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क्या आपको पता है अगर ये बीमारी हो जाए तो आलू खाना तुरंत छोड़ देना चाहिए?
आलू… एक ऐसी सब्जी, जो किसी के भी साथ एडजस्ट हो जाए. पालक में मिला दें तो आलू-पालक की मजेदार सब्जी बन जाएगी. फूलगोभी में मिला दें, परवल के साथ बना लें… मतलब किसी भी सब्जी के साथ यह मिलकर उसे पूरा कर देता है. घर में और कोई सब्जी न हो तो केवल आलू का ही भुजिया बना लें या फिर रसदार सब्जी. यह हमारे खाने का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.
आलू एक तरह का कंद है यानी जमीन के अंदर उगने वाली सब्जी. इसका वैज्ञानिक नाम सोलेनम ट्यूबरोसम है. सालों भर मिलने वाला आलू पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसलिए सेहत के लिए फायदेमंद है. इसमें स्टार्च ज्यादा होता है और चावल, गेहूं की तरह इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं. लेकिन कुछ बीमारियों में आलू खाने की मनाही होती है.
डायबिटीज के मरीजों को आलू खाने की मनाही
शुगर के मरीजों को जिन लोगों को शुगर की बीमारी यानी मधुमेह की शिकायत होती है उन लोगों का हल नहीं खाना चाहिए क्योंकि आलू में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है. इसलिए शुगर वाले मरीजों को आलू खाने के लिए डॉक्टर हमेशा मना करता है. इससे उनका शुगर लेवल बढ़ सकता है. आगे हम इसके वैज्ञानिक कारणों के बारे में विस्तार से बात करेंगे. अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज डिटेक्ट हुआ है, तो उन्हें सामान्यत: आलू का सेवन तुरंत छोड़ देने की सलाह दी जाती है.
नॉर्मल लोगों और डायबिटीज पेशेंट के सिस्टम में अंतर
जब आप कुछ खाते हैं तो कार्ब्स, सिंपल कार्बोहाइड्रेट में बदल जाता है, जिसे ग्लूकोज कहा जाता है. जब ये खून में मिलता है तो शुगर लेवल बढ़ जाता है. अब नॉर्मल लोगों का शरीर जो है, वह इंसुलिन का सही इस्तेमाल कर शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है. लेकिन डायबिटीज के मरीजों का शरीर ऐसा नहीं कर पाता. उनका शुगर लेवल बढ़ने से परेशानी बढ़ जाती है.
डायबिटीज और कार्बोहाइड्रेट में संबंध
डायबिटीज से कार्बोहाइड्रेट (कार्ब्स) का रिश्ता आमतौर पर जीआई स्कोर यानी ग्लाइसेमिक इंडेक्स वैल्यू के आधार पर तय किया जाता है. आलू अपने जीआई स्कोर के चलते खराब कार्बोहाइड्रेट माना जाता है. किसी भी खाद्य पदार्थ में ग्लाइसेमिक इन्डेक्स का 70 से ज्यादा होना खतरनाक है. क्योंकि ये ब्लड में शुगर लेवल तेजी से बढ़ाता है. आलू का ग्लाइसेमिक इन्डेक्स 58 से 111 के बीच होता है. उबले हुए आलू में औसतन 78, जबकि इंस्टैंट पके आलू में औसतन जीआई 87 होता है.
टाइप 2 डायबिटीज के मरीज न खाएं आलू
सीनियर फिजिशियन डॉ प्रवीण सिंह बताते हैं कि आलू ब्लड शुगर लेवल बढ़ाने का कारण बन सकता है. खासकर, टाइप 2 डायबिटीज में लोगों को आलू खाने से मना किया जाता है. इसे एक हाई ग्लाइसेमिक फूड होने के वजह से ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए नुकसानदायक माना जाता है.
टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान का बेहद ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. रात के खाने में अगर आलू खा लिया तो इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल के बहुत अधिक बढ़ जाने की संभावना रहती है. ऐसे में इसे कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और इंडोथेलियल डिस्फंक्शन के खतरे के साथ जोड़कर देखा जाता है.
हालांकि डायबिटीज के मरीज आलू का सेवन कर सकते हैं लेकिन लिमिट में इसका सेवन करने और सही तरीके से करने के बारे में सभी को जानकारी नहीं होती और वे फॉलो नहीं कर पाते, इसलिए न खाएं तो बेहतर है.
