Lifestyle
Health tips: अस्थमा जैसी बीमारी को हल्का में न ले’ इनसे बचने के लिए’ रखे इन बातो का ध्यान..
फेफड़े या सांस से संबंधित कोई भी समस्या आपको काफी असहज कर सकती है। अस्थमा जैसे रोगों में तो विशेष बचाव के उपाय करते रहना जरूरी हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सांस से संबंधित समस्याओं को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए, इससे शरीर को कई तरह से नुकसान हो सकते हैं। विशेषकर अस्थमा की स्थिति में वायुमार्ग संकीर्ण और सूज जाते हैं, इसके अलावा अतिरिक्त बलगम का उत्पादन होने लगता है। यह स्थितियां सामान्यरूप से सांस लेने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। कुछ लोगों के लिए अस्थमा की समस्या गंभीर भी हो सकती है, जिसके चलते उनके लिए सामान्य जीवन के कामकाज तक करना भी कभी-कभी कठिन हो जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को अस्थमा की दिक्कत होती है, उन्हें इसे ट्रिगर करने वाली चीजों से विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। त्वरित उपचार और प्रबंधन के लिए साथ में हमेशा इनहेलर रखना चाहिए, जिससे किसी भी समस्या से बचाव किया जा सके। इसके अलावा दैनिक जीवन में अस्थमा से बचाव को लेकर उपायों को प्रयोग में लाते रहना भी आवश्यक होता है।
आइए जानते हैं अस्थमा से बचाव या इसकी जटिलताओं को कम करने के लिए किन बातों का हमेशा ध्यान रखना आवश्यक होता है?
अस्थमा को बढ़ावा देने वाले कारकों से बचें
अस्थमा की दिक्कत कई स्थितियों में बढ़ सकती है। एलर्जी को ट्रिगर करने वाले विभिन्न पदार्थों के संपर्क में आने से इसके लक्षणों के गंभीर होने का जोखिम होता है। ऐसे में अपने जोखिम कारकों को समझते हुए इनसे बचाव करना बहुत आवश्यक माना जाता है।
वायुजनित एलर्जी, जैसे पराग, धूल के कण, पालतू जानवरों के रोएं आदि से बचाव करें।
श्वसन संक्रमण जैसे सामान्य सर्दी या मौसम में बदलाव के समय सतर्कता बरतें।
शारीरिक गतिविधि का ध्यान रखें।
ठंडी हवा के सीधे संपर्क में आने से बचें।
बचाव को लेकर बरतें सावधान
अस्थमा से बचाव करते रहना आवश्यक माना जाता है। अगर आपमें इसके लक्षण हों तो दिनचर्या को ठीक रखने पर विशेष ध्यान दें। उचित आहार के साथ योग-व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं जिससे इसको ट्रिगर करने वाले कारकों से बचाव किया जा सके। अगर आपको सांस लेने से संबंधित कोई भी असुविधा महसूस होती है तो इस बारे में विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।
सांस पर निगरानी
अगर आपको अस्थमा की समस्या है तो सांस के पैटर्न को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए। हल्की खांसी, घरघराहट या सांस की तकलीफ होते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नियमित रूप से पीक एयरफ्लो मीटर का प्रयोग करते हुए सांस की गति को मापते रहें। फेफड़ों को स्वस्थ रखने वाली चीजों का सेवन करें, जिससे सांस से संबंधित दिक्कतों को प्रतिबंधित किया जा सके।
दवाइयों और इनहेलर का रखें ध्यान
अस्थमा की स्थिति में खुद से ही दवाएं न लें न ही इनमें बदलाव करें। डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि आप अपनी दवाओं का सही उपयोग और सही खुराक ले रहे हैं। अपने पास हमेशा इनहेलर जरूर रखें, ये आपातकालीन स्थितियों में सांस लेने में आपके लिए सहायक माने जाते हैं। जोखिम कारकों का ध्यान रखें और बचाव करते रहें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
Lifestyle
Health Tips: महिलाये पेट दर्द की समस्या को न करे अनदेखा, नही तो हो सकती है बड़ी परेशानी…
Causes of Stomach Pain: अक्सर बच्चे, वयस्क पेट में दर्द से परेशान रहते हैं. महिलाओं को भी कई वजहों से पेट दर्द महीने में कभी ना कभी होता ही है. खासकर, पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को सबसे अधिक पेट दर्द परेशान करता है. ऐसा देखा भी गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक पेट दर्द होता है. पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है, जिसमें कभी हल्का दर्द तो कभी-कभी बहुत तेज दर्द उठता है. हल्का पेट दर्द गैस बनने, ब्लोटिंग, अधिक खाने, डायरिया, पेट में जलन आदि के कारण होता है, जो खुद ठीक हो जाता है या घरेलू उपचार से भी दूर कर सकते हैं. कई बार अचानक तेज पेट दर्द उठता है और लगातार बना रहे, तो हो सकता है कोई मेडिकल कंडीशन हो. महिलाओं में कई बार पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, ओवरी में सिस्ट होने के कारण भी हो सकता है. आइए जानते हैं, महिलाओं में किन-किन कारणों से पेट दर्द हो सकता है.
