसकी कठोर नीति बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में सफल रही है. ऐसे में चीन फिलहाल इस नीति को वापस लेने के मूड में तो नहीं दिख रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे लोगों की मूलभूत जरूरतों के विरुद्ध बताया है।
WHO के अनुसार वायरस के रोज बदलते स्वरूप के आगे ऐसी नीतियां बौनी साबित होती हैं.चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है. ऐसा करके चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तो नुकसान भले ही पहुंचा रहा हो लेकिन इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है.कोरोना पर नो टॉलरेंस नीति को लेकर चल रहे चीन ने तिब्बत में संक्रमण का मामला आने के बाद प्रसिद्ध पोटाला पैलेस को बंद कर दिया है. चीन की नो टॉलरेंस नीति के तहत लॉकडाउन, नियमित परीक्षण,और कड़े यात्रा प्रतिबंधों को अनिवार्य किया जाता है. पैलेस के अनुसार, परिसर जो तिब्बत के बौद्ध नेताओं का पारंपरिक घर है उसे मंगलवार से बंद कर दिया जाएगा. कोरोना के मामले ख़त्म होने के बाद ही अब पैलेस के फिर से खुलने की संभावना है.इन प्रतिबंधों से तिब्बत के पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. तिब्बत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पोटाला पैलेस के कारण मिलने वाले पर्यटन पर निर्भर करती है. ऐसे में कड़े प्रतिबंध लोगों के लिए काफी कष्टकारी होने वाले हैं।
नो टॉलरेंस नीति को बताया जरूरी
चीन का कहना है कि उसकी कठोर नीति बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में सफल रही है. ऐसे में चीन फिलहाल इस नीति को वापस लेने के मूड में तो नहीं दिख रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे लोगों की मूलभूत जरूरतों के विरुद्ध बताया है. WHO के अनुसार वायरस के रोज बदलते स्वरूप के आगे ऐसी नीतियां बौनी साबित होती हैं।
तिब्बत में 22 नए मामले
चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है. ऐसा करके चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तो नुकसान भले ही पहुंचा रहा हो लेकिन इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है।
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राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का दूसरा केस आया सामने,लगातार बढ़ रहा है ख़तरा
देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज मिला है. दिल्ली में रहने वाला 35 साल का नाइजीरियाई शख्स मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित पाया गया है.दिल्ली में सोमवार को मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आया है. दिल्ली में रहने वाला 35 साल का नाइजीरियाई शख्स मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मरीज का हाल में यात्रा का कोई इतिहास भी नहीं रहा है. इसके साथ ही देश में Monkeypox संक्रमितों का कुल आंकड़ा बढ़कर छह पहुंच गया है.रविवार और सोमवार को भी अफ्रीकी मूल के संदिग्ध अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना बाकी अभी है. संदिग्धों को बुखार और त्वचा संबंधी दिक्कत है. यह मरीज पिछले एक साल से दिल्ली में रह रहे हैं. नाइजीरियाई नागरिक को इलाज के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित नोडल अस्पताल एलएनजेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. संक्रमित व्यक्ति को पिछले पांच दिनों से छाले और बुखार है. यह दिल्ली में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया दूसरा व्यक्ति है.अभी तक कुल चार संक्रमित केसभारत में केरल से 13 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद अभी तक कुल 6 संक्रमित सामने आ चुके हैं. दुनिया भर में मंकीपॉक्स का कहर बढ़ता जा रहा है. अफ्रीका से निकलकर मंकीपॉक्स का संक्रमण बीते कुछ दिनों में ही 75 से अधिक देशों में पहुंच गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते दिनों 20 हजार से अधिक लोगों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने की पुष्टि की थी।
केरल में 22 साल के व्यक्ति की मौत
केरल में त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में 22 वर्षीय व्यक्ति की कथित तौर पर मंकीपॉक्स के कारण मौत हो गई थी. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को कहा कि 22 वर्षीय युवक की मौत के कारणों की जांच करेंगे, जो हाल में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था और एक दिन पहले कथित रूप से मंकीपॉक्स के कारण उसकी मौत हो गई थी।
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मंकीपॉक्स से 23 साल के युवक की मौत,बढ़ रहा है वायरस का खतरा
Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स के लक्षणों वाले एक मरीज की केरल में मौत हो गई है. ऐसे में इस वायरस से खतरा बढ़ गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए सख्त कदम उठाने होंगे.दुनियाभर में मकीपॉक्स वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक इस वायरस के 18 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं और 75 देशों में मंकीपॉक्स फैल चुका है. इसे देखते हुए WHO ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी भी घोषित किया है. इस बीच भारत में भी चार मामलों की पुष्टि हो चुकी है. चिंता वाली बात यह है कि केरल में मंकीपॉक्स के एक पॉजिटिव मरीज की मौत हो गई है. यह मरीज यूएई से भारत लौटा था और त्रिशुर के अस्पताल में इलाज करा रहा था. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि युवक की मौत मंकीपॉक्स से हुई है या नहीं. अभी इसकी जांच की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहा है.जिस युवक की मौत हुई है उसकी उम्र 23 साल थी. इतनी कम उम्र में मौत होने से मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर चिंता भी बढ़ गई है. भले ही अभी मरीज की मौत के कारणों का पता नहीं चला है, लेकिन ये मरीज मंकीपॉक्स पॉजिटिव था और कुल चार मरीजों में से एक की मौत हो जाना यह दर्शा रहा है कि ये वायरस कितना खतरनाक है. एक्सपर्ट्स भी शुरुआत से कह रहे हैं कि मंकीपॉक्स से युवाओं को अधिक खतरा हो सकता है।
क्योंकि इन लोगों को स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन नहीं लगी है. चूंकि अब एक संक्रमित की मौत हुई है. ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि मंकीपॉक्स वायरस युवाओं के लिए खतरनाक न साबित हो.इस बारे में नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह कहते हैं कि अगर यंग मरीज की मंकीपॉक्स कि वजह से मौत हुई है तो ये चिंता का कारण है. ऐसे में यह जरूरी है कि मरीज मौत के कारणों की सही जानकारी मिले और उसके आधार पर मंकीपॉक्स को लेकर रणनीति बनाई जाए.डॉ. सिंह बताते हैं कि मंकीपॉक्स यंग लोगों को परेशान कर सकता है. क्योंकि 1980 से पहले जन्मे लोगों को तो स्मॉलपॉक्स का टीका लग गया था, लेकिन 1980 में स्मॉलपॉक्स महामारी दुनियाभर मे खत्म हो गई थी. इसके बाद इस वायरस के खिलाफ टीकाकरण बंद हो गया था।
ऐसे में जो लोग 42 से कम उम्र के हैं उन्हें मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क रहना होगा. क्योंकि ये वायरस शरीर में पहुंचने के बाद अन्य ऑर्गन को भी नुकसान पहुंचा सकता है.डॉ. सिंह के मुताबिक, मंकीपॉक्स से ब्रेन इंसेफेलाइटिस हो सकता है. इस बीमारी में दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. कई मामलों में निमोनिया होने की आशंका रहती है. ऐसे में यह देखना होगा कि जिस मरीज की मौत मौत हुई है उसको मंकीपॉक्स से कोई कॉम्पलिकेशन तो नहीं हुआ है. हालांकि इसमें से किसी भी थ्योरी को लेकर कोई मेडिकल स्टडी नहीं हुई है. ऐसे में इन सभी पहलुओं पर रिसर्च किए जान की जरूरत है।
मंकीपॉक्स में म्यूटेशन तो नहीं हो रहा?
डॉ. युद्धवीर कहते हैं कि जिस हिसाब से इस बात मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं. इसे देखते हुए इस वायरस के स्ट्रेन की जांच भी जरूरी है. क्योंकि अभी तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि इस बार मंकीपॉक्स क्यों फैल रहा है. ऐसे में यह भी देखना होगा कि मंकीपॉक्स के वायरस में कोई म्यूटेशन तो नहीं हो रहा है. इससे इलाज और बचाव में मदद मिलेगी. चूंकि अभी भारत में मंकीपॉक्स को जो स्ट्रेन मिला है वो काफी पुराना है, लेकिन फिर भी ये वायरस क्यों फैल रहा है इसके कारणों की जांच भी करना जरूरी है.
कोविड की वजह से बढ़ी है परेशानी
स्वास्थ्य नीति और महामारी विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान कुमार बताते हैं कि कोरोना वायरस ने दुनियाभर की आबादी को संक्रमित किया है. इसकी चपेट में आए लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हुई है. इस वायरस ने लंग्स की क्षमता को भी प्रभावित किया है. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से मंकीपॉक्स भी आसानी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. ऐसे में मंकीपॉक्स के तेजी से बढ़ने का एक कारण कोविड भी हो सकता है. हालांकि इसको लेकर अभी कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है, लेकिन जिस तेजी से वायरस बढ़ रहा है उसको देखते हुए सख्त कदम उठाने होंगे.डॉ. अंशुमान के मुताबिक, इस समय लोगों को मंकीपॉक्स वायरस के बारे में जागरूक करना जरूरी है. इसके लक्षणों की पहचान के बारे में जानकारी देनी चाहिए. ये वायरस संक्रमित जानवरों ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन और यौन संबंध बनाने से फैलता है. वायरस के बारे में जितनी जागरूकता बढ़ेंगी उतना ही अच्छा है।
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