कब्ज और बवासीर में भी होती है मनाही
कब्ज की समस्या वाले मरीजों को भी आलू का सेवन करने की मनाही रहती है. यदि किसी को अक्सर कब्ज की शिकायत लिए किसी शहर से कम नहीं होता यदि आपको कब्ज की शिकायत है तो आलू का सेवन कम से कम करें क्योंकि यह दिल से पचता है
बवासीर के मरीजों को भी आलू का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है. आलू का सेवन उनके बवासीर को और ज्यादा बढ़ा सकता है. इसलिए ऐसे मरीज आलू का सेवन ना करें नहीं तो आगे चलकर उन्हें पछताना पड़ सकता है. अगर वे आलू की सब्जी खाते भी हैं तो उन्हें हफ्ते में बहुत कम आलू का इस्तेमाल करना चाहिए.
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महंगाई और बेरोजगारी के ख़िलाप कांग्रेस करेगा 28 अगस्त को रैली का आयोजन…
कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने के मकसद से आगामी 28 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ रैली का आयोजन करेगी. इस रैली से पहले 17 अगस्त से 23 अगस्त के बीच देश के सभी विधानसभा क्षेत्रों की मंडियों, खुदरा बाजारों और अन्य कई स्थानों पर ‘महंगाई चौपाल’ आयोजित की जाएगी.कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने के मकसद से आगामी 28 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ रैली का आयोजन करेगी. कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश के अनुसार इस रैली से पहले 17 अगस्त से 23 अगस्त के बीच देश के सभी विधानसभा क्षेत्रों की मंडियों, खुदरा बाजारों और अन्य कई स्थानों पर ‘महंगाई चौपाल’ आयोजित की जाएगी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बीते 5 अगस्त को मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया, जिसके साथ लोगों ने खुद को जोड़ा. प्रधानमंत्री ने हताशा में आकर इसे ‘काला जादू’ बताने का प्रयास किया जो इस बात को दर्शाता है कि भाजपा सरकार आसमान छूती महंगाई और बेरोजगारी पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है.
जयराम रमेश के अनुसार, कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ अपनी लड़ाई को आने वाले हफ्तों में और तेज करेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी 17 अगस्त से 23 अगस्त के बीच देश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में मंडियों, खुदरा बाजारों और अन्य कई स्थानों पर ‘महंगाई चौपाल’ आयोजित करेगी. इसका समापन 28 अगस्त को रामलीला मैदान में ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ रैली के साथ होगा. इस रैली को कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे.कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि रामलीला मैदान की रैली को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी संबोधित करेंगे. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि इस रैली से इतर प्रदेश कांग्रेस कमेटियां राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर ‘महंगाई पर हल्ला बोल- चलो दिल्ली’ कार्यक्रम का आयोजन करेगी. उन्होंने दावा किया है कि ‘भारत के लोग मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा भुगत रहे हैं. दही, छाछ, पैक की गई खाद्य वस्तुएं जैसे आवश्यक सामानों पर अत्यधिक करों के कारण महंगाई बढ़ रही है.’उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन जनविरोधी नीतियों पर लोगों में जागरूकता फैलाती रहेगी और भाजपा सरकार पर उसकी गलत नीतियों को बदलने के लिए दबाव बढ़ाएगी।
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चीन में मिला कोरोना के 828 नए मामलें,वहीं तिब्बत 22 मरीज मिले से हड़कंप
चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है.कोरोना पर नो टॉलरेंस नीति को लेकर चल रहे चीन ने तिब्बत में संक्रमण का मामला आने के बाद प्रसिद्ध पोटाला पैलेस को बंद कर दिया है. चीन की नो टॉलरेंस नीति के तहत लॉकडाउन, नियमित परीक्षण, और कड़े यात्रा प्रतिबंधों को अनिवार्य किया जाता है. पैलेस के अनुसार, परिसर जो तिब्बत के बौद्ध नेताओं का पारंपरिक घर है उसे मंगलवार से बंद कर दिया जाएगा।
कोरोना के मामले ख़त्म होने के बाद ही अब पैलेस के फिर से खुलने की संभावना है.इन प्रतिबंधों से तिब्बत के पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. तिब्बत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पोटाला पैलेस के कारण मिलने वाले पर्यटन पर निर्भर करती है. ऐसे में कड़े प्रतिबंध लोगों के लिए काफी कष्टकारी होने वाले हैं.चीन का कहना है कि उसकी कठोर नीति बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में सफल रही है. ऐसे में चीन फिलहाल इस नीति को वापस लेने के मूड में तो नहीं दिख रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे लोगों की मूलभूत जरूरतों के विरुद्ध बताया है।