महिलाओं में पेट दर्द के कारण
अपच के कारण पेट दर्द
ओन्लीमाईहेल्थमें छपी एक खबर के अनुसार, कई बार पेट के ऊपरी हिस्से में बेचैनी महसूस होती है और खाते ही पेट भरा हुआ महसूस होने लगता है. ये अपच यानी इनडाइजेशन के लक्षण होते हैं. यदि आप अपच की समस्या से परेशान रहती हैं, तो पेट के ऊपरी हिस्से में जलन, बेचैनी या सूजन हो सकता है., भोजन के बाद असहज महसूस कर सकती हैं या फिर खाना खाने के समय जल्दी पेट भर सकता है. आपको मतली हो सकती है. ऐसा फैटी फूड्स के सेवन, स्मोकिंग, एंग्जायटी, अधिक खाने, जल्दी-जल्दी खाने, एल्कोहल, चॉकलेट आदि के सेवन से हो सकता है.
पीरियड्स में होता है पेट दर्द
महिलाओं को हर महीने पेट में दर्द होने का एक मुख्य कारण है पीरियड्स. मासिक धर्म में कई महिलाओं को बहुत अधिक पेट दर्द, पेट में ऐंठन, क्रैम्प होता है. आपको दर्द हो तो पेट को हॉट वॉटर बैग से सेकें. कुछ घरेलू उपायों से भी इस दर्द को दूर कर सकती हैं.
ओवरी में सिस्ट बनता है पेट दर्द का कारण
यदि आपको कुछ दिनों से लगातार पेट दर्द हो रहा है, तो हो सकता है ऐसा ओवरी में सिस्ट होने के कारण हो. हालांकि, कई सिस्ट में कोई लक्षण नजर नहीं आता है और खुद ब खुद ठीक हो जाता है. लेकिन, यदि ओवरी में बड़ा सिस्ट हो, तो पेल्किव और पेट में दर्द हो सकता है. सिस्ट होने पर पेट के निचले हिस्से में बहुत तीव्र दर्द होता है. लार्ज ओवेरियन सिस्ट होने पर हमेशा भरा हुआ या भारीपन महसूस हो सकता है. कई बार ओवरी में सिस्ट होने से स्पॉटिंग या ब्लीडिंग भी हो सकती है.
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से होता है पेट दर्द
महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है. इसमें पेशाब करते समय जलन, झागदार पेशाब, पेट दर्द, बुखार आदि हो सकता है. जिस बैक्टीरिया के कारण यूटीआई होता है, वह पेट के निचले हिस्से को भी प्रभावित करता है. इससे बहुत अधिक दबाव और दर्द हो सकता है.
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण पेट दर्द
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाला संक्रमण या सूजन है. यह अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय को प्रभावित कर सकता है. पेल्विक सूजन की बीमारी आमतौर पर तब होती है, जब योनि या गर्भाशय ग्रीवा से यौन संचारित बैक्टीरिया अन्य प्रजनन अंगों में फैल जाता है. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने पर आमतौर पर कोई लक्षण जल्दी नजर नहीं आता है. यदि आपको क्रोनिक पेल्विक पेन या गर्भधारण करने में परेशानी हो, तो इस समस्या का पता चल जाता है. बाउल मूवमेंट, पेशाब करने के दौरान पेट दर्द अधिक होता है. यदि आपको लगातार पेल्विक में दर्द हो, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
अधिक खाने से हो सकता है पेट दर्द
यदि आप एक ही बार में बहुत अधिक खा लेंगी तो पेट दर्द शुरू हो सकता है. हालांकि, अधिक खा लेने से पेट दर्द थोड़ी देर के लिए होता है और यह तीव्र नहीं होता. कई बार खराब सोने की आदतों, कुछ ऐसा खा लेने से जिससे पेट को परेशानी होती है, इससे भी दर्द हो सकता है. उल्टा-सीधा खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचता है, जिससे हल्का पेट दर्द हो सकता है.
Lifestyle
Lifestyle: नाखुनो के दाग हटाने के लिए अपनाये ये घरेलू उपचार..