WHO के अनुसार वायरस के रोज बदलते स्वरूप के आगे ऐसी नीतियां बौनी साबित होती हैं.चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है. ऐसा करके चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तो नुकसान भले ही पहुंचा रहा हो लेकिन इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है.कोरोना पर नो टॉलरेंस नीति को लेकर चल रहे चीन ने तिब्बत में संक्रमण का मामला आने के बाद प्रसिद्ध पोटाला पैलेस को बंद कर दिया है. चीन की नो टॉलरेंस नीति के तहत लॉकडाउन, नियमित परीक्षण,और कड़े यात्रा प्रतिबंधों को अनिवार्य किया जाता है. पैलेस के अनुसार, परिसर जो तिब्बत के बौद्ध नेताओं का पारंपरिक घर है उसे मंगलवार से बंद कर दिया जाएगा. कोरोना के मामले ख़त्म होने के बाद ही अब पैलेस के फिर से खुलने की संभावना है.इन प्रतिबंधों से तिब्बत के पर्यटन को भी भारी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. तिब्बत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पोटाला पैलेस के कारण मिलने वाले पर्यटन पर निर्भर करती है. ऐसे में कड़े प्रतिबंध लोगों के लिए काफी कष्टकारी होने वाले हैं।
नो टॉलरेंस नीति को बताया जरूरी
चीन का कहना है कि उसकी कठोर नीति बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में सफल रही है. ऐसे में चीन फिलहाल इस नीति को वापस लेने के मूड में तो नहीं दिख रहा है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे लोगों की मूलभूत जरूरतों के विरुद्ध बताया है. WHO के अनुसार वायरस के रोज बदलते स्वरूप के आगे ऐसी नीतियां बौनी साबित होती हैं।
तिब्बत में 22 नए मामले
चीन ने मंगलवार को कोरोना के 828 नए मामलों की घोषणा की, जिनमें से 22 तिब्बत में हैं. इनमें से अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा. चीन असिम्पटोमैटिक मरीजों के कारण ही जीरो टॉलरेंस नीति को आगे लेकर बढ़ रहा है. ऐसा करके चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तो नुकसान भले ही पहुंचा रहा हो लेकिन इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है।
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राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का दूसरा केस आया सामने,लगातार बढ़ रहा है ख़तरा
देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का दूसरा मरीज मिला है. दिल्ली में रहने वाला 35 साल का नाइजीरियाई शख्स मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित पाया गया है.दिल्ली में सोमवार को मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आया है. दिल्ली में रहने वाला 35 साल का नाइजीरियाई शख्स मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मरीज का हाल में यात्रा का कोई इतिहास भी नहीं रहा है. इसके साथ ही देश में Monkeypox संक्रमितों का कुल आंकड़ा बढ़कर छह पहुंच गया है.रविवार और सोमवार को भी अफ्रीकी मूल के संदिग्ध अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना बाकी अभी है. संदिग्धों को बुखार और त्वचा संबंधी दिक्कत है. यह मरीज पिछले एक साल से दिल्ली में रह रहे हैं. नाइजीरियाई नागरिक को इलाज के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित नोडल अस्पताल एलएनजेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. संक्रमित व्यक्ति को पिछले पांच दिनों से छाले और बुखार है. यह दिल्ली में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया दूसरा व्यक्ति है.अभी तक कुल चार संक्रमित केसभारत में केरल से 13 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद अभी तक कुल 6 संक्रमित सामने आ चुके हैं. दुनिया भर में मंकीपॉक्स का कहर बढ़ता जा रहा है. अफ्रीका से निकलकर मंकीपॉक्स का संक्रमण बीते कुछ दिनों में ही 75 से अधिक देशों में पहुंच गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते दिनों 20 हजार से अधिक लोगों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने की पुष्टि की थी।
केरल में 22 साल के व्यक्ति की मौत
केरल में त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में 22 वर्षीय व्यक्ति की कथित तौर पर मंकीपॉक्स के कारण मौत हो गई थी. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को कहा कि 22 वर्षीय युवक की मौत के कारणों की जांच करेंगे, जो हाल में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था और एक दिन पहले कथित रूप से मंकीपॉक्स के कारण उसकी मौत हो गई थी।
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