Home remedies in Hindi: नाखूनों में अगर दाग लग जाए तो लोगों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में बता दें कि अब शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है. कुछ तरीकों को अपनाकर इस समस्या को दूर किया जा सकता है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि नाखूनों पर लगे दागों को कैसे हटाया जाए. पढ़ते हैं आगे..
आलू के रस का प्रयोग
आलू का रस और नींबू का रस दोनों को मिक्स करें और मिश्रण को नाखूनों पर लगाएं. ऐसा यदि नियमित रूप से किया जाए तो दाग हल्के पड़ जाते हैं.
नमक का इस्तेमाल
नमक के इस्तेमाल से भी नाखूनों के निशान को दूर किया जा सकता है. ऐसे में आप नमक और नींबू के रस को मिक्स करके प्रभावित स्थान पर लगाएं. ऐसा करने से समस्या दूर होती है.
शहद है बेहद मददगार
नाखूनों के निशान को कम करने में शहद आपके बेहद काम आ सकता है. आप चीनी और शहद को मिक्स करके एक मिश्रण तैयार करें और बने मिश्रण को प्रभावित स्थान पर लगाएं. ऐसा करने से समस्या को दूर किया जा सकता है.
नींबू का इस्तेमाल
नींबू के इस्तेमाल से भी नाखूनों के निशानों को दूर किया जा सकता है. ऐसे में आप नींबू के रस में आलू के रस को मिलाएं. अब बने मिश्रण को 10 मिनट के लिए प्रभावित स्थान पर लगाएं. उसके बाद हाथों को धो लें.
बेकिंग सोडा का करें इस्तेमाल
बता दें कि बेकिंग सोडा के इस्तेमाल से नाखूनों क् दागधब्बों को दूर किया जा सकता है. ऐसे में आप पानी में बेकिंग सोडे को घोलकर लगाएं और फिर धो लें. ऐसा करने से निशान दूर होगा.
Lifestyle
Lifestyle: क्या आप भी फेस की टैनिंग से परेशान है तो, यूज़ करे ये होममेड फेसमास्क..
कई सनस्क्रीन ऐसी होती है, जिन्हें लगाने से पसीना ज्यादा आता है। इस पसीने के साथ सनस्क्रीन भी बह जाती है। ऐसे में टैनिंग होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। इसके लिए बनाएं होममेड फेसमास्क
गर्मियों के मौसम में आप बाहर जाने से पहले स्किन पर कितनी ही सनस्क्रीन क्यों न लगा लें लेकिन टैनिंग की प्रॉब्लम हो ही जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कई सनस्क्रीन ऐसी होती है, जिन्हें लगाने से पसीना ज्यादा आता है। इस पसीने के साथ सनस्क्रीन भी बह जाती है। ऐसे में टैनिंग होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। आपको भी अगर टैनिंग हो गई है, तो आप डी टैन फेस मास्क बनाकर यूज कर सकते हैं।
टोमैटो प्यूरी
टमाटर की प्यूरी त्वचा पर धीरे से काम करती है और त्वचा से टैन हटाने में फायदेमंद होती है। इससे टैनिंग ही दूर नहीं होती बल्कि स्किन भी ग्लोइंग बनती है। डी टैन पैक की सबसे खास बात यह है कि इसे बालों पर भी लगाया जा सकता है।
शहद
दो चम्मच शहद और आधा नीबू के रस में चुटकी भर हल्दी और एक चम्मच दूध का पाउडर मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे अपने चेहरे पर लगाएं और सूखने तक लगा रहने दें। अपना चेहरा धो लें। आपको इसके पहले ही यूज से फर्क महसूस होगा।
ओट्स
ओट्स और छाछ का मिक्सचर तैयार कर लें। इस मिक्सचर को टैन वाली जगह पर लगाना चाहिए क्योंकि ओट्स स्किन को एक्सफोलिएट करने में मदद करेगा और दूसरी तरफ बटर मिल्क स्किन के लिए इफेक्टिव माना जाता है।
जीरा
काला और सफेद जीरा बराबर मात्रा में लेकर दूध या मलाई के साथ गाढ़ा पेस्ट बना लें। पेस्ट को पूरे चेहरे पर लगाएं। 20 मिनट बाद इसे धो लें। सप्ताह में कम से कम दो बार इस मास्क का इस्तेमाल करें।
कोकोनट वॉटर
हाथों और चेहरे पर ताजे नारियल पानी के इस्तेमाल से टैनिंग से छुटकारा मिलता है। कोकोनट वॉटर पीना भी बहुत फायदेमंद है।